Saturday, October 5, 2024
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पुराना पाकिस्तान: सैनिकों की लाशों को नकारने वाला पाक अपने ही पायलट की शहादत पर फिर चुप है

भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनन्दन भारत वापस पहुँचने वाले हैं। तमाम मीडिया में शोरगुल है। जो व्यक्ति जिस विषय से उत्साहित हो सकता है उस पर बयानबाज़ी और ट्वीट कर प्रशंसा बटोरने का काम कर रहा है।

पाकिस्तान ने एक कदम आगे बढ़कर आतंकवाद और जिहाद जैसी महामारियों पर चर्चा करने के बजाए Eco-टेररिज्म का सेफ़ ज़ोन पकड़ लिया है। पाकिस्तान का कहना है कि एयर स्ट्राइक में 300 जिहादियों के साथ ध्वस्त हुए पेड़ों पर भारत की शिकायत UN से करने जा रहा है।

भारतीय मीडिया गिरोह का वैचारिक आतंकवाद हम इन दिनों देख ही रहे हैं। मीडिया गिरोह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को शान्ति का मसीहा साबित करने में जुट गया है, वो भी सिर्फ इस वजह से कि कहीं विंग कमांडर अभिनन्दन की वतन-वापसी का श्रेय सरकार और भारतीय सेना को न देना पड़े।

मानवता, शान्ति वार्ता के प्रयास जैसे भारी-भरकम शब्दों चकल्लस के बीच एक ऐसा आदमी है जिसका नाम है विंग कमांडर शहज़ाद उद्दीन (Shahzad Ud Din of 19 Squadron (Sherdils) PAF), जिस पर कोई भी व्यक्ति बात नहीं करना चाह रहा है या शायद उसके पास इतना समय बच ही नहीं पा रहा है कि उस एक व्यक्ति पर ध्यान दिया जाए। दोनों देशों के क्यूट शांतिदूतों ने उस इंसान को भुला दिया है जिसकी मौत को स्वीकार करने में पाकिस्तान के गले-गले तक आ रखी है। अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय दबाव के कारण विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान वापस भेजने को तैयार हो गया, लेकिन वो अपने उस F-16 की जानकारी नहीं दे रहा है और न ही अपने पायलट शहज़ाज़ उद्दीन के बारे में बताने को तैयार है।

आजकल चल रहे तमाम हैशटैग ख़बरों के बीच अगर आपने ध्यान दिया होगा तो भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के घुसपैठी F-16 विमानों का पीछा करते हुए पाकिस्तान के 2 फाइटर प्लेन्स को मार गिराया था।

पाकिस्तानी स्थानीय नागरिकों द्वारा घेरे जाने से पहले विंग कमांडर अभिनन्दन अपने बूढ़े मिग विमान से अत्याधुनिक F-16 विमान को गिरा चुके थे। उत्साह में आदत से मजबूर पाकिस्तान की सेना ने मीडिया में घोषणा कर डाली कि हमने 2 भारतीय पायलट्स को पकड़ा है।  लेकिन शाम होते ही पाकिस्तान ने एक ट्वीट कर के बताया कि उसके पास 2 नहीं बल्कि सिर्फ 1 भारतीय पायलट हैं।

दूसरे पायलट का किस्सा ये हुआ कि जिस F-16 विमान को अभिनन्दन ने तबाह  किया उसमें बैठा पायलट यानी पाकिस्तानी वायसेना का विंग कमांडर शहज़ाद उद्दीन, पाकिस्तानी नागरिकों के हाथ लग गया। पब्लिक ने आव देखा न ताव और पाकिस्तानी सेना के वहाँ पहुँचने से पहले ही अपने ही पायलट को भारतीय पायलट समझकरखूब पीटा।

अब सोशल मीडिया पर शहज़ाद नामक इस पाकिस्तानी पायलट की जानकारी आने लगी है जो F-16 विमान उड़ा रहा था। इस पाकिस्‍तानी पायलट का दुर्भाग्‍य ये है कि उसकी शहादत को अब तक राज ही रखा जा रहा है और पाकिस्तान इस बात से पीछे हट चुका है।

कई वैरिफाइड सोशल मीडिया एकाउंट्स बता रहे हैं कि वो पाकिस्तानी पायलट थे शहज़ादुद्दीन (Shahzad-Ud-Din) जो पाकिस्तानी 19वीं स्क्वाड्रन के पायलट थे और F-16 प्लेन उड़ा रहे थे।  

पाकिस्तान का ये उग्र हिंसक स्वरुप और ‘भेड़ तंत्र’ भारत देश से घृणा में इतना भरा पड़ा था कि उन्होंने ये जान लेना  नहीं समझजे कि जिस सैनिक की वो कुटाई कर रहे हैं वो उनका अपना ही सैनिक है।

भारत की गोदी मीडिया सुई से लेकर सब्बल तक को अभिनन्दन की घरवापसी का श्रेय दे रही है लेकिन भारतीय नीतिकारों, भारतीय सेना और अंतर्राष्ट्रीय दबाव (वही दबाव जो नरेंद्र मोदी ने अपने विदेशी संबंधों के माध्यम से इन 5 सालों में विकसित किए हैं) के महत्व को धन्यवाद देना स्वीकार नहीं कर रही है।

दूसरे पायलट की चिंता के कारण मानवीय स्वभाव से हमने पाकिस्तानी मीडिया, सोशल मीडिया छान मारे, लेकिन किसी भी जगह उस सैनिक के बारे में बात नहीं हो रही है, मानो उसकी जानकारी देने से मना कर दिया गया हो।

लेकिन ऐसे लोग जो इंसानियत में विश्वास करते हैं, सीमा के उस पार भी यकीनन मौजूद हैं। पाकिस्तान के सोशल मीडिया एकाउंट्स 2 दिन से लगातार पाकिस्तान की सरकार से सवाल पूछ रहे हैं और शहज़ाद उद्दीन को न्याय दिलाने की बात कर रहे हैं लेकिन इमरान खान, बरखा दत्त और सागरिका घोष की पसंदीदा ट्वीट करने में ज्यादा मशगूल नज़र आ रहे हैं। वहीं पाकिस्तान के बड़े न्यूज़ नेटवर्क्स के सोशल मीडिया एकाउंट्स पर पाकिस्तान के लोग #JusticForF16Pilot के जरिए उस सैनिक के लिए न्याय माँग रहे हैं।

सोशल मीडिया पर बहुत से पाकिस्तानी यूज़र्स इस सन्देश को आगे बढ़ा रहे हैं

जिस पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को हमारे देश का मीडिया गिरोह शांति का नोबल पुरस्कार दिलाने चला है, उस प्रधानमंत्री ने एक पाने उस मारे गए सैनिक को स्वीकार करना तक जरुरी नहीं समझा है। जिसके पीछे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली जवाबी कार्रवाई है।  

कल शाम ही भारतीय की तीनों सेना के प्रवक्ताओं ने प्रेस वार्ता में सबसे ज्यादा जोर पाकिस्तान के ध्वस्त किए गए  F-16 विमान के सबूतों पर दिया है। जिसका एक ही कारण है और वो ये कि भारत उन सभी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को सन्देश देना चाह रहा है जो अभी सतर्कता से दोनों देशों पर नज़र जमाए बैठी हैं।

पाकिस्तान यदि स्वीकार करता है कि उसका सिपाही F-16 विमान चलाते हुए मारा गया तो उसे अमेरिका को जवाब देना होगा कि उसने भारत पर हमला करने के लिए F-16 विमान का प्रयोग क्यों किया।  नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से सबसे ज्यादा मजबूत भारत के अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध हुए हैं, जिसका सबूत वर्तमान में घटित हो रही गतिविधियाँ हैं।

लेकिन देखना ये है कि आतंकवाद को आतंकवाद न मानने वाले, जिहाद को जिहाद न मानने वाले ‘ऑनलाइन मानवतावादी लोग’ आखिर उस क्रूरता से मारे गए सैनिक के सम्मान के लिए कितनी मोमबत्तियाँ खर्च करते हैं?

दिखाई जा रही ये तस्वीर PAF के विंग कमांडर शहज़ाज़ उद्दीन की है जो F-16 विमान में मौजूद थे

भारतीय पत्रकारों की आँख के तारे बन चुके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने सैनिक की शहादत को कितना सम्मान देते हैं, यह देखना अभी बाकी है।

वतन वापस आए विंग कमांडर अभिनंदन, हुआ ज़ोरदार स्वागत

भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन को वाघा सीमा से भारत लाया गया। इस तरह से भारतीय जाँबाज़ की वतन वापसी हुई। सुबह भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनन्दन वर्तमान को भारतीय उच्चायुक्त को सौंप दिया गया था। उनकी वापसी पर पूरे देश में जश्न का माहौल है। उनकी वापसी की सूचना सुनते ही चेन्नई में लोगों ने पूजा-पाठ किया।

पाकिस्तान द्वारा IAF पायलट अभिनन्दन को भारत सौंपने का आधिकारिक पत्र

लगभग 9 बजे IAF विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान अटारी सीमा पर पहुँचे। उनके साथ लाहौर से वाघा-अटारी सीमा तक भारतीय उच्चायोग के अधिकारी भी थे। वह भारतीय सरज़मीं पर है और जल्द ही उन्हें अमृतसर ले जाया जाएगा।

लोग भारी संख्या में वाघा बॉर्डर पर अभिनंदन के स्वागत में ढोल-नगाड़े, पोस्टर और हार-फूल लेकर पहुँच रहे हैं। अभिनंदन के माता-पिता भी उन्हें लेने वाघा बॉर्डर जाएँगे। दिल्ली एयरपोर्ट पर विमान से उतरते वक्त लोगों ने उनका ताली बजाकर स्वागत किया। बता दें कि कल पाकिस्तानी संसद में इमरान ख़ान ने ऐलान किया था कि शुक्रवार (मार्च 1, 2019) को अभिनंदन को रिहा कर दिया जाएगा।

विंग कमांडर अभिनन्दन की रिहाई के बीच भारतीय सीमा को हाई अलर्ट पर रखा गया है। वहाँ पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। सुरक्षाबलों को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया है। विंग कमांडर की रिहाई के बाद भी सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था इसी तरह बनी रहेगी। तीनों सेनाओं के प्रमुख हालात लगातार नज़र बनाए हुए हैं। ज्ञात हो कि भारतीय विंग कमांडर को रिसीव करने के लिए वायु सेना की टीम दिन में ही बॉर्डर पर पहुंच गई थी।

लोग भरी संख्या में वाघा बॉर्डर पर अभिनंदन के स्वागत में ढोल-नगाड़े, पोस्टर और हार-फूल लेकर पहुँच रहे हैं। अभिनंदन के माता-पिता भी उन्हें लेने वाघा बॉर्डर जाएँगे। दिल्ली एयरपोर्ट पर विमान से उतरते वक्त लोगों ने उनका ताली बजाकर स्वागत किया। बता दें कि कल पाकिस्तानी संसद में इमरान ख़ान ने ऐलान किया था कि शुक्रवार (मार्च 1, 2019) को अभिनंदन को रिहा कर दिया जाएगा।

पहले से सेना को खुली छूट दी गई होती तो आतंकी घटनाएँ टल सकती थीं : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय तमिलनाडु के कन्याकुमारी में एक सभा को संबोधित कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने देश के लिए बलिदान हुए वीर जवानों को नमन किया। उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत इंडियन एयरफोर्स विंग कमांडर अभिनंदन की तारीफ से की। पीएम ने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी तरफ से आतंकवाद के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई । मुंबई में 26/11 हमला हुआ था, जिसमें काफी लोगों की जानें गई थी, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार की तरफ से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया।

उन्होंने वीर जवानों को सलाम करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में उरी और पुलवामा हमला हुआ जिसका बदला लिया गया। सेना को आतंकवाद से लड़ने के लिए खुली छूट दी गई है।

अब इस तरह की बातें सामने आ रही है कि अगर समय रहते सेना को आतंकवाद का सामना करने के लिए खुली छूट दे दी गई होती तो शायद पठानकोट, उरी, पुलवामा सहित कई आतंकी घटनाएँ शायद टल सकती थी। इसके लिए दो चीजों की ज़रुरत होती है- सेना की तैयारी और राजनीतिक इच्छाशक्ति। भारतीय सेना हमेशा से आतंकियों व आतंक के पोषकों पर कार्रवाई करने के लिए तैयार रही है, लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि भारतीय शासकों की राजनीतिक इच्छाशक्ति ही इतनी कमज़ोर रही है कि एक शक्तिशाली और शौर्यवान सेना तक के हाथ बाँध कर रख दिए गए हैं।

मुंबई हमले के बाद भी लोगों में उतना ही आक्रोश था, जितना कि पुलवामा हमले के बाद देखने को मिला। उस हमले के बाद भी दोषियों पर कार्रवाई की माँग की गई थी, मगर उस समय के प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने तत्कालीन वायु सेना प्रमुख की सलाह को नज़रअंदाज़ कर दिया था। ये बातें स्वयं पूर्व वायुसेना प्रमुख ने रेडिफ को दिए गए इंटरव्यू में बताया था।

