व्हाइट हाउस में पूर्व आतंकियों की एंट्री हुई है। ये खुलासा एक पत्रकार लॉरा लूमर ने किया। उन्होंने बताया कि 16 मई 2025 को व्हाइट हाउस की ओर से जारी प्रेस रिलीज में जिन दो लोगों को ‘ले लीडर्स के सलाहकार बोर्ड’ में नियुक्त किया गया है उनकी पृष्ठभूमि आतंकवाद से जुड़ी है। इन दोनों के नाम- इस्माइल रॉयर और शेख हमजा यूसुफ है। पत्रकार के अनुसार ये लोग पूर्व में जिहादी गतिविधियों में शामिल थे और एक तो आतंकी कैंपों में ट्रेनिंग के लिए गया था।
इस्माइल रॉयर, जिसे पहले रैंडल रॉयर के नाम से जाना जाता था, उसने पाकिस्तान जाकर एक इस्लामी आतंकी शिविर में प्रशिक्षण लिया था। उसे जिहादी आतंकी गतिविधियों में शामिल होने, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक साजिश रचने, हिंसक अपराधों के दौरान विस्फोटक और हथियार इस्तेमाल करने के आरोप में दोषी पाया गया था। इसके चलते उसे 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इस नियुक्ति को लेकर सुरक्षा और नैतिकता से जुड़े कई सवाल भी उठाए जा रहे हैं।
EXCLUSIVE:
— Laura Loomer (@LauraLoomer) May 17, 2025
🚨 2 jihadists have been appointed to the White House Advisory Board of Lay Leaders, Announced Today on the official White House website 🚨
Ismail Royer and Shaykh Hamza Yusuf co-founder of Zaytuna College are both listed despite their affiliations with Islamic… https://t.co/QdKMI5V3Md pic.twitter.com/L04Jq9JwwB
जनवरी 2004 में अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा जारी एक दस्तावेज़ में कहा गया है,
“अपनी दलील समझौते में, रॉयर ने सह-प्रतिवादी मसूद खान, योंग की क्वोन, मुहम्मद आतिक और ख्वाजा महमूद हसन को लश्कर-ए-तैयबा द्वारा संचालित पाकिस्तान में एक आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर में प्रवेश पाने में सहायता करने और उकसाने की बात स्वीकार की, जहाँ उन्होंने अर्ध-स्वचालित पिस्तौल सहित विभिन्न हथियारों के उपयोग का प्रशिक्षण लिया। रॉयर ने सह-प्रतिवादी इब्राहिम अहमद अल-हमदी को लश्कर-ए-तैयबा शिविर में प्रवेश पाने में मदद करने की बात भी स्वीकार की, जहाँ अल-हमदी ने भारत के खिलाफ सैन्य अभियान चलाने की साजिश को आगे बढ़ाने के लिए रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड के इस्तेमाल का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
रॉयर ने स्वीकार किया कि उसने 16 सितंबर, 2001 को एक बैठक के बाद अन्य जिहादियों को लश्कर-ए-तैयबा प्रशिक्षण शिविर में प्रवेश पाने में मदद करने के लिए अपने प्रयासों को प्रतिबद्ध किया, जिसमें एक अज्ञात साजिशकर्ता ने कहा कि 11 सितंबर, 2001 को आतंकवादी हमलों का इस्तेमाल वैश्विक युद्ध को गति देने के बहाने के रूप में किया जाएगा। इस्लाम के खिलाफ़, और अब समय आ गया है कि वे विदेश चले जाएँ और अगर संभव हो तो मुजाहिदीन में शामिल हो जाएँ। उस बैठक में शामिल दो अन्य व्यक्ति, योंग क्वोन और ख्वाजा हसन, जिन्होंने पहले ही अपना अपराध स्वीकार कर लिया था, ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा शिविर में जाने का एक उद्देश्य अफ़गानिस्तान सहित अन्य जगहों पर जिहाद में शामिल होने के उद्देश्य से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करना था”।
ALERT TRUMP: ENEMY WITHIN!
