भारतीय सेना पर जिस कँटीले तारों वाले हथियार से हमला हुआ, जिसने कर्नल संतोष की जान ली…

भारतीय सेना के 76 जवान भी हुए थे खूनी झड़प में घायल (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गलवान घाटी पर चीन की सेना ने जो धोखा किया, उसके कारण भारतीय सेना ने अपने कम से कम 20 जवान खोए। लेकिन सीमा पर खड़े चीनी सैनिकों को इस दौरान भारत की ओर से मुँहतोड़ जवाब मिला। नतीजतन उनके कमांडिग ऑफिसर समेत 43 सैनिक मारे गए। हालाँकि, पहले इस झड़प को लेकर मीडिया में स्पष्ट सूचना नहीं आ रही थी। मगर, अब धीरे-धीरे सब साफ हो रहा है।

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इस बीच एक हथियार की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। जिसे लेकर दावा किया जा रहा था कि इन्हीं हथियारों से चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमला किया। लेकिन आर्मी ने यह स्पष्ट किया कि ये हथियार वो नहीं है, जिससे हमला हुआ। लेकिन ये इस बात की तरफ भी इशारा किया गया कि इसी तरह के हथियारों से चीन ने भारतीय सैनिकों पर वार किया।

गौरतलब है कि लद्दाख के गलवान घाटी में जो हुआ वो संक्षेप में कुछ यूँ है कि जब दोनों ही सेनाओं के सीनियर अफसरों के बीच, सेना को पीछे ले जाने पर समझौता हो गया, तो कुछ भारतीय सेना के जवान और अफसरों ने, बिना किसी हथियार के चीनी सैनिकों द्वारा बनाए गए कैंप की तरफ जा कर हटने को कहा।

चीनी सैनिकों ने इस बात पर पत्थरबाजी कर दी और कमाडिंग ऑफिसर, कर्नल संतोष समेत भारतीय पार्टी पर कँटीले तारों से लिपटे डंडे आदि से बुरी तरह हमला किया। जब तक भारतीय खेमे तक बात पहुँचती, भारतीय सैनिकों को चीनी सेना के दूसरे कैंप से आए सैनिकों ने घेर लिया था। कर्नल संतोष वीरगति को प्राप्त हो चुके थे।

दोनों तरफ से झड़प होती रही और यह बड़े इलाके में फैल गई। घाटी के नीचे तेज बहती नदी में कई जवान गिरे और दोनों ही तरफ से सैनिक बलिदान हुए। बाद में 17 घायल सैनिकों ने भयावह ठंड और ऑक्सीजन की कमी वाली इस ऊँचाई पर अपने जख्मों से लड़ते हुए अंतिम साँस ली।

चीन ने अभी तक आधिकारिक आँकड़ा नहीं दिया है और उसकी प्रोपेगेंडा साइट यह बताने में लगी हुई है कि भारत ही उनके इलाके में घुस आया था और चीन की सेना डरपोक नहीं है, मुँहतोड़ जवाब देगी। अलग-अलग सूत्रों से पता लगा है कि चीन के कम से कम 43 जवान मरे हैं और यह संख्या बढ़ भी सकती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया