Thursday, April 25, 2024
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भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही वैश्विक मीडिया को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर मैथ्यू हेडेन ने लताड़ा, अपने लेख से जीता दिल

कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत की ग्लोबल साख को खराब करने के लिए वैश्विक मीडिया बड़े पैमाने पर दुष्प्रचार कर रही है। अब तक चीनी वायरस के खिलाफ बहादुरी से लड़ रहा भारत ग्लोबली लेफ्ट-लिबरल्स द्वारा शुरू किए गए इंफॉर्मेशन वार का भी सामना कर रहा है।

इन सब के बीच ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर मैथ्यू हेडेन ने भारत का समर्थन किया है। उन्होंने कोरोना के खिलाफ युद्ध लड़ रही भारत सरकार की आलोचना के लिए अंतरराष्ट्रीय मीडिया की जमकर खिंचाई की। भारत की आलोचना किए जाने से निराश हेडेन ने एक पोस्ट में लिखा, “यह हजारों मील दूर बैठे लोगों के लिए नहीं है।” बता दें कि जहाँ एक तरफ वैश्विक मीडिया भारत की छवि को धूमिल करने के लिए दुष्प्रचार कर रहा है तो वहीं दुनियाभर के कई देश भारत की मदद के लिए संसाधन भी भेज रहे हैं।

गौरतलब है कि हेडेन भारत में आईपीएल में हिस्सा लेने के लिए आए थे। एक लेटर लिखकर उन्होंने कहा, “भारत महामारी की दूसरी लहर की मार के बीच में है। इससे पहले ऐसा कभी नहीं देखा गया। यह वायरस के खतरनाक संक्रमण से जूझ रहा है, बावजूद इसके विश्व मीडिया ने 1.4 बिलियन वाले एक देश को लताड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ा, जहाँ किसी भी सरकारी योजना को शुरू करके सफल बनाना अपने आपमें बड़ी चुनौती है।”

तमिलनाडु को बताया आध्यात्मिक घर

तमिलनाडु को अपना “आध्यात्मिक घर” बताते हुए पूर्व ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज ने कहा, “मैं अब एक दशक से अधिक समय से भारत का दौरा कर रहा हूँ और पूरे देश की यात्रा कर चुका हूँ, खासकर तमिलनाडु, जिसे मैं अपना “आध्यात्मिक घर” मानता हूँ। मेरे मन में हमेशा उन नेताओं और सरकारी अधिकारियों के लिए सर्वोच्च सम्मान रहा है, जिन्हें इस तरह के विविध और विशाल देश को चलाने का काम सौंपा गया है।”

हेडेन ने ऑस्ट्रेलिया स्थित एक थिंक टैंक “इंस्टीट्यूट फॉर ऑस्ट्रेलिया-इंडिया एंगेजमेंट” के लिए लिखा, “मैं जहाँ भी गया, लोगों ने प्यार और स्नेह से मेरा स्वागत किया, जिसके लिए मैं उनके कर्ज में डूबा रहा। मैं गर्व के साथ दावा कर सकता हूँ कि मैंने भारत को वर्षों से करीब से देखा है और यही कारण है कि न केवल इस कठिन समय में भारत के लिए, बल्कि निंदा करने वाले मीडिया के लिए भी मेरा दिल धड़कता है, जिन्होंने भारत, उसके लोगों और उसकी असंख्य चुनौतियों को समझने के लिए जरा सा भी समय नहीं दिया। हेडेन ने ऐसे लोगों से भारत को समझने के लिए समय सुनिश्चित करने की अपील की है।”

इसके अलावा, भारत के खिलाफ पक्षपातपूर्ण मीडिया कवरेज पर अपनी राय साझा करते हुए मैथ्यू हेडन ने लिखा, “एक क्रिकेटर और खेल के प्रेमी के रूप में मैंने उस खेल के साथ अपना जुड़ाव बनाए रखा है, जिसने मुझे इंडियन प्रीमियर लीग को कवर करने के लिए भारत आने की अनुमति दी है। मेरे कई साथी भी सालों से आईपीएल में खेल रहे हैं। ऐसे समय में जब दुनिया भारत के लिए दरवाजे बंद कर रही है और सरकार को लताड़ रही है, मैंने भारत में रहते हुए अपने विचार साझा करने के बारे में सोचा, ताकि हजारों मील दूर बैठे लोगों के लिए एक दृष्टिकोण उपलब्ध न हो।”

भारत ने मैथ्यू हेडन के समर्थन को सराहा

महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने भारत के लिए हेडन की भावनात्मक पोस्ट पर ध्यान दिया और पूर्व क्रिकेटर की सराहना की।

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “भारत पर एक हार्दिक ब्लॉग @HaydosTweets के अंश। एक ऐसा क्रिकेटर जिसका दिल अपने ऊँचे कद के कद से भी बड़ा है। सहानुभूति और आपके स्नेह के लिए धन्यवाद।”

देश के सूचना आयुक्त उदय माहूरकर ने भी मैथ्यू हेडेन की भारत पर उनके लेख के लिए प्रशंसा की।

एक अन्य सोशल यूजर ने कहा कि मैथ्यू हेडेन ज्यादातर भारतीयों से ज्यादा भारतीय हैं।

0.1 पॉइंट से सलमान की RADHE आगे: Race 3 अब भी सबसे कम रेटिंग वाली फिल्म, ‘राधे’ दूसरे नंबर पर

सलमान खान की इस साल की बहुप्रतीक्षित फिल्म “राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई” हाल ही में ईद के मौके पर रिलीज हुई। लेकिन, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से पिट गई। रेस-3 (1.9) के बाद “राधे: योर मोस्ट वाँटेड भाई” (2.0) सलमान खान की सबसे कम रेटिंग वाली फिल्म है।

