Monday, June 9, 2025
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गालियाँ, आँखों पर पट्टी, ब्रश करने नहीं दिया… रिपोर्ट में बताया BSF जवान के साथ पाकिस्तान ने 21 दिनों तक कैसा किया सलूक, सीमा पर सेना की तैनाती की जानकारी निकालना चाहता था आतंकी मुल्क

BSF जवान से पाकिस्तान के फौजियों ने आम नागरिक बन कर जानकारी जुटाने की कोशिश की। उससे यहाँ उन अधिकारियों के विषय में जानकारी जुटाने का प्रयास भी पाकिस्तान की फौज ने किया, जो पाकिस्तान की सीमा पर तैनात हैं।

पाकिस्तान ने 23 अप्रैल, 2025 को एक सीमा सुरक्षा बल (BSF) को जवान को हिरासत में लिया था। उसे 14 मई, 2025 को छोड़ दिया गया। लेकिन इन 21 दिनों में पाकिस्तानियों ने उसे काफी प्रताड़ित किया। पाकिस्तानियों ने उसे सोने नहीं दिया और गालियाँ भी दी।

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्तारी के बाद BSF पूर्णम कुमार शॉ जवान को पाकिस्तान में तीन जगह ले जाया गया था। इन लोकेशन के विषय में नहीं BSF जवान को नहीं पता है। यहाँ पाकिस्तानियों ने जवान से सीमा पर BSF की पोस्टिंग के विषय में जानकारी जुटाने की कोशिश की।

BSF जवान से पाकिस्तान के फौजियों ने आम नागरिक बन कर जानकारी जुटाने की कोशिश की। उससे यहाँ उन अधिकारियों के विषय में जानकारी जुटाने का प्रयास भी पाकिस्तान की फौज ने किया, जो पाकिस्तान की सीमा पर तैनात हैं।

इसके अलावा BSF के इन अधिकारियों के नम्बर भी साझा करने का दबाव जवान पर बनाया गया। यह जानकारियाँ निकालने की कोशिश के अलावा पाकिस्तानी फ़ौज ने जवान शॉ को मानसिक तौर पर प्रताड़ित भी किया।

रिपोर्ट बताती है कि उन्हें इस पाकिस्तान में कस्टडी के 21 दिनों के दौरान ढंग से सोने नहीं दिया गया, उन्हें फौजियों ने गालियाँ दी। इसके अलावा, अधिकांश मौकों पर उनकी आँखों पर पट्टी बाँध कर रखी गई। हालाँकि, उनके साथ शारीरिक तौर पर कोई प्रताड़ना नहीं की गई।

BSF जवान शॉ को 14 मई को वापस लाए जाने के बाद उनसे पाकिस्तान में हुए बर्ताव को लेकर भी जानकारियाँ ली गई हैं। उन्हें अटारी-वाघा बॉर्डर से BSF वापस लाई थी। भारत ने इस दौरान एक पाकिस्तानी रेंजर को भी वापस किया था।

BSF जवान शॉ को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद 23 अप्रैल, 2025 को पाकिस्तानी रेंजर ने पंजाब के फिरोजपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर से गिरफ्तार कर लिया था। पाकिस्तानियों ने दावा किया था कि वह उनकी जमीन पर आ गए थे। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद दबाव केचलते पाकिस्तान को उन्हें रिहा करना पड़ा था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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