— Amy Mek (@AmyMek) May 17, 2025
Why would the Trump administration appoint a convicted jihadist to a White House advisory board?
This is the question on everyone's mind after it was announced that terror-tied Ismail Royer, formerly Randall Royer, has been named to the White House… pic.twitter.com/2s4tDo0P10
यह जानकारी सामने आई है कि ट्रम्प प्रशासन द्वारा नियुक्त इस्माइल रॉयर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक शिविर में प्रशिक्षण ले चुका है और वो भारत को निशाना बनाने की साजिश में भी भागीदार रहा था।
पत्रकार लॉरा लूमर के अनुसार, इस्लामी आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के चलते रॉयर ने 2004 से 2017 के बीच 13 साल जेल में बिताए। लूमर का दावा है कि रॉयर न केवल अमेरिका के खिलाफ युद्ध छेड़ना चाहता था, बल्कि उसने ओसामा बिन लादेन के नेतृत्व वाले आतंकी संगठन अल कायदा को भी समर्थन दिया था।
इन गंभीर आरोपों और पृष्ठभूमि के बावजूद, उसे अमेरिकी प्रशासन के की सलाहकार भूमिका में नियुक्त किया जाना बड़े सवाल खड़े करता है। इस्लामी आतंकवादी अफगानिस्तान में तालिबान का समर्थन भी करना चाहता था और ‘वर्जीनिया जिहाद नेटवर्क’ में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था।
Read this statement of facts from the DOJ in the criminal case against Ismail Royer, confirming his involvement in terrorist activity. pic.twitter.com/xvTRlI4d1r
— Laura Loomer (@LauraLoomer) May 17, 2025
लॉरा लूमर के मुताबिक, “अमेरिका द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित लश्कर-ए-तैयबा के साथ उसकी गतिविधियों में दुष्प्रचार, कश्मीर में भारतीय ठिकानों पर गोलीबारी और हथियार रखना शामिल था, जो हिंसक जिहादी उद्देश्यों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
शेख हमजा यूसुफ की आतंकी पृष्ठभूम
शेख हमजा यूसुफ कैलिफोर्निया स्थित ज़ायतुना कॉलेज का सह-संस्थापक है, जो शरिया कानून की शिक्षा देता है। पत्रकार लॉरा लूमर के अनुसार, यूसुफ की पृष्ठभूमि भी विवादित रही है। उनका दावा है कि शेख हमजा यूसुफ ‘पूर्व’ इस्लामी आतंकवादी रहा है और उनका संबंध हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे कट्टरपंथी संगठनों से रहा है। इन आरोपों ने उनकी हालिया नियुक्ति को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं।
लूमर ने बताया, “9/11 से दो दिन पहले, यूसुफ ने जमील अल-अमीन के लिए एक फंडरेजर में भाषण दिया था, जिस पर एक पुलिस अधिकारी की हत्या का मुकदमा चल रहा था। अपने भाषण के दौरान, यूसुफ ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर नस्लवादी देश होने का आरोप लगाया और सुझाव दिया कि अल-अमीन को फँसाया गया था। अल-अमीन को अगले वर्ष हत्या का दोषी ठहराया गया था।”
Shaykh Hamza Yusuf: Debunking the Myth of Violence in Muslim Civilizations, Jizya, and Multicultural Governance
— Andrea Shaffer, Employment/Labor Law (@Andreafreedom76) May 17, 2025
Shaykh Hamza Yusuf was added to the Advisory Board of Lay Leaders on the Religious Liberty Commission.
