Monday, April 28, 2025
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‘गायत्री मंत्र नहीं बोलने पर मुस्लिम को मार डाला’: पहलगाम अटैक पर LinkedIn यूजर के झूठ को The Quint ने दी हवा, बाद में चुपके से खबर हटाई

गायत्री मंत्र ना बोलने पर मुस्लिम की हत्या के झूठे दावे को क्विंट ने बिना कुछ जाने परखे ही चला दिया। बाद में जिस व्यक्ति ने यह दावा किया था, उसी ने अपनी पोस्ट हटा दी। क्विंट इससे पहले भी मुस्लिमों को विक्टिम दिखाने के लिए ऐसी खबरें चलाता रहा है।

कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले में हिन्दुओं की हत्या के बाद अब लिबरल और वामपंथी जमात वापस अपने काम में लग गई है। हिन्दुओं की पीड़ा बताने के बजाय उसका पूरा ध्यान अब सोशल मीडिया पर कश्मीरियों के ‘उत्पीड़न’ की झूठी और पुरानी कहानियाँ साझा करने पर है। 24 हिन्दुओं की हत्या के बाद भी उसका फोकस ‘मुस्लिम विक्टिम’ बनाने पर है।

शुक्रवार (25 अप्रैल 2025) को सोशल मीडिया वेबसाइट LinkedIn पर ईशान सक्सेना नाम के एक यूजर ने एक फर्जी पोस्ट डाली। पोस्ट में उसने दावा किया कि उसका एक करीबी मुस्लिम दोस्त बेंगलुरु के अस्पताल में ICU में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा है।

ईशान ने लिखा कि उसका मुस्लिम दोस्त (जिसका नाम उसने नहीं बताया) एक प्रसिद्ध वाहन निर्माता फैक्ट्री में काम करता है। ईशान ने दावा किया कि उसके मुस्लिम दोस्त को उसके सहकर्मियों ने बुरी तरह पीटा है। ईशान का दावा था कि मारपीट करने वाले हिंदू लोग थे और उन्होंने मुस्लिम युवक के गायत्री मंत्र न बोलने और पहलगाम आतंकी हमले पर कुछ न कहने के कारण उसके मुस्लिम दोस्त को पीटा।

ईशान सक्सेना के पोस्ट का स्क्रीनशॉट

अपनी पोस्ट में ईशान ने लिखा, “उसने (मुस्लिम दोस्त) अपने स्थानीय दोस्तों के साथ लंच के समय हाल ही में हुए पहलगाम हमले के बारे में कुछ न बोलना ठीक समझा। उसने शांति से इस पर कुछ भी कहने से मना कर दिया और चर्चा में भाग न लेकर उससे दूरी बनाई। बाद में जब उसकी शिफ्ट खत्म हुई तो कुछ लोग उसके पास आए और उससे गायत्री मंत्र बोलने को कहा। उसने मना किया तो उसके साथ बुरी तरह मारपीट की गई।”

ईशान ने आगे लिखा कि इस पूरे मामले पर अब तक कोई FIR भी दर्ज नहीं की गई है। उसने आगे लिखा, “पिछली रात उसकी पत्नी का मेरे पास फोन आया। वह टूट चुकी है। इससे भी अधिक बुरी बात है कि कोई FIR नहीं लिखी गई। और जिस संस्थान में उसे ईमानदारी के साथ काम किया उसने भी कोई बयान नहीं दिया।”

लिंक्डइन पोस्ट का स्क्रीनशॉट

ईशान की ये पोस्ट तुरंत वायरल हो गई। कुछ ही समय में यह 400 से भी अधिक लाइक पा गई। एक अन्य LinkedIn यूजर ने जब मुस्लिम पीड़ित के बारे में पूछा तो ईशान ने दावा किया कि उसकी मौत हो चुकी है। पोस्ट पर उसने कमेंट किया, “वह अब नहीं रहा। 30 मिनट पहले उसकी मौत हो गई।”

बेंगलुरु जैसे विविधता वाले शहर में एक मुस्लिम कॉर्पोरेट कर्मचारी से जबरन गायत्री मंत्र बुलवाना और पहलगाम आतंकी हमले पर कुछ न बोलने पर हत्या कर देना काफी संवेदनशील मामला बनता। पहलगाम हमले जैसी राष्ट्रीय समस्या के समय इससे सामाजिक तनाव और सांप्रदायिक अशांति फैलाने का भी खतरा था।

हालाँकि, अंग्रेजी मीडिया में इस तरह के उत्पीड़न (या हत्या) पर कहीं भी कोई रिपोर्ट नहींं दिखी। यहाँ तक कि कन्नड़ न्यूज चैनल या अखबारों में भी इस तरह की विस्फोटक खबर का अता पता नहीं था। इसके कारण इस पोस्ट की सच्चाई पर शक और अधिक बढ़ गया।

ऑपइंडिया जर्नलिस्ट द्वारा लिया गया ट्वीट का स्क्रीनशॉट

ऑपइंडिया अंग्रेजी के सहायक संपादक दिबाकर दत्ता ने इस मामले को लेकर बेंगलुरू पुलिस से संपर्क किया। उन्होंने अलग-अलग जोन के डिप्टी कमिश्नर के एक्स (पहले ट्विटर) हैंडल को टैग कर इससे सम्बन्धित जानकारी माँगी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके कुछ ही घंटे बाद ईशान सक्सेना वह LinkedIn पोस्ट डिलीट कर दी।

इसके बाद ईशान ने अपना LinkedIn अकाउंट भी डिएक्टिवेट कर दिया। इसके बाद लगातार सामने आई जानकारियों से स्पष्ट होता गया कि ईशान की ‘करीबी मुस्लिम दोस्त’ के पहलगाम हमले पर कुछ न बोलने पर हिंदू साथियों द्वारा हत्या की कहानी झूठी है।

ईशान ने अपने LinkedIn में दावा था कि वह ‘कैश करो’ कम्पनी के HR विभाग में काम करता था। इस मामले में दिबाकर दत्ता और कुछ स्थानीय लोगों ने भी कंपनी से संपर्क करने की कोशिश की। शनिवार (26 अप्रैल 2025) को कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा कि ईशान सक्सेना ‘कैश करो’ कंपनी का वर्तमान में कर्मचारी नहीं है।

कैश करो ने कहा,”हमारे संज्ञान में आया है कि सोशल मीडिया पर ईशान सक्सेना (पूर्व-कैश करो कर्मचारी) द्वारा एक पोस्ट की गई है। हम इस बात को स्पष्ट करना चाहते हैं कि ईशान सक्सेना को कैश करो कंपनी की जिम्मेदारियों से 27 अप्रैल 2025 को मुक्त कर दिया गया है।”

उन्होंने आगे बताया, “उनकी ओर से साझा किए गए पोस्ट व्यक्तिगत थे और इसका कंपनी के विचार, मूल्य और स्थिति से कोई लेना देना नहीं है। कैश करो सम्मामनजनक, समावेशी और जिम्मेदार वातावरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे वह हमारे संगठन के भीतर हो या उन समुदायों में जिनके लिए हम काम करते हैं।”

ईशान सक्सेना के झूठे दावों का बढ़ावा देता द क्विंट

शुक्रवार (25 अप्रैल 2025) को द क्विंट ने इस खबर को ‘मुस्लिमों को पीड़ित दिखाने की’ खबरों की सीरीज में शामिल किया। मामले के तथ्यों को जाने बिना उसने ईशान सक्सेना के पोस्ट को दोबारा प्रकाशित किया।

द क्विंट में छपी खबर का स्क्रीनशॉट

क्विंट ने इसके लिए सब हेड लगाते हुए खबर लिखी, “एक ऑटो कंपनी के कर्मचारी को कथित तौर पर बुरी तरह से पीटा गया।” (इसे अब हटा दिया गया है।)

क्विंट की ‘पत्रकार’ अलीज़ा नूर ने न तो पुलिस से संपर्क किया और न ही कोई अन्य पुष्टि करने वाले स्रोतों को ढूँढने की कोशिश की।

‘द उम्माह इनसाइट’ की इंटाग्राम पोस्ट का स्क्रीनशॉट

ईशान सक्सेना के झूठे दावों को इंस्टाग्राम पर एक इस्लामी पेज ‘द उम्माह इनसाइट’ (The Ummah Insights) ने दिल को झकझोर देने वाले ग्राफिक्स के साथ रीपोस्ट किया। खबर के लिखने के समय तक इसे 1428 लाइक्स मिल चुके थे।

ईशान सक्सेना ने इश पर क्या कहा

ऑपइंडिया ने इस मामले में तह तक जाने के लिए शनिवार (26 अप्रैल 2025 को) को ईशान सक्सेना से बात की। उसने दावा किया कि उसने लिंक्डइन के एक अन्य यूजर की इस पोस्ट को कॉपी किया लेकिन उसे उस यूजर का नाम नहीं याद है।

