उजबेकिस्तान में एक शहर है - अंदीजान। यहीं पर भारत में मुगल शासन की नींव रखने वाले बाबर का जन्म हुआ था। अब यहीं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति का अनावरण किया जाएगा। और इसी शहर में भारत के पहले गृहमंत्री पटेल के नाम पर एक सड़क का नामकरण भी किया गया है।
अयूब मंसूरी ने बताया है कि वह बीवी को किस करने के दौरान काफ़ी उत्तेजित हो गया था और उत्तेजना के दौरान दोनों की जीभ एक-दूसरे से चिपक गई थी। पुलिस को आशंका है कि वो बरगलाने के लिए ऐसा बोल रहा है।
"हमें दुख इस बात का था कि बड़ों की आज्ञा के बिना हम कुछ भी नहीं कर सकते। हम उब गये। हमने आत्महत्या करने का फैसला कर किया। पर आत्महत्या कैसे करें? जहर कौन दे? हमने सुना कि धतूरे के बीज खाने से मृत्यु हो जाती है....."
लड़के के पिता लीलाभाई ने बताया कि वो 4 वर्ष पूर्व नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्होंने अपनी सारी जमा पूँजी बेटे को उच्च शिक्षा देने में खर्च कर दी। उन्हें अपने बच्चे से बड़ी उम्मीद थी कि वो बुढ़ापे में उनकी देखभाल करेगा, लेकिन उसने 4 साल पहले संन्यास ले लिया और उन्हें अकेला छोड़ दिया।
मोदी को लेकर आपका नज़रिया क्या है, इस पर राय कायम करने के पहले दो ऐसी घटनाओं की जानकारी ले लेना ज़रूरी है, जब कट्टरपंथियों ने मोदी को जान से मारने की धमकी दी, लेकिन नरेंद्र मोदी ने उनके गिरफ्तार होने के बाद उन्हें माफ़ कर दिया ताकि उनकी ज़िंदगी न खराब हो।
महिला के मुताबिक वह उस रात अपने कमरे में सोए हुए थे, तभी अयूब ने तसलीम से फ्रेंच किस के लिए कहा। उसे लगा अयूब सभी झगड़ों को भुलाकर पैचअप करना चाहता है। लेकिन जैसे ही उसने अपनी जीभ बाहर निकाली, अयूब ने उसकी जीभ को हाथ से पकड़ लिया और......
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बीएच कपाड़िया ने मई में भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर एक शिकायत को स्वीकार करने के बाद राहुल गाँधी को समन जारी किया था। अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए पहली नजर में इसे राहुल गाँधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला माना।
गहलोत ने विवादित बयान देते हुए कहा कि गुजरात में आज़ादी के बाद से ही शराब पर प्रतिबन्ध है लेकिन शराब की सबसे ज्यादा खपत गुजरात में ही होती है। उन्होंने गुजरात के बारे में आगे दावा किया कि राज्य में घर-घर में शराब पी जाती है।
परीक्षा में 1372 वकीलों ने भाग लिया। ऑनलाइन हुई इस परीक्षा में सिर्फ़ 494 वकील ही लिखित परीक्षा के लिए उत्तीर्ण हो सके। हास्यास्पद यह रहा कि जिन न्यायिक अधिकारियों ने वकीलों की ऑनलाइन परीक्षा ली थी, वे खुद भी लिखित परीक्षा में फेल हो गए।