Sunday, September 29, 2024
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कोई भी राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय दबाव, इस चौकीदार को डिगा और डरा नहीं पाएगा: PM Modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार (मार्च 27, 2019) से लोकसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार अभियान की शुरुआत कर दी। लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद प्रधानमंत्री मोदी की पहली सभा है। मेरठ के बाद पीएम मोदी उत्तराखंड के रुद्रपुर और जम्मू-कश्मीर के अखनूर के पास जनसभाओं को संबोधित करेंगे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पीएम मोदी ने मेरठ से ही चुनाव प्रचार का आगाज किया था। उनके भाषण के महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • भारत, मन बना चुका है, भारत के 130 करोड़ लोग मन बना चुके हैं। देश में फिर एक बार मोदी सरकार बनने जा रही है। पाँच वर्ष पहले जब मैंने आप सभी से आशीर्वाद माँगा था तो, आपने भरपूर प्यार दिया था। मैंने आपसे कहा था कि आपके प्यार को, आपके आशीर्वाद को मैं ब्याज सहित लौटाऊँगा। और ये भी कहा था कि जो काम किया है, उसका हिसाब भी दूँगा।
  • और हाँ, मैंने यह भी कहा था कि अपना हिसाब दूँगा और साथ-साथ दूसरों का हिसाब भी लूँगा। ये दोनों काम साथ-साथ चलेंगे। तभी तो होगा हिसाब बराबर। चौकीदार हूँ भई, और चौकीदार कोई नाइंसाफी नहीं करता। हिसाब होगा, सबका होगा, बारी बारी से होगा।
  • आज एक तरफ विकास का ठोस आधार है, दूसरी तरफ ना नीति है, ना विचार है और ना ही नीयत है। एक तरफ फैसले लेने वाली सरकार है, दूसरी तरफ दशकों तक फैसले टालने वाला इतिहास है। एक तरफ नए भारत के संस्कार हैं और दूसरी तरफ वंशवाद और भ्रष्टाचार का विस्तार है। एक तरफ दमदार चौकीदार है और दूसरी तरफ दागदारों की भरमार है।
  • हमारा विजन नए भारत का है। ऐसे भारत का जो अपने गौरवशाली अतीत के अनुरूप ही वैभवशाली होगा। एक ऐसा नया भारत जिसकी नई पहचान होगी, जहाँ सुरक्षा, समृद्धि और सम्मान के संस्कार होंगे।
  • सुरक्षा देश के दुश्मनों से, सुरक्षा आतंकवाद से, सुरक्षा गुंडागर्दी से, सुरक्षा भ्रष्टाचारियों से, सुरक्षा बीमारी से। समृद्धि साधनों और संसाधनों की, समृद्धि ज्ञान और विज्ञान की, समृद्धि संस्कृति और विचार की, समृद्धि हमारे आचार और व्यवहार की।
  • सम्मान श्रम का, सम्मान काम का, सम्मान बेटियों का, सम्मान हर वर्ग का, सम्मान देश के मान का अभिमान का। इस देश ने सिर्फ नारे लगाने वाली सरकारें बहुत देखीं हैं, लेकिन पहली बार ऐसी निर्णायक सरकार भी देख रहा है, जो अपने संकल्प को सिद्ध करना जानती है। जमीन हो, आसमान हो, या फिर अंतरिक्ष, सर्जिकल स्ट्राइक का साहस आपके इसी चौकीदार की सरकार ने दिखाया।
  • 4 दशक से हमारे सैनिक वन रैंक वन पेंशन मांग रहे थे, उसको पूरा करने का काम भी इसी चौकीदार ने किया। देश के क़रीब 12 करोड़ किसान परिवारों को 75 हज़ार करोड़ रुपए की सीधी वार्षिक मदद का काम भी हमने किया है।
  • देश के लगभग 50 करोड़ ग़रीब परिवारों को हर वर्ष 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की व्यवस्था भी हमने की है। देश के 34 करोड़ गरीबों के लिए जनधन योजना के तहत बैंक खाते भी हमारी ही सरकार ने खुलवाए हैं। जो लोग 70 सालों में देश की जनता का बैंक खाता नहीं खुलवा पाए वो आज देश की जनता के खाते में पैसा डालने की बात करते हैं।
  • देश की 7 करोड़ से अधिक ग़रीब बहनों को मुफ्त गैस सिलेंडर देकर धुएँ से मुक्ति देने का काम भी हमने किया है। देश भर में 10 करोड़ ग़रीब परिवारों के घर शौचालय देकर, बहनों को सम्मान का जीवन देने का सौभाग्य भी हमें ही मिला है।
प्रधानमंत्री मोदी की मेरठ जनसभा में उमड़ी भीड़
  • डेढ़ करोड़ से अधिक ग़रीब बेघर परिवारों को अपना पक्का घर भी हमारी सरकार ने ही दिया है। देश के ढाई करोड़ से अधिक ग़रीब परिवारों तक पहली बार बिजली कनेक्शन देने का काम भी हमने ही किया है।
  • 15 करोड़ से अधिक बिना गारंटी के ऋण देकर युवा साथियों को स्वरोज़गार से जोड़ने का काम पहली बार राजग ने ही किया है। सामान्य वर्ग के ग़रीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला भी हमने ही लिया है।
  • समाज का ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है और देश का ऐसा कोई कोना नहीं है, जो विकास के हमारे इन कामों से छूटा हो। सबका साथ, सबका विकास की हमारी यही सोच है, जिसपर नए भारत का निर्माण हो रहा है।
  • इन महामिलावटी लोगों की सरकार जब दिल्ली में थी तब देश में आए दिन बम धमाके होते थे या नहीं? ये महामिलावटी आतंकियों को संरक्षण देते थे या नहीं? ये आतंकियों की भी जात और उनकी पहचान देखते थे या नहीं? उसके आधार पर तय करते थे कि आतंकी को बचाना है या सज़ा देनी है।
  • यहाँ मेरठ में जो विरोधी दलों के उम्मीदवार हैं उन्होंने आतंकवादियों के लिए करोड़ों रुपए के ईनाम तक का ऐलान कर दिया था। सोचिए, महामिलावट के लिए ये लोग किस हद तक जा सकते है। ये महामिलावटी लोग भ्रष्टाचारियों के साथ हैं या नहीं? महामिलावटियों के राज में बेटियों को इंसाफ मिलता था क्या? इनकी सरकार में गुंडे और बदमाश बेलगाम थे या नहीं? क्या ऐसी महामिलावट के हाथ में देश सुरक्षित रहेगा?
  • आज स्थिति ये है कि कुछ दिन पहले तक जो लोग इस चौकीदार को चुनौती देते फिरते थे, वो अब रोते फिर रहे हैं। मोदी ने ये क्यों किया, मोदी ने वो क्यों किया? पाकिस्तान में आतंकियों को घुसकर क्यों मारा? आतंकतियों के अड्डे को नष्ट क्यों किया? ये लोग रो रहे हैं।
  • देश को हिन्दुस्तान के हीरो चाहिए या पाकिस्तान के? देश को सबूत चाहिए या सपूत चाहिए? मेरे देश के सपूत यही मेरे देश के सबसे बड़े सबूत हैं। जो सबूत माँगते हैं वो सपूत को ललकारते हैं। आप आश्वस्त रहिए। मैं देश के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाने के लिए तैयार रहने वाला व्यक्ति हूँ। कोई भी राजनीतिक दबाव, कोई भी अंतरराष्ट्रीय दबाव, आपके इस चौकीदार को डिगा नहीं पाएगा और न ही कोई इस चौकीदार को डरा पाएगा।
  • हमारे जवान बुलेटप्रूफ जैकेट मांग रहे थे, उनकी सरकार इस फैसले को भी टालती रही। आतंकी हमलों में, नक्सली हमलों में हमारे जवान शहीद होते रहे, उनकी सरकार फैसले को टालती रही।
  • हमारे वैज्ञानिक अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने के परीक्षण की मांग कर रहे थे, उनकी सरकार ने ये फैसला भी टाल दिया था। 21वीं सदी के भारत को मजबूत बनाने के लिए, देश की सुरक्षा के लिए ये फैसला बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था। लेकिन ये फैसला भी टाला जाता रहा
  • मत भूलिए, ये वही लोग हैं जो तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ क़ानून का विरोध करते हैं। जो कहते हैं कि तीन तलाक़ की वजह से महिलाओं की हत्या नहीं होती, कम से कम वो बच तो जाती है। सोचिए, किस तरह की सोच है इन लोगों की।
  • जब मैं 8-10 साल का था, तब सुना करता था कि सरकार ग़रीबी हटाने के बारे में बात कर रही है। जब 20-22 साल का हुआ तो इंदिरा गाँधी का नारा सुना था, ग़रीबी हटाओ। इसके बाद की पीढ़ियों में भी कांग्रेस के नामदार ग़रीबी हटाओ की बात करते रहे, लेकिन ग़रीबी हटी नहीं।

