राहुल गाँधी वर्तमान में एक मिशन पर हैं। यह मिशन है हर उस चीज में कमी निकालना, जो भारत की उपलब्धियाँ हैं। इसी कड़ी में 21 जून, 2025 को राहुल गाँधी ने ट्विटर पर एक वीडियो जारी किया। लगभग 8 मिनट के इस वीडियो का शीर्षक रखा गया, ‘सब माल चाइनीज है।’
राहुल गाँधी ने यह वीडियो देश के सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक मार्केट ‘नेहरू प्लेस’ में बनाई। राहुल गाँधी नीली टीशर्ट में यहाँ पहुँचते हैं, एक लैपटॉप-मोबाइल की रिपेयरिंग की दुकान को चुनते हैं। यहीं से यह वीडियो बनाई गई है। वीडियो में वह एक मुस्लिम और एक हिन्दू कारीगर को अपने दाएँ-बाएँ बैठाते हैं।
राहुल गाँधी इसके बाद पूछते हैं कि उनके यहाँ उपयोग होने वाला माल कहाँ बना होता है। इसके बाद वह अपना पहले से निर्धारित प्रोपेगेंडा चालू करते हैं। राहुल गाँधी दावा करते हैं कि भारत में वर्तमान में कोई मैन्युफैक्चरिंग नहीं होती और सब कुछ चीन से आता है। भारत में होने वाली मैन्यूफैक्चरिंग को वह ‘असेम्बली’ बताते हैं।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी इसके बाद राहुल ‘मेड इन इंडिया’ और ‘असेम्बलड इन इंडिया’ में फर्क समझाने का प्रयास करते हैं। राहुल गाँधी अपने प्रोपेगेंडा के तहत बताते हैं कि भारत अगर मैन्युफैक्चरिंग में पिछड़ा है तो इसकी जड़ में जाति है। वह इसी से अपने वीडियो का अंत करते हैं।
राहुल गाँधी की पूरे वीडियो के दौरान कोशिश होती है कि केंद्र की मोदी सरकार की ‘मेड इन इंडिया स्कीम’ की साख पर बट्टा लगाएँ। राहुल गाँधी पूरे विडियो के दौरान यह बताने की कोशिश करते हैं कि कैसे चीन ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट पर कब्जा कर लिया है।
यह बात जगजाहिर है कि भारत में वर्तमान में तेजी से स्मार्टफोन और बाकी इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्माण बढ़ रहा है। यह यहाँ तक बढ़ा है कि भारत वर्तमान में दूसरे नम्बर का स्मार्टफोन निर्माता है। 2024-25 में भारत का सबसे बड़ा निर्यात स्मार्टफोन ही थे। हालाँकि, यह सब जानने के बावजूद हमारे मन में कुछ प्रश्न उठे।
इन प्रश्नों का जवाब लेने के लिए हम नेहरू प्लेस पहुँचे। नेहरू प्लेस पहुँच कर सबसे पहले हमने बात की रेहड़ी-पटरी पर इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचने वालों से। हमारा उनसे प्रश्न था कि क्या नेहरू प्लेस या भारतीय बाजार में केवल चीनी इलेक्ट्रॉनिक सामान ही मिलता है।
इसका जवाब था, नहीं! अधिकतर दुकानदारों ने बताया कि अब ग्राहक चीन का नाम सुनकर प्रॉडक्ट को रिजेक्ट कर देते हैं। उन्होंने बताया, “हमारी दुकानों पर अब 80% माल मेड इन इंडिया ही है।” कैमरा बंद होते ही दुकानदारों ने यह भी कहा कि देश के इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में पीछे रहने की वजह कॉन्ग्रेस के नेताओं का भ्रष्टाचार ही है।
नेहरू प्लेस के अधिकतर दुकानदार राहुल गाँधी के सब माल चाइनीज है वाले दावे को खोखला बताते हैं। उनका कहना था कि मनमोहन सिंह के समय में अधिकतर प्रोडक्ट मेड इन चाइना होते थे लेकिन 2014-15 के बाद मार्केट बदला है। उन्होंने बताया कि अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक सामान अब भारत में ही बने हुए हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि ग्राहक भी भारत में ही बना हुआ सामान पसंद करते हैं। उनका कहना था कि चीनी सामान पर कोई गारंटी नहीं होती, इसलिए भी भारतीय ग्राहक उससे बचते हैं। दुकानदारों का कहना था कि भारतीय सामानों पर एक साल तक की गारंटी मिल रही है।
दुकानदारों के मेड इन इंडिया वाले दावों का समर्थन आँकड़े भी करते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2014 में देश में 2 मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट थीं जबकि आज 300 से अधिक यूनिट काम कर रही हैं। मोबाइल फोन एक्सपोर्ट में भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्लेयर बन चुका है।
भारत ने 2024-25 में ₹2 लाख करोड़ से अधिक स्मार्टफोन निर्यात किए हैं। इस निर्माण गतिविधि को असेम्बलिंग बताने वाले राहुल गाँधी को यह भी जानना चाहिए कि भारत में बनने वाले स्मार्टफोन में अब 25% तक पार्ट भारतीय ही उपयोग हो रहे हैं।
राहुल गाँधी को यह पता होना चाहिए कि दशकों से इस काम जुटा हुआ चीन भी अभी तक 35%-40% के स्तर पर पहुँच पाया है। भारत ने 20% की उपलब्धि 5 ही वर्षों में हासिल कर ली है। सिर्फ स्मार्टफोन ही नहीं, सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भी 1.52 लाख करोड़ के इन्वेस्टमेंट के साथ 5 नए प्रोजेक्ट लॉन्च हुए हैं।
2026 तक भारत का इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्शन 300 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। बाजार पर भी इसका सीधा असर नजर आता है। दुकानदार कहते हैं कि अब भारत में किसी भी कंपनी को व्यापार करना है तो अपनी फैक्ट्री यहाँ लगानी ही होगी, सैमसंग जैसी कम्पनियाँ भारत में अपनी बड़ी यूनिट्स लगा रही हैं।
राहुल गाँधी के चीन वाले प्रोपेगेंडा का सच जानने के बाद हम उस दुकान पर गए, जहाँ से राहुल गाँधी ने यह वीडियो शूट किया था। हमने उसी मैकेनिक शिवम से बात की, जिससे राहुल गाँधी ने बात की थी। हमने पूछा कि क्या वो राहुल गाँधी की काम में जाति देखने के तर्क से सहमत है? शिवम का जवाब चौंकाने वाला था।
शिवम ने कहा, “जाति की बात करने वाला व्यक्ति कोई अनपढ़ ही होगा। काम में जाति देखने के बजाए योग्यता देखना चाहिए। उसने कहा कि मेरा पूरा नाम शिवम माहेश्वरी है और मैं बनिया जाति से आता हूँ। हमारी दुकान वाल्मीकि समाज से लेकर तमाम जातीय और सामाजिक वर्गों से आने वाले लोग काम करते हैं।”
शिवम ने आगे बताया, “हम हमेशा योग्यता को ही प्राथमिकता देते हैं। साथ ही असेम्बलड इन इंडिया वाली बात को काटते हुए कहा कि 2014-15 से पहले तो हम असेम्बल भी नहीं करते थे, अब असेम्बल तो कर रहे हैं कम से कम।”
उस दुकान में शिवम के सहयोगी ने बताया कि जब कोई जाति नहीं होगी तभी हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाएगा। अन्य दुकानदार भी बताते हैं कि 2014 के बाद चीनी प्रोडक्टस मार्केट में कम हुए हैं। लोगों का विश्वास भी मेड इन इंडिया पर ज्यादा है।
शिवम और अन्य दुकानदारों की बातें सीधे तौर पर यह साबित करती हैं कि राहुल गाँधी ने अपने राजनैतिक लाभ के लिए उनका इस्तेमाल किया था। संभव है कि, राहुल गाँधी की सोशल मीडिया टीम ने अपने नैरेटिव के हिसाब से क्लिप्स को काटकर प्रचारित किया हो। लेकिन Opindia की ग्राउंड रिपोर्ट में सारा सच निकलकर सामने आ गया।