फिल्म ने दर्शकों को निराश किया। इसकी IMDB रेटिंग “दबंग 3” को पीछे छोड़ते हुए महज दो दिनों में 2.0 पर आ गई। इधर आईएमडीबी पर सिर्फ 1.9 रेटिंग के साथ “रेस 3” सलमान खान की सबसे कम रेटिंग वाली फिल्म बनी हुई है।

“राधे: योर मोस्ट वाँटेड भाई” फिल्म को मिले रिस्पॉन्स की बात करें तो इसे दर्शकों और क्रिटिक्स से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। इस बीच, सुशांत सिंह राजपूत के कई प्रशंसकों ने भी फिल्म का बहिष्कार किया।

न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना को देखते हुए फिल्म को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया गया था। राधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने के बाद एक दिन में सबसे ज्यादा देखे जाने वाली फिल्म बन गई है।

जी5 पर रिलीज हुई इस फिल्म को एक दिन में 42 लाख व्यूज मिले हैं। दावा किया जा रहा है कि फिल्म ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, जबकि अभी तक दूसरे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स मे अपने आँकड़े जारी नहीं किए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, सलमान खान की राधे ने दुबई और यूएई थिएटर्स में जमकर कमाई की है, जबकि सिनेमाघरों में केवल 50 फीसदी दर्शकों की इजाजत है। बावजूद इसके फिल्म ने 2 करोड़ 77 लाख रुपए की कमाई की।

इससे पहले 2017 में रिलीज हुई सलमान खान की “टाइगर जिंदा है” फिल्म ने 339 करोड़ रुपए की कमाई की थी, लेकिन आईएमडीबी पर उसे 5.9 की रेटिंग मिली थी। 2018 में रिलीज होने के बाद 166 करोड़ रुपए का बिजनेस करने वाली रेस-3 को आईएमडीबी ने केवल 1.9 रेटिंग ही दिया था।

वीर सावरकर पर अपमानजनक लेख के लिए THE WEEK ने 5 साल बाद माँगी माफी: जानें क्या है मामला

‘द वीक’ पत्रिका ने शुक्रवार (मई 14, 2021) को स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के बारे में पहले प्रकाशित एक अपमानजनक लेख के लिए माफी माँगी। विचाराधीन विवादास्पद लेख 24 जनवरी, 2016 को केरल स्थित पत्रिका द्वारा प्रकाशित किया गया था जिसे ‘पत्रकार’ निरंजन टाकले द्वारा लिखा गया था।

‘A lamb, lionised’ शीर्षक से, लेख ने पाठकों को यह गलत धारणा दी कि वीर सावरकर एक ‘दब्बू’ मेमना के बच्चे थे, जिनकी प्रतिष्ठा को केंद्र में भाजपा सरकार द्वारा शेर के कौशल से मेल खाने के लिए किसी तरह ऊपर उठाया गया था। उल्लेखनीय है कि वीर सावरकर को उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए 25-25 साल की दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। जब वह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सेलुलर जेल में गए थे, तब उनकी उम्र सिर्फ 28 साल थी।

अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के लिए इतनी कम उम्र में कैद होने के बावजूद, निरंजन टाकले ने एक इतिहासकार शमसुल इस्लाम के हवाले से कहा कि सेलुलर जेल में बिताए गए समय ने उनके ‘साम्राज्यवाद विरोधी झुकाव’ को समाप्त कर दिया। उन्होंने आगे दावा किया कि वीर सावरकर के अलावा किसी भी स्वतंत्रता सेनानी ने ‘अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण या समर्पण नहीं किया।’ लेखक ने यह भी दावा किया था कि हिंदुत्व के पिता एक मामूली राजनीतिक व्यक्ति थे, जिन्हें 2003 में भाजपा ने मुख्यधारा में शामिल किया था। लेख में यह भी कहा गया है कि वीर सावरकर महात्मा गाँधी की हत्या में शामिल थे।

द वीक पत्रिका में लेख का स्क्रीनशॉट

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी पर लगाया बेबुनियाद आरोप

स्वतंत्रता सेनानी को शुरू में 6 महीने के एकांत कारावास में डाला गया था। उन्हें बिना अनुमति के पत्र लिखने के लिए एक महीने के कारावास और दूसरे कैदी को पत्र लिखने के लिए 7 दिनों तक हथकड़ी लगाए रखा। उन्हें गर्दन की बेड़ियों, क्रॉस-बार लोहे की बेड़ियों से भी जकड़ा गया था और कड़ी मेहनत करने के लिए मजबूर किया गया था। लेख में वीर सावरकर द्वारा सहन की गई यातना के प्रति सहानुभूति रखने के बजाय, उनके संघर्ष को कम करने के लिए उनकी दया याचिकाओं का बार-बार उल्लेख किया गया।

लेखक ने आगे स्वतंत्रता सेनानी को धर्मांतरण, हिंदू राष्ट्रवाद के लिए जिम्मेदार ठहराने का प्रयास किया और उन पर हिंदू अलगाववाद को सही ठहराने का आरोप लगाया। उन्होंने वीर सावरकर को टू-नेशन थ्योरी के पहले प्रस्तावक होने के लिए भी दोषी ठहराया। जिसे मोहम्मद अली जिन्ना ने अपनाया था। इतिहासकार शमसुल इस्लाम का हवाला देते हुए, लेख ने आगे आरोप लगाया कि वीर सावरकर ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भारत को धोखा दिया और अंग्रेजों का साथ दिया।