‘अब रामपुर की शामें रंगीन हो जाएँगी’ – सपा नेता फिरोज़ खान ने की जया प्रदा पर अभद्र टिप्पणी

चुनाव के नज़दीक आते ही राजनेताओं के बयानों में आरोपों-प्रत्यारोपों का सिलसिला इतना आम हो चुका है कि बड़े-बड़े नेताओं को यही नहीं मालूम होता कि वो कब क्या बोल दें और वो विवादों कासहिस्सा बन जाता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने रामपुर से जया प्रदा को अपना उम्मीदवार बनाकर उतारा है। जिसके बाद समाजवादी पार्टी के एक नेता का बयान आया है कि अब रामपुर की शामें रंगीन हो जाएँगी।

रामपुर से जया प्रदा के चुनाव लड़ने पर समाजवादी पार्टी के नेता फिरोज़ खान ने बताया कि एक बार वह बस से कहीं जा रहे थे तो वहाँ से जया का क़ाफ़िला गुज़रा, जिसके कारण जाम लग गया, तो उन्होंने बस से उतर के उन्हें देखने की कोशिश की और ये भी सोचा कि जाम खुलवाने के लिए कहीं वो ठुमके न लगा दें। अपनी ओछी सोच और जया पर ऐसी अभद्र टिप्पणी करने के बाद उन्होंने कहा कि रामपुर की शामें अब रंगीन हो जाएँगी, जब चुनावी माहौल चलेगा।

