Friday, May 16, 2025

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अभिव्यक्ति की आजादी

पैगंबर मुहम्मद पर विचार रखना नहीं है ईशनिंदा: मद्रास हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

अल्पसंख्यक समुदायों और उनसे संबंधित धर्मों (इस्लाम या ईसाई धर्म) की आलोचना पर सरकार हमेशा से कड़े रुख अपनाती रही है। जबकि हिंदू धर्म की आलोचना 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के तहत स्वीकार्य मानी जाती रही है। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद शायद यह मान्यता टूटेगी!

ट्विटर के भूत बातों से नहीं मानते, संसदीय समिति ने कहा ‘जाओ अपने मालिक को लेकर आओ’

संसदीय समिति ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है कि वे ट्विटर के किसी भी अधिकारी से तब तक नहीं मिलेंगे जब तक कि समिति के समक्ष कोई वरिष्ठ सदस्य या ट्विटर के सीईओ पेश न हों।

अमर्त्य सेन आए ‘डरे हुए’ नसीरुद्दीन शाह के बचाव में

अमर्त्य सेन ने नसीरुद्दीन शाह का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें ‘परेशान’ करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

चोखा धंधा है अभिव्यक्ति की आज़ादी का छिन जाना!

डर तो इस बात से भी लगता है कि हिन्दू-मुस्लिम दंगे/झगड़े मे 'समुदाय विशेष' की जगह 'मुस्लिम समुदाय' लिखने पर मुझे साम्प्रदायिक कह दिया जाएगा। लेकिन क्या करें साहब, मन मारकर जी रहे हैं, क्योंकि यहाँ तो हिन्दू नाम होना ही साम्प्रदायिक हो जाने की निशानी है।

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