वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘कारवाँ’ के एक पत्रकार ने ट्विटर पर भारतीय रेलवे के कारण हुई मौत को लेकर फर्जी सूचना जारी की है। कारवाँ के लेखक ने ट्विटर पर दावा किया है कि ट्रेन में 10 यात्रियों की भूख से मौत हो गई। यह भी ध्यान देने की बात है कि यह वही ‘कारवाँ’ है, जिसका प्रोमोशन रवीश कुमार अक्सर NDTV पर अपने प्रेम टाइम से लेकर अपने फेसबुक पोस्ट में करते नजर आते हैं।
‘कारवाँ’ के लेखक @VidyaKrishnan ने एक ट्वीट में लिखा है – “क्या कोई मुझे ऐसा लेख दिखा सकता है, जिसमें 40 रेलों के भटक जाने के बारे में लिखा गया हो और जो रेल यात्रियों को खाना खिलाना भी भूल गई हो, जिस कारण दस यात्रियों की मौत हो गई?
PIB ने इस ट्वीट को फर्जी बताते हुए इसका फैक्ट चेक किया है, जिसमें PIB ने स्पष्ट किया है कि यह दावा एकदम फेक है और भूख के कारण ऐसी कोई मौतें नहीं हुई हैं। PIB ने ट्वीट में लिखा है कि मौत का कारण उचित कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से ऑटोप्सी के बिना निर्धारित नहीं किया जा सकता है। कृपया असत्यापित खबरें फैलाने से बचें।
Claim:10 people have lost their lives in trains due to hunger.#PIBFactcheck: #FakeNews.No such deaths due to hunger have been reported. Cause of death can’t be determined without an autopsy conducted through proper legal procedure. Please refrain from spreading unverified news. pic.twitter.com/eFLasX8qLU
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) May 26, 2020
रेल में होने वाली मौत को लेकर झूठ फैला रहा है मीडिया
गौरतलब है कि श्रमिक ट्रेनों को लेकर रेल मंत्रालय को घेरने के लिए मीडिया फेक न्यूज चला रहा है, जिसमें अब NDTV के प्रोपेगेंडा पत्रकार रवीश कुमार भी शामिल हो चुके हैं। इस तरह से रवीश कुमार लगातार 3 फर्जी खबर फैलाते हुए पाए गए हैं। रवीश ने ‘दैनिक भास्कर’ की वो रिपोर्ट शेयर की, जिसे भारतीय रेलवे पहले ही फेक साबित कर चुका है।
रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर ‘दैनिक भास्कर’ अखबार की एक ऐसी ही भावुक किन्तु फर्जी तस्वीर शेयर की है जिसे कि भारतीय रेलवे एकदम बेबुनियाद बताते हुए पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि ये पूरी की पूरी रिपोर्ट अर्धसत्य और गलत सूचनाओं से भरी हुई है।
दरअसल अब, ‘दैनिक भास्कर’ ने ऐसी ही एक ‘फेक’ इमोशनल स्टोरी प्रकाशित करके दावा किया कि मजदूर पहले ट्रैक पर मर रहे थे, अब वो ट्रेनों में मर रहे हैं। अपनी इमोशनल स्टोरी में भास्कर ने दावा किया कि ईद के दिन इरशाद नामक बच्चे की ट्रेन में ही मौत हो गई। हालाँकि, रेलवे ने बाद में जब सच्चाई बयान की तो भास्कर के इस ख़बर की पोल खुल गई।
इरशाद के पिता मोहम्मद पिंटू के हवाले से ‘दैनिक भास्कर’ ने दावा किया कि गर्मी की उमस और भूख के कारण उनके बेटे की मौत हुई है। इस ख़बर में ये भी दावा किया गया कि सूरत से सीवान पहुँचने में ट्रेनों को पूरे 9 दिन लग गए।
रेलवे ने इस ख़बर को नकारते हुए कहा है कि ये पूरी की पूरी रिपोर्ट अर्धसत्य और गलत सूचनाओं से भरी हुई है। भारतीय रेलवे के प्रवक्ता ने ट्विटर के माध्यम से बताया कि 25 मई को सूरत से दो ट्रेनें 2 दिन मे पहुँच गई थी, इसीलिए 9 दिन वाली बात झूठी है।
रेलवे ने बताया कि वो बच्चा पहले से ही बीमार था और इलाज के बाद उसके परिजन उसे लेकर लौट रहे थे। अभी तक पोस्टमॉर्टम भी नहीं की गई है, ऐसे में उसकी मौत के कारण के बारे में कुछ पता ही नहीं है।
रेल मंत्रालय के सूत्रों ने ऑपइंडिया को कन्फर्म किया कि 099339 नंबर की ट्रेन सूरत से 23 मई को सुबह साढ़े 5 बजे चली थी और 25 मई को 2:20 बजे सीवान पहुँच चुकी थी। वहीं 09439 नंबर की दूसरी ट्रेन सूरत से 23 मई को 11 बजे चली और 25 मई को शाम 4:55 में सीवान पहुँच गई।
ऐसे में 9 दिन वाली बात कहाँ से या गई, ये ‘दैनिक भास्कर’ ने बिना समय का जिक्र किए ही दावा कर दिया है। इसी तरह गया के एक मजदूर के बारे में ख़बर में दावा किया गया कि उसकी भी मौत ट्रेन में ही हो गई।
उसकी पहचान 44 वर्षीय नसीर खान के रूप मे बताई गई है। जबकि रेलवे ने बताया कि नसीर को लेकर जब ट्रेन दानापुर पहुँची, तब वह बेहोशी की हालत में था। वहीं महाराष्ट्र से भी एक श्रमिक की मौत की बात कही गई, जिसके लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहराया गया।
रेलवे से बात करने पर इस घटना की सच्चाई पता चली। दरअसल, उक्त व्यक्ति अपने भतीजे अरमान खान के साथ सफर कर रहा था। वो ट्रेन संख्या 09447 से सफर कर रहा था। वहाँ पर उसकी तबीयत खराब होने की सूचना मिलते ही रेलवे की मेडिकल टीम डॉक्टर नीलेश के नेतृत्व में पहुँची।
वहाँ जाँच-पड़ताल के बाद उक्त व्यक्ति को मृत घोषित किया गया। इसके बाद आगे की प्रक्रिया के तहत जाँच की जा रही है, जिसके बाद और भी डिटेल्स सामने आएँगे। बावजूद इसके इस मौत के लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहरा दिया गया।