Friday, November 22, 2024
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ध्वनि से 24 गुना तेज, एक साथ 10 ठिकानों पर हमले: तवांग में चीन के साथ झड़प के अगले दिन भारत ने अग्नि-5 का किया परीक्षण, रेंज में आधी दुनिया

अग्नि-5 के बाद भारत के वैज्ञानिक अग्नि-6 को विकसित करेंगे। इसकी मारक क्षमता 8,000 किलोमीटर से 12,000 किलोमीटर तक होगी। इसके बाद भारत 'सूर्य' नामक अंतर-महाद्वीपीय मिसाइल को विकसित करेगा, जिसकी मारक क्षमता 12,000 किलोमीटर से 16,000 किलोमीटर तक होगी।

अरुणाचल प्रदेश के तवांग (Twang, Arunachal Pradesh) में चीनी सेना के साथ झड़प के अगले ही दिन भारत ने शक्तिशाली अग्नि-5 अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (Agni-V ICBM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इस मिसाइल की जद में पूरा चीन आ जाएगा। 5,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली इस मिसाइल का पूरी रेंज के साथ पहली बार परीक्षण किया गया है।

ओडिशा के अब्दुल कलाम आजाद द्वीप से लॉन्च अग्नि-5 मिसाइल परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है। 17.5 मीटर लंबी इस मिसाइल का वजन 50,000 किलोमीटर है और इस पर 1,500 किलोग्राम का न्यूक्लियर वारहेड लगाया जा सकता है। यह ध्वनि की 24 गुना तेज गति, यानी एक सेकेंड में 8.16 किलोमीटर की गति से अपने लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।

इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने संयुक्त रूप से तैयार किया है। इस मिसाइल में तीन चरण वाले रॉकेट बूस्टर का इस्तेमाल किया गया है, सॉलिड फ्यूल से संचालित होते हैं। अग्नि-5 मिसाइल 29,401 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है।

इस मिसाइल की सबसे खास बात इसकी MIRV (Multiple Independently-targetable Reentry Vehicles) तकनीक है, जो इसे एक साथ कई निशाने को भेदने में सक्षम बनाती है। इसका अर्थ है कि इस मिसाइल के ऊपर 10 वारहेड तक लगाए जा सकते हैं और उनका उपयोग अलग-अलग रेंज के ठिकानों को तबाह करने के लिए किया जा सकता है।

इसमें अपने लक्ष्य को सटीकता के साथ भेदने के लिए रिंग लेजर गाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम, जीपीएस, NavIC सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम जैसे अत्याधुनिक तकनीक लगे हुए हैं। इसे मोबाइल लॉन्च पैड से भी छोड़ा जा सकता है। इसके साथ ही इसे ट्रक पर लाद कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी ले जाया जा सकता है।

इस मिसाइल की रेंज में चीन की राजधानी बीजिंग और प्रमुख व्यापारिक शहर शंघाई सहित पूरा चीन है। इतना ही नहीं, इस मिसाइल की जद में पूरा एशिया और यूरोप का कुछ भाग आ जाएगा। इससे यूक्रेन, रूस, जापान, इंडोनेशिया तक हमला किया जा सकता है।

अग्नि-5 मिसाइल की परिकल्पना 2007 में वैज्ञानिक एम. नटराजन ने की थी। इसके बाद इसे मूर्त रूप देने की कोशिश शुरू हुई। अग्नि-5 का अब तक 8 बार सफल परीक्षण हो चुका है। सबसे पहला परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को किया गया था। इसका अंतिम परीक्षण 10 दिसंबर 2018 को किया गया था। रक्षा मंत्रालय ने इसे रूटीन टेस्ट बताया है।

अग्नि-5 मिसाइल को स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड (Strategic Forces Command) में की गई है। इस कमांड के जरिए प्रमुख मिसाइलों का संचालन किया जाता है, जिनमें पृथ्वी, अग्नि और समुद्र में तैनात धनुष, सागरिका आदि जैसी मिसाइलें शामिल हैं।

अग्नि-5 के बाद भारत के वैज्ञानिक अग्नि-6 को विकसित करेंगे। इसकी मारक क्षमता 8,000 किलोमीटर से 12,000 किलोमीटर तक होगी। इसके बाद भारत ‘सूर्य’ नामक अंतर-महाद्वीपीय मिसाइल को विकसित करेगा, जिसकी मारक क्षमता 12,000 किलोमीटर से 16,000 किलोमीटर तक होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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