Saturday, November 23, 2024
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बाला साहेब के बाद शिवसेना सुप्रीमो बनने की थी चर्चा, पर ‘दुर्घटना’ में चली गई जान: एकनाथ शिंदे के गुरु ‘धर्मवीर’ से क्या है राज ठाकरे का कनेक्शन

उन पर हाल ही में एक फिल्म भी आई थी, जिसका नाम था - 'धर्मवीर: मुक्काम पोस्ट ठाणे', जिसे 13 मई, 2022 को रिलीज किया गया था। ट्रेलर लॉन्च के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मुख्य अतिथि थे। एकनाथ शिंदे भी वहाँ उपस्थित थे। हालाँकि, फिल्म को ख़त्म होने से मात्र 10 मिनट पूर्व उद्धव ठाकरे स्क्रीनिंग से निकल गए। उन्होंने वो दृश्य नहीं देखा, जिसमें आनंद दीघे का एक्सीडेंट हो जाता है और फिर इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो जाती है।

शिवसेना में बगावत और टूट के बीच खबर आ रही है कि पार्टी के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS)’ के संस्थापक राज ठाकरे से बात की है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों ने इस दौरान महाराष्ट्र की ताज़ा राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा की। राज ठाकरे, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई हैं। इस दौरान एकनाथ शिंदे ने राज ठाकरे के स्वास्थ्य को लेकर भी कुशल-क्षेम पूछा। उन्हें हाल ही में एक अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है।

महाराष्ट्र राजनीतिक संकट में राज ठाकरे की एंट्री, एकनाथ शिंदे से की बात

बताया जा रहा है कि कम से कम 2 बार एकनाथ शिंदे और राज ठाकरे की फोन पर बातचीत हो चुकी है। राज ठाकरे 2006 में ही शिवसेना छोड़ कर अपनी अलग पार्टी बना चुके हैं और तभी से उद्धव ठाकरे के साथ उनके सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे हैं। हाल ही में हिंदुत्व को लेकर राज ठाकरे ने आक्रामक रुख अख्तियार किया था। एकनाथ शिंदे का कहना है कि उनके पास 38 विधायकों का समर्थन है, जो शिवसेना से अलग गुट बनाने के लिए पर्याप्त है।

इधर शिवसेना ने बागी गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करते हुए नया विधायक दल का नेता नियुक्त कर दिया है। डिप्टी स्पीकर NCP से हैं, जिन्होंने इन फैसलों को हरी झंडी भी दिखा दी। शिंदे गुट इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट पहुँचा है। सभी बागी विधायक असम के गुवाहाटी स्थित रेडिसन ब्लू होटल में ठहरे हुए हैं। एकनाथ शिंदे का कहना है कि हम सब हिंदुत्व के लिए बलिदान होने को भी तैयार हैं। जबकि शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत उन्हें ’40 ज़िंदा लाशें’ बताते हुए ‘पोस्टमॉर्टेम’ की धमकी तक दे चुके हैं।

इसी बीच मनसे समर्थकों ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर भी पोस्ट की है, जिसमें राज ठाकरे अस्पताल के बिस्तर पर लेटे आनंद दीघे से मिल रहे हैं। आनंद दीघे ठाणे के सबसे बड़े नेता हुआ करते थे और एकनाथ शिंदे के राजनीतिक गुरु भी। इन तस्वीरों के साथ बताया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे ने उस मुलाकात के दौरान राज ठाकरे से कहा था, “धर्मवीर, हिंदुत्व की लड़ाई अब तुम्हारे हाथों में है।” ये उन दोनों की अंतिम बातचीत थी।

‘ठाणे के बाल ठाकरे’: एकनाथ शिंदे में लोग देखते हैं आनंद दीघे का प्रतिबिंब

आनंद दीघे को ‘ठाणे का बाल ठाकरे’ भी कहा जाता रहा है। दाढ़ी और तिलक के साथ उनका लुक्स कभी बिलकुल वैसा ही हुआ करता था, जैसा एकनाथ शिंदे का आज है। उनका ही प्रभाव था कि ये इलाका शिवसेना का एक अभेद्य दुर्ग बन गया और ठाणे लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना ने 7 बार जीत दर्ज की। उनके निधन के बाद भी उनके चेहरा और उनके शिष्य एकनाथ शिंदे की मेहनत काम करती रही। आनंद दीघे को ‘धर्मवीर’ कहा जाता था।

बालासाहेब ठाकरे के अनुयायी रहे आनंद दीघे को ‘गुरुवर्य धर्मवीर’ बताते हुए ठाणे में आपको कई पोस्टर-बैनरमिल जाएँगे। एकनाथ शिंदे भी कई बार उनका नाम ले चुके हैं। आनंद दीघे का निधन 50 से भी कम की उम्र में अगस्त 2001 में हो गया था। एक संदिग्ध सड़क दुर्घटना के बाद हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई थी। वी आजीवन कुँवारे रहे थे। अपनी उँगलियों में कई अँगूठियाँ पहनने वाले आनंद दीघे अपने कार्यकर्ताओं के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहते थे।