निरंजन टाकले ने द वीक में आरोप लगाया कि सुभाष चंद्र बोस के ‘अग्रिमों’ को विफल करने की ब्रिटिश योजना के तहत हिंदुओं के सैन्यीकरण के लिए सावरकर जिम्मेदार थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि सावरकर ‘अखंड भारत (संयुक्त भारत)’ के पैरोकार नहीं थे, बल्कि ‘एक अलग सिखिस्तान की संभावना’ और रियासतों की स्वतंत्रता का स्वागत करते थे। आगे मणिशंकर अय्यर के हवाले से उन्होंने कहा, “सावरकर गाँधीजी की हत्या की साजिश के आरोपितों में से एक थे और उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। लेकिन बाद में उन्हें मुख्य साजिशकर्ता के रूप में न्यायमूर्ति कपूर आयोग द्वारा दोषी ठहराया गया था।”

द वीक ने वीर सावरकर पर विवादित लेख के लिए पाठकों से माफी माँगी

स्वतंत्रता सेनानी के पोते रंजीत सावरकर द्वारा सोशल मीडिया प्रतिक्रिया और मुकदमे के बाद, पत्रिका को 14 मई को माफी माँगने के लिए मजबूर होना पड़ा। अपने माफी नोट में, द वीक पत्रिका ने कहा, “विनायक दामोदर सावरकर से संबंधित एक लेख, जिसे 24 जनवरी, 2016 को द वीक में प्रकाशित किया गया था, जिसका शीर्षक ‘Lamb, lionised’ था और कंटेंट पेज में ‘हीरो टू जीरो’ के रूप में उल्लेख किया गया था, उसे गलत समझा गया है और वीर सावरकर के उच्च कद की गलत व्याख्या को बयाँ कर रहा है।”

द वीक वेबसाइट का स्क्रीनशॉट

अंत में कहा गया, “हम वीर सावरकर को अति सम्मानित श्रेणी में रखते हैं। यदि इस लेख से किसी व्यक्ति को कोई व्यक्तिगत चोट पहुँची है, तो पत्रिका प्रबंधन खेद व्यक्त करता है और इस तरह के प्रकाशन के लिए क्षमा चाहते हैं।”

ईद पर 1 पुलिस वाले को जलाया जिंदा, 46 को किया घायल: 24 घंटे के भीतर 30 कट्टरपंथी मुस्लिमों को फाँसी

अफ्रीका के कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य (DR Congo) की राजधानी किंसासा में ईद के दिन मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ द्वारा एक पुलिसकर्मी के साथ बुरी तरह मारपीट की गई थी और उन्हें जिंदा जला दिया गया था। इसके अलावा ईद पर हुए इस संघर्ष में लगभग 46 लोग घायल हुए थे। अब इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए 30 लोगों को मौत की सजा दी गई है।

घटना की जानकारी देते हुए किंसासा पुलिस के प्रमुख सिल्वानो कासोंगो ने बताया कि ईद के दिन सुबह किंसासा के मार्टिस (Martyrs) स्टेडियम कांगो मुस्लिम समुदाय के दो विरोधी गुट इकट्ठा हुए। इन गुटों को साथ में ईद की अरदास करनी थी लेकिन गुटों के कट्टरपंथी सदस्यों के कारण संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई।

पुलिस अधिकारियों ने भीड़ को रोकने के लिए आँसू गैस के गोले छोड़े और चेतावनी देने के लिए हवा में फायरिंग की लेकिन भीड़ ने पत्थर फेंकने शुरू कर दिए और पुलिस के वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। पुलिस प्रमुख कासोंगो ने यह पुष्टि की है कि उनका एक पुलिसकर्मी भीड़ के द्वारा आग के हवाले कर दिया गया, जिससे उनकी मौत हो गई। इस संघर्ष में एक और व्यक्ति की मौत हुई है जबकि 46 अन्य घायल हुए हैं।

हिंसा में क्षतिग्रस्त वाहन (फोटो : रायटर्स)

सोशल मीडिया पर घटना से जुड़े वीडियो वायरल हुए, जिसमें देखा गया कि एक पुलिसकर्मी के सिर पर भारी वस्तु से लगातार प्रहार किया जा रहा है और जब वह पुलिसकर्मी जमीन पर गिरे तो उन्हें आग के हवाले कर दिया गया।

घटना के एक दिन बाद ही शुक्रवार को मामला दर्ज कर ट्रायल शुरू कर दिया गया। इस पर निर्णय लेते हुए 30 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई। सिविल पार्टी की ओर से वकील शिपाम्बा ने AFP न्यूज एजेंसी को बताया कि घटना के अगले ही दिन ट्रायल शुरू हो गया था, जिसके बाद 30 लोगों को मृत्यु दंड दिया गया।

कांगो में मुस्लिम जनसंख्या देश की कुल जनसँख्या का 5% ही है लेकिन यहाँ मुस्लिम समुदाय दो समूहों में बँटा हुआ है। शेख अब्दाला और शेख जिबोंदो के नेतृत्व वाले दो मुस्लिम गुटों में कांगों में मुस्लिम समाज का नेतृत्व करने के लिए संघर्ष होता रहता है।

CM योगी को घेरने के लिए लाशों की राजनीति: मीडिया गिरोह 2015 में गंगा में तैरती लाशों को कर रहा शेयर, प्रशासन ने पोली खोल

कुछ दिनों पहले गंगा में क्षत-विक्षत शव मिलने की खबरें आई। जिसके आधार पर योगी सरकार को घेरने की कोशिश की गई। इसमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में गंगा नदी के किनारे दो स्थानों पर कई शव रेत में दबे पाए गए। यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से शेयर किए गए। जो कि फर्जी पाए गए हैं।

एनडीटीवी, हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टीवी, डीएनए और ज़ी न्यूज़ जैसे कई मेनस्ट्रीम मीडिया हाउस ने भी इसकी रिपोर्टिंग की

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रायबरेली एडीएम ने वायरल वीडियो को बताया ‘भ्रामक’

