Sunday, May 5, 2024
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कुरान को WhatsApp यूनिवर्सिटी मानती हैं RJ सायमा? प्रोफेसर आनंद रंगनाथन के सवालों से भागीं

मात्र एक घंटे के भीतर आरजे सायमा के लिए दो पढ़े लिखे लोग- डॉ आनंद रंगनाथन और मनोज मुंतशिर, अचानक से कट्टर बन जाते हैं। कारण बस यही होता है कि वो इस्लाम और मुगलों के ऊपर अपना पक्ष या सच्चाई बोल रहे होते हैं।

रेडियो मिर्ची की आरजे सायमा का गुरुवार (अगस्त 26, 2021) को ट्विटर पर उन बातों से आमना-सामना हुआ जो ‘गैर-मुसलमानों’ या ‘काफिरों’ के लिए इस्लाम में कही गई हैं। इसके दौरान सायमा ने पहले पूरे मुद्दे में अपनी टांग खुद घुसाई और उसके बाद दूसरों को कट्टर करार देकर चलती बनीं। अब उनके हालिया ट्वीट में बस ये लिखा गया है, “बात उनसे कीजिए जो सुनने को तैयार हों, न कि उनसे जो सुनाने को आतुर हों।”

पूरा विवाद उस समय शुरू हुआ जब कवि मनोज मुंतशिर ने अपनी एक आने वाली वीडियो की क्लिप को शेयर किया और बताया कि कैसे हम भारतीयों ने अपनी विरासत के साथ हुई छेड़छाड़ को आसानी से स्वीकार कर लिया। वीडियो में उन्होंने याद दिलाया कि हम भारतीय उन आक्रमणकारियों, लुटेरों को नायक मानते हैं जिन्होंने कभी सैंकड़ों भारतीयों को मारा। मुंतशिर अपनी कविता में मुगलों को डकैत कहते हैं और साथ में अपनी धरोहरों की पहचान करने की बात कहते हैं।

इस वीडियो के पोस्ट होने के बाद कई लिबरल और कट्टरपंथी नाराज हो गए। सबने मुंतशिर को मुगलों की बर्बरता के ख़िलाफ़ बोलने के लिए सुनाया। इसमें एक आरजे सायमा भी थीं। उन्होंने ट्वीट करते हुए मुंतशिर को ‘कट्टर’ कहा और बताया कि कट्टरता का शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं होता। सायमा ने लिखा, “अगर आप साक्षर हैं और कट्टर हैं तो ये बहुत घातक कॉकटेल है।”

सायमा के इस ट्वीट के बाद कई नेटीजन्स का ध्यान उनकी ओर गया। लोगों ने उन्हें बताया कि मुंतशिर को अधिकार है कि वो अपने ख्याल इस मुद्दे पर रखें और इसी के साथ सायमा को सलाह दी कि अगर काउंटर करना ही है तो फिर तथ्यों के साथ किया जाए।

इस बीच वैज्ञानिक व प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने भी सायमा की चालाकी की पोल खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके ट्वीट के बदले प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने कुरान की आयतें पेश की और दिखाया कि कैसे इस्लाम में काफिरों के ख़िलाफ़ हिंसा की बातें लिखी गई है। उन्होंने तीन आयतें सायमा के सामने रखीं ताकि सायमा अपनी बुद्धि में ये सबूतों के साथ डाल पाएँ कि वाकई इस्लाम में काफिरों के विरुद्ध हिंसा की बात है।

प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने जिन आयतों को सायमा के समक्ष पेश किया वह इस तरह हैं:

सूरा 4(अन-निसा) आयत 56:

“जिन लोगों ने हमारी आयतों का इनकार किया, उन्हें हम जल्द ही आग में झोंकेंगे। जब भी उनकी खालें पक जाएँगी, तो हम उन्हें दूसरी खालों में बदल दिया करेंगे, ताकि वे यातना का मज़ा चखते ही रहें। निस्संदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।”

सूरा-98 (अल-बय्यानह) आयत 6:

बेशक जिन लोगों ने कुफ़ किया अहले किताब और मुश्रिकों में से, वह जहन्नुम की आग में हमेशा रहेंगे, यही लोग बदतरीन मखलूक हैं।

सूरा 4 (अन-निसा) आयत 34:

“पुरुष स्त्रियों के व्यवस्थापक हैं, इस कारण कि अल्लाह ने उनमें से एक को दूसरे पर प्रधानता दी है तथा इस कारण कि उन्होंने अपने धनों को उनपर ख़र्च किया है। अतः सदाचारी औरतें वो हैं, जो आज्ञाकारी तथा उनकी (अर्थात, पतियों की) अनुपस्थिति में अल्लाह की रक्षा में उनके अधिकारों की रक्षा करती हों। फिर तुम्हें जिनकी अवज्ञा का डर हो, तो उन्हें समझाओ और शयनागारों (सोने के स्थानों) में उनसे अलग हो जाओ तथा उन्हें मारो। फिर यदि वे तुम्हारी बात मानें, तो उनपर अत्याचार का बहाना न खोजो और अल्लाह सबसे ऊपर, सबसे बड़ा है।”

