Thursday, May 2, 2024
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पुलवामा के वीर: कुलविंदर की अंतिम यात्रा में पहुँचीं मंगेतर, नवंबर में तय थी शादी

कुलविंदर की मंगनी गाँव लोदीपुर वासी अमनदीप कौर से लगभग ढाई साल पहले हुई थी। आठ नवंबर को शादी होनी तय थी। कुलविंदर के पार्थिव शरीर को देख अमनदीप कौर कई बार बेहोश हुईं। दो लोगों ने सहारा देकर उसे गुरुद्वारा साहिब से घर तक पहुँचाया।

पुलवामा में आतंकियों के कायरतापूर्ण हमले में पंजाब के 4 जवान वीरगति को प्राप्त हुए जिसमे से एक नाम कुलविंदर सिंह का भी है। रूपनगर ज़िला स्थित नूरपुर बेदी क्षेत्र के राउली गाँव निवासी कुलविंदर के वीरगति को प्राप्त हो जाने की ख़बर सुनते ही उनके पिता सन्न रह गए। पेशे से ट्रक ड्राइवर दर्शन सिंह यह मानाने को तैयार ही नहीं थे कि उन्होंने अपने जवान बेटे को सदा के लिए खो दिया है। बूढ़े दर्शन सिंह ने हमले वाले दिन से ही अपने बेटे की वर्दी पहन रखी थी। उनके इस जोश को देख कर अन्य लोग भी अभिभूत थे।

मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने रोपड़ जाकर कुलविंदर के परिजनों से मुलाक़ात की। कुलविंदर के वीरगति को प्राप्त होने के बाद अब उनके माता-पिता अकेले रह गए हैं। कुलविंदर उनके इकलौती संतान थे। सीएम ने शोक-संतप्त माता-पिता के लिए ₹12 लाख की अनुग्रह राशि के अलावा आजीवन प्रतिमाह ₹10,000 के पेंशन की घोषणा की। साथ ही, सीएम ने स्थानीय विद्यालय का नाम कुलविंदर के नाम पर रखने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि कुलविंदर के गाँव से आनंदपुर साहिब जाने वाली सड़क का नामकरण भी उन्ही की याद में किया जाएगा।

मुख्यमंत्री के सामने उमड़ पड़ा शोक-संतप्त माता-पिता का दर्द

बेटे की वर्दी पहले कुलविंदर के वृद्ध पिता ने तिरंगे के साथ-साथ अपने बेटे की तस्वीर भी सीने से चिपका रखी थी। नम आँखों के साथ चिता को मुखाग्नि देने के बाद उन्होंने पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई करने की भी माँग की। कुलविंदर की मंगेतर भी अपने ससुराल आई और भारत माता के वीर सपूत की अंतिम यात्रा में शामिल हुई। उन्होंने वीरगति को प्राप्त अपने मंगेतर के पार्थिव शरीर को सैल्यूट ठोक शत्-शत् नमन किया।

कुलविंदर सिंह की मंगेतर का रो-रो कर बुरा हाल था

कुलविंदर की मंगनी गाँव लोदीपुर वासी अमनदीप कौर से लगभग ढाई साल पहले हुई थी। आठ नवंबर को शादी होनी तय थी। कुलविंदर के पार्थिव शरीर को देख अमनदीप कौर कई बार बेहोश हुईं। दो लोगों ने सहारा देकर उसे गुरुद्वारा साहिब से घर तक पहुँचाया। अंतिम संस्कार के बाद अमनदीप कौर ससुराल पहुँची तो अपने होने वाले ससुर दर्शन सिंह के गले लग कर काफी देर तक रोती रहीं।

क़रीब दो किलोमीटर लंबी अंतिम यात्रा में हज़ारों लोग शामिल हुए। स्थानीय विधायक अमरजीत सिंह संदोआ ने भी उन्हें कन्धा दिया। कुलविंदर के गाँव के 14 जवान भारतीय सेना में सेवारत हैं, वहीं रिटायर्ड सैनिकों ने 40 शहीदों के ख़ून का बदला लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कश्मीर में आर्मी को खुली छूट देने की अपील की है। दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक ख़बर के अनुसार, कुलविंदर के पिता दर्शन सिंह ने कहा:

“अब सरकारों को कुछ सोचना चाहिए। हमारे जैसे परिवारों का आख़िरकार क्या बनेगा। फौजी भर्ती तो कर लिए जाते है, बंदूक भी थमा दी जाती है। लेकिन गोली चलाने वाले हाथ बांध दिए जाते हैं, जबकि उन पर डंडे बरसाने वालों का कुछ नहीं किया जाता। खैर अब से तिरंगा ही मेरा कुलविंदर है तथा आज से पहले में शायद ड्राइवर कहलाता था। अब मुझे इस बात का फ़ख़्र होगा कि मैं शहीद का पिता हूँ।”

क्रिकेट और फुटबॉल के शौक़ीन कुलविंदर धार्मिक भी थे और जब भी गाँव आते थे तो गुरुद्वारा साहिब में सुबह-शाम पाठ किया करते थे। पंजाब पुलिस से भी उन्हें नौकरी का ऑफर आया था, लेकिन उन्होंने सीआरपीएफ को प्राथमिकता दी। उनके बलिदान पर पूरे पंजाब को गर्व है लेकिन साथ ही पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की माँग भी की जा रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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