हालाँकि, उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में प्रशासन ने पुष्टि की है कि गेगासो गंगा घाट पर रेत में दबे शवों को दिखाने वाला वायरल वीडियो वास्तव में ‘भ्रामक और फर्जी’ है। एएनआई ने रायबरेली के एडीएम (ई) राम अभिलाष के हवाले से बताया कि एडीएम (लालगंज) ने सीईओ, स्थानीय पुलिस और एसएचओ के साथ घाट का निरीक्षण किया, लेकिन ऐसा कुछ नहीं मिला। राम अभिलाष ने शवों को रेत में दबा दिखाए जाने वाले वायरल वीडियो को खारिज करते हुए कहा, “गलत सूचना फैलाई जा रही है।”

पानी में तैरती लाशों की पुरानी तस्वीरें वर्तमान का बता शेयर की जा रही

इसी तरह, गंगा में तैरते हुए 100 अज्ञात और क्षत-विक्षत शवों की रिपोर्ट आने के बाद, गंगा नदी में तैरती लाशों की दो अलग-अलग तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं। तस्वीरों में से एक में कुत्तों को पानी में तैरते हुए कई विघटित शरीरों को चाटते हुए दिखाया गया है।

आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार गुप्ता ने अपने फेसबुक पेज पर तस्वीर साझा की। पोस्ट का आर्काइव यहाँ देखा जा सकता है।

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AAPपार्टी नेता की डिलीट की गई फेसबुक पोस्ट

इसी तरह के दावे के साथ वायरल होने वाली एक अन्य तस्वीर में तैरते हुए शवों के ऊपर गिद्ध और कौवे उड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं।

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ये दोनों तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं और कई यूजर्स ने इन्हें हाल की घटना बताकर शेयर किया। हालाँकि, इन दोनों तस्वीरों को अभी का बता कर शेयर किया जा रहा है, लेकिन यह वास्तव में 2015 की हैं।

पहली तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च करने पर पता चला कि यह तस्वीर स्टॉक फोटो वेबसाइट गेटी इमेजेज पर 14 जनवरी 2015 को अपलोड की गई थी।

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नदी के पास इधर-उधर उड़ते गिद्धों और कौवे की दूसरी तस्वीर भी इसी घटना की है। गेटी इमेजेज की इस तस्वीर में यह भी कहा गया है कि यह 14 जनवरी, 2015 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव में परियार घाट पर ली गई थी।

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2015 में, एएनआई ने भी इसी तस्वीर को एक कैप्शन के साथ ट्वीट किया था, जिसमें लिखा गया था, “उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में गंगा नदी और उसके किनारे में सैकड़ों शव तैर रहे हैं।”

सर्च करने पर पता चला कि द इंडियन एक्सप्रेस और एनडीटीवी जैसे कई मीडिया हाउसों ने 14 जनवरी 2015 को इस घटना की रिपोर्टिंग की थी।

मलयालम भाषा के समाचार चैनल एशियानेट न्यूज नेटवर्क, जिसने भी एक तस्वीर साझा की, ने यह जानने के बाद माफी माँगी कि यह तस्वीर 2015 की है।

गंगा में शव मिले थे, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रही यह तस्वीर हाल की नहीं

तो अब यह पर्याप्त रूप से स्पष्ट है, कि हालाँकि पिछले एक सप्ताह में गंगा से कई शव बरामद किए गए हैं, लेकिन नदी में शवों के आसपास इकट्ठा होने वाले कुत्तों और कौवे की ये वायरल तस्वीरें 2015 की हैं और रायबरेली प्रशासन के अनुसार, वायरल तस्वीरें गेगासो घाट पर रेत में दबे कई शवों को दिखाने वाला वीडियो भी भ्रामक और फर्जी है।

फर्जी रेमडेसिविर के साथ इंदौर से कॉन्ग्रेस नेता गिरफ्तार, ऑक्सीजन कालाबाजारी में भी हुई है कॉन्ग्रेसी सरगना की गिरफ्तारी

ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी में कथित संलिप्तता के आरोप में फरीदाबाद से एक कॉन्ग्रेस नेता को गिरफ्तार किए जाने के कुछ दिनों बाद, एक अन्य कॉन्ग्रेस नेता को फर्जी इंजेक्शन की बिक्री के लिए इंदौर में गिरफ्तार किया गया है। इंदौर पुलिस ने गुरुवार (मई 13, 2021) को कॉन्ग्रेस नेता प्रशांत पाराशर, होम्योपैथिक डॉक्टर सरवर खान और दो अन्य को गिरफ्तार किया। इनकी गिरफ्तारी से फर्जी रेमडेसिविर नेक्सस मामले में गिरफ्तार आरोपितों की संख्या 11 हो गई है।

बता दें कि पाराशर को राज्य में बढ़ रहे कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर SOS मुहिम को सुचारू रूप से संपूर्ण मध्य प्रदेश में संचालित करने के लिए तत्काल प्रभाव से इस कैम्पेन का स्टेट कॉर्डिनेटर नियुक्त किया गया था। पुलिस के अनुसार, प्रशांत पाराशर मध्य प्रदेश में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के बड़े पैमाने पर वितरण में शामिल एक नेक्सस का हिस्सा था।

Source: Twitter/@IYCMadhya

अब तक, अधिकारियों ने मामले में गिरफ्तार आरोपितों की कॉल रिकॉर्डिंग और अन्य पूछताछ के आधार पर गुजरात से तस्करी कर इंदौर लाए गए 700 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन में से 437 को जब्त कर लिया है।