यहाँ पर गौर करने वाली बात यह है कि आख़िर क्या कारण थे कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने आतंकियों पर कार्रवाई करने की ज़रूरत नहीं समझी। क्या डॉक्टर मनमोहन सिंह को इस बात का डर था कि आतंकियों पर किए गए किसी भी प्रकार के हमले का पाकिस्तान कड़ा प्रत्युत्तर दे सकता है? जैसा कि पूर्व वायुसेना प्रमुख ने बताया कि उन्हें पूर्ण युद्ध का डर था। अब इससे तो यही बात निकलकर सामने आती है कि या तो डॉक्टर सिंह को सेना की तैयारी पर भरोसा नहीं था या फिर सेना के पास उचित संसाधन की कमी थी। दोनों ही स्थितियों में दोषी सरकार ही थी क्योंकि यह राजनेताओं का कार्य होता है कि सेना की भावनाओं को समझ कर उनकी ज़रूरतों के अनुरूप निर्णय लें।

वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना में पूरा भरोसा दिखाते हुए उन्हें आतंकवादियों से लड़ने की खुली छूट दी और सेना ने भी अपने पराक्रम का पूर्ण परिचय दिया।

सेना ने कुपवाड़ा में 2 आतंकियों को किया ढेर, मुठभेड़ जारी

भारत-पाकिस्तान में जारी तनाव के बीच जम्‍मू कश्‍मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में अभी तक की सूचना के अनुसार दो आतंकी मरे गए हैं। इस मुठभेड़ में 1 CRPF सुरक्षाकर्मी के बलिदान और तीन के घायल होने की सूचना है। यह मुठभेड़ कुपवाड़ा के लंगेट इलाके में हो रही है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सीआरपीएफ के एक जवान के बलिदान के अलावा एक जवान घायल भी हुए। साथ ही, जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस के दो पुलिसकर्मी कुपवाड़ा में आतंक विरोधी अभियान के दौरान आतंकियों की ओर से की गई फायरिंग में घायल हैं। एक आतंकी जिसे मरा हुआ मान लिया गया था, उसने एक क्षतिग्रस्‍त मकान से निकलकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसकी वजह से सेना को नुकसान उठाना पड़ा।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने कुपवाड़ा जिले के बाबागुंड इलाके में घेराबंदी कर तलाश अभियान शुरू किया था। तलाश अभियान के दौरान आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की।

बता दें कि दिन में कई बार बीच-बीच में गोलीबारी बंद हुई लेकिन जैसे ही सुरक्षाकर्मी घर की ओर बढ़े, इसी घर में छिपे हुए आतंकवादियों ने गोलियाँ चलानी शुरू कर दीं।

IAF द्वारा गिराए गए पेड़ों पर भारत की शिकायत करने UN जाएगा जोकर पाकिस्तान

ऐसे समय में जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनातनी का माहौल है और युद्ध के हालात बने हुए हैं, पाकिस्तान अपना अलग ‘कॉमेडी सर्कस’ चलाने से बाज नहीं आ रहा है।

मीडिया के अनुसार, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की योजना बनाई है, मजे की बात यह है कि यह शिकायत भारतीय वायु सेना द्वारा उनके देवदार के पेड़ों को नुकसान पहुँचाने और पर्यावरण ख़राब करने के सम्बन्ध में होगी। पाकिस्तान ने इसे “Eco-टेररिज्म” कहा है।

आतंकवादियों के ठिकानों को तबाह करते हुए भारतीय युद्धक विमानों ने मंगलवार (फरवरी 26, 2019) को कश्मीर के हिमालयी क्षेत्र में भारत की सीमा से लगभग 40 किमी (25 मील) की दूरी पर उत्तरी पाकिस्तानी शहर बालाकोट के पास एक पहाड़ी वन क्षेत्र में एयर स्ट्राइक की थी। इस एयर स्ट्राइक द्वारा पाकिस्तान के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर को नष्ट कर दिया गया था और जैश-ए-मोहम्मद के 300 से ज्यादा आतंकवादियों को मार दिया था।

हालाँकि, हमेशा से आतंकवादियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान ने इस बात से इनकार किया कि इलाके में इस तरह के शिविर थे और स्थानीय लोगों ने कहा कि केवल एक बुजुर्ग ग्रामीण को चोट लगी थी।

पाकिस्तान के जलवायु परिवर्तन मंत्री मलिक अमीन असलम ने कहा कि भारतीय जेट विमानों ने ‘फॉरेस्ट रिजर्व’ पर बमबारी की और सरकार पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन कर रही है, जो संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर एक शिकायत होगी। पाकिस्तान का कहना है कि घटनास्थल पर पर जो हुआ वह पर्यावरणीय आतंकवाद है क्योंकि दर्जनों देवदार के पेड़ गिर गए और गंभीर पर्यावरणीय क्षति हुई है।

पाकिस्तान सरकार के अधिकारी बम विस्फोट स्थल पर गए, जिसके बाद उन्होंने कहा कि धमाकों से 15 देवदार के पेड़ उखड़ गए और भारत सरकार के दावों को खारिज कर दिया कि सैकड़ों आतंकवादी मारे गए थे।

भारत और पाकिस्तान इस समय एक कूटनीतिक झगड़े में भी लगे हुए हैं, इसलिए तार्किक होने के स्थान पर इस प्रकार की हरकत की उम्मीद पाकिस्तान से की जा सकती है।

आतंकी और पायलट अभिनंदन बराबर हैं ‘द वायर’ और जावेद नक़वी के लिए

जावेद नक़वी ने एक लेख लिखा है जो ‘द वायर’ में छपा है। ‘द वायर’ अपनी बेकार की पत्रकारिता के कारण ‘द लायर’ के नाम से जाना जाता है, और प्रोपेगेंडा फैलाने में आगे की पंक्ति में दाँत चियार के खड़ा मिलता है। इसलिए जब इस तरह की बेहूदगी इनके लेखों में दिखती है तो इन्हें सरेबाजार शाब्दिक कोड़े मारना ज़रूरी हो जाता है। 

हम और आप, पिछले दो दिनों से ‘जेनेवा कन्वेन्शन’ का नाम खूब सुन रहे हैं। यह एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो संयुक्त राष्ट्र संघ के दायरे में आनेवाले देशों के बीच सर्वमान्य है। इसमें युद्ध बंदियों को लेकर कई प्रस्ताव हैं जिनका सम्मान हर देश को करना होता है। उसी में से एक बिंदु भारतीय पायलट विंग कमांडर अभिनंदन के लिए भी लागू होता है, जिसके प्रयोग से तीन दिनों के भीतर उन्हें वापस लाया जा चुका है। 