In a 2016 speech, Shaykh Hamza Yusuf tackled such narratives… pic.twitter.com/JTJXx8hTdg
लॉरा लूमर ने कहा, “यूसुफ ने यह भी कहा कि 1990 के दशक में न्यूयॉर्क के ऐतिहासिक स्थलों पर बम विस्फोट की साजिश में दोषी ठहराए गए शेख उमर अब्देल-रहमान पर अन्यायपूर्ण तरीके से मुकदमा चलाया गया।”
आईपीटी की एक रिपोर्ट की (12 पेज) की पीडीएफ फाइल में कहा गया है, “इस्लामिक सर्किल ऑफ नॉर्थ अमेरिका को दिए गए भाषण में यूसुफ ने चेतावनी दी कि अमेरिका इस्लाम के साथ युद्ध की ओर बढ़ रहा है। एक ऐसा संघर्ष जिसमें अमेरिका के हारने की संभावना है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की नीतियाँ ईरान और पाकिस्तान के साथ टकराव की राह पर हैं, और इससे इस्लाम के साथ एक बड़ा युद्ध हो सकता है।”
यूसुफ़ ने कहा, “यह देश इस्लाम के साथ युद्ध नहीं जीत सकता – मैं खुदा की कसम खाता हूँ। इसे रोका जाना चाहिए।” इसमें आगे कहा गया है कि अमेरिकी विदेश नीति “अल-कायदा के लिए भर्ती का सबसे बड़ा साधन है।”
शेख हमजा यूसुफ से अलकायदा द्वारा किए गए 9/11 हमलों के बाद संघीय जाँच ब्यूरो (एफबीआई) ने पूछताछ की थी। ‘ब्रिटिश इस्लाम’ बनाने की उनकी कल्पना लगभग सफल हो गई है।
Islam and the West (UK) – 2001 – 2004 – Shaykh Hamza Yusuf
— Andrea Shaffer, Employment/Labor Law (@Andreafreedom76) May 17, 2025
Yusuf is a Religous Lay Person Leader advisor on the Religous Liberty Commission.
Hamz Yusuf's contribution to the development of Islam in England has been described as "immense", "considerable", and "enormous", by the… pic.twitter.com/2G4yYIV0k5
शेख हमजा यूसुफ़ ने ब्रिटेन सरकार द्वारा यहूदी राज्य इज़रायल को हथियार बेचने का भी विरोध किया है। यही कारण है कि उससे दुनिया के शीर्ष 500 प्रभावशाली मुसलमानों में स्थान दिया गया है। अपनी आतंकवादी पृष्ठभूमि के बावजूद, शेख हमजा यूसुफ को ट्रम्प प्रशासन द्वारा व्हाइट हाउस के आम नेताओं के सलाहकार बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया है।
President Donald Trump Names Advisory Board Members to the Religious Liberty Commission |
— Andrea Shaffer, Employment/Labor Law (@Andreafreedom76) May 17, 2025
Hamza says in this video that the UK government is breaching international law and should ban weapon sales to Israel, April 2024.
Shaykh Hamza Yusuf was added to the Advisory Board of… pic.twitter.com/2TpAglv4VO
डोनाल्ड ट्रंप की पूर्व आतंकी नेता अहमद अल-शरा से मुलाकात
डोनाल्ड ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए हैं, जिन्होंने पूर्व आतंकी नेता से सार्वजनिक रूप से मुलाकात की है। उन्होंने सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा (पूर्व में अबू मोहम्मद अल-जोलानी), पूर्व HTS प्रमुख और अल-कायदा से जुड़े आतंकी से मुलाकात की। HTS को अमेरिका पहले आतंकी संगठन घोषित कर चुका है।
Donald Trump poses with Syrian President al-Sharaa who just months back had a $10 million bounty on his head by US govt, displaying the West’s ‘rules-based international order’https://t.co/PFmN0KzcHd
— OpIndia.com (@OpIndia_com) May 15, 2025
यह मुलाकात तब हुई जब अमेरिका ने सऊदी अरब के दबाव में सीरिया पर वर्षों पुराने प्रतिबंध हटा दिए। ट्रंप ने अल-शरा को ‘युवा, आकर्षक और सख्त’ बताया, जिससे उनका सार्वजनिक समर्थन जाहिर हुआ।