"चाँदबाग चौराहे के पास ही दुर्गा फकीरी मंदिर है। पेट्रोल पंप फूँकने के बाद दंगाई तेजी से चारो तरफ आग लगा रहे थे। शाम का समय था। दहशत और शोर बढ़ता जा रहा था। जैसे ही भारी संख्या में दंगाइयों की नजर मंदिर की तरफ पड़ी तो सबसे पहले मंदिर बचाने के लिए मंदिर के पुजारी प्रार्थना करने लगे। दंगाइयों ने मंदिर पर पत्थरबाजी शुरू कर दी थी।"
शाहरुख ने जिस पिस्टल से जाफराबाद में फायरिंग की थी वह मुंगेर से मँगाई थी। उसका ननिहाल बरेली में है। वहॉं के ड्रग तस्करों से उसके अब्बा और उसकी अम्मी इन्नो के अच्छे ताल्लुकात हैं। इसी वजह से वह छिपने के लिए बरेली चला गया था।
दंगाइयों ने उनसे पूछा, बता...ये पेट्रोल तुझपर छिड़कें या फिर गाड़ियों पर। दंगाइयों की बात सुनकर वर्कशॉप के मालिक ने उनके आगे बड़ी मिन्नतें की और अपनी जान को किसी तरह उनसे छुड़वाया। मगर, अपनी दुकान और वहाँ रखे सामान को वह उनसे न बचा सके। उनके सामने उपद्रवियों ने सर्विसिंग के लिए आई 15 गाड़ियो पर पेट्रोल डाला और सबको आग के हवाले कर दिया।
चाँद बाग़ में फूँक दी गई अमन ई-रिक्शा कम्पनी, आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन की बिल्डिंग के ठीक 3-4 मकान बाद मौजूद थी। हिन्दुओं की इस दुकान, अमन रिक्शा कम्पनी को पहले ताहिर हुसैन के लोगों ने लूटा और फिर उसमें आग लगा दी।
ये हरा-हरा सा एक फिल्टर
जो तुमने चढ़ा कर रक्खा है
उससे भगवा छँट जाता है
हिन्दू गायब हो जाता है
दिखता है बस इमरान-जुबैर
अंकित-दीपक छुप जाता है
ओ वामपंथ के रखवाले
ओ लम्पट लिबरल तुम साले!
दिल्ली दंगो की व्यथा सुनाती इस कविता को पढ़ें, सुनें औरों तक पहुँचाएँ। आप इसे अपनी आवाज में रिकॉर्ड कर आगे बढ़ाएँ।
दिनेश की हत्या तब की गई, जब वो अपने बच्चों के लिए दूध लेने निकले थे। उनका एक बेटा 7 साल का तो दूसरा मात्र 1.5 साल का है। दिनेश को गोली राजधानी स्कूल के छत पर जमा दंगाइयों ने मारी।
"हम 20,000 हिन्दू इसी नाले के पास आकर रोज पानी भर रहे हैं। मुस्लिमों के लिए टंकी लगवाई गई है, हिन्दुओं को छोड़ दिया गया है।" AAP विधायक हाजी यूनुस के इलाके की जमीनी हकीकत, जिस पर दंगा में शामिल होने के भी स्थानीय लोग लगा रहे आरोप।
"कमरे के अंदर आओ तो मेरे बेटे राहुल को लेकर ही आना, नहीं तो वापस चले जाना।" एक मॉं के इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं था। आपके पास भी नहीं होगा। इसलिए इस दंगाई भीड़ की पहचान जरूरी है ताकि कल कोई राहुल फिर बेमौत मारा न जाए।
नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में कैसे और कब क्या हुआ, ये सब हम आपके समक्ष लाए हैं। इस दंगों के मुख्य किरदार कौन हैं और मीडिया ने कैसे पक्षपाती रवैया अपना कर पीड़ित हिन्दुओं के साथ अन्याय किया, ये सब यहाँ आपको हम बताएँगे। पूरे प्रकरण की क्रोनोलॉजी समझिए, टाइमलाइन जानिए।
दंगाई भीड़ पूरी तैयारी के साथ आई थी। कुछ ने हेलमेट पहन रखे थे। कइयों ने अपना चेहरा छिपा रखा था। विकास ने बताया कि जब मुस्लिम भीड़ वापस चली गई, तब घायल हिन्दुओं को अस्पताल ले जाया जा सका।