पाकिस्तान राहुल गाँधी के बयानों को हथियार बनाकर भारत के खिलाफ प्रचार कर रहा है, तो दूसरी ओर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनके बयानों पर कड़ी फटकार लगाई है। राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस पार्टी के बयानों ने पाकिस्तानी मीडिया को मौका दिया है कि वे भारत को नीचा दिखाने की कोशिश करें, खासकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ट्रम्प की मध्यस्थता के दावों को लेकर। राहुल के बयानों को पाकिस्तानी मीडिया ने इसे भारत की हार के रूप में पेश किया।
उधर, हाई कोर्ट ने साफ कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब सेना के खिलाफ अपमानजनक बातें कहना नहीं है। राहुल के बयानों को लेकर उनके खिलाफ मानहानि का केस चल रहा है, जिसे बंद करने की याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन उसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
गाँधी परिवार और उनकी पार्टी ने एक बार फिर अपने बयानों के जरिए पाकिस्तान को भारत के खिलाफ हथियार दे दिया, ताकि वे कुछ राजनीतिक फायदा उठा सकें। राहुल गाँधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस दावे का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं।
रायबरेली के सांसद ने तंज कसते हुए कहा, “नरेंद्रजी ने ट्रम्प का हुक्म माना, जिन्होंने कहा ‘नरेंद्र, आत्मसमर्पण करो’ और उन्होंने जवाब दिया ‘हाँ, सर’।” उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का हवाला देते हुए कहा, “भारत ने अमेरिका की धमकी के बावजूद 1971 में पाकिस्तान को तोड़ा था। कॉन्ग्रेस के शेर और शेरनियाँ महाशक्तियों से लड़ते हैं और कभी नहीं झुकते।”
ट्रंप का एक फोन आया और नरेंद्र जी तुरंत surrender हो गए – इतिहास गवाह है, यही BJP-RSS का character है, ये हमेशा झुकते हैं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 3, 2025
भारत ने 1971 में अमेरिका की धमकी के बावजूद पाकिस्तान को तोड़ा था। कांग्रेस के बब्बर शेर और शेरनियां Superpowers से लड़ते हैं, कभी झुकते नहीं। pic.twitter.com/RhdQWdRBtV
इस बीच, कॉन्ग्रेस ने भी एक शर्मनाक मीम के जरिए इसकी हिमायत की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्रम्प से निर्देश लेते हुए दिखाया गया, जैसे कि उन्होंने युद्धविराम की घोषणा कर दी, जिसे ‘आत्मसमर्पण’ के तौर पर पेश किया गया।
नरेंदर… सरेंडर नहीं होना था pic.twitter.com/ADqPZHOVHv
— Congress (@INCIndia) June 3, 2025
पाकिस्तानी मीडिया ने भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी द्वारा दिए गए इस मौके को फौरन लपक लिया और इसे अपनी गलत मंशा वाली कहानी को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया। Geo.tv के एक पत्रकार ने कहा, “कॉन्ग्रेस पहले से ही पीएम मोदी की ट्रम्प के मध्यस्थता के दावे पर चुप्पी की आलोचना कर रही थी। अब उन्होंने उनका मजाक उड़ाना भी शुरू कर दिया है।”
इसके बाद उन्होंने कॉन्ग्रेस के आधिकारिक हैंडल से पोस्ट किए गए अपमानजनक मीम का जिक्र किया और वह वीडियो भी दिखाया, जिसमें राहुल गाँधी ने पीएम मोदी का मजाक उड़ाया था।
And it has happened yet again.
— Politics Pe Charcha (@politicscharcha) June 4, 2025
Pakistani Media is playing Rahul Gandhi's and Congress's narrative of "Surrender"
Who needs an enemy when you have Congress pic.twitter.com/0bueGgjOzK
पत्रकार ने आगे कहा, “भारत का विपक्ष यह सवाल उठा रहा है कि क्या युद्धविराम पाकिस्तान के कहने पर शुरू हुआ था या ट्रम्प के प्रस्ताव की वजह से। अगर ऐसा है, तो सरकार ने इसे क्यों मान लिया, खासकर जब हम युद्ध जीत रहे थे? अगर यह सच नहीं है, तो केंद्र सरकार के दावे गलत और भ्रामक हैं।” उन्होंने इस गंभीर समय में भी विपक्षी नेताओं की छोटी-मोटी राजनीति पर रोशनी डाली।
बता दें कि OpIndia ने पहले ही बताया था कि राहुल गाँधी के खतरनाक बयान इस्लामिक गणराज्य को प्रचार के लिए और सामग्री देंगे। उनके विदेश मंत्री एस जयशंकर पर लगाए गए झूठे आरोप और ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ के नतीजे पर सवाल उठाने वाले बयानों को भी पाकिस्तान ने रिपोर्ट किया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लगाई राहुल गाँधी को फटकार
इस बीच, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राहुल गाँधी को फटकार लगाई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भारतीय सेना के खिलाफ अपमानजनक बातें कहने तक नहीं जाता। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की, जब उसने विपक्ष के नेता राहुल गाँधी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणियों के लिए लखनऊ की एक अदालत द्वारा जारी समन आदेश को चुनौती दी थी।
सिंगल जज जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) अभिव्यक्ति और बोलने की आजादी की गारंटी देता है, लेकिन यह आजादी उचित प्रतिबंधों के अधीन है और इसमें किसी व्यक्ति या भारतीय सेना के खिलाफ अपमानजनक बयान देने की आजादी शामिल नहीं है।” लखनऊ की अदालत के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा ने राहुल गाँधी को मानहानि के मामले में 24 मार्च को सुनवाई के लिए पेश होने का निर्देश दिया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए राहुल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
शिकायत वकील विवेक तिवारी ने उदय शंकर श्रीवास्तव की ओर से दायर की थी, जो बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन के पूर्व निदेशक थे और सेना में कर्नल के बराबर रैंक रखते थे। तिवारी ने आरोप लगाया कि राहुल गाँधी ने 16 दिसंबर 2022 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच 9 दिसंबर 2022 को हुए टकराव के बारे में जो टिप्पणी की, वह भारतीय सेना के लिए अपमानजनक और मानहानिकारक थी।
राहुल ने कहा था कि “अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिक भारतीय सेना के जवानों को पीट रहे हैं” – यह बयान सरकार की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की हरकतों की आलोचना के लिए था। राहुल की मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि CrPC की धारा 199(1) के तहत, कोई व्यक्ति जो अपराध का सीधा शिकार नहीं है, उसे भी ‘पीड़ित व्यक्ति’ माना जा सकता है, अगर उस अपराध से उसे नुकसान हुआ हो या उसका बुरा असर पड़ा हो।
गौरतलब है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अभी भी कॉन्ग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी लगातार भारतीय सेना, उसके शौर्य और पहलगाम हमले पर सवाल उठा रहे हैं।