अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दुनिया के कई देशों पर आयात शुल्क (टैरिफ) की घोषणा कर दी है। इस दायरे में यूरोप, अमेरिका के पड़ोसी देश और चीन समेत तमाम एशियाई राष्ट्र भी आए हैं। भारतीय सामानों पर अमेरिका ने 26% का टैरिफ लगाया है। यह एशियाई देशों पर लगाए गए टैरिफ में सबसे कम में से एक है। ट्रम्प ने टैरिफ लगाते समय पीएम मोदी का भी जिक्र किया है। भारत पिछले कुछ समय से अमेरिका के साथ इन टैरिफ को लेकर बातचीत कर रहा था। उसने इनसे होने वाले नुकसान को कम करने के लिए तैयारी भी कर ली थी।
क्या हैं ट्रम्प के टैरिफ, इसका क्या मतलब?
बुधवार (2 अप्रैल, 2025) की रात को ‘मेक अमेरिका वेल्थी अगेन’ नाम के एक अभियान के तहत दुनिया के अलग-अलग देशों पर नए टैरिफ का ऐलान किया। ट्रम्प ने विश्व के लगभग 100 देशों के विरुद्ध यह टैरिफ लगाए हैं। ‘टैरिफ’ शब्द का मतलब किसी सामान पर लगने वाले आयात शुल्क से है।
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— The White House (@WhiteHouse) April 2, 2025
भारत में इसे आमतौर पर कस्टम ड्यूटी के नाम से जाना जाता है। इसका मतलब है कि अमेरिका में किसी सामान के पहुँचने के बाद ग्राहक के पास उसके जाने तक कितना टैक्स लगाया जाएगा। सभी देश अपनी नीतियों के हिसाब से यह टैरिफ लगाते हैं।
ट्रम्प की इस बार की टैरिफ नीति का आधार कुछ दूसरा है। ट्रम्प का कहना है कि दुनिया के बाकी देशों ने अमेरिका की खुली अर्थव्यवस्था का गलत फायदा उठाया है। उनका कहना है कि अमेरिकी सामान को बाकी देश ऊँचे आयात शुल्क लगाकर आने बाजार में नहीं घुसने देते, जबकि वह देश अपना सामान अमेरिका में धड़ल्ले से बेचते हैं।
इसीलिए ट्रम्प ने सत्ता में आने से पहले ही ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ का ऐलान कर दिया था। ट्रम्प ने कहा था कि जो देश अमेरिकी सामान पर जितना टैरिफ लगाएगा, वापस उतना ही टैरिफ अमेरिका में उस देश के सामान पर लगा दिया जाएगा। ट्रम्प की इन शिकायतों के दायरे में सबसे बड़ा नाम चीन रहा है।
भारत भी ट्रम्प के निशाने पर था। इसी कड़ी में अब ट्रम्प ने नए टैरिफ का ऐलान कर दिया है। इनका सबसे बड़ा नुकसान उन देशों को होगा, जो अमेरिका में सामान निर्यात करते हैं। इसमें भारत भी शामिल है। हालाँकि, अपनी इस कवायद में ट्रम्प ने किसी भी देश को नहीं बख्शा है।
भारत पर कितना लगा?
राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने ऐलान में बताया है कि अमेरिका भारतीय सामान पर 26% का टैरिफ लगाएगा। राष्ट्रपति ट्रम्प ने इन टैरिफ का ऐलान करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी वापस गए हैं। वे मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं, लेकिन मैंने कहा कि आप मेरे मित्र हैं, लेकिन आप हमारे साथ ठीक बर्ताव नहीं कर रहे हैं।”
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि भारत उनके सामानों पर 52% टैरिफ लगाता है लेकिन अमेरिका भारतीय सामान पर लगभग ना के बराबर ही टैरिफ लगाता है। इससे पहले भी राष्ट्रपति ट्रम्प आरोप लगा चुके हैं कि भारत अपना बाजार अमेरिकी सामानों के लिए मुश्किल बनाता है जबकि अमेरिका के भीतर बड़ा व्यापार करता है।
इसका भारत पर क्या असर?
