प्रवर्तन निदेशालय को शनिवार (22 जुलाई, 2023) को सपा नेता दिनेश सिंह गुर्जर की 5 दिन की रिमांड की अनुमति मिल गई। उसे PMLA एक्ट, 2002 (मनी लॉन्ड्रिंग) के तहत गिरफ्तार किया गया था। वो समाजवादी पार्टी का स्टेट सेक्रेटरी है। ED के लखनऊ स्थित जोनल ऑफिस में उसके खिलाफ शिकायतें पहुँची थीं। वो ‘बाइक बॉट स्कैम’ के आरोपितों से संपर्क कर-कर के उनसे पैसे ऐंठ रहा था। उस मामले में भी PMLA के तहत जाँच चल रही है।
सपा नेता दिनेश सिंह गुर्जर ED की कस्टडी में
दिनेश सिंह गुर्जर इस घोटाला के आरोपितों से संपर्क करता था और अपनी जान-पहचान की धौंस दिखाते हुए दावा करता है कि वो उनके खिलाफ केस को ‘सेटल’ करवा देगा। साथ ही उनकी जब्त चल-अचल संपत्तियों को भी छुड़ाने के वादे करता था। वो दावा करता था कि ED के अधिकारियों से उसकी अच्छी जान-पहचान है। बता दें कि ‘बाइक बॉट स्कैम’ का मुख्य आरोपित संजय भाटी है, जिससे संबंधों को लेकर भी सपा नेता से पूछताछ की जाएगी।
दिनेश सिंह गुर्जर 26 जुलाई तक ED की कस्टडी में रहेगा। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि ‘बाइक बॉट स्कैम’ आखिर था क्या? एक लाइन में कहें तो लोगों को ऐसे मोटरसाइकिलों में निवेश करने के लिए कहा गया था, जिनका इस्तेमाल दोपहिया टैक्सी के रूप में किया जाना था, लेकिन सब धोखा निकला। निवेशकों को प्रति बाइक 62,100 रुपए निवेश करने के लिए कहा गया था। कंपनी ने 5175 रुपए प्रति महीने की EMI और 4590 रुपए प्रति महीने की रेंटल फिक्स की थी।
क्या था ‘BikeBot’ स्कैम?
कागज पर तो ये एक बहुत अच्छा आईडिया था – एप पर आधारित बाइक टैक्सी, ताकि नोएडा-गाजियाबाद से लेकर मेरठ-बागपत जैसे जगहों पर भी लोग वहाँ भी आसानी से पहुँच पाएँ जहाँ बड़ी गाड़ियाँ नहीं जा सकतीं या फिर ट्रैफिक ज्यादा हो। कंपनी का नाम रखा गया था ‘BikeBot’, जिसके पीछे एक महिला थी जिसने निवेशकों के साथ 15,000 करोड़ रुपएकी धोखाधड़ी की। आज उत्तर प्रदेश के मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों में उसका नाम शुमार है, जो फरार है।
दीप्ति बहल बागपत के एक कॉलेज की प्रिंसिपल थी और गाजियाबाद के लोनी में रहती थी। उसका पति संजय भाटी अपने रिश्तेदारों के साथ मिल कर ‘गर्वित इनोवेशंस प्रमोटर्स लिमिटेड (GIPL)’ नामक रियल एस्टेट कंपनी चलाता था। 2010 में दोनों इस कंपनी के डायरेक्टर बने थे। दावा किया जाता है कि 2017 में महिला ने कंपनी से इस्तीफा देकर ‘BikeBot’ की शुरुआत की। कंपनी ने प्रत्येक बाइक पर 5% मासिक रेंटल इनकम का वादा किया था।
कंपनी ने निवेशकों को भरोसा दिलाने के लिए उनके साथ करारों पर भी हस्ताक्षर किया, वादा किया कि उनके पैसे सुरक्षित हैं। अगस्त 2017 में ये योजना शुरू हुई और 2019 की शुरुआत तक ये चला। नवंबर 2018 में कंपनी ई-बाइक्स की नई स्कीम लेकर आई, जिसमें पेट्रोल बाइक्स के मुकाबले सब्स्क्रिप्शन की राशि दोगुनी कर दी गई। 2019 में बड़ी संख्या में निवेशकों ने पुलिस में शिकायत करते हुए कहा कि उनसे जो रिटर्न देने का वादा किया गया था अब वो मिलने बंद हो गए हैं।
The Money Show | How a woman entrepreneur became UP's most wanted criminal?
— ET NOW (@ETNOWlive) May 9, 2023
On the show, Sandeep Parekh, Managing Partner, Finsec Law Advisors decodes the BikeBot scam. Listen in @kavitath @FinsecLaw @SandeepParekh #BikeBot #Scam pic.twitter.com/F4bPMgfBZm
2019 में सूरजपुर स्थित अदालत में संजय भाटी ने तो आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन दीप्ति अभी तक फरार है। लाखों लोगों को 4500 करोड़ रुपए का चूना लगा और 250 केस दर्ज किए गए। इससे पहले जाँच एजेंसियों ने 15,000 करोड़ रुपए के घोटाले की बात कही थी। दीप्ति के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी है। शक है कि वो विदेश भाग गई है। ED ने इस मामले में 103 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति जब्त की है।
दीप्ति और उसके पति ने मिल कर इससे पहले भी कई पोंजी स्कीम चलाई थी। इनमें जिनका पैसा डूबा था, ‘BikeBot’ स्कैम में से कुछ पैसे उन्हें दिए गए। इसमें कुल्लू में एक रिजॉर्ट भी शामिल था। लोगों को लगा कि प्रतिवर्ष लगभग 1.7 लाख रुपए उन्हें मिलेंगे और एक बार निवेश करने पर उनके पास आय का अच्छा साधन हो जाएगा। लेकिन, ऐसे लाखों लोगों को चूना लगा। इस तरह के कई अन्य स्कीम्स के चक्कर में भोले-भाले निवेशक फँस जाते हैं, पुलिस को पता चलते-चलते बड़ा नुकसान हो गया रहता है।