फिरोज़ का कहना है कि उनकी पार्टी (सपा) ने क्षेत्र में बहुत काम कराया है इसलिए वहाँ के लोग वोट तो समाजवादी पार्टी को ही देंगे। लेकिन मजे लूटने में लोग कसर नहीं छोड़ेगे क्योंकि उन्हें मौक़ा मिला है। उन्होंने जया प्रदा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह लोगों से यही कहेंगी, ‘मेरे पैरों में घुंघरू बंधा दो, फिर मेरी चाल और ठुमके देख लो।’

ANI द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो में फिरोज़ ने कहा कि उन्हें बस डर है कि कहीं उनके क्षेत्र (संभल) के लोग भी शामें ख़ूबसूरत करने के लिए उनके (जया) पास न पहुँच जाएँ। इसलिए उन्हें अपने चुनाव क्षेत्र की देख-रेख करनी पड़ेगी।

इस बातचीत में फिरोज़ खान ने यह भी कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए संभल में वो ही जीतेंगे। रामपुर और बदायूँ में भी वे ही जीत दर्ज कराएँगे। उन्होंने बीजेपी की संघमित्रा मौर्य के बयान पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी ने शरीफ़ का सर्टिफिकेट नहीं दिया है, उन पर गुँडी का सर्टिफिकिट है और वह गुँडी ही रहेंगी।

फिरोज़ ने चुनावों का हवाला देते हुए कहा कि वह महिलाओं के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे चाहे कोई अपने आप को गुंडी बोले या कोई नाचने का काम करे वो उनका अपना पेशा है।

मिशनरी स्कूल का काला सच: बल्ले से पीट-पीट कर मासूम की हत्या, स्कूल ने दफ़ना दिया शव

देहरादून से एक स्कूल द्वारा घिनौने कृत्य का मामला प्रकाश में आया है। मिशनरी स्कूल चिल्ड्रेन्स होम एकेडमी में सीनियर्स द्वारा 12 वर्षीय एक बच्चे की पीट-पीट कर बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गई। आरोप है कि 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले सीनियर्स ने उक्त बच्चे को बिस्किट का पैकेट चोरी करने का दोषी ठहराया और फिर बल्ले व स्टंप्स से पीट-पीट कर उसकी जान ले ली। सीनियर्स ने बच्चे को पहले तो ख़ूब पीटा और फिर उसे वहीं क्लास रूम में ही छोड़कर निकल गए। घायल छात्र को आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसकी मृत्यु हो गई। लेकिन, इस घटना के बाद स्कूल प्रशासन ने जिस प्रकार का ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रवैया अपनाया, उसकी चारो तरफ थू-थू हो रही है।

अमर उजाला के स्थानीय संस्करण में छपी ख़बर

बिस्किट के पैकेट को लेकर शुरू हुआ विवाद इतना हिंसक रूप ले लेगा, किसी ने सोचा भी नहीं था। यह मामला ऋषिकेश तहसील के रानीपोखरी स्थित होम अकादमी नामक स्कूल का है। मृत छात्र का नाम वासु यादव था। स्कूल प्रशासन और जौलीग्रांट के डॉक्टर्स तक ने इसे फ़ूड पॉइज़निंग का मामला बताया, लेकिन पुलिस को इस पर यकीन नहीं हो रहा था। रानीपोखरी थाना ने भी इसे पहले फ़ूड पॉइज़निंग का ही मामला माना था। मृत छात्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश स्थित हापुड़ का रहने वाला था। उसके पिता कुष्ठ रोगी हैं। पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने एकेडमी में पढ़ने वाले दो छात्रों और एकेडमी के वॉर्डन, पीटी टीचर और एक अन्य व्यक्ति को इस हत्या का दोषी पाते हुए गिरफ़्तार किया है।

मिशनरी स्कूल की वेबसाइट और इसका नैतिक मूल्य

ज़ी न्यूज़ की मानें तो अकादमी संचालक स्टीफेन सरकार पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं होना पुलिस की भूमिका को भी संदिग्ध बनाता है। समाचार एजेंसी ने मामले को रफ़ा-दफ़ा करने में पुलिस का सहयोग होने की भी बात कही है। 10 मार्च को मृतक सहित सभी बच्चे चर्च गए हुए थे। उसी दौरान यह घटना हुई। सीनियर छात्रों ने मृतक बच्चे को ठन्डे पानी से नहलाया और गन्दा पानी ज़बरन पिलाया।

पुलिस और स्कूल प्रशासन पर उठते सवाल के अलावा मीडिया पर भी सवाल उठना लाजिमी है, जिसने इस ख़बर को एक मामूली क्राइम की ख़बर तक ही समझा। अखबारों के स्थानीय संस्करणों को छोड़ दें तो किसी भी राष्ट्रीय स्तर की मीडिया ने इस खबर को तवज्जो नहीं दिया। जबकि गूगल पर 2 मिनट के सर्च से यह पता चल जाता कि स्कूल का नाम क्या है, वह किस संस्था से जुड़ा है। लेकिन यह बताने की जरूरत नहीं समझी गई। यह जानकारी जरूरी है ताकि स्कूल के नाम पर गोरखधंधा कर रहे ऐसे मिशनरी स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों का ऐडमिशन आँख मूँद कर कराने से पहले जाँच-पड़ताल कर लें।

