Friday, April 26, 2024
486 कुल लेख

अजीत भारती

पूर्व सम्पादक (फ़रवरी 2021 तक), ऑपइंडिया हिन्दी
00:30:19

दिल्ली दंगों की ग्राउंड रिपोर्टिंग: अजीत भारती का विश्लेषण | Ground Reporting in Delhi Riots and Ajeet Bharti Analysis

दिलवर सिंह नेगी के हाथ-पैर काटकर जलती हुई दुकान में फेंक दिया। कॉन्स्टेबल रतन लाल को घेर कर मार डाला गया। योजनाबद्ध तरीके से...
00:33:46

दिल्ली दंगों की 8 कहानियाँ, जिसे मीडिया छुपा रहा: अजीत भारती के सवाल | Ajeet Bharti on Delhi Riots and Media Hiding Facts

वामपंथी मीडिया ये कहानियाँ नहीं दिखाएगा क्योंकि ये कहानियाँ महत्वपूर्ण नहीं। हिन्दुओं की मौत से इस देश की मीडिया को कोई फर्क नहीं पड़ता है।

‘दोनों तरफ के लोग हैं’: ‘दंगा साहित्य’ के दोगले कवियों से पूछिए कि हिन्दू ने कहाँ दंगा किया, कितने दिन किया?

इस नैरेटिव से बचिए और पूछिए कि जिसकी गली में हिन्दू की लाश जला कर पहुँचा दी गई, उसने तीन महीने से किसका क्या बिगाड़ा था। 'दंगा साहित्य' के कवियों से पूछिए कि आज जो 'दोनों तरफ के थे', 'इधर के भी, उधर के भी' की ज्ञानवृष्टि हो रही है, वो तीन महीने के 89 दिनों तक कहाँ थी, जो आज 90वें दिन को निकली है?
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हास्य: रवीश पर बने मीम्स का फैक्टचेक | Fact check of memes on Ravish Kumar

जामिया के प्रोटेस्ट में हिजाब पहनकर बैठी हुई एक महिला की तस्वीर वायरल हुई। कुछ लोगों ने मजे लेने के लिए लिखा कि क्या ये रवीश...

फेक न्यूज वाले पत्थर-विज्ञानी गंजे ने बताई पत्थर से वॉलेट बनाने के 101 तरीके

कम बालों वाले प्राणी ने कहा, "मैंने कहा कि वॉलेट है, अब इसमें तुम हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, गूगल, एचडी, क्रोमा, फ्लैट, लीनियर, लहसुन आदि छिड़काव करते हुए हजार शब्दों का आर्टिकल लिखो और साबित करो कि वॉलेट है। और हाँ, मार्च आ रहा है, तुम्हारा इन्क्रीमेंट इसी पर निर्भर करेगा कि ये वॉलेट बन पाता है कि नहीं।"

जामिया विडियो: वामपंथियों की ऐसे लीजिए कि वो ‘दुखवा मैं का से कहूँ’ मोड में आ जाएँ

यहाँ डिफेंड मत कीजिए, सवाल पूछिए और बार-बार पूछिए कि वो कहाँ से आए थे? सवाल पूछिए कि जब उसके हाथ में वॉलेट था तो उसने सारे सोशल मीडिया अकाउंट डीएक्टिवेट क्यों कर लिए? सवाल पूछिए कि पत्थर क्या आसमान से गिरे थे पुलिस पर?
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नेहरू और माइनॉरिटी की परिभाषा पर खेला गेम: अजीत भारती का वीडियो | Ravish lies on Nehru-Liyaqat pact, blames Modi

स्वास्तिक जलाना, गाय को काट कर कमल पर दिखाना, आजादी के नारे, तेरा बाप भी देगा आजादी, खिलाफत की बातें, बुर्के में हिंदू औरतों को दिखाना, ये भी एक तरह की हिंसा है। इसे वैचारिक हिंसा कहते हैं।

इस ‘शिकारा’ का डूबना आवश्यक था, बॉलीवुड के मजहबी आतंक प्रेम की पराकाष्ठा है ये

सोचिए इस पर, वरना प्रेम कहानी के चुम्मे में वन्धामा की 23 लाशों की विद्रूपता छुपा दी जाएगी। शिकारे पर बैठी नायिका की काली जुल्फों में सिगरेट से पूरे शरीर को जलाने के बाद, सर्वानंद कौल और उनके पुत्र की आँखें निकाल लेने की इस्लामी कलाकृति गायब कर दी जाएगी।

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