जब उससे ‘मुस्लिम दोस्त’ की मौत पर सवाल पूछा गया तो ईशान सक्सेना ने दावा किया कि उसने एक अन्य व्यक्ति के कमेंट में ऐसा लिखा देखा था तो उसने भी वही लिख दिया। उसने इस बात को माना कि ये घटना झूठी हो सकती है। उसने हमें बताया यह बताया कि बेंगलुरू पुलिस ने उससे पूछताछ की थी।

ईशान सक्सेना के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि इस तरह की कोई भी घटना संज्ञान में नहीं आई है। पुलिस ने ईशान से इस पोस्ट को डिलीट करने और भविष्य में इस तरह के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील कंटेंट को बिना जाँच किए पोस्ट करने से मना किया है।

ईशान सक्सेना ने ऑपइंडिया को अपना आधिकारिक बयान दिया, “मेरा नाम ईशान है और हाल ही में मैंने लिंक्डइन पर एक मुस्लिम व्यक्ति पर उसके साथियों द्वारा हमले की बात लिखी थी। असल में ये पोस्ट लिंक्डइन पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा लिखी गई थी जिसे मैंने कॉपी किया था।”

आगे ईशान ने कहा, “मैंने इसे हमारे देश में हो रही घटनाओं के प्रति दुखी महसूस करते हुए जल्दबाजी में साझा कर दिया। मुझे इस घटना के तथ्यों की जाँच परख करनी चाहिए थी जो मैंने नहीं किया और इसलिए मैं अपने कृत्य के लिए माफी माँगता हूँ कि मैंने बिना जाँच किये ऐसी पोस्ट लिखी जिसके बारे में मुझे लगा कि सत्य होगी।”

ऑपइंडिया को गूगल कैशे में ईशान सक्सेना के अलावा इस तरह की किसी भी अन्य पोस्ट की जानकारी नहीं मिली, जिसमें मुस्लिम कॉर्पोरेट कर्मी की गायत्री मंत्र न बोलने और पहलगाम पर चुप रहने के लिए मार दिये जाने की जानकारी हो। अन्य सोशल मीडिया पोस्ट भी सिर्फ ईशान की लिंक्डइइन प्रोफाइल और दावे के बारे में ही बताती दिखी।

निष्कर्ष

बार-बार, सोशल मीडिया पर ऐसी फर्जी कहानियाँ सामने आती हैं, जिनका उद्देश्य हिंदू समुदाय को बदनाम करना या इसकी छवि को धूमिल करना होता है। उपरोक्त उदाहरण में भी एक कहानी चली जिसमें ना तो नामों का उल्लेख किया गया और न ही अपराध के बारे में बताया गया। फिर भी एक प्रमुख मीडिया संगठन (द क्विंट) ने केवल इस कारण से सामने रखा क्योंकि यह ‘मुस्लिम पीड़ित’ दिखाने की धारणा में फिट बैठती थी।

पहलगाम आतंकी हमले में 24 हिंदुओं के इस्लामिक आतंकियों द्वारा मारे जाने पर से ध्यान हटाने के लिए ‘द क्विंट’ ने ऐसा किया। पहलगाम में में हिंदुओं को अपना नाम बताने, पहचान पत्र दिखाने, कलमा पढ़ने और यहाँ तक ​​कि ‘खतना’ का सबूत दिखाने के लिए अपनी पैंट उतारने तक के लिए मजबूर किया गया।

पहलगाम की सच्चाई बताने की बजाय क्विंट का फोकस पीड़ा की फर्जी खबरगढ़ने पर रहा। इस तरह की खबरों के जरिए आतंकी हमलों के पीड़ितों की ‘धार्मिक पहचान’ को छुपाने की भी कोशिश की जा रही है। द क्विंट ने ईशान सक्सेना की साझा की गई फेक न्यूज को बढ़ावा देने के बावजूद कोई माफी नहीं माँगी और चुपचाप खबर को हटा दिया।

इससे पहले भी हिंदू त्योहारों को बदनाम करने के इरादे से होली पर वीर्य से भरे गुब्बारे फेंके जाने जैसी कई झूठी कहानियाँ फैलाई गई। बाद में जाँच करने पर पता चला कि इस तरह की घटना हुई ही नहीं। तब भी बिना किसी माफीनामे के चुपचाप खबर हटा दी गई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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