Saturday, May 4, 2024
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‘मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर अजान के कारण परेशानी’: डॉक्टर ने गुजरात हाईकोर्ट में दायर की PIL, अदालत ने 10 मार्च तक सरकार से माँगा जवाब

याचिकाकर्ता का कहना है कि लाउडस्पीकर की आवाज लोगों के लिए बहुत ही कष्टदायी है। इससे कई तरह की मानसिक बीमारियों के साथ-साथ बच्चों-बूढ़ों को शारीरिक समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। इस तरह से यह लोगों के स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है।

मुस्लिम समुदाय द्वारा मस्जिदों में लाउडस्पीकर की तेज आवाज में नमाज (Namaz) पढ़ने के कारण लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसी क्रम में गुजरात हाईकोर्ट (Gujrat High Court) में एक जनहित याचिका (PIL) दायर कर पूरे प्रदेश की मस्जिदों में लाउडस्पीकर में अजान को बंद करने की माँग की गई है। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।

इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की पीठ ने की। कोर्ट ने नोटिस में राज्य सरकार से 10 मार्च तक जवाब जवाब देने का निर्देश दिया है। बता दें कि यह याचिका गाँधीनगर के रहने वाले एक डॉक्टर धर्मेंद्र विष्णुभाई प्रजापति ने दायर की है। खुद का क्लीनिक चलाने वाले प्रजापति का आरोप है कि जिस इलाके में उनकी क्लीनिक है, वहाँ बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय रहता है और ये दिन में कई-कई बार लाउडस्पीकर के जरिए अजान देते हैं। इसके कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मसले पर उन्होंने इससे पहले राज्य के अधिकारियों को लिखित शिकायत दी थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता अरविंद प्रजापति ने याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मई 2020 के उस फैसले का भी जिक्र किया है, जिसमें कहा गया है अजान जरूर इस्लाम का अभिन्न अंग है, लेकिन लाउडस्पीकर या माइक्रोफोन अनिवार्य नहीं है।

धार्मिक अधिकार पर भी डाला प्रकाश

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में धर्म को मानने के संवैधानिक अधिकारों की सीमाओं का भी जिक्र किया है। इसमें कहा गया है, “वास्तव में संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत निहित अधिकार सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, स्वास्थ्य और भारत के संविधान के भाग- III के अधीन हैं, लेकिन लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर लगातार इसका उल्लंघन किया जा रहा है।”

प्रजापति ने ध्वनि प्रदूषण के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) कानून-2000 के नियम 5 के तहत सक्षम प्राधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त करने के अलावा लाउडस्पीकर या सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का उपयोग नहीं किया सकता। लेकिन, मुस्लिम समुदाय बिना अनुमति के लाउडस्पीकर का इस्तेमाल मस्जिदों में करता है। ऐसे में इस पर कुछ प्रतिबंधों की जरूरत है।

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि लाउडस्पीकर की आवाज लोगों के लिए बहुत ही कष्टदायी है। इससे कई तरह की मानसिक बीमारियों के साथ-साथ बच्चों-बूढ़ों को शारीरिक समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। इस तरह से यह लोगों के स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है।

प्रजापति के वकील ने कहा कि अगर आप इस्लाम धर्म में विश्वास नहीं रखते हैं तो उस ध्वनि को दूसरे को सुनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। वकील ने ये भी कहा, “गणपति उत्सव, नवरात्रि के लिए प्रतिबंध है, फिर मस्जिदों की प्रार्थना के लिए क्यों नहीं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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