जावेद नक़वी ने एक भारतीय सेना के पायलट को बहाना बनाकर मानवाधिकारों की पिपहीं इतनी ज़ोर से बजा रहे हैं कि गले की नसें फूल गईं ये बताने में कि कश्मीर में पकड़े गए आतंकी और दुश्मन देश में पकड़े गए पायलट को एक ही तराज़ू में तौला जा सकता है। इसको कहते हैं धूर्तता कि जब आपके पास शब्द हों तो आप कुछ भी साबित करने पर उतर आते हैं।

और, वो शब्द अंग्रेज़ी के हों तो वैसे ही आदमी ह्यूमन राइट्स, प्रोफ़ेशनल न्यूट्रेलिटी, अमनेस्टी इंटरनेशनल सुनकर ही टेंशन में आ जाता है। लेकिन जावेद नक़वी ये भूल जाते हैं कि अब जनता जाग रही है और उसको माओवंशी गिरोह के हिन्दी-अंग्रेज़ी के बहुप्रचलित जारगन सुनाकर बहलाया नहीं जा सकता। उसके उलट, अब उनके हर ऐसे फ़र्ज़ीवाड़े को सामने लाया जाएगा, पोस्टमार्टम किया जाएगा और बताया जाएगा कि आख़िर लिखने वाले ने क्या खाकर इसे लिखा था। 

‘कश्मीरी पीपुल’, ‘अल्ट्रा नेशनलिज़्म’, ‘ह्यूमन राइट्स’, ‘प्रोफ़ेशनल न्यूट्रेलिटी’ … खखोर लिया भाई!

ख़ैर, लेख पर आते हैं जहाँ ये माहौल बनाने की कोशिश की गई है कि कैसे कश्मीर के आतंकी और जेलों में पड़े क़ैदी को भी वही ट्रीटमेंट मिलनी चाहिए जो जेनेवा कन्वेन्शन में पायलट के लिए उपलब्ध है। ये सारी बातें एक लॉबी को हवा देती हैं जिसके लिए ‘कश्मीर पीपुल’ और ‘भारतीय लोग’ अलग हैं। जावेद नक़वी ने यह बात भी आर्टिकल में सूक्ष्म तरीके से कई बार कह दी है।

जावेद जी, हेडलाइन में जो आपने ‘न्यू लव’ लिखा है, वो हमारा ‘नया प्यार’ नहीं है, ये भारतीय राष्ट्र की ताक़त है कि एक सरकार के समय में सौरभ कालिया की आँखें निकाल ली गई थीं, और दूसरे सरकार में युद्धबंदी बनाया गया हमारा हीरो तीन दिन में घर वापस आ रहा है। ये ‘नया प्यार’ नहीं है, ये नया भारत है जिसके लिए आतंकवादियों को निपटाना और देशवासियों की फ़िक्र करना नए कलेवर में उभर कर सामने आ रहा है। 

हे ब्रो, न्यू लव नहीं, नया भारत है ये! यू हैव नो चिल!

आपने लिखा है कि ‘कश्मीरी लोग, अल्ट्रा नेशनलिस्ट भारतीय लोगों द्वारा जेनेवा संधि में दिखाए जा रहे विश्वास से’ आश्वस्त महसूस कर सकेंगे। पहले तो ये कश्मीरी लोग और भारतीय लोग क्या होता है? ये अल्ट्रा नेशनलिस्ट क्या होता है? माओ की नाजायज़ औलादों द्वारा छेड़ा गया नया राग? अगर देश के लिए मरने-मिटने की बात, उसकी रक्षा हेतु सेना के सम्मान में खड़े होने की बात अल्ट्रा नेशनलिज्म है, तो सबको होना चाहिए। 

नेशनलिज्म कोई शर्म की बात नहीं है। हर व्यक्ति को अल्ट्रा, मेगा, गीगा, पेटा, थेटा जो-जो नेशनलिस्ट हुआ जा सकता है, होना ही चाहिए। आप या तो नेशनलिस्ट हैं, या नहीं। नहीं हैं तो डूब मरिए, या पायरेट बनकर समुद्र में चक्कर लगाइए जहाँ देश का कॉन्सेप्ट नहीं होता। ये फ़र्ज़ी ज्ञान बहुत दिनों से लम्पटों की लॉबी और पत्रकारिता का समुदाय विशेष हर जगह करता नज़र आता है। ये अल्ट्रा नेशनलिस्ट क्या होता है? राष्ट्रवाद बस राष्ट्रवाद है, उसमें विशेषण लगाकर गाली बनाने वाले लोग धूर्त चिरकुटों की परम्परा से आते हैं, इनको देखते ही, राह चलते धोते रहना चाहिए, शब्दों से! 

और क्या जावेद नक़वी से मान रहे हैं कि ‘कश्मीरी लोग’ राष्ट्रवादी नहीं हैं? अगर ऐसा मानते हैं तो किस सर्वेक्षण को आधार बनाया है? क्या ये सर्वेक्षण कारवाँ के ऐजाज़ अशरफ़ टाइप का तो नहीं जिसने नींद में सोचा कि भारतीय सेना के पक्ष में उतरने वाले लोग बड़े शहरों के हिन्दुओं के अपर कास्ट से आते हैं? ऐसा है तो कान पकड़िए और दस बार उठक-बैठक लगाकर कहिए ‘तौबा-तौबा’। 

आगे आपने ज्ञानधारा बहाई है कि भारत के ‘अल्ट्रा नेशनलिस्ट’ टीवी चैनलों और उन पर आने वाले ग़ुस्सैल मिलिट्री विश्लेषकों में ‘अनयुजुअली ऑड डिमांड’ उठती दिखी कि पाकिस्तान को जेनेवा संधि का सम्मान करना चाहिए। जावेद ब्रो, ऐसा है कि पायलट जब परसों पकड़ा गया, तो डिमांड क्या उसके पहले ही उठा देते लोग? और अपने पायलट की रिहाई के लिए ये तो लीगल तरीक़ा था, मेरी सहमति तो इसमें भी है कि भारत एक पायलट के लिए पाकिस्तान पर अटैक करे और उसे बताए कि उसकी औक़ात क्या है। 

अपने हीरो को वापस लाने के लिए माँग करना ‘अनयुजुअल’ कैसे है? क्यों नहीं माँग करेंगे? क़ानून है तो हमारे पक्ष में जब काम आएगा, हम उसका फ़ायदा क्यों नहीं उठाएँगे? इस आदमी को ‘अल्ट्रा नेशनलिस्ट’ से इतना प्रेम है कि भारतीय लोगों से लेकर (जिसमें पता नहीं ख़ुद को रखते हैं कि नहीं), भारतीय टीवी चैनलों को एंकर तक सब एक ही रंग में रंग दिए गए हैं। 