यह मामला करीब तीन हफ्ते पहले तब सामने आया था जब अधिकारियों ने दो लोगों- दिनेश चौधरी और धीरज सजवानी को गिरफ्तार किया था और उनके पास से दो इंजेक्शन बरामद किए थे। पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि नकली रेमडेसिविर बाँटने का बड़ा नेक्सस राज्य में सक्रिय था। बाद में प्रवीण उर्फ सिद्धार्थ फुलके और असीम भाले को गिरफ्तार किया गया। असीम ने इंजेक्शन के लिए सुनील मिश्रा नाम के एक व्यक्ति के साथ खरीदारी और कोऑर्डिनेट करना स्वीकार किया। पुलिस ने मिश्रा की लोकेशन चेक की तो पता चला कि वह गुजरात के सूरत का रहने वाला है। इसके बाद पुलिस ने गुजरात पुलिस को रेमडेसिविर की कालाबाजारी में मिश्रा की संलिप्तता की जानकारी दी।

गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए गुजरात पुलिस ने मोरबी इलाके में एक नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया और इस मामले में कौशल बोहरा, पुनीत शाह और बाद में सुनील मिश्रा को गिरफ्तार किया।

गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ और जानकारी के आधार पर पुलिस ने पाया कि मिश्रा ने कॉन्ग्रेस नेता प्रशांत पाराशर को 100 इंजेक्शन भेजे थे, जो युवा कॉन्ग्रेस के नेता हैं। गुरुवार को भोपाल में आरोपित कॉन्ग्रेस नेता का पता लगाया गया और अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

कॉन्ग्रेस नेता की गिरफ्तारी पर बोलते हुए, एसपी आशुतोष बागरी ने कहा, “उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार को इंजेक्शन बेचने और देने की बात स्वीकार की। हालाँकि, उन्होंने केवल 66 इंजेक्शन प्राप्त करने की बात स्वीकार की। आरोपित सुनील मिश्रा का रिमांड मिलने के बाद हम इसकी पुष्टि करेंगे।” मिश्रा ने कथित तौर पर प्रशांत को इंजेक्शन लगाने वालों के स्वास्थ्य की जाँच करने के लिए बुलाया था, जब उन्हें पता चला कि उनमें कुछ गड़बड़ है तो उन्होंने शेष 8 इंजेक्शन जलाशय में फेंक दिए।

इसके अतिरिक्त, 700 इंजेक्शनों में से 500 को कथित तौर पर जबलपुर शहर के अस्पताल में भेजा गया, जहाँ मरीजों को दिया गया। पुलिस ने कहा कि सभी इंजेक्शनों का बैच नंबर समान था, जिसका मतलब था कि वे गुजरात में एक ही कारखाने में निर्मित किए गए थे।

ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी में कॉन्ग्रेस नेता गिरफ्तार

कुछ दिन पहले, कॉन्ग्रेस के एक नेता बिजेंद्र मावी को फरीदाबाद में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हरियाणा के फरीदाबाद के इंद्रा कॉम्प्लेक्स कॉलोनी में पुलिस को उसके घर से 50 ऑक्सीजन सिलेंडर मिलने के बाद कॉन्ग्रेस नेता के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने बताया कि आरोपित ने अपनी कार में ऑक्सीजन सिलेंडर छिपा रखा था।

खबरों के मुताबिक, खेड़ीपुल पुलिस फरीदाबाद के तिगाँव रोड पर पेट्रोलिंग कर रही थी, जब उनके मुखबिर ने उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी में कॉन्ग्रेस नेता के शामिल होने की सूचना दी। सूचना के आधार पर पुलिस ने छापेमारी की। ड्रग कंट्रोल ऑफिसर संदीप गहलान भी मौजूद थे।

कॉन्ग्रेस नेता के गाड़ी की जाँच करने पर 42 खाली व 8 भरे सिलेंडर मिले। पुलिस ने मावी से ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लाइसेंस और जरूरी परमिट दिखाने को कहा। जब आरोपित वैध दस्तावेज पेश नहीं कर सका, तो पुलिस ने उन्हें अपनी कस्टडी में ले लिया और 50 ऑक्सीजन सिलेंडर जब्त कर लिए।

ईद के अगले दिन बंगाल में कंप्लिट लॉकडाउन का आदेश: 20000+ मामले, 30 मई तक लागू रहेंगे प्रतिबंध

पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। आज (15 मई, 2021) ही खबर आई कि संक्रमण के चलते मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के छोटे भाई आशिम बनर्जी का निधन हो गया। गंभीर होते संक्रमण के कारण राज्य में लॉकडाउन लागू करने का निर्णय लिया गया।

शनिवार (15 मई) को ममता बनर्जी सरकार ने यह निर्णय लिया कि राज्य में 16 मई से 30 मई तक सम्पूर्ण लॉकडाउन रहेगा। राज्य के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय के द्वारा आदेशित किया गया कि राज्य में 16 मई को सुबह 6 बजे से 30 मई को शाम 6 बजे तक सम्पूर्ण लॉकडाउन लागू रहेगा। हालाँकि आपातकालीन सेवाओं को लॉकडाउन से छूट प्रदान की गई है, साथ ही अत्यावश्यक सेवाएँ भी कुछ प्रतिबंधों के साथ संचालित होंगी।

लॉकडाउन में राज्य में सभी प्रकार के कार्यालय बंद रहेंगे। इसके अलावा बस सेवा, मेट्रो, किसी भी प्रकार की सभा अथवा समूहीकरण इत्यादि भी प्रतिबंधित किया गया है। शादी में भी अधिकतम 50 लोगों को अनुमति प्रदान की गई है।

लॉकडाउन लागू करने के साथ ही यह भी निर्णय लिया गया है कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी।

शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण के 20846 ने मामले आए जबकि 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है। नए संक्रमण का यह आँकड़ा राज्य में एक दिन का सबसे बड़ा आँकड़ा है।

लॉकडाउन पर Confuse राहुल गाँधी: पहले जिनके लिए दी PM मोदी को ‘गाली’ अब उन्हीं पर बजा रहे ‘ताली’