दरअसल, नियमानुसार मृत बच्चे का पोस्टमॉर्टेम करवाया जाना चाहिए था लेकिन पुलिस की कार्रवाई के डर से स्कूल ने उनके शव को जल्दबाज़ी में दफ़ना दिया। पुलिस ने मामले में दोनों आरोपित छात्रों के ख़िलाफ़ दफ़ा 302 के तहत मामला दर्ज किया है। वहीं दूसरी तरफ स्कूल प्रशासन के तीन कर्मचारियों हॉस्टल मैनेजर वॉर्डन और स्पोर्ट्स टीचर पर अपराध के सबूत मिटाने के जुर्म में सेक्शन 201 तहत केस दर्ज किया है। पुलिस ने भी कहा कि मृतक की विकेट और बैट से पिटाई की गई है, जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गई। जब तक हॉस्टल वॉर्डन नज़र नहीं पड़ी, तब तक उसका शव वहीं पड़ा हुआ था।

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन उषा नेगी के हस्तक्षेप के बाद स्थानीय प्रशासन ने मामले में सख़्ती दिखाई और आगे की कार्रवाई को अंजाम दिया। देहरादून की एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने कहा कि बच्चे को अस्पताल पहुँचाने में काफ़ी देर की गई। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रशासन ने इस मामले में कई चूक की हैं। स्कूल के कर्मचारियों ने मामले को छिपाने की हर संभव कोशिश की। पुलिस को सूचना दिए बिना ही बच्चे को दफ़ना दिया गया। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए उषा नेगी ने कहा,

“स्कूल प्रशासन ने मामले को छिपाने की हर संभव कोशिश की। घटना 10 मार्च को हुई और 11 मार्च को हमें इसका पता चला। फिर भी, जब हमें पता चला और हम स्कूल पहुँचे तब पता चला कि विद्यालय प्रबंधन ने बिना पोस्टमॉर्टम कराए छात्र के शव को कैंपस में ही दफ़ना दिया है। छात्र के परिजनों को भी इस बात की जानकारी नहीं दी गई कि उनके बच्चे की मौत हो चुकी है।”

‘प्रियंका गाँधी ख़ूबसूरत हैं, अगर मेरे पास आती तो हीरोईन बना देता, राजनीति में जाने की क्या जरूरत’

जिस विशेष ‘समुदाय’ का समर्थन पाने के लिए कॉन्ग्रेस हमेशा से कुछ भी कर गुज़रने को तैयार रहती है और जिस ‘समुदाय’ के साथ को पार्टी अपनी ताक़त समझती है, उसी ‘समुदाय’ के एक शख्स ने कॉन्ग्रेस की महासचिव प्रियंका गाँधी के बारे में विवादित बयान दिया है।

जी हाँ। शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी का कहना है कि प्रियंका खूबसूरत हैं इसलिए उन्हें राजनीति में आने की कोई ज़रुरत नहीं थी। वह कहते हैं कि राजनीति में आने से पहले वह उनके पास आती को वह उन्हें हीरोईन बना देते। उन्होंने कहा कि प्रियंका राम जन्मभूमि पर बनी उनकी फ़िल्म में ज़फ़र खान की बहू का रोल कर सकती थी।

इतना ही नहीं रिज़वी ने यह भी कहा है कि इंदिरा गाँधी परिवार मुस्लिम परिवार है, कॉन्ग्रेस ने पहले ही राम के वजूद से इनकार कर दिया है। वसीम के इस विवादित बयान से कॉन्ग्रेस में काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है। नाराज़गी के चलते पार्टी की यूथ शाखा के प्रदेश महासचिव शरद शुक्ल ने वसीम के ख़िलाफ़ शिक़ायत भी की है।

वसीम की मानें तो समाजवादी गुंडो के दबाव के चलते अयोध्या जिला प्रशासन उनकी फ़िल्म रिलीज़ होने नहीं दे रहा है। जिसकी शिक़ायत वह जल्द ही मुख्यमंत्री से करेंगे। उनका दावा है कि यह फ़िल्म 29 मार्च को एक साथ पूरे देश में रिलीज़ होगी। यह फ़िल्म 1992 में सपा सरकार में निहत्थे कारसेवकों की हत्या पर आधारित है। इसमें ट्रिपिल तलाक़ और पाक प्रायोजित आतंकवाद का भी मुद्दा उठाया गया है।

कॉन्ग्रेस का क़र्ज़माफ़ी नहीं धोखा: किसानों को ख़ुद चुकाना पड़ेगा 11 महीने का ब्याज

मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस द्वारा किए गए क़र्ज़माफ़ी के वादे की रोज पोल खुलती नज़र आ रही है। किसान पूरी तरह क़र्ज़मुक्त नहीं हो पाए हैं। ऊपर से इसमें कई सारे लोच हैं। सरकार ने 31 मार्च 2018 की स्थिति में क़र्ज़माफ़ी का वादा तो कर दी लेकिन बैंकों को राशि फरवरी 2019 से भेजनी शुरू की। इस से लोचा यह हुआ है कि किसानों के ऊपर 11 महीने का ब्याज का बोझ धरा का धरा रह गया है। किसान तो सरकार के वादे के मुताबिक़ निश्चिंत हो गए कि उनका क़र्ज़ चुका दिया जाएगा और उनके खाते में जीरो बैलेंस हो जाएगा लेकिन कमलनाथ सरकार पिछले 11 महीने का ब्याज नहीं चुकाएगी।

दैनिक भास्कर की ख़बर के मुताबिक़, राज्य के वित्त मंत्री तरुण भनोट ने इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी होने से इनकार कर दिया है। चुनाव जीतने के लिए जल्दबाज़ी में इस आधे-अधूरे क़र्ज़माफ़ी का वादा तो कर दिया गया लेकिन इसका आलम यह है कि इस से जुडी चीजों के बारे में ख़ुद वित्त मंत्री को ही कोई जानकारी नहीं। अव्वल तो यह कि आचार संहिता के चक्कर में पड़ कर किसान और भी बेहाल हो चुके हैं क्योंकि उनके सर पर अतिरिक्त महीने का ब्याज जुड़ेगा। बता दें कि आचार संहिता लागू होने से घंटों पहले ही मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को मैसेज भेज कर आचार संहिता का बहाना बताकर क़र्ज़माफ़ी में देरी होने की बात कही थी।

मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने इस मैसेज को लेकर तंज कसा था कि सीएम कमलनाथ अंतर्यामी हो गए हैं। उनकी आत्मा ने पहले ही सुन लिया था कि तीन घंटे बाद आचार संहिता लगने वाली है। दरअसल, कॉन्ग्रेस तो बहाना तलाश रही थी कि कब आचार संहिता लगे और पैसा न देना पड़े।

बैंकों के नियम के अनुसार अगर कोई खाता 3 वर्ष या उस से अधिक समय से एनपीए (Non Performing Asset) है तो ऋणदाता से 50% राशि लेकर उन खातों को समायोजित कर दिया जाता है। सब सरकार ने क़र्ज़माफ़ी शुरू की तो बैंक उन एनपीए पर ये राशि स्वयं भुगतान करने को तैयार हो गए। इस से बैंक और सरकार, दोनों का ही फ़ायदा हुआ। बैंको को 50% एनपीए वाले ऋण खातों की राशि का लाभ मिला तो सरकार के पास विकल्प रहा कि वह 50% राशि देकर क़र्ज़माफ़ी कर दे। इस योजना के अंतर्गत एक से तीन वर्ष तक वाले एनपीए खातों में बैंक 25% राशि जमा करेगी।

सरकार ने लेट-लतीफी करते हुए फ़रवरी के अंतिम सप्ताह से किसानों की क़र्ज़माफ़ी शुरू की। उसमे भी कुछ किसानों के तो एक रुपए के क़र्ज़ भी माफ़ किए गए। उसके बाद आदर्श अचार संहिता का बहाना मार मध्य प्रदेश सरकार ने पल्ला झाड़ लिया। बता दें की किसान वाले ऋण खातों पर तिमाही ब्याज जोड़ा जाता है। अब देखते हैं कि इस से पहले से ही क़र्ज़ में दबे किसानों पर कितना बोझ पड़ता है? मान लीजिए किसी किसान पर 31 मार्च 2018 की स्थिति में 2 लाख रुपए का ऋण है। अगर क़र्ज़माफ़ी योजना के तहत सरकार ने मार्च 2019 वो ऋण अगर चुका भी दिया तो किसानों को 7% की दर से 14,000 रुपए अतिरिक्त देने पड़ेंगे।

किसान क्रेडिट कार्ड खातों पर 7% ब्याज दर का प्रावधान है। मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार कहते रहे हैं कि सभी किसानों का क़र्ज़ माफ़ किया जाएगा लेकिन जिस तरह से एक-एक कर के रोज इसे लेकर नई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही है, उससे लगता है कि शायद ही किसानों को क़र्ज़ और ब्याज से मुक्ति मिले।

‘कॉन्ग्रेस को आने दो, फिर बताएँगे’ – ट्रैफिक सिग्नल पर मोदी समर्थक को धमकी और हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके समर्थकों के ख़िलाफ़ हिंसात्मक रवैये को उजागर करने संबंधी एक चौंकाने वाली घटना का ख़ुलासा हुआ है। इस घटना को एक ट्विटर यूज़र मधुर ने शेयर किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि वह अपनी कार में पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाक़े से गुजर रहे थे, जिस पर “मोदी वन्स मोर” का स्टीकर लगा हुआ था। जैसे ही वह दरियागंज ट्रैफिक सिग्नल पर रुके तभी 3-4 लोग आए और उनकी कार को पीटना शुरू कर दिया। वे धमकी देकर कहने लगे, ‘कॉन्ग्रेस को आने दो, फिर बताएँगे तुम लोगों को’