लम्पटई तो देखिए कि आर्टिकल में धीरे-धीरे युद्धबंदी और पायलट से किस तरीके से जावेद नक़वी ने विंग कमांडर अभिनंदन को ‘इंडियन कैप्टिव’ तक ला दिया। ये वामपंथियों की पुरानी अदा है कि शुरू में दिखाएँगे कि वो कितना सम्मान देते हैं, वो लिखेंगे कि भारतीय वायु सेना ने ये कर दिया, वो कर दिया, और अजेंडा मिडिल में घुसा देंगे। 

क्योंकि जब आप आदमी को आर्टिकल पढ़वाने के क्रम में ऐसी जादूगरी करके पायलट को इंडियन कैप्टिव बता देते हैं, तो आगे कश्मीरी आतंकियों को कश्मीर के जेलों में क़ैद ‘लोग’ कहकर समानता बताने में ज़्यादा दिक्कत नहीं होगी।  

पूरा आर्टिकल धूल झोंककर गधे को घोड़ा बताने का उपक्रम है। नॉर्थ-ईस्ट और कश्मीर के लोगों की चिंता आप मत कीजिए। नॉर्थ-ईस्ट में विकास के कार्यों की तेज़ी देखकर आप गिन नहीं पाएँगे, और वहाँ सरकार ने कि किस तरह से आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में बेहतरी हासिल की है, वो थोड़ा सर्च करने पर मिल जाएगा। 

कश्मीर की मूल समस्या आतंकवाद है। वहाँ हमारी सेना लगातार आतंकवादियों को मारकर, पत्थरबाज़ों को उनकी भाषा में जवाब देकर, वहाँ के समाज में ज़रूरी स्थिरता लाने की कोशिश में लगी हुई है, जिसने बिना वर्दी पहने बंदूक उठाई है, उसका मानवाधिकार नहीं होता, उसका एक ही अधिकार है: भवों के बीचों-बीच गोली खाना। 

मानवता के दुश्मनों को देश की सुरक्षा के लिए पचास साल पुरानी तकनीक के विमान से अत्याधुनिक जेट का पीछा करके मार गिराने वाले राष्ट्रीय धरोहर विंग कमांडर अभिनंदन जैसी विभूतियों से तौलना बंद कीजिए। इससे आपका अजेंडा निखर कर सामने आ जाता है। इसी कारण नेशनलिज्म में अल्ट्रा लगाकर उसको गाली बनाने की बेकार और घटिया कोशिशें की जाती हैं। 

ममता जी! बालाकोट में जो हुआ उसका पता चल जाएगा, आप बताएँ IPS अधिकारी के साथ आपने क्या किया था?

बालाकोट में भारतीय वायु सेना के हमले के बाद चारों ओर भारतीय सेना और मोदी सरकार की तारीफ़ में आवाज़ें बुलंद हो रही हैं। सोशल मीडिया के गलियारों से लेकर देश की सड़कों तक बालाकोट में जो हुआ उसका समर्थन किया जा रहा है। लेकिन इस जवाबी कार्रवाई से विपक्ष में बैठे कुछ लोगों को शांति नहीं मिली है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता दीदी ने सवाल दागा है कि जवानों का जीवन चुनावी राजनीति से ज्यादा कीमती है, लेकिन देश को यह जानने का अधिकार है कि पाकिस्तान के बालाकोट में वायुसेना के हवाई हमले के बाद आख़िर वास्तव में क्या हुआ।

ममता के इस सवाल के बाद यकीन करना मुश्किल नहीं कि ऐसा बौद्धिक स्तर विपक्ष में बैठे लोगों में ही हो सकता है। जो जानते हैं कि किस चीज पर राजनीति नहीं होनी चाहिए लेकिन फिर भी वह उसी चीज पर राजनीति करने से बाज नहीं आते।

खैर अब जब सवाल कर ही दिया है तो उन्हें बताया जाना चाहिए कि बालाकोट में ‘क्या हुआ’ उसके सबूत धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। 26 फरवरी को हुए इस हमले के एक दिन बाद वायुसेना कमांडर अभिनंदन के पाकिस्तान में होने की ख़बर आई, जिसके कारण सभी का ध्यान उनकी तरफ केंद्रित हो गया। लेकिन ममता अपनी राजनीति पर अटकी रहीं। ऐसे में उन्हें बताना जरूरी है कि ‘दीदी’ थोड़ा इंतज़ार करिए धीरे-धीरे बालाकोट में क्या-कैसे-कब हुआ सबके जवाब दिए जाएँगे, जैसे F-16 के मिसाइल के टुकड़े दिखाकर दिए गए हैं।

तब तक आप उस आईपीएस ऑफिसर के बारे में जवाब दे दीजिए जिसने सुसाइड नोट लिखकर आपको खबरों का हिस्सा बना दिया। ममता को यह बताना चाहिए कि उस आईपीएस अधिकारी ने अपनी आत्महत्या का कारण ममता को ही क्यों बताया? क्यों गौरव दत्त की पत्नी श्रेयांशी ममता को अपने पति की मौत का ज़िम्मेदार बता रही है? आख़िर आपने दस साल तक किसी आईपीएस अफसर को किस प्रकार इतना प्रताड़ित किया कि उसने नौकरी से सेवानिवृत्त होकर मौत को गले लगाना ही उचित समझा? इन सवालों का जवाब दे दीजिए फिर देश के हवाले से पूछते रहिए कि बालाकोट में क्या हुआ क्या नहीं हुआ?

