बांग्लादेश के ढाका में इस्लामी कट्टरपंथ अब इस हद तक पहुँच गया है कि ‘मुस्लिम कंज्यूमर राइट्स काउंसिल’ ने माँग की है कि या तो राज्य के हर रेस्टोरेंट में बीफ परोसा जाए वरना सब मिलकर उसका बहिष्कार करे।
अपनी इस माँग को लेकर मुस्लिम कंज्यूमर राइट्स काउंसिल ने बंगशाल एरिया में एक रैली भी की और साथ में तर्क दिया कि जो रेस्टोरेंट बीफ नहीं दे रहे वो इस्लामी विचारधारा के विरुद्ध हैं इसलिए उन्हें बॉयकॉट किया जाना चाहिए।
रैली में शामिल प्रदर्शनकारी इस दौरान बंगशाल इलाके के एक होटल अल रज्जाक में एकत्रित हुए। इस दौरान उन्होंने नारेबाजी की। बार-बार कहा गया -जहाँ बीफ नहीं बिक रहा वो रेस्टोरेंट भारत और हिंदुत्व के एजेंट हैं। ऐसे रेस्टोरेंट्स का बहिष्कार किया जाए।
'No-beef restaurants are agents of India and Hindutva. Boycott such establishments'
— Dhaka Tribune (@DhakaTribune) December 11, 2024
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ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, परिषद के संयोजक मुहम्मद आरिफ अल खबीर ने बीफ को इस्लामी पहचान बताया और कहा कि गोमांस खाना इसी पहचान का प्रतीक है।
मुहम्मद आरिफ अल ख़बीर ने आगे कुरान की आयतों की बात करते हुए ये भी बताया कि उनके मजहब में गोमांस खाना कोई अनिवार्य नहीं है लेकिन हिंदू मान्यताओं को नीचा दिखाने के लिए और इस्लाम के प्रति निष्ठा दिखाने के लिए ऐसा करना जरूरी है। ठीक वैसे जैसे इस्लाम में ऊँट का मांस खाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन मुसलमान ऊँट खाते हैं क्यों ये यहूदियों के खानों में निषेध है, इसलिए इस्लाम के प्रति निष्ठा दिखाने के लिए उनका ऊँट खाना जरूरी है।।
आरिफ अल खबीर ने कहा कि सभी रेस्टोरेंटों को अपनें मेन्यू में कम से कम एक बीफ डिश शामिल करके मुस्लिमों के प्रति अपना समर्थन देना चाहिए। अगर वो ऐसा नहीं करते तो ये तो पक्का है कि वो हिंदुत्व के एजेंट हैं और इसीलिए उनका बहिष्कार होना चाहिए।
आरिफ ने अपने बयान में पश्चिमी देशों पर भी गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि यूरोप और अमेरिका में यहूदी और ईसाई मुस्लिमों के लिए हलाल खाना नहीं रखते। मुस्लिमों को अपने खाने के लिए अलग व्यवस्थान करनी पड़ती है। ऐसे ही अगर हिंदुओं को अपने लिए कोई विकल्प रखना है तो वो अपना रेस्टोरेंट खोल लें, मुस्लिमों के अधिकारों का हनन न करें।