हमलावरों के कहने का मतलब साफ़ था कि कॉन्ग्रेस को सत्ता में आने दो फिर तुम जैसे मोदी समर्थकों को सबक सिखाएँगे। इस लाइन से धमकी भरा लहज़ा साफ़ नज़र आता है। इस से पता चलता है कि इस समय माहौल किस तरह से बिगड़ा हुआ है। खुलेआम मोदी समर्थकों को न सिर्फ धमकी दी जा रही है बल्कि हमले भी किए जा रहे हैं।

मधुर ने अपने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि सौभाग्य से ट्रैफिक सिग्नल ग्रीन हो गया और वो वहाँ से अपनी जान बचाकर भागने में सफल रहे। लेकिन यह घटना उनके लिए किसी बड़े हादसे से कम नहीं थी, जिसका असर उन पर काफ़ी गहरा पड़ा है।


बाद में मधुर ने ट्विटर पर ही अपनी कार का एक वीडियो भी पोस्ट किया, जिसमें साफ दिख रहा है कि ट्रैफिक सिग्नल पर बदमाशों द्वारा वाहन को खरोंचा गया था। और ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि कार पर लगा स्टीकर हमलावरों को नहीं भाया।

ऑपइंडिया से बात करते हुए मधुर ने कहा कि वह उन लोगों की पहचान नहीं कर सकते क्योंकि जैसे ही ट्रैफिक सिग्नल की लाइट लाल से हरी हुई, उन्होंने वहाँ से अपनी जान बचाकर भागना ही उचित समझा। वैसे भी वो इलाक़ा मुस्लिम बहुल था, जहाँ उनके साथ किसी भी तरह का अप्रिय घटना घट सकती थी। अगर वो समझदारी नहीं दिखाते तो उनकी जान जाने का भी जोख़िम था। इसके अलावा मधुर ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि हमले के दौरान न सिर्फ़ उन्हें भद्दी गालियाँ दी गईं बल्कि पीएम मोदी और उनकी माँ को भी गालियाँ दी गईं।

कॉन्ग्रेस कर रही थी भारत पर अंतरराष्ट्रीय हमले का इंतज़ार, US ने कहा ‘हम भारत के साथ हैं’

लगातार अपने अस्तित्व की लड़ाई से जूझ रही कॉन्ग्रेस हर दिन कुछ ऐसा कर जाती है जिससे उसके कुर्सी प्रेम और देश प्रेम में बढ़ते अंतर को देश की जनता देख ही लेती है। कल जब प्रधानमंत्री मोदी ने देश को बताया कि भारत ने स्वदेशी तकनीक से निर्मित एंटी सेटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण करते हुए मिशन शक्ति में सफलता पाई है, तो कॉन्ग्रेस के मनीष तिवारी की प्रतिक्रिया देखने लायक थी।

कॉन्ग्रेस के तिवारी के अनुसार यह एक उपलब्धि नहीं, उन्माद है, “जब यह उन्माद थम जाएगा तब हमें अंतरराष्ट्रीय समाज कुछ कड़े सवाल पूछेगा। आशा है कि हम एक राष्ट्र के तौर पर उनका जवाब देने में सक्षम होंगे।” यह उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा। साथ ही, तिवारी जी ने फ़रवरी 2007 से स्पेस डॉट कॉम नामक पोर्टल की एक ख़बर लगा रखी थी जिसमें चीन द्वारा इसी तरह के परीक्षण पर सवाल किए गए थे।

मतलब साफ है कि कॉन्ग्रेस मना रही थी कि भारत की छवि विदेशी राष्ट्रों के बीच नकारात्मक बने और फिर वो अपने पुराने हथकंडे अपनाते हुए मोदी के विदेशी दौरों से लेकर राष्ट्राध्यक्षों से निजी तौर पर बेहतर संबंध रखने की बातों का उपहास कर सकें। वस्तुतः, कॉन्ग्रेस के दिल की यह बात अभी भी दिल में ही होगी, और वो इंतजार कर रहे होंगे कि कब कोई भी देश इस बात की निंदा करे।

हालाँकि, ऐसा होने की उम्मीद बहुत कम है क्योंकि भारत को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में कभी भी युद्ध या अशांति के माहौल पर कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है। पीएम मोदी ने भी यह बात साफ कर दी थी कि इसका उपयोग क्षेत्र में अशांति फैलाने के लिए नहीं होगा।

कॉन्ग्रेस और तिवारी की उम्मीदों को तब झटका लगा जब आज सुबह अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट में मिशन शक्ति पर आधिकारिक रूप से भारत के साथ खड़े होने की बात की और कहा, “हमने एंटी सेटेलाइट सिस्टम के परीक्षण पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान को देखा। भारत के साथ अपने मजबूत सामरिक साझेदारी के मद्देनज़र, हम अंतरिक्ष, विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्रों में सहयोग सहित, अतंरिक्ष सुरक्षा में सहभागिता के साझा हितों पर लगातार साथ मिलकर काम करते रहेंगे। 