सोचिए ज़रा! वायुसेना के जिस एक्शन से पूरे देश में संतुष्टि का माहौल बना, उसपर ममता जानना चाहती हैं कि आखिर उस दिन बालाकोट में वास्तविकता में हुआ क्या? और जिस घटना से ममता के अस्तित्व पर सवाल उठना शुरू हो गए उनके लिए उस प्रश्न का कोई औचित्य नहीं है। राजनीति करते-करते ममता जैसे नेता दूसरों पर सवाल उठाने से पहले भूल जाते हैं कि उनका दामन हर जगह कीचड़ से सना हुआ है। देश की जिस कामयाबी पर लोग गौरव करते नहीं थक रहे, उस पर सवाल उठाना भी बड़ी दिलेरी का ही काम है।

ममता ने मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा कि हवाई हमले के बाद उन्हें बताया गया कि 300-350 आतंकी मारे गए हैं । लेकिन उनका कहना यह भी है कि उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूऑर्क टाइम्स की खबरें भी पढ़ी हैं जो बता रहे हैं कि इस हमले में कोई मारा नहीं गया है, सिर्फ एक इंसान घायल हुआ है।

विदेशी अखबारों से जानकारी इकट्ठा करके सवाल दागने वाली ममता बनर्जी के सवाल ही उनपर सवाल खड़े कर रहे हैं कि वह जिस देश की प्रधानमंत्री होने के सपने देख रही हैं, उसी देश की सेना पर ऊँगली उठाने से उन्हें किसी प्रकार का कोई गुरेज़ नहीं हैं।

खैर, सीबीआई की पूछताछ से आहत होकर धरने पर बैठ जाने वाले यदि सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए तों ज्यादा हैरानी नहीं होती। ऐसे लोगों के हर कदम में राजनीति की ही गंध आती हैं। जो साबित करते हैं कि मुद्दा चाहे कोई भी हो लेकिन उसपर राजनीति जमकर करेंगे, वो भी तब जब लोकसभा चुनाव नज़दीक हों।

समय पर होंगे लोकसभा चुनाव, तारीख़ों की घोषणा जल्द : चुनाव आयोग

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के चलते अटकलें लगाई जा रहीं थी कि आगामी लोकसभा चुनाव में कहीं किसी तरह का व्यवधान न उत्पन्न हो जाए। इन अटकलों पर विराम लगाते हुए चुनाव आयोग ने कहा है कि लोकसभा चुनाव अपने समय पर ही सम्पन्न होंगे और इसके लिए सभी तैयारियाँ पूरी की जा चुकी हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर संवाददाओं को यह जानकारी दी कि देश में लोकसभा चुनाव अपने समय पर ही होंगे। आयोग जल्द ही लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर देगा। इसके अलावा उन्होंने चुनाव की तारीख़ आगे बढ़ाने की संभावनाओं का खंडन किया और बताया कि उन्होंने पिछले तीन दिनों तक ज़िलों और मंडल के शीर्ष प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। बता दें कि इस बैठक में प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार भी शामिल हुए।

मुख्य चुनाव आयुक्त के नेतृत्व में निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश में चुनावी तैयारियों का जायज़ा भी लिया। साथ ही अन्य राज्यों में चुनावी तैयारियों का जायज़ा लेने का ऐलान भी किया। चुनाव आयुक्त ने बताया कि चुनाव आयोग के साथ हुई बैठक में राजनीतिक दलों ने जातीय, साम्प्रदायिक भाषणों पर रोक लगाने, चुनाव के दौरान शत प्रतिशत केन्द्रीय बलों की तैनाती करने, वोटर लिस्ट में हुई गड़बड़ियों में सुधार करने समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई।

इस पर चुनाव आयोग ने भरोसा दिलाया कि आम चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सम्पन्न किये जाएँगे, इसके लिए आचार संहिता का कड़ाई से पालन होगा। देश में किसी भी तरह कि शिक़ायत पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। शिक़ायत के लिए लोकसभा चुनाव के दौरान समूचे देश में ‘सी-विजिल’ मोबाइल एप्लीकेशन जारी किया जाएगा, इस पर कोई भी नागरिक चुनाव से संबंधित शिक़ायत दर्ज कर सकेगा।  

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर उठने वाले सवालों के जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि EVM मशीन को बेवजह ही फुटबॉल बना दिया गया है। चुनाव आयुक्त ने कहा कि यदि चुनाव के परिणाम मन मुताबिक न हो तो पूरी मशीन के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं जो कि ग़लत है। उन्होंने इस बात को स्पष्ट किया कि आगामी लोकसभा चुनाव EVM मशीन के माध्यम से ही सम्पन्न होंगे।

‘IAF पायलट अभिनंदन का वापस आना हमारी डिप्लोमेसी की विजय’: अमित शाह

पुलवामा अटैक के बाद भारत की एयर स्ट्राइक, फिर उसके बाद पाकिस्तान की हेकड़ी, फिर पाकिस्तान का बैकफूट पर आना। F-16 की तबाही, भारत के पायलट की कस्टडी और अब उसके सकुशल भारत लौट आने के घटनाक्रम के बीच 1 फरवरी को शुरू हुआ इंडिया टुडे कॉन्क्लेव। इस कॉन्क्लेव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भारत-पाकिस्तान से जुड़े कई अहम सवालों के साथ ही कई और जरूरी राजनीतिक सवालों के जवाब दिए। प्रस्तुत है, इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में दिए इंटरव्यू के प्रमुख अंश—-

पिछले 72 घंटे में देश ने जो देखा उससे क्या मैसेज गया? क्या अगला पुलवामा नहीं होगा?

उरी की घटना के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और अब पुलवामा की घटना के बाद एयर स्ट्राइक से इतना संदेश जरूर गया है कि अब देश में नरेंद्र मोदी की सरकार है। हम अपनी सुरक्षा के प्रति सजग हैं। हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए हुए हैं। विश्व में हमारी इतनी पहचान हो चुकी है कि विश्व हमें सुनता है। पुलवामा के बाद पाकिस्तान दुनिया में अलग-थलग पड़ा है। ये हमारी कूटनीति की विजय है। अगर अभिनंदन इतने कम समय में वापस देश आ रहे हैं तो ये भी हमारी डिप्लोमेसी की विजय है।

इमरान खान कहते हैं सुबूत दीजिए, हम बातचीत को तैयार हैं?

मुझे आश्चर्य है कि इंडिया टुडे क्यों विपक्ष भाषा बोल रहा है। मैं इतना कहता हूँ कि सुबूत की बात बाद में, पुलवामा में जो हुआ पहले उसकी निंदा तो पाकिस्तान का प्रधानमंत्री करे। दो शब्द नहीं बोले कि घटना गलत हुई है। कैसे भरोसा करें हम, मंशा नहीं देंखे हम। जो पहले सुबूत दिए हैं, पहले उस पर कार्रवाई करें पाकिस्तान।

विपक्ष सेना और स्ट्राइक पर राजनीति कर रहे हैं, येदुरप्पा ने कहा 28 में 22 सीटें बातें करने की बात की?

