भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहाँ कई धर्म, संस्कृति और सभ्यताओं का मेल एक ही जगह पर आसानी से दिख जाता है। सनातन हो या सिख, सभी एक दूजे के धर्मों के दिल से सम्मान करते हैं और उनके पूजनीयों में अपनी अटूट आस्था भी रखते हैं। यही वजह है कि इन दोनों धर्मों के तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं में इस बात का फर्क कर पाना मुश्किल है कि कौन सा इंसान किस धर्म से है?
इस कड़ी में श्रद्धालुओं की आस्था बरकरार रखने के लिए भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की और कोविड महामारी के बाद 09 नवंबर 2019 को पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब के लिए एक कॉरिडोर खुलवाया गया। लोगों की सहूलियत के लिए इस कॉरिडोर को वीजा मुक्त कर दिया गया।
हालाँकि, बीते कुछ समय से आतंकी मुल्क पाकिस्तान इस कॉरिडोर का उपयोग हमारे देश में अशांति फैलाने और अपना हित साधने के लिए उपयोग करने की कोशिश कर रहा है। श्रद्धालु के तौर पर जाने वाले कई लोगों को पाकिस्तान हमारे देश की खुफिया जानकारी निकालने के लिए एजेंट बनाता है। इन ‘ब्रेनवाश्ड’ लोगों में कई इन्फ्लूएंसर्स, ट्रैवल ब्लॉगर्स और पढ़ें लिखे लोग शामिल हैं।
उदाहरण के तौर पर ये जानकारी काफी है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पिछले दो हफ्तों में 8 इंफ्लुएंसर्स को जासूसी करने के इल्जाम में गिरफ्तार किया जा चुका है। इस कड़ी में हरियाणा के कैथल से 25 साल के राजनीति विज्ञान के छात्र देवेंद्र सिंह ढिल्लों को ISI एजेंट के साथ पटियाला की सैन्य छावनी की कुछ संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। वह सबसे पहले करतारपुर साहिब कॉरिडोर गया था। उसके बाद से ही उसने गुप्त जानकारियाँ साझा करनी शुरू की थी।
इसी तरह हरियाणा के हिसार में रहने वाली 33 साल की ट्रैवल ब्लॉगर ज्योति मल्होत्रा को 17 मार्च 2025 को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। ज्योति भी करतारपुर साहिब गईं थी। वहाँ से वीडियो भी साझा की, जिसमें वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ की बेटी और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज का इंटरव्यू करती दिख रही हैं।
इसके बाद ज्योति पर आरोप लगे शुरू हुए कि वह पाकिस्तान उच्च आयोग में रहकर ISI के लिए काम करने वाले एहसान उर रहीम उर्फ दानिश के साथ मिलकर भारत की जासूसी कर रही थी। उसके सोशल मीडिया हैंडल पर डाले गए वीडियो से यह भी सामने आया कि वह कई बार पाकिस्तान जा चुकी है और इंक्रिप्टेड एप्लीकेशंस के जरिए ISI हैंडलर्स के संपर्क में थी।
पंजाब के गुरदासपुर की सुखप्रीत सिंह को ISI एजेंट्स को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में कई संवेदनशील जानकारियाँ साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उस पर ये भी आरोप था कि जानकारियाँ साझा करने के एवज में 1 लाख रुपए भी लिए थे।
करतारपुर साहिब कॉरिडोर के जरिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी भारतीय लोगों से संपर्क बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि लोग भी अपने पूरे होश-ओ-हवास में पाकिस्तान को जानकारियाँ दे रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पहले ही दी थी चेतावनी
हालाँकि, करतारपुर कॉरिडोर को खोलने से पहले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान की मंशा पर पहले से ही शक जताया था।
करतारपुर साहिब गुरुद्वारा में कॉरिडोर खुलने से तो खुशी जताई थी, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि इस कॉरिडोर को बिना किसी परेशानी के पाकिस्तान के खोलने के पीछे उसका ISI एजेंडा भी हो सकता है।
अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान द्वारा कॉरिडोर और गुरु नानक के नाम पर विश्वविद्यालय शुरू करने जैसे निर्णय भी संदेह करने वाले हैं। इन पर भारत को सतर्क और सक्रिय रहने की आवश्यकता है।
उन्होंने सरकार को चेताया था कि पाकिस्तान की छिपे हुए एजेंडे को ध्यान से परखने की जरूरत है। भारत को सिर्फ पाकिस्तान के सामने दिख रहे चेहरे पर ही विश्वास नहीं करना चाहिए बल्कि अन्य चीजों को भी समग्र तौर पर रखना चाहिए।
DGP के बयान पर तब मचा था बवाल, अब वही हो रहा सच
इसका एक और उदाहरण पंजाब के तत्कालीन DGP दिनकर गुप्ता ने भी दिया था। उन्होंने बिना वीजा के करतारपुर में एंट्री लेने पर भी सुरक्षा पर सवाल उठाया था। DGP के मुताबिक पाकिस्तान में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो श्रद्धालुओं को रिझाने में लगे हुए हैं।
फरवरी 2020 में दिए गए डीजीपी दिनकर गुप्ता के उस बयान ने भी काफी हंगामा मचाया था, जिसमें उन्होंने कहा था, “करतारपुर में ऐसी क्षमता है कि अगर आप किसी साधारण श्रद्धालु को भी सुबह भेजते हैं तो शाम तक वह ट्रेंड आतंकी के तौर पर लौटता है। आपको वहाँ फायरिंग रेंज तक लेकर जाया जा सकता है। IED भी बनाना सिखाया जा सकता है।”
उस वक्त DGP के बयान से सिख समुदाय में काफी आक्रोश फैला था और लोगों ने निंदा की थी। हालाँकि, DGP का यह बयान एक तरह से अब सच्चाई बयान कर रहा है।
आस्था की जमीन पर पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने
करतारपुर साहिब कॉरिडोर खुलने से पहले एक खुफिया रिपोर्ट सामने आई थी। इसमें कहा गया था कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले में स्थित इस गुरुद्वारे के आसपास कई आतंकी कैंप चल रहे हैं। ये कैंप पाकिस्तानी पंजाब के मुरीदके, शाकरगढ़ और नारोवाल में हैं। कैंपों में काफी तादाद में पुरुष और महिला रहते हैं और ट्रेनिंग ले रहे हैं।
रिपोर्ट में आशंका जताई गई थी कि करतारपुर कॉरिडोर को ड्रग स्मगलर्स और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोग पाकिस्तानी सिम कार्ड्स के जरिए इस्तमाल कर सकते हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तानी जासूसों की धर पकड़ तेज हो गई है। पकड़े गए जासूसों का कहीं न कहीं करतारपुर साहिब से कनेक्शन सामने आया है। इससे वे आशंंकाएँ सही साबित हो रही हैं, जिनमें करतारपुर साहिब कॉरिडोर का पाकिस्तान द्वारा दुरुपयोग की बात कही गई थी। भारत को इससे सबक लेने की जरूरत है।