इन टैरिफ का सीधा असर भारत के अमेरिका को होने वाले निर्यात पर पड़ेगा। अब अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान 26% महँगे दामों पर बिकेंगे। इससे उनकी अमेरिकी स्थानीय उत्पादों या फिर दूसरे देश से आए उत्पादों के मुकाबले किफायत कम हो जाएगी। भारतीय सामानों पर अभी तक अमेरिका में औसतन 3% का टैरिफ लगता आया है।
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात सहयोगी है। रिपोर्ट बताती हैं कि भारत ने 2024 में अमेरिका को 87 बिलियन डॉलर (लगभग ₹7.5 लाख करोड़) का निर्यात किया। भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 18% है। अमेरिका के साथ भारत व्यापार अधिशेष में रहता है। यानी अमेरिका को भारत जितना निर्यात करता है, उससे कम अमेरिकी सामान का आयात करता है।

विदेशों के साथ व्यापार का लेखाजोखा रखने वाले वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2024-25 की तीन तिमाहियों (अप्रैल-जून) में ही भारत की तरफ व्यापार का पलड़ा लगभग 30 बिलियन डॉलर (लगभग ₹2.5 लाख करोड़) से अधिक झुका है।
अब यह स्थिति कुछ बदल सकती है। राष्ट्रपति ट्रम्प के इस कदम का नुकसान भारतीय फार्मा कम्पनियों और टेलीकॉम क्षेत्र को होगा। वाणिज्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, 2024-25 के अप्रैल से जून के बीच भारत ने अमेरिका को ₹63 हजार करोड़ से ज्यादा की दवाइयाँ बेचीं हैं।

वहीं भारत ने इसी दौरान ₹55 हजार करोड़ से अधिक के टेलीकॉम उत्पाद भी अमेरिका को बेचे हैं। इसके बाद रत्न और हीरे भी भारत का बड़ा निर्यात हैं। अब इन सब पर असर पड़ेगा। संभव है कि उनके निर्यात में कुछ कमी देखने को मिले। हालाँकि, भारत पहले ही इन टैरिफ की तैयारी कर चुका है।
फरवरी, 2025 में आई सिटीबैंक की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत को अमेरिका के टैरिफ से लगभग ₹50 हजार करोड़ का नुकसान सालाना हो सकता है। रिपोर्ट बताती है कि सबसे अधिक नुकसान स्टील और एल्युमीनियम जैसे सेक्टर उठाएँगे। दवाइयों को लेकर थोड़ा असर जरूर पड़ेगा लेकिन इससे कोई ख़ास अंतर नहीं आने वाला।
सिटीबैंक की रिपोर्ट के इतर, हाल ही में आई भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट ने कहा है कि भारत को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। स्टेट बैंक की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका के इस कदम के बाद भारत के अमेरिका को निर्यातों में लगभग 3%-3.5% की कमी आ सकती है। भारत इसे आसानी से झेल सकता है।
जल्द ही बन सकती है भारत-अमेरिका में बात
अमेरिका के भारत पर लगाए गए टैरिफ का प्रभाव जल्द खत्म भी हो सकता है। भारत और अमेरिका के बीच वर्तमान में मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर बातचीत चल रही है। भारत ने यह टैरिफ आने से एक दिन पहले ही FTA के लिए बातचीत की शर्तों को मंजूरी दी थी।
1 अप्रैल को ही FTA के लिए बात करने आए अमेरिकी अधिकारी वापस गए थे। भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों के बीच यह बातचीत 4 दिनों तक चली है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह समझौता इस वर्ष की गर्मियों तक अंतिम रूप ले सकता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय तक जोर लगा रहा है और इसे जल्द ही पूरा करना चाहता है।
भारत ने यह टैरिफ के ऐलान से कुछ समय पहले ही अमेरिकी सामानों पर कई तरह के टैक्स हटा लिए थे। इससे अमेरिकी प्रशासन में सकारात्मक सन्देश गया है। भारत पर लगाए गए 26% टैरिफ को इसीलिए ‘छूट वाली दरें’ कहा जा रहा है।
दुनिया के लिए चिंता का सबब
भारत पर एशिया के भीतर जापान और कोरिया के बाद सबसे कम टैरिफ ट्रम्प प्रशासन ने लगाए हैं। हालाँकि, सबसे तगड़ा झटका चीन, बांग्लादेश और विएतनाम जैसे देशों को लगा है। चीन पर सर्वाधिक 54% टैरिफ थोपे गए हैं। इसमें से 34% टैरिफ जबकि 20% लेवी टैक्स है।
अब चीन का अमेरिका में निर्यात और भी महँगा हो जाएगा। अमेरिका, चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है। वह इस जवाब में अमेरिका पर भी टैरिफ लगा सकता है। ट्रम्प के पहले कायर्काल में भी ऐसी ही जंग हुई थी। वहीं बांग्लादेश और विएतनाम बहुत बड़े पैमाने पर इसके भुक्तभोगी बनेंगे।
बांग्लादेश के कपड़ों पर अब अमेरिका के भीतर 37% का टैरिफ लगेगा। बाकी सामान पर यही दर लागू होगी। बांग्लादेश के कुल निर्यात में अमेरिका का हिस्सा लगभग 20% है। अब अमेरिकी बाजार बांग्लादेश के लिए और भी मुश्किल हो जाएगा।
इसके अलावा पहले ही मंदी की मार झेल रहा यूरोपियन यूनियन भी इस टैरिफ के दंश से नहीं बचा है। उस पर 20% का टैरिफ लगाया गया है। इसका असर भी आगे आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। ट्रम्प के इस ऐलान के बाद वैश्विक व्यापार में कमी आ सकती है।
इसके अलावा सभी देश अब अपने घरेलू बाजार की तरफ ध्यान देने को भी मजबूर होंगे। विश्व भर में मैन्युफैक्चरिंग पर भी असर पड़ने वाला है। पहले पश्चिमी देशों और अमेरिका से चीन या दक्षिणपूर्वी एशिया की तरफ भागने वाली कम्पनियाँ वापस अमेरिका में उत्पादन चालू करने का सोच सकती हैं।