उन पर हाल ही में एक फिल्म भी आई थी, जिसका नाम था – ‘धर्मवीर: मुक्काम पोस्ट ठाणे’, जिसे 13 मई, 2022 को रिलीज किया गया था। ट्रेलर लॉन्च के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मुख्य अतिथि थे। एकनाथ शिंदे भी वहाँ उपस्थित थे। हालाँकि, फिल्म को ख़त्म होने से मात्र 10 मिनट पूर्व उद्धव ठाकरे स्क्रीनिंग से निकल गए। उन्होंने वो दृश्य नहीं देखा, जिसमें आनंद दीघे का एक्सीडेंट हो जाता है और फिर इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो जाती है।

इस मराठी फिल्म में आनंद दीघे का किरदार प्रसाद ओक और एकनाथ शिंदे का किरदार क्षितीश दाते ने निभाया है। फिल्म शुरू होने पर एकनाथ शिंदे को क्रेडिट भी दिया गया है। फिल्म ने 20 करोड़ रुपए की कमाई कर हिट का तमगा पाया। फिल्म में आनंद दीघे को गुरु पूर्णिमा पर बाल ठाकरे के पाँव धोते हुए दिखाया गया है। उम्मीदवार के चुनाव में ठाणे में बाल ठाकरे के ऊपर उनके निर्णय को दिखाया गया है। एकनाथ शिंदे फिर यही आनंद दीघे के लिए करते हैं। उनके मेडिकल रिकार्ड्स को गायब होते हुए दिखाया गया है।

आनंद दीघे ने भी बालासाहेब ठाकरे की तरह कभी चुनाव नहीं लड़ा। वो अपने गढ़ से पार्टी के मामलों को संचालित करते रहे। वो ‘ग्राहक सेवा मंच’ के जरिए लोगों की समस्याओं को सुलझाते थे। हमेशा काम में व्यस्त रहने वाले आनंद दीघे तड़के सुबह जग जाते थे। गणेश उत्सव और नवरात्रि के भव्य कार्यक्रम भी वो आयोजित करवाते थे। हालाँकि, TADA के अंतर्गत एक हत्या के आरोप में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। शिवसेना-भाजपा का गठबंधन कराने में उनका एक बड़ा किरदार था।

हत्या के आरोप में कॉन्ग्रेस सरकार ने किया था गिरफ्तार, संदिग्ध दुर्घटना में हुई थी मौत

ठाणे में कई विद्यालय, कॉलेज, सड़कें और पुल आपको आनंद दीघे के नाम पर मिल जाएँगे। सिर्फ ठाणे ही नहीं, बल्कि डोम्बिवली और कल्याण बेल्ट में भी शिवसेना को शून्य से उच्चतम स्तर तक पहुँचाने का श्रेय आनंद दीघे को ही जाता है। एक बार मेयर के चुनाव में वहाँ शिवसेना की हार हो गई। पार्टी कॉर्पोरेटर मोहन खोपकर ने विपक्षी उम्मीदवार को वोट दे दिया था। बाद में उनकी हत्या हो गई। आनंद दीघे ने उससे पहले बयान दिया था कि जिन्होंने पार्टी को धोखा दिया है, उसे नहीं छोड़ा जाएगा।

तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार ने आतंकवाद की धाराएँ लगा कर उन्हें हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। जेल से निकलने के बाद उनकी लोकप्रियता बढ़ती ही चली गई। लेकिन, सामने की तरफ से आती एक ट्रक ने उनके जीवन और राजनीतिक करियर, दोनों पर लगाम लगा दिया। जिस सिंघानिया अस्पताल में उनका निधन हुआ था, उसे उनके समर्थकों ने गुस्से में तबाह कर डाला था। उद्धव ठाकरे सहित कई शिवसेना नेताओं को ठाणे से बाहर ले जाना पड़ा था।

आनंद दीघे एक कुशल संगठनकर्ता थे,जो न सिर्फ प्रशासन से निराश गरीबों के लिए अलग न्याय व्यवस्था चलाते थे, बल्कि पार्टी के कई कार्यकर्ताओं को भी आगे बढ़ाते थे। उस समय चर्चा ये चलती थी कि बाल ठाकरे के बाद आनंद दीघे ही शिवसेना का मुखिया बनने के लिए सबसे लोकप्रिय और योग्य व्यक्ति हैं। यही कारण है कि आज शिवसेना के कार्यकर्ता एकनाथ शिंदे का साथ दे रहे हैं और हिंदुत्व से भटकी उद्धव ठाकरे की शिवसेना से नाराज़ हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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