येदुरप्पा ने जो कहा वो उन्हें नहीं कहना चाहिए था। उन्होंने खेद भी जताया है। पर आप लोगों को मनमोहन सिंह का वो बयान नहीं दिखाई दे रहा है। जिसमें वो कहते हैं कि दोनों देशों को संयम बरतना चाहिए, दोनों देशों को पागलपन नहीं करना चाहिए। आप क्या इक्वेट कर रहे हैं, भारत और पाकिस्तान की तुलना हो ही नहीं सकती। एक आतंकवाद फैलाने वाला देश है। एक अपनी आत्मरक्षा में कार्रवाई करने वाला देश है। दोनों को एक प्लैटफॉर्म में कैसे रखा जा सकता है? मीडिया को भी ये दिखाई नहीं पड़ता और क्यों नहीं दिखाई पड़ता? पूरे 3 दिन में पाकिस्तान मीडिया के चेहरे पर मैंने हँसी देखी है तो ये 22 दलों के रेजोल्यूशन के बाद देखी है। ऐसा क्या रिजॉल्व कर दिया कि पाकिस्तान की संसद में, मीडिया में आनंद का वातावरण हैं। जब पूरा विश्व भारत के साथ है, तो यहाँ से क्यों आवाजें निकल रही हैं। हम भी विपक्ष में रहे है। लेकिन, हमने सरकार का हमेशा समर्थन किया है।

26/11 के बाद आपने भी तो फुल पेज एड निकाले थे कि अगर मजबूत सरकार चाहिए तो बीजेपी चुनें?

वो हमने चुनाव के वक्त लगवाया था। घटना के समय नहीं। और ये चुनाव में उठना भी चाहिए, क्या चुनाव में देश की सुरक्षा मुद्दा नहीं होगा? मगर जब घटना हुई तो हमने विरोध नहीं किया, हमारा इतिहास उठा के आप देख लो। हमने 1971 के वक्त क्या स्टैंड लिया था, जनसंघ का स्टैंड 1965 के युद्ध के वक्त देख लीजिए।

विपक्ष पूछता है कि सरकार से सवाल पूछना क्या ऐंटी नेशनल है? अगर पुलवामा अटैक हुआ तो क्या यह इंटेलिजेंस फेलियर नहीं था? बीजेपी और सरकार जवाब दे?

देखिए सवाल पूछने में कोई दिक्कत नहीं है। सवाल पूछने के फोरम होते हैं। पूछने का समय होता है। अभी हमारा जवाब देना भी बाकी है। वो मानते हैं कि हम जवाब देंगे ही नहीं। इसीलिए उन्होंने शुरू से ही पॉलिटिक्स शुरू कर दी। हमारा जवाब देना बाकी है। दुनिया को हमारा तथ्य बताना बाकी है। विदेश विभाग को दुनिया भर से संपर्क करना है। उस वक्त आप सवाल कर रहे हैं? और सवाल क्या कर रहे हैं वो, क्या आपके समय कोई आतंकवादी घटना नहीं हुई? और सवाल तो मैं करता हूँ कि तब आपने जवाब क्यों नहीं दिया? देश की जनता आपसे सवाल पूछती है 26/11 के बाद आपने जवाब क्यों नहीं दिया?

मनमोहन सिंह सरकार मानती थी कि एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान नहीं बदलेगा। बातचीत का रास्ता ही ठीक है। उनका कहना है कि आपने भी तो हमला कर लिया तो कौन सा पाकिस्तान बदल गया?

तो बातचीत से भी कौन सा सुधर गया। आपने भी तो 10 साल बातचीत की, क्या एकतरफा मरते जाएँ, क्या रणनीति है ये? हो सकता है मनमोहन सिंह मुझे ज्यादा समझदार हों, मुझसे अच्छा ही सोचते होंगे देश के लिए, पर मैं नहीं समझ पाया कि एक के बाद एक घटनाएँ होती जाएँ और आप बातचीत की बात करते रहो।

बातचीत से (हल) नहीं निकलेगा, एयर स्ट्राइक से नहीं निकलेगा तो निकलेगा कैसे?

ये मुझे नहीं मालूम, मगर आतंकवाद फैलाने वाले, इन पर दबाव, खौफ बढ़ा है कि उन्हें जवाब मिलेगा, एकतरफा नहीं चलेगा। सबसे ज़्यादा आतंकवादी बीजेपी सरकार के दौरान मारे गए हैं।

इस वक्त जो सरकार चला रहे हैं, उनमें नरेंद्र मोदी हैं, अमित शाह हैं, अजीत डोवाल हैं। मगर फिर भी पाकिस्तान में हाफिज सईद, मसूद अजहर खुलेआम जिंदा घूम रहे हैं। ऐसा क्यों?

इतना किया तो ही आप लोग इतने सवाल दाग देते हो। अगर मसूद अजहर पर कुछ ज्यादा किया तो आप लोग क्या करोगे? हमने आतंकवाद को कठोरता से डील किया है। आजादी के बाद से किसी भी सरकार से ज्यादा अच्छा और कठोर रहा है हमारा रुख आतंकवाद के लिए, सबसे ज्यादा आतंकवादी हमारे समय में मारे गए हैं। और हो सकता है कि लोग पूछें कि इससे क्या हासिल हुआ? मैं यही कहना चाहता हूँ कि 20 साल से एक अघोषित युद्ध भारत से लड़ा जा रहा है। आतंकवादियों को आगे करके, ऐसे में इनको जवाब नहीं दिया जाना गलत है।

विपक्ष को लग रहा है कि ये टेंशन सब इसलिए की जा रही है कि चुनाव से पहले लोगों का ध्यान नौकरी, बिजली, सड़क, पानी जैसे मुद्दे से भटकाया जा सके? क्योंकि तीन राज्यों में बीजेपी हार गई है, इसलिए नेशनल सिक्योरिटी को मुद्दा बनाकर लोगों को भटकाया जा रहा है?

विपक्ष का क्या कहना है कि क्या पुलवामा हमने करवाया है? उसके बाद जो हुआ, उस पर सवाल उठ रहे हैं पूछने पर शाह बोले हम तारीख नहीं तय करते हमले की। सिर्फ इतना मैं मानता हूँ कि दो हमलों से उधर पूरा संदेश गया है। हमने शांति का भी मौका दिया था। मगर उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया, उस वक्त भी विपक्ष चीखा था कि क्यों पहुँच गए वहाँ? हम तो आपके बातचीत के प्लान को ही लेकर बढ़े थे, मैं मानता हूँ कि पहले एक बार शांति का प्रयास करना ठीक है, मगर जब वो सुधर ही नहीं रहे तो क्या कर सकते हैं। जवाब देना पड़ेगा और जवाब मोदी जी ने दृढ़ता से दिया है, हमारे सेना के जवानों ने प्रोफेशनली दिया है और वीरता से दिया है और ऐसे ही देंगे।

कश्मीर की समस्या को सुलझाने में पिछले 5 साल में आप ज्यादा कामयाब नहीं रहे?

