बिहार के बक्सर के रहने वाले मुन्ना सिंह आज 56 साल के हैं। 1979 में जब उन पर हत्या के प्रयास सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया गया, तब वे 13 साल के थे। आठवीं में पढ़ते थे। लेकिन कोर्ट ने उन्हें नाबालिग घोषित करने में 33 साल लगाए। फिर मामले में उनको बरी करते-करते 10 साल और लग गए।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 11 अक्टूबर 2022 को मुन्ना सिंह को बरी किया गया। इसके बाद उन्होंने कहा, “इस घटना ने मेरे दिलों दिमाग में गहरे घाव छोड़े हैं। बरी होने के बाद राहत की साँस ली है। भगवान का शुक्र है कि यह फैसला मेरे जिंदा रहते ही आया है।”
क्या है मामला?
तारीख थी 7 सितंबर 1979। मुन्ना सिंह, उनके पिता श्याम बिहारी सिंह और अन्य 8 लोगों पर आईपीसी की धारा 148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा करने) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया गया था। अब मुन्ना सिंह को लेकर फैसला आया है। सहायक अभियोजन अधिकारी एके पांडे ने कहा कि किशोर बोर्ड ने इस मामले की जाँच की। लेकिन मुन्ना सिंह के खिलाफ कोई गवाह नहीं मिला, इसलिए उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।
सिंह के वकील राकेश कुमार मिश्रा के मुताबिक घटना के वक्त उनके मुवक्किल केवल 13 वर्ष के थे। आठवीं कक्षा के छात्र थे। लेकिन 2012 तक उन्हें नाबालिग नहीं माना गया था। उन्होंने बताया कि बक्सर की एसीजेएम द्वितीय की अदालत में 2012 में सुनवाई के दौरान मुन्ना सिंह से उनकी उम्र पूछी गई। उन्होंने बताया कि वे अभी वह 46 वर्ष के हैं। इससे यह साफ हो गया कि जब मामला दर्ज किया गया था, उस वक्त वह नाबालिग थे।
इसके बाद नवंबर 2012 को इस मामले को बक्सर किशोर न्याय बोर्ड में स्थानांतरित कर दिया गया। मुरार पुलिस थाने के चौगाई गाँव निवासी मुन्ना सिंह का कहना है कि उन्होंने इसके बाद लगभग एक महीन जेल में बिताया था। आरोपित बनने के बाद उन्होंने काफी मानसिक प्रताड़ना झेली और अदालत के चक्कर लगाने पड़े।
बताया जाता है कि इस मामले के अन्य 5 आरोपितों जिनमें मुन्ना सिंह के पिता भी हैं, उनकी सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। बक्सर कोर्ट ने कुछ साल पहले इस मामले में 2 लोगों को दोषी करार दिया था और दो अन्य को बरी कर दिया था।