Saturday, July 12, 2025
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पहलगाम आतंकी हमले के लिए चूँ तक नहीं, सिर्फ कश्मीर मुद्दे पर बवाल: UNSC के सामने फिर गिड़गिड़ाया पाकिस्तान, आतंकी मुल्क कर रहा मानवाधिकारों की बात

UNSC की बैठक में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने फिर से कश्मीर को लेकर अपना पुराना राग छेड़ दिया है। असीम ने कहा कि सुरक्षा परिषद को इसके समाधान के तौर पर अपनी ओर से प्रस्तावों को लागू कराने जैसे हल निकालने चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की जुलाई महीने की अध्यक्षता पाकिस्तान कर रहा है। इस पद पर बैठते ही पाक ने एक बार फिर अपनी नापाक हरकतों पर उतर आया है। UNSC की बुधवार (2 जुलाई 2025) की बैठक में पाकिस्तान ने कश्मीर के मुद्दे को फिर से उठाया है।

न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र (UN) के मुख्यालय में आयोजित बैठक में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने फिर से कश्मीर को लेकर अपना पुराना राग छेड़ दिया है। असीम ने कहा कि कश्मीर विवाद को अब और नहीं टाला जा सकता। सुरक्षा परिषद को इसके समाधान के तौर पर अपनी ओर से प्रस्तावों को लागू कराने जैसे हल निकालने चाहिए।

असीम ने आगे कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर का मुद्दा तनाव का विषय बना हुआ है। इसके कारण मानवाधिकार, शांति और क्षेत्रीय स्थिरता पर असर पड़ता है। UNSC के स्थायी देशों के साथ दुनिया को इस पर काम करने की जरूरत है।

सदस्यता का हवाला देकर मुद्दे को अपने हित में लाने की कोशिश

UNSC में अपनी अस्थायी सदस्यता का रोना रोते हुए पाक ने कहा कि हम यहाँ महज 2 साल के लिए ही हैं। ऐसे में सुरक्षा परिषद के स्दस्यों को इसके प्रावधानों के हिसाब से समाधान खोजना होगा। यही एकमात्र रास्ता है।

पाकिस्तान वैश्विक मंचों पर कश्मीर का मुद्दा जब तब उठाता रहता है। जबकि इसे लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते हुआ जिसमें साफ तौर पर कश्मीर के मुद्दे को आपस में ही सुलझाने के प्रयास करने की बात कही गई है।

इसी साल 22 अप्रैल को जब पाकिस्तानी आतंकियों ने भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 20 से अधिक हिंदू और कुल 26 पर्यटकों की हत्या की। इसके बाद भारत ने पाकिस्तानियों का भारत को लेकर वीजा रद्द किया, सिंधु जल समझौता निलंबित किया और शिमला समझौते को भी खत्म कर दिया। इसके बाद तो पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे को लेकर खुली छूट मिल गई है।

शांति- सुरक्षा पर नजर रखता है UNSC

बताते चलें कि UNSC दुनिया का सबसे मजबूत अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर शांति और सुरक्षा के लिए काम करना है। इसके सदस्य 15 देश हैं। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस इसके स्थायी सदस्य हैं। अन्य 10 अस्थायी देशों की सदस्यता हर दो साल में बदलती है। भारत इसमें सक्रिय रूप से शामिल नहीं है।

सदस्यों के तहत रोटेशन नंबर के जरिए पाकिस्तान को UNSC में जुलाई की अध्यक्षता मिली है। इसका अर्थ होता है कि UNSC में जो भी सदस्य हैं उनमें बारी- बारी से सभी को अध्यक्षता का मौका मिले। इस दौरान पाकिस्तान कम से कम दो बार ओपेन मीटिंग्स कर सकता है।

पाकिस्तान से पहले 2025 में अब तक अल्जीरिया, चीन, डेनमार्क, फ्रांस, ग्रीस और गुयाना देश UNSC की अध्यक्षता कर चुके हैं। पाकिस्तान के बाद अध्यक्षता के लिए कोरिया, रूस, सिएरा लियोन और स्लोवेनिया का नंबर आएगा।

पाकिस्तान UNSC में गैर स्थायी सदस्य को तौर पर 8वीं बार शामिल हुआ है। अब तक 1952-53, 1968-69, 1976-77, 1983-84, 1993-94, 2003-04 और 2012-13 में पाक अस्थायी सदस्य रह चुका है।

अब एक बार फिर अपनी एक महीने की अध्यक्षता में पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे से दुनिया को अपनी ओर करने की हरसंभव कोशिश में लग गया है। हालाँकि ये इतना भी आसान नहीं है। कश्मीर के मुद्दे को उछाल कर पाकिस्तान भले ही प्रस्ताव को अपनी ओर करने की जुगत में हो लेकिन उसके लिए UNSC के 9 देशों की सहमति जरूरी होती है।

इसके साथ ही कोई भी स्थायी सदस्य देश प्रस्ताव के खिलाफ वीटो ना करे ये सबसे जरूरी है। पर ये हो पाना थोड़ा मुश्किल है। भारत को अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन का साथ मिला हुआ है। ऐसे में पाकिस्तान के लिए इस तरह का प्रस्ताव दूर की कौड़ी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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