भारतीय राजनीति में अक्सर यह कहा जाता है कि सत्ता से दूर रहने वाली कॉन्ग्रेस, सत्ता में रहने वाली कॉन्ग्रेस से अधिक खतरनाक होती है। 2014 में सत्ता से दूर होने के बाद कई बार कॉन्ग्रेस का यह व्यवहार देखा गया है। पुलवामा में हुए इस्लामिक आतंकी हमले के बाद कॉन्ग्रेस बार-बार यह प्रश्न पूछती रही कि ‘इस हमले से किसे लाभ हुआ?’ वास्तव में कॉन्ग्रेस अप्रत्यक्ष रूप से मोदी सरकार को लेकर इस मुद्दे पर अविश्वास उत्पन्न करने का प्रयास करती रही है। हाल ही में चीन के साथ भारत के संघर्ष पर भी कॉन्ग्रेस ने लगातार मोदी सरकार को निशाने पर लिया और यह माँग की कि केंद्र सरकार इस संघर्ष में भारत की स्थिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करे। हालाँकि, 10 सालों तक सत्ता में रहने वाली कॉन्ग्रेस यह बखूबी जानती है कि रणनीतिक मुद्दों पर कोई भी रिपोर्ट इतनी आसानी से सार्वजनिक नहीं की जा सकती है।

अब जबकि भारत कोरोना वायरस संक्रमण से लगातार लड़ रहा है तब भी कॉन्ग्रेस एक प्रोपेगंडा के तहत देश में अस्थिरता और केंद्र सरकार के प्रति आम जनता में अविश्वास पैदा करने की कोशिश कर रही है। 2020 में जब भारत में Covid-19 महामारी ने दस्तक दी तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री मोदी के इस लॉकडाउन के निर्णय की सबसे अधिक आलोचना किसी ने की थी तो वह कॉन्ग्रेस ही थी जो मार्च 2021 के अंत तक भारत में किए गए लॉकडाउन को एक मूर्खतापूर्ण निर्णय बताती रही। कॉन्ग्रेस ने विमुद्रीकरण (नोटबंदी), वस्तु एवं सेवा कर (GST) और लॉकडाउन को मोदी सरकार के तीन सबसे असफल फैसले बताए। कॉन्ग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि बिना किसी प्लानिंग के किए गए लॉकडाउन ने करोड़ों जिंदगियाँ बर्बाद कर दी।

कॉन्ग्रेस के द्वारा लॉकडाउन के विरोध में किए गए ट्वीट

लेकिन 2021 में परिस्थितियाँ अलग हैं। लॉकडाउन की धुर विरोधी रही कॉन्ग्रेस अचानक से लॉकडाउन की वकालत करना शुरू कर देती है। कॉन्ग्रेस कहती है कि संक्रमण रोकने का एक मात्र उपाय लॉकडाउन ही है। कॉन्ग्रेस के नेता पी. चिदंबरम कहते हैं कि केंद्र सरकार ने अपने हाथों में शक्तियाँ होते हुए भी सारा भार राज्यों पर डाल दिया है। हालाँकि, 2020 में माँग यह की जा रही थी कि राज्यों को निर्णय लेने के और अधिक अधिकार मिलने चाहिए।

कॉन्ग्रेस अब करने लगी लॉकडाउन का समर्थन

2021 में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान अब राज्यों पर जिम्मेदारियाँ बढ़ गई। दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल, छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों में भी संक्रमण बढ़ने के कारण कॉन्ग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। कॉन्ग्रेस की अगुआई वाला एक इकोसिस्टम संगठित रूप से मोदी सरकार द्वारा एक नेशनल लॉकडाउन न लगाने के निर्णय के खिलाफ खड़ा हो गया।

ब्लूमबर्ग क्विंट ने एक लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विषय में लिखा कि पिछले साल लॉकडाउन का निर्णय करने वाले पीएम मोदी ने इस साल आलोचना से बचने के लिए लॉकडाउन को प्राथमिकता नहीं दी और इसमें पश्चिम बंगाल में भाजपा की हार का बड़ा योगदान है।

ब्लूमबर्ग क्विंट का लेख जिसमें लॉकडाउन के मुद्दे पर मोदी सरकार की आलोचना की गई है
ब्लूमबर्ग के लेख का एक हिस्सा

द टेलीग्राफ ने भी राहुल गाँधी का बयान छापते हुए कहा कि मोदी की असफलताओं ने भारत को एक और लॉकडाउन की तरफ धकेल दिया है जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र और राज्य के तौर पर यह कह चुके हैं कि लॉकडाउन एकमात्र अंतिम विकल्प होना चाहिए।

द टेलीग्राफ में प्रकाशित लेख

कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी जो कि पीएम मोदी के सबसे बड़े विरोधी हैं, वो भी लॉकडाउन पर पलटी मार रहे हैं। मार्च 2021 तक राहुल गाँधी भी लॉकडाउन को भारत की सबसे बड़ी त्रासदी और मोदी सरकार का सबसे खराब निर्णय बताते रहे। उन्होंने लॉकडाउन 2020 के विषय में यहाँ तक कहा कि इस लॉकडाउन ने सिद्ध कर दिया कि अज्ञानता से खतरनाक कुछ है तो वह है अहंकार। राहुल गाँधी ने भी वही राग अलापा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को नोटबंदी, GST और लॉकडाउन ने ही बर्बाद किया है।

लॉकडाउन के विरोध में राहुल गाँधी द्वारा किए गए कुछ ट्वीट

मार्च 2021 के बाद अब राहुल गाँधी भी बदल जाते हैं। मई आते-आते अब कॉन्ग्रेस के युवराज कहते हैं कि भारत सरकार यह समझ नहीं पा रही है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का एकमात्र उपाय है, लॉकडाउन। उन्होंने यह आरोप तक लगा दिया कि मोदी सरकार ने इस वायरस के इस स्टेज तक पहुँचने में सक्रिय रूप से सहायता की है और अब इसे रोकने का कोई दूसरा उपाय (लॉकडाउन के अलावा) नहीं है।

