Friday, February 14, 2025
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वागशीर, नीलगिरी, सूरत… एक ही दिन में PM मोदी ने भारतीय नौसेना को दिया ट्रिपल फोर्स: जानिए ‘मेक इन इंडिया’ जहाज-पनडुब्बी की ताकत, खामोशी से निपट जाएँगे चीन-पाकिस्तान

पीएम मोदी ने कहा, "ये पहली बार हो रहा है, जब एक डिस्ट्रॉयर, एक फ्रिगेट और एक सबमरीन को एक साथ कमीशन किया जा रहा है। गर्व की बात कि ये तीनों मेड इन इंडिया हैं... मेक इन इंडिया पहल न केवल भारत की सेनाओं की क्षमता को बढ़ा रही है बल्कि आर्थिक तरक्की के नए रास्ते भी खोल रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुंबई में नौसेना के तीन नए युद्धपोत-पनडुब्बियों को देश को लोकार्पित किया है। इनमें से एक फ्रिगेट, एक डिस्ट्रॉयर और एक पनडुब्बी है। यह तीनों भारत में बनाए गए हैं। पीएम मोदी ने इस मौके को आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण दिन बताया है और साथ ही देश की नौसैनिक विरासत को भी याद किया है।

बुधवार (15 जनवरी, 2025) को पीएम मोदी मुंबई के डॉकयार्ड में पहुँचे। यहाँ उन्होंने फ्रिगेट INS नीलगिरी, डिस्ट्रॉयर INS सूरत और पनडुब्बी INS वागशीर को लोकार्पित किया और देश को संबोधित भी किया। पीएम मोदी ने इस दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज के नौसेना के योगदान का जिक्र किया।

पीएम मोदी ने कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज ने नौसेना को नया सामर्थ्य और विजन दिया था। आज उनकी इस पावन धरती पर 21वीं सदी की नेवी को सशक्त करने की तरफ हम एक बड़ा कदम उठा रहे हैं।” उन्होंने इन युद्धपोतों के निर्माण से मेक इन इंडिया को मिले बल को भी सराहा। उन्होंने भारत को एक भरोसेमंद साथी करार दिया है।

उन्होंने कहा, “ये पहली बार हो रहा है, जब एक डिस्ट्रॉयर, एक फ्रिगेट और एक सबमरीन को एक साथ कमीशन किया जा रहा है। गर्व की बात कि ये तीनों मेड इन इंडिया हैं… मेक इन इंडिया पहल न केवल भारत की सेनाओं की क्षमता को बढ़ा रही है बल्कि आर्थिक तरक्की के नए रास्ते भी खोल रही है।

पीएम मोदी ने जो युद्धपोत देश को सौंपे हैं, इनसे अब भारत की समुद्र में ताकत बढ़ेगी। यह तीनों ही युद्धपोत नई तकनीक से बनाए गए हैं और इनमें लगाए गए अधिकांश सिस्टम भारतीय हैं। इन तीनों युद्धपोत के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट चल रहे हैं।

INS वागशीर

पीएम मोदी ने स्कॉर्पीन क्लास की छठी और अंतिम पनडुब्बी INS वागशीर को देश को सौंपा। यह पनडुब्बी प्रोजेक्ट-75 के तहत बनाई गई है और डीजल-इलेक्ट्रिक तकनीक पर चलती है। INS वागशीर कलवरी क्लास की पनडुब्बी है। INS वागशीर वाले पूरे प्रोजेक्ट की लागत ₹28 हजार करोड़ से अधिक की है। इस पनडुब्बी को मुंबई के मझगाँव डॉकयार्ड में ही बनाया गया है।

यह पनडुब्बी फ्रांसीसी कंपनी नवल ग्रुप के साथ मिलकर बनाई गई हैं। 67 मीटर लंबी इस पनडुब्बी का पानी के भीतर पता लगाना काफी मुश्किल काम है। 2000 टन डिस्प्लेसमेंट वाली यह पनडुब्बी 18 मिसाइल या फिर टारपीडो साथ लेकर चलती है। इस पनडुब्बी में 6 लॉन्चिंग ट्यूब्स हैं, जिनसे यह मिसाइल या टारपीडो दागे जा सकते हैं।

इस पनडुब्बी पर अत्याधुनिक राडार और सेंसर भी लगे हैं। इससे पहले इसी क्लास की पाँच और पनडुब्बी भारतीय नौसेना को मिल चुकी हैं। भारत सरकार ने ऐसी ही तीन और पनडुब्बी खरीदने का निर्णय लिया है। यह तीनों भी भारत में ही बनाई जाएँगी। इनके लिए मार्च, 2025 तक सौदे को अंतिम रूप दिए जाने का कयास है।

INS नीलगिरी

पीएम मोदी ने नीलगिरी क्लास के पहले फ्रिगेट युद्धपोत को भी देश को सौंपा है। यह लगभग 6500 टन विस्थापन वाली और 150 मीटर लंबी पहली नीलगिरी क्लास फ्रिगेट है। यह प्रोजेक्ट-17A के तहत बनाई गई है। इसे भारतीय नौसेना ने ही डिजाइन किया है। यह प्रोजेक्ट ₹45000 करोड़ की लागत से बनाया जाना है।

इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत 6 फ्रिगेट बनाई जाएँगी। 60 किलोमीटर/घंटे की रफ़्तार वाली फ्रिगेट नीलगिरी अपने साथ 32 बराक और 8 ब्रह्मोस मिसाइल लेकर चल सकती है। इसके अलावा यह 72 रॉकेट, कई तोपों और 1 हेलिकॉप्टर से भी लैस होगी। इसे भी मझगाँव डॉकयार्ड ही बना रहा है। इस प्रोजेक्ट में लगभग 75% सिस्टम भारतीय लग रहे हैं।

INS सूरत

पीएम मोदी ने INS सूरत को भी नौसेना को सौंपा है। यह विशाखापत्तनम क्लास का चौथा डिस्ट्रॉयर युद्धपोत है। INS सूरत को लगभग ₹9000 करोड़ की लागत से बनाया गया है। इसे भी नौसेना ने खुद ही डिजाइन किया है। इसके प्रोजेक्ट को P15B का नाम दिया गया है।

लगभग 7500 टन विस्थापन वाले INS सूरत में 32 बराक और 16 ब्रह्मोस मिसाइल होंगी। इस पर 300 नौसैनिकों के तैनात रहने की व्यवस्था है। इस पर भारतीय और इजरायली राडार लगाए गए हैं। इसके साथ ही इस जहाज पर 2 INS ध्रुव हेलिकॉप्टर भी तैनात किए जा सकेंगे। यह युद्धपोत कोलकाता क्लास के युद्धपोतों का नया रूप हैं।

इन सभी युद्धपोतों के आने से भारतीय नौसेना का अरब और हिन्द सागर समेत भारतीय समुद्र की रक्षा आसान हो सकेगा। नौसेना लम्बे समय से युद्धपोतों की कमी से जूझ रही है। नौसेना को हाल के कुछ वर्षों में चीन और पाकिस्तान के साथ ही समुद्री डाकुओं और लुटेरों के खतरों से लड़ना पड़ा है। यह युद्धपोत चीन और पाकिस्तान पर हमला कर उनको भारी नुकसान पहुँचा सकते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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