जब अमेरिका इन मुद्दों पर अपनी राय किसी देश के साथ रखता है, इसका मतलब यह होता है कि बाती देशों को भी इससे समस्या नहीं होती। यूँ तो चीन ने भी इस पर समझदारी भरी बात कही है और बयान देने के लिए ही बयान दिया है जो कि एक टैम्पलेट टाइप का बयान है जहाँ हर राष्ट्र इस तकनीक और शांति की बात करता दिखता है।

कॉन्ग्रेस के लिए यह पचाना मुश्किल होगा कि जिस मोदी को वो विदेश नीति के लिए घेरने की मंशा बना रहे था, उसकी विदेश नीति राष्ट्रहित में फलित हो रही है। 

‘बचपन बीता’, ‘अमेठी मेरा घर’ पर वोट माँगने पहुँची प्रियंका को वोटर दिखा रहे आईना

चुनाव नज़दीक होने के कारण इन दिनों हर राजनेता सक्रिय है। इस समय जनता से मिलकर, उनकी परेशानियों को गौर से सुनते हुए आपको हर पार्टी का बड़े से बड़ा नेता मिल जाएगा। फिर चाहे चुनाव के बाद वो नज़र आए या न आए। कुछ ऐसा ही दृश्य 2014 में भी देखने को मिला था जब कॉन्ग्रेस ने चुनाव प्रचार के लिए प्रियंका गाँधी को मैदान में उतारा था। उस दौरान भी कॉन्ग्रेस की जीत के लिए प्रियंका को एक बड़ा चेहरा माना जा रहा था और आज 2019 में भी वही स्थिति है।

हालाँकि 2014 लोकसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस की हार के बाद प्रियंका गाँधी को आम जन के बीच शायद ही किसी ने देखा हो, लेकिन 2019 में चुनाव आते ही एक बार फिर से प्रियंका जनता के बीच आ गई हैं। कई रैलियाँ और जनसभा को संबोधित करने के बाद कल (मार्च 27, 2019) कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे जनता के बीच जाकर भाजपा की जुमलेबाजी का जवाब दें और साथ ही लोगों को भाजपा सरकार की नकामयाबियाँ गिनाएँ।

लेकिन जनता इनकी सच्चाई को लेकर सामने आ रही है। जगह-जगह इनसे हिसाब माँगा जा रहा है। चुनाव के वक्त चेहरा दिखाने वाले ऐसे नेताओं से लोग पोस्टर के माध्यम से सवाल कर रहे हैं। लेकिन इसके उलट कॉन्ग्रेस महासचिव की मानें तो देश में दियासलाई से लेकर मिसाइल तक बना कर देने का काम कॉन्ग्रेस ने किया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ़ विश्व का भ्रमण कर रहे हैं। उनकी मानें तो देश का किसान बहुत परेशान है। उसे न तो खाद मिल रही है और ही उत्पादों का सही दाम मिल रहा है।

इतना ही नहीं 5 सालों में जनता के बीच कभी न दिखने वाली प्रियंका गाँधी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी के बारे में कहा कि अमेठी में वह टाइम पास करने आती हैं और अमेठी से उन्हें कोई मतलब नहीं है। प्रियंका ने बताया कि वह अपने पिता (राजीव गाँधी) के साथ अमेठी आया करती थी। उनका बचपन यहाँ बीता हैं। उनसे ज्यादा अमेठी कौन ज्यादा समझ सकता है। लेकिन वोटर समझदार हो चुके हैं। आपको बता दें कि प्रियंका पर सवाल करते ऐसे पोस्टरों से पहले भी राहुल गाँधी गायब के पोस्टर अमेठी में देखे जा चुके हैं।

बूढ़ी माँ को इंसाफ़: हाईकोर्ट का अनोखा फ़ैसला – हर बेटे के लिए यह ख़बर ज़रूरी

माता-पिता अपनी संतान के सुख के लिए अपना सर्वस्व जीवन उन पर क़ुर्बान कर देते हैं। अपने फ़र्ज़ को निभाते-निभाते वो कब उम्र के आख़िरी पड़ाव तक पहुँच जाते हैं पता ही नहीं चलता। उम्र के इसी पड़ाव में उन्हें अपनी संतान की सख़्त ज़रूरत होती है। क्या हो अगर बुढ़ापे की यही लाठी उनपर क़हर बनकर बरसने लगे। ऐसा ही एक मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की चौखट तक जा पहुँचा जहाँ 85 वर्ष की एक बूढ़ी माँ ने न्याय की गुहार लगाई।

दरअसल, 85 वर्षीय हरबंस कौर का उनके बेटे जगमोहन सिंह के साथ पिछले एक साल से घर में रहने को लेकर विवाद चल रहा था। बूढ़ी माँ ने अपने बेटे के बुरे व्यवहार के चलते उसके ख़िलाफ़ अमृतसर ज़िला मजिस्ट्रेट की अदालत में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 27 जुलाई, 2017 को अदालत ने मेंटेनेंस एंड वेल्फेयर आफ़ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट, 2007 के प्रावधानों के तहत जगमोहन सिंह को माँ का मकान खाली करने का आदेश दिया था।