अब राहुल गाँधी ने भी लॉकडाउन का समर्थन शुरू कर दिया

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि 2021 में राज्य स्तर पर कोरोना वायरस के खिलाफ रणनीतियों का निर्माण किया जा रहा है। देश के कई राज्य और जिले पहले से ही लॉकडाउन में हैं और कई राज्यों ने आंशिक रूप से लॉकडाउन लगाया हुआ है। दैनिक भास्कर के इस लॉकडाउन मैप में आसानी से देखा जा सकता है कि महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों ने लॉकडाउन लगा रखा है। पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और नागालैंड ने भी दैनिक भास्कर की खबर प्रकाशित होने के बाद लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी।

देश का लॉकडाउन मैप (फोटो : दैनिक भास्कर)

यह सभी को ज्ञात है कि 2020 में भारत के लिए कोरोना वायरस का संक्रमण बिल्कुल नया था। हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं इस संक्रमण के हिसाब से बिल्कुल भी तैयार नहीं थीं। पीपीई किट तो दूर की बात है, भारत का एक बहुत बड़ा वर्ग मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग भी नहीं करता था। संक्रमण की टेस्टिंग के कोई साधन नहीं थे। उस समय भारत के लिए आवश्यक हो गया था कि संक्रमण की रफ्तार को किसी भी कीमत पर कम किया जाए और भारत को इस महामारी के हिसाब से तैयार किया जाए।

अब 2021 में परिस्थितियाँ अलग हैं। आज भारत में इस महामारी से लड़ने के सभी आधारभूत संसाधन उपलब्ध हैं। टेस्टिंग की कोई कमी नहीं है। आवश्यकता है कि राज्य टेस्टिंग बढ़ाकर, संक्रमित मरीजों को ट्रेस करने की रणनीति अपनाएं और कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का प्रयास करें। 2021 में हमारे पास अनुभवी स्वास्थ्यकर्मी हैं और टीकाकरण भी प्रारंभ हो चुका है।

इतना सब होने के बाद ऐसा क्या है जिसने कॉन्ग्रेस को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की वकालत करने के लिए मजबूर कर दिया है? किस कारण कॉन्ग्रेस और उसके युवराज राहुल गाँधी लगातार मोदी सरकार पर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाने का दबाव बना रहे हैं? फिलहाल इसका एक ही कारण समझ आ रहा है, गैर-भाजपा शासित राज्यों में संक्रमण पर राज्य सरकारों की असफलता से ध्यान हटाकर केंद्र सरकार पर इसका दोष मढ़ना और अर्थव्यवस्था में गिरावट पर भी केंद्र सरकार को ही दोष देना।

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि कॉन्ग्रेस और राहुल गाँधी ने लॉकडाउन की वकालत तब शुरू की है जबकि कई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए भारत की विश्व भर में सबसे बेहतर विकास दर का आकलन किया है।

6 अप्रैल 2021 को बिजनेस टुडे में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए आकलन किया है कि विश्व में सबसे बेहतर जीडीपी वृद्धि दर भारत की होगी और भारत इकलौता ऐसा देश होगा जिसकी वृद्धि दर दो अंकों में रहने की संभावना है। IMF ने भारत की वृद्धि दर का आकलन 12.5% किया है। मार्च के अंत में विश्व बैंक ने भी वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 4.7% बढ़ाकर 10.1% किया था।

इससे पहले जनवरी में विश्व बैंक ने ही भारत की जीडीपी वृद्धि दर के 5.4% रहने का अनुमान लगाया था। हालाँकि, विश्व बैंक ने आगामी संकटों को ध्यान में रखते हुए भी वृद्धि दर की एक रेंज निश्चित की थी जो 7.5-12.5 फीसदी अनुमानित है। संयुक्त राष्ट्र ने भारत में वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 7.5% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। इसके अलावा वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्टस (WESP) ने भारत के लिए 10.1% वृद्धि दर और मूडी ने 9.3% वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। हालाँकि इन संस्थाओं ने जिस प्रकार का अनुमान भारत की विकास दर को लेकर प्रस्तुत किया है, उससे यह साफ है कि सबसे बुरी स्थिति में भी भारत आर्थिक विकास दर के मामले में विश्व के कई देशों से बेहतर स्थिति में होगा।

भारत एक विकासशील देश है और उसके सामने एक बड़ी जनसंख्या को संभालने का बोझ है। ऐसे में एक बड़ी चुनौती है कोरोना वायरस संक्रमण को रोकते हुए आर्थिक विकास को बनाए रखना लेकिन कॉन्ग्रेस को संभवतः यह प्रयास पसंद नहीं आए। बार-बार बदलने वाली कॉन्ग्रेस को देखकर तो कम से कम यही लगता है।  

Tauktae की रफ्तार 150 km/घंटे, मौसम विभाग का अलर्ट: भारतीय नौसेना ने कहा – मदद के लिए पूरी तरह तैयार

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चक्रवात Tauktae को लेकर अलर्ट जारी किया है। उन्होंने कहा कि शनिवार को Tauktae एक भीषण चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा। IMD ने ट्वीट किया, “लक्षद्वीप क्षेत्र और उससे सटे दक्षिण-पूर्व और पूर्व-मध्य अरब सागर के ऊपर एक चक्रवाती तूफान “Tauktae” (जिसे Taute कहा जाता है) में गहरा दबाव तेज हो गया है। दक्षिण गुजरात और दीव तटों के लिए चक्रवात की चेतावनी।”

