सिंधु जल समझौता स्थगित होने के बाद पाकिस्तान भारत के खिलाफ अलग-अलग पैंतरे चल रहा है। उसने हाल ही में ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रलाप चालू किया है। इस बार उसने यह डर फैलाने की कोशिश की है कि अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो क्या होगा? उसके इस प्रोपेगेंडा का जवाब असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने दिया है।
‘ब्रह्मपुत्र’ भारत की अपनी नदी, किसी पर निर्भर नहीं
मुख्यमंत्री हिमंता ने साफ किया कि ब्रह्मपुत्र नदी चीन से भले ही आती हो, लेकिन इसमें ज्यादातर पानी भारत कि सहायक नदियाँ ही लाती हैं। चीन ब्रह्मपुत्र के कुल पानी में सिर्फ 30-35% का योगदान देता है, और वह भी ज़्यादातर पिघलते ग्लेशियरों से आता है। बाकी 65-70% पानी तो भारत के भीतर नदियाँ ही लाती हैं।
उन्होंने बताया कि बाकी 65-70% पानी तो भारत के भीतर ही बनता है, खासकर अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड और मेघालय में होने वाली भारी मानसूनी बारिश से। इसके अलावा, सुबनसिरी, लोहित, कामेंग, मानस, धनसिरी, जिया-भरली, कोपिली जैसी कई बड़ी सहायक नदियाँ भी हैं जो ब्रह्मपुत्र में पानी डालती हैं।
अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो क्या होगा?
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) June 2, 2025
पाकिस्तान की नई डराने वाली कहानी का करारा जवाब
भारत द्वारा जब से पुरानी और एकतरफा सिंधु जल संधि को दरकिनार किया गया है, पाकिस्तान एक नई घबराहट फैलाने की कोशिश कर रहा है:
“अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो?”
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CM हिमंता बिस्वा ने कहा कि मेघालय की खासी, गारो और जयंतिया पहाड़ियों से भी कृष्णाई, दिगारू, कुलसी जैसी नदियों के ज़रिए ब्रह्मपुत्र में खूब पानी आता है और भारत-चीन सीमा पर (तूतिंग में) ब्रह्मपुत्र का प्रवाह लगभग 2,000-3,000 घन मीटर/सेकंड होता है।
उन्होने कहा कि असम के मैदानी इलाकों में (जैसे गुवाहाटी में), मानसून के दौरान यह प्रवाह बढ़कर 15,000-20,000 घन मीटर/सेकंड हो जाता है। इसका मतलब है कि ब्रह्मपुत्र भारत में आने के बाद और भी बड़ी और शक्तिशाली हो जाती है। यह एक भारतीय, बारिश से पोषित नदी प्रणाली है, जो किसी एक स्रोत पर निर्भर नहीं है।
पाकिस्तान को जाननी चाहिए यह सच्चाई
मुख्यमंत्री बिस्वा ने एक और अहम बात बताई। उन्होंने कहा कि अगर चीन कभी ब्रह्मपुत्र के पानी को कम भी कर दे (जो अभी तक किसी आधिकारिक मंच पर न तो कहा गया है और न ही इसका कोई कोई संकेत दिया गया है), तो यह भारत के लिए फायदेमंद ही होगा।
उन्होंने कहा कि हर साल असम में आने वाली भीषण बाढ़ लाखों लोगों को विस्थापित करती है और भारी तबाही मचाती है। पाकिस्तान, जिसने 74 सालों तक सिंधु जल संधि से बहुत फ़ायदा उठाया है, वह अब घबरा रहा है क्योंकि भारत अपने जल अधिकारों पर अपने हिसाब से फ़ैसले ले रहा है। मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान को याद दिलाया कि ब्रह्मपुत्र किसी एक देश पर आधारित नहीं है। यह भारत के भूगोल, मानसून और हमारी सभ्यता की ताकत से पोषित है।
पाकिस्तान की नई कहानी का करारा जवाब
भारतीय मीडिया के मुताबिक, भारत द्वारा सिंधु जल संधि को लेकर दिए गए स्पष्टीकरण के बाद से पाकिस्तान एक नई घबराहट फैलाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के एक पत्रकार ने अमेरिकी पत्रिका ‘द डिप्लोमैट‘ में एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें दावा किया गया कि अगर भारत सिंधु नदी का पानी रोकेगा, तो चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक देगा। इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
भारत ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान ने पुलवामा आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं किया, जिसमें 26 निर्दोष हिंदुओं की जान चली गई थी। यह हमला ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने किया था, जिसे पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी माना जाता है।
भारत ने साफ कर दिया कि चीन कोई ऐसा दोस्त नहीं है जो पाकिस्तान के कहने पर भारत से झगड़ा करेगा। चीन अपने आर्थिक हितों को पहले रखता है और पाकिस्तान को केवल कर्ज और परियोजनाओं के लिए देखता है। भारत पहले ही ब्रह्मपुत्र पर चीन की गतिविधियों पर नज़र रख रहा है और किसी भी संभावित खतरे का जवाब देने में सक्षम है।
भारतीय मीडिया ने पाकिस्तान की खराब आर्थिक स्थिति का भी जिक्र किया है, जो IMF के कर्ज पर निर्भर है। ऐसे में पाकिस्तान द्वारा भारत को युद्ध की धमकी देना बेकार लगता है। भारत ने यह भी बताया कि सिंधु जल संधि कोई बंधन नहीं था, बल्कि भारत की एक अच्छी पहल थी। यदि पाकिस्तान की ओर से आतंकवादी हमले जारी रहते हैं, तो भारत अपने जल अधिकारों का प्रयोग कर सकता है और ज़रूरत पड़ने पर पानी पूरी तरह से रोक सकता है। यह भारत का अपना अधिकार है।
कुल मिलाकर, भारत ने पाकिस्तान के इन झूठे प्रचारों का तथ्यों और मजबूती से जवाब दिया है, यह साफ करते हुए कि ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के कार्यों का भारत पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा और भारत अपने देश के हितों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार है।