अपनी याचिका में बूढ़ी माँ ने अदालत को इस सत्य से अवगत कराया था कि उनके बेटे का परिवार घर में ज़बरदस्ती रह रहा है और वो उनकी किसी भी तरह से कोई देखभाल नहीं करता। बूढ़ी माँ ने अदालत को अपने बेटे द्वारा किए जा रहे दुर्व्यवहार के बारे में भी बताया। अपनी बूढ़ी माँ के ख़िलाफ़ जगमोहन सिंह ने अमृतसर ज़िला मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देने के लिए अपील दायर की। माँ हरबंस कौर बेटे जगमोहन सिंह की अपील पर सुनवाई के लिए हाईकोर्ट तक जा पहुँची। इस पर हाईकोर्ट ने 2018 में जगमोहन सिंह को मकान में तीन कमरों का कब्जा हरबंस कौर को देने के आदेश दिए थे, लेकिन इस फ़ैसले के बाद भी माँ और बेटे के बीच विवाद नहीं थमा।

इसके बाद चीफ़ जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने एक बार फिर इस मामले की सुनवाई अपने चैंबर में की। क़रीब 1 घंटे तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने जगमोहन सिंह को आदेश देते हुए कहा कि अगले आदेश तक वो हरबंस कौर के मकान में केवल एक कमरे में रह सकता है और इसके लिए 1500 रुपए बतौर किराया भी देना होगा। किराया देना इसलिए ज़रूरी किया गया क्योंकि हरबंस कौर ने अदालत को बताया था कि उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है, इसलिए अदालत ने उनके हक़ में आदेश जारी किया।

बता दें कि हरबंस कौर के पास कोई वकील नहीं था, ऐसी परिस्थिति में पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने उनकी सहायता के लिए अदालत के समक्ष किसी न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति की जाने की गुज़ारिश की। नंदा की इस सलाह पर अदालत ने उन्हें ही इस मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त कर दिया।

मसूद पर बैन के लिए अब आया अमेरिका: 10 लाख मुस्लिमों को प्रताड़ित करने वाला चीन है पाखंडी

पुलवामा हमले का गुनहगार और पाकिस्‍तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद के चीफ मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने को लेकर अब अमेरिका डायरेक्ट मैदान में आ गया है। 27 मार्च 2019 को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर को बैन करने का प्रस्‍ताव अमेरिका द्वारा दिया गया। प्रमुख बात यह भी कि अमेरिका के इस प्रस्‍ताव का फ्रांस और ब्रिटेन ने समर्थन भी कर दिया है।

अमेरिका ने यह प्रस्‍ताव संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्‍यीय काउंसिल को दिया है। इसमें कहा गया है कि मसूद अजहर पर बैन जल्द से जल्द लगाया जाना चाहिए। आतंकी मसूद पर प्रस्ताव में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उसकी संपत्तियां जब्‍त करने के साथ-साथ उसकी विदेश यात्राओं पर प्रतिबंध लगाया जाए।

भारत के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। हालाँकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इस प्रस्‍ताव पर वोटिंग कब होगी। चीन द्वारा इस प्रस्ताव के खिलाफ फिर वीटो लगाने की आशंका को देखते हुए अमेरिका ने उसे भी कड़े शब्दों में चेतावनी दी है। कूटनीतिक चाल चलते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने चीन की आंतरिक नीतियों और हिंसक इस्लामिक आतंकी समूहों पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया।

माइक पॉम्पियो ने कहा कि चीन अपने यहाँ लाखों मुस्लिमों को प्रताड़ित करता है, लेकिन वीटो का सहारा लेकर हिंसक इस्लामिक आतंकी समूहों को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध से बचाता है। जैश-ए-मोहम्‍मद या मसूद अजहर का नाम लिए बिना पॉम्पियो ने ट्वीट किया, “दुनिया मुस्लिमों के प्रति चीन के पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकती। एक तरफ चीन अपने यहाँ 10 लाख से अधिक मुस्लिमों को प्रताड़ित करता है, जबकि दूसरी तरफ वो हिंसक इस्लामिक आतंकी समूहों को यूएन के प्रतिबंध से बचाता है।”

अमेरिकी विदेश मंत्री ने भले ही अपने ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिया हो लेकिन यह स्पष्ट है कि उनका इशारा जैश-ए-मोहम्मद और इसके चीफ मसूद अजहर की ओर ही था। क्योंकि दो सप्ताह पहले ही संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में चीन ने मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने से बचाने के लिए अपने वीटो पावर का इस्तेमाल किया था। तब भी अमेरिका ने चीन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यदि आतंकियों को संरक्षण देने की आपकी नीति में बदलाव नहीं आता है तो सुरक्षा परिषद के सदस्य देश अन्य कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे।

आपको बता दें कि इस्लामिक आतंकवाद पर पाकिस्तान को प्रश्रय देने की चीन की नीति का अब भांडाफोड़ हो चुका है। इस मामले पर चीन पूरे विश्व में अलग-थलग पड़ गया है। 20 मार्च को यूरोपियन यूनियन में मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकी घोषित कराने के लिए जर्मनी ने प्रस्ताव पेश किया था। इससे पहले फ्रांस ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर की सभी फ्रांसीसी सम्पत्तियों को ज़ब्त करने का फैसला किया था।