पाकिस्तान, ईराक और अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना लगभग 5 लाख निर्दोष मुस्लिम नागरिकों की हत्या कर चुकी है। लेकिन वहाँ की मीडिया को अत्याचारी दिखते हैं हिन्दू राष्ट्रवादी!
"अवैध घुसपैठियों तक मैं एक सन्देश पहुँचाना चाहता हूँ। अगर आप चाहते हैं कि आपको पीछे न धकेला जाए, अगर आप गिरफ़्तारी से बचना चाहते हैं और अगर आप गोलियों का शिकार नहीं बनना चाहते हैं- तो हमारी सीमाओं की तरफ़ न आएँ।"
3 सालों में 450 यहाँ गर्भवती महिलाओं को भर्ती किया गया। लेकिन सिर्फ़ 170 बच्चों का ही रिकॉर्ड दर्ज है। बाकी 280 शिशुओं के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। उनका क्या हुआ?
भास्कर पहले शुद्ध शाकाहारी था लेकिन अपनी गर्लफ्रेंड को पाने के लिए उसने माँसाहार शुरू किया। ईसाई होने के कारण पहले वो चर्च जाता था लेकिन फिर वो दिन भर में 5 बार नमाज़ पढ़ने लगा। उसने नमाज पढ़ते हुए और इस्लामी आयतें पढ़ते हुए कई वीडियो बनाए और लड़की के परिवार वालों को संतुष्ट करने के लिए उन्हें भेजे।
यहाँ के युवाओं का कहना है कि हिंदू लोगों के ईसाई में परिवर्तित होने की पोल सरस्वती पूजा के दौरान खुली, जब वो लोग चंदा के लिए ताराटांड टोले में गए। वहाँ के निवासियों ने खुद को ईसाई बताते हुए चंदा देने से इनकार कर दिया, जबकि पिछले साल तक वे लोग पूजा में शाामिल रहे हैं।
सिंध हाईकोर्ट ने हुमा के जबरन मजहबी धर्मान्तरण और निकाह को अवैध ठहराने से मना कर दिया। क्योंकि ये दोनों ही इस्लामिक क़ानून के तहत जायज हैं। जजों ने शरिया क़ानून का हवाला देकर लड़की के साथ हुई क्रूरता को सही ठहरा दिया क्योंकि उसके पीरियड्स आ चुके थे। लड़की के माँ-बाप कोर्ट में ही रोने लगे।
कश्मीरी पंडितों जितनी ही दर्दनाक कहानी है ब्रू लोगों की। 23 वर्षों तक उनके पास न घर, न जमीन, न चिकित्सा और न ही उनके बच्चों को अभी तक कोई शैक्षिक सुविधा ही प्राप्त हुई। क्यों? क्योंकि ये वैष्णव हिन्दू हैं, अत्यन्त राष्ट्रवादी हैं और इन्हें ईसाई बनना मंजूर नहीं था। लेकिन इन्होंने इसकी भारी कीमत चुकाई।
'होली सेक्रामेंट' ईसाई धर्म की एक ऐसी प्रथा है, जिसमें गिरजाघरों में रोटी और शराब बाँटकर यीशु मसीह के 'लास्ट सपर' को स्मरण किया जाता है। लेकिन चर्च में पादरी हर सहभागी के मुँह में एक ही प्याली और चम्मच से शराब परोसते हैं। इसके कारण लार से होने वाली बीमारियाँ...
रोहिंग्या संगठन ARSA ईसाइयों को प्रताड़ित कर रहा है। हालिया हमले में 12 रोहिंग्या ईसाई गंभीर रूप से घायल हो गए। कुछ के शरीर पर एसिड फेंक कर हमला किया गया। पीड़ितों में महिलाएँ एवं बच्चे भी शामिल हैं।