प्रोफेसर आनंद रंगनाथन के इन तर्कों के बाद सायमा ने प्रतिक्रिया में दोबारा ट्वीट किया और उन्हें कहा कि वो आभार व्यक्त करती हैं इस बात को साबित करने के लिए जो उन्होंने कहा था वह सही बात है कि कट्टरता का शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद वह आनंद रंगनाथन को भी एक ‘शिक्षित कट्टर’ कहकर बात खत्म कर देती हैं।

मात्र एक घंटे के भीतर आरजे सायमा के लिए दो पढ़े लिखे लोग- डॉ आनंद रंगनाथन और मनोज मुंतशिर, अचानक से कट्टर बन जाते हैं। कारण बस यही होता है कि वो इस्लाम और मुगलों के ऊपर अपना पक्ष या सच्चाई रख रहे होते हैं।

इसके बाद प्रोफेसर आनंद रंगनाथन दोबारा से आरजे सायमा को जवाब देते हैं और कहते हैं कि इसका मतलब ये है कि कुरान की आयत पढ़ना कट्टरता होता है? रंगनाथन सवाल करते हैं कि क्या उन्होंने खुद कुरान की आयतों को पढ़ा है। फिर वो पूछते हैं, “क्या तुम अल्लाह के शब्दों की आलोचना कर रही हो?” 

जेएनयू प्रोफेसर उन्हें यह भी कहते हैं कि अगर ऐसा है तो इस्लाम के ख़िलाफ़ किए गए ट्वीट को डिलीट कर दें वरना फतवा जारी हो सकता है। अपने ट्वीट में वह कहते हैं, “मैं नहीं चाहता कि ‘सिर तन से जुदा गैंग’ तुम्हारे पास आए।” 

इसी बीच, रंगनाथन के बाद एक अन्य यूजर भी सायमा के ट्वीट पर पूछता है कि क्या उन्होंने पवित्र किताब में लिखी बातों को ‘कट्टर’ कहा है? इस ट्वीट पर आनंद रंगनाथन ने कहा कि आरजे सायमा को इसीलिए कहा था कि वो अपने ट्विटर से इन ट्वीट्स को डिलीट कर दें।

इतना कहने के साथ ही प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने एक और आयत (33:77) का जिक्र किया, जिसमें लिखा है, “जो लोग अल्लाह और उसके रसूल को दुख पहुँचाते हैं, अल्लाह ने उनपर दुनिया और आख़िर में लानत की है और उनके लिए अपमानजनक यातना तैयार कर रखी है।”

अब इतने सारे तथ्यों के बाद जब सायमा के पास कुछ नहीं बचा तो उन्होंने शर्मिंदगी से बचने के लिए वॉट्सएप यूनिवर्सिटी का हवाला दे दिया। बेहद लिबरल तरीके से सायमा ने प्रतिक्रिया में कहा कि क्या प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने वॉट्सएप यूनिवर्सिटी से यह सारा ज्ञान अर्जित किया है।

ध्यान देने वाली बात है कि आनंद रंगनाथन द्वारा प्रमाण के तौर पर पेश की गई आयतों को तर्कों से काटने के बजाय सायमा निजी होने लगीं। उन्होंने ये बताना चाहा कि रंगनाथन की बातें वॉट्सएप यूनिवर्सिटी से ली गई हैं और हिंसा की बातें फेक हैं।

मगर, प्रोफेसर आनंद रंगनाथन यहाँ भी नहीं रुके। इस बार सायमा का पैंतरा भाँपते हुए उन्होंने चुनौती दी कि सायमा बस उन्हें साबित कर दें कि जो आयतें उन्होंने पेश की हैं वो कुरान से नहीं हैं। उन्होंने यहाँ तक कहा कि सायमा जहाँ से चाहें वहाँ से उन्हें गलत साबित कर सकती हैं। ये उनके लिए खुली चुनौती हैं।

अब, वो सायमा जो इस्लाम के बचाव में मैदान में उतर आई थीं, वो पूरी बातचीत से पल्ला झाड़ कर भाग खड़ी हुईं और बिना प्रोफेसर रंगनाथन को गलत साबित किए, उन्होंने जवाब देना बंद कर दिया।

अब यह तो जाहिर है कि आरजे सायमा के पास कोई भी विश्वसनीय स्रोत नहीं हैं कि वो प्रोफेसर रंगनाथन को गलत साबित कर सकें। ऐसे में प्रोफेसर ने सोशल मीडिया यूजर्स और आरजे को सुनने वालों से अपील की है कि जब भी वो कॉल-इन पर लें तो उनसे पूछा जरूर जाए कि कुरान की सूरा 4 की आयत 34 में क्या लिखा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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