भारत का पश्चिमी तट चक्रवात का सामना करने के लिए तैयार है। भारतीय नौसेना ने राज्य प्रशासन को समर्थन का आश्वासन दिया है। नौसेना के प्रवक्ता ने एक ट्वीट में कहा, “भारतीय नौसेना के जहाज, विमान, हेलीकॉप्टर, गोताखोर और आपदा राहत दल राज्य सरकार की मदद के लिए स्टैंडबाय पर हैं, क्योंकि चक्रवाती तूफान Tauktae भारत के पश्चिमी तट पर पहुँच रहा है।”

शुक्रवार (14 मई 2021) को आईएमडी के अधिकारियों ने 16 से 18 मई के बीच 150 से 160 किमी प्रति घंटे की हवा की रफ्तार के साथ चक्रवाती तूफान के बढ़ने की चेतावनी दी। इसके चलते तटीय क्षेत्र में तेज बारिश आएगी। इस क्षेत्र के कुछ अन्य स्थानों पर सोमवार और मंगलवार को भारी से अत्यधिक भारी बारिश होगी।

इसके बाद से गुजरात के सभी बंदरगाहों को मछुआरों को समुद्र में न जाने के लिए अलर्ट जारी करने को कहा गया है। अहमदाबाद में मौसम विज्ञान केंद्र की सहायक निदेशक मनोरमा मोहंती ने कहा, “अभी तक कोई अनुमान नहीं है कि यह गुजरात तट पर दस्तक देगा या नहीं। कल ही इसकी तस्वीर सामने आएगी।”

हालाँकि, गुजरात सरकार ने सभी तटीय जिलों के कलेक्टरों को लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दे दिया है। वहीं, स्थानीय अधिकारियों को पहले से ही मछुआरों को अलर्ट करने और समुद्र में होने पर उन्हें वापस तट पर लाने का निर्देश दे दिया गया था। इसके अलावा जो तट पर हैं, उन्हें स्थिति में सुधार होने तक एहतियात के तौर पर समुद्र में जाने से रोक दिया गया है।

मोहंती ने कहा कि आने वाले चक्रवात के बारे में नाविकों को अलर्ट करने के लिए गुजरात के सभी बंदरगाहों को ‘दूरस्थ चेतावनी संकेत संख्या 2’ फहराने के लिए कहा गया है। इस बीच, एनडीआरएफ ने चक्रवात के संभावित प्रभावों से निपटने के लिए 53 टीमों को नियुक्त किया है।

मौसम विभाग के मुताबिक, लक्षद्वीप क्षेत्र और उससे सटे दक्षिण-पूर्व और पूर्व-मध्य अरब सागर में अमिनी दिवि से लगभग 55 किमी उत्तर-उत्तर-पश्चिम में गहरा दबाव बन रहा, जो कि अगले 12 घंटों के दौरान एक चक्रवाती तूफान में बदल सकता है। उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ते हुए 18 मई की सुबह तक गुजरात तट के पास पहुँच जाएगा। मुंबई और ठाणे को भी हफ्ते के आखिर में तूफान का असर महसूस होने की उम्मीद है।

बता दें कि मौसम विभाग ने चक्रवर्ती तूफान Tauktae को देखते हुए केरल के तीन जिलों- तिरुवनंतपुरम, कोल्लम और पथनामथिट्टा के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने केरल के कई जिलों में शुक्रवार को भी भारी बारिश का अलर्ट जारी किया था। तिरुवनंतपुरम, कोल्लम और पथनामथिट्टा जिलों में 20 सेमी तक की भारी वर्षा का रेड अलर्ट जारी किया था।

आईएमडी ने शनिवार के लिए केरल के 5 अन्य जिलों के लिए भी रेड अलर्ट जारी किया है, जिनमें मलप्पुरम, कोझिकोड, वायनाड, कन्नूर और कासरगोड, शामिल हैं। क्षेत्रीय मौसम विभाग अधिकारी ने कहा कि लक्षद्वीप के पास स्थित निम्न दबाव उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ेगा और रविवार तक पर्याप्त गति प्राप्त कर लेगा।

चित्रकूट जेल में जहाँ मरे मुख्तार अंसारी के गुर्गे, बंद थे वहाँ के CCTV: जेलर सहित 5 अधिकारी निलंबित

शुक्रवार (14 मई) को उत्तर प्रदेश की चित्रकूट जेल में गैंगवार में खूँखार गैंगस्टर मुकीम काला और मेराजुद्दीन समेत 3 कैदी मारे गए थे। इन दोनों को शार्पशूटर अंशू दीक्षित द्वारा गोली मारी गई, जिसे बाद में पुलिस ने मार गिराया। घटना पर संज्ञान लेते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने जाँच का आदेश दे दिया है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक शूटआउट के समय चित्रकूट जेल के तीन सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे, जिसके कारण उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को जेल अधीक्षक एस पी त्रिपाठी और जेलर महेंद्र पाल को सस्पेंड कर दिया। साथ ही तीन अन्य जेल कर्मचारी संजय खरे, हरिशंकर राम और अमित कुमार को भी सस्पेंड किया गया है।

घटना के बाद से चित्रकूट जेल में सुरक्षा के मद्देनजर उत्तर प्रदेश पुलिस के 20 अतिरिक्त जवान और अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किया गया है।

चित्रकूट जेल शूटआउट :

14 मई को कैदी अंशू दीक्षित ने दो अन्य कैदियों मुकीम काला और मेराजुद्दीन को सुबह 10 बजे के लगभग गोली मार दी। दोनों ही कुख्यात अपराधी और नेता मुख्तार अंसारी के करीबी थे। मुकीम काला जहाँ पश्चिमी उत्तर प्रदेश का गैंगस्टर था, वहीं मिराजुद्दीन पूर्वी उत्तर प्रदेश का कुख्यात अपराधी। अंशू सीतापुर का एक शार्पशूटर था। डीजी (कारागार) आनंद कुमार ने कहा कि जेल में पिस्टल कैसे पहुँची, इसकी जाँच की जाएगी।

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