कोई भी लोकतांत्रिक सरकार या दल ये नहीं मानेगा कि हथियार का उपयोग अंतिम समाधान है। मगर हथियार का उपयोग नहीं करना भी समाधान नहीं है जब सामने से हथियार का उपयोग हो रहा हो। हमें जवाब देना होगा और हम दे रहे हैं।

तो कश्मीर मुद्दा कैसे सॉल्व होगा?

ये इस शो में तो नहीं सॉल्व होगा, एक घंटे में तो नहीं होगा, जो गलतियाँ 1947 के बाद जवाहरलाल नेहरू कर गए। वो यहाँ तो सॉल्व नहीं होगी। इस प्रकार की चीजों पर चर्चा ऐसे प्रोग्रामों में नहीं हो सकती।

आपकी जो सोशल मीडिया फोर्स कहती है कि अगर आप हमारे साथ हो तो देशभक्त हो, विरोधी हो तो ऐंटी नेशनल हो?

आप एयरस्ट्राइक पर सवाल खड़ा करोगे तो देश की जनता जवाब माँगेगी, माँगना भी चाहिए, अगर किसी और पार्टी की सरकार है और वो आतंकवाद के खिलाफ स्टैंड लेती है, मैं उसकी आलोचना करता हूँ तो जनता मुझसे भी जवाब माँगेगी।

प्रियंका गांधी की एंट्री हुई, इससे उत्तर प्रदेश में फर्क पड़ेगा?

जहाँ तक मिसेज वाडरा का राजनीति में एंट्री का सवाल है। तो आपको मालूम नहीं हैं कि वो 12 साल से राजनीति में ही हैं। कई बार कैंपेनिंग कर चुकी हैं। अभी चुनाव हारने के बाद दो साल इधर-उधर बिताएँगे, बाद में कहेंगे री-एंट्री। तो आप कहते रहो। मगर इससे देश की जनता को कोई आस नहीं है। परिवारवाद के दिन समाप्त हो गए हैं।

अभिनंदन से पहले IAF के 3 पायलट भी लौट चुके हैं पाकिस्तान से, पढ़ें इनकी कहानी

भारतीय वायुसेना विंग कमांडर अभिनंदन आज (मार्च 1, 2019) स्वदेश लौट रहे हैं। यह मौक़ा जितना देश को गौरवान्वित करने वाला है उतना ही भावुक करने वाला भी है। पाकिस्तान द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद सोशल मीडिया के कारण हमें अभिनंदन की सकुशलता की ख़बरें लगातार मिल रही हैं। इससे हमारे मन में उठने वाले सवालों के जवाब के लिए हमें किसी प्रकार के माध्यम पर आश्रित नहीं रहना पड़ा।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि अभिनंदन से पहले भी भारत-पाक के युद्ध में सेना के कुछ जवान पाकिस्तान पहुँच गए थे। उस समय सोशल मीडिया के अभाव में उनकी कुशलता की सूचनाओं के लिए इंतज़ार करना पड़ता था। नवभारत टाइम्स में छपी रिपोर्ट में आज अभिनंदन की घर वापसी के मौक़े पर सेना के उन पूर्व जवानों ने अपने अनुभवों को साझा किया।

नचिकेता

1999 में नचिकेता पाक की हिरासत में 8 दिन रह चुके हैं और नचिकेता से पहले 1971 में कॉमडोर भार्गव को पाक ने 1 साल बाद छोड़ा था। इसी तरह 1965 में केसी करियप्पा पाक की हिरासत में चार महीने तक रहे।

इन तीनों मामलों में पाकिस्तान द्वारा जेनेवा संधि का उल्लंघन किया गया था। अभिनंदन की वापसी पर नचिकेता कहते हैं, “पायलट का दिल हमेशा कॉकपिट में होता है। विंग कमांडर अभिनंदन वापस आएँगे और जल्द ही कॉकपिट को लौटेंगे।” साल 2017 में भारतीय वायु सेना से रिटायर हुए नचिकेता अब बतौर कमर्शियल पायलट होकर सेवा प्रदान कर रहे हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी के साथ IAF पायलट नचिकेता

1999 में कारगिल युद्ध के दौरान फ्लाइट लेफ्टीनेंट रहे नचिकेता मिग-27 में सवार थे। जो कि क्रैश होकर पाक अधिकृत कश्मीर में जा गिरा था। नचिकेता इस घटना के दौरान पाकिस्तानी फौज पर हवा से फायर कर रहे थे। इसलिए जैसे ही वह पाक आर्मी के कब्जे में आए, उन्होंने नचिकेता को मारना शुरू कर दिया। नचिकेता ने अपने अनुभवों को शेयर करते हुए बताया कि इस दौरान उन्हें मार डालने की भी कोशिश की गई। उनकी जान एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी द्वारा बचाई गई थी।

नचिकेता बताते हैं कि उन्हें काफ़ी प्रताड़ित किया था लेकिन सेना में मिले प्रशिक्षण के कारण वे इतने मज़बूत थे कि उन्होंने कुछ नहीं बोला।

जे. एल. भार्गव

1971 के युद्ध में पकड़े गए फ्लाइट लेफ्टिनेंट भार्गव ने कहा कि यदि विंग कमांडर का फोटो पाकिस्तान के स्थानीय लोगों द्वारा नहीं शेयर किया जाता था तो साबित करना नामुमकिन हो जाता था कि वह पाकिस्तान में ज़िंदा गिरे थे। भार्गव अपना समय याद करते हुए बताते हैं कि वहाँ पर सोने नहीं दिया जाता, सब जानकारी माँगते रहते हैं।

वो बताते हैं कि उनके हर सवाल पर न कहना कभी-कभी बेहद मुश्किल हो जाता था। उनसे स्क्वॉड्रन के पायलट्स के बारे में पूछा जाता था और इस पर वो अपने भाई-बहन का नाम बताते थे। भार्गव बताते हैं कि एक बार जब उनसे पूछा गया कि मेरी स्क्वॉड्रन का बेस्ट पायलट कौन है, तो उन्होंने कहा कि वह आपके सामने बैठा है।

भार्गव बताते हैं कि पायलट को एक सर्वाइवर किट, एक पिस्तौल और पाकिस्तानी रुपए दिए जाते हैं। जब 5 दिसंबर 1971 को उनका HF-24 में पाक में गिरा तो उन्होंने फौरन उससे बाहर छलांग लगा ली। नीचे गिरते ही उन्होंने अपना सामान लिया और जी सूट को छिपा दिया। घड़ी को तुरंत पाकिस्तानी स्टैंडर्ड टाइम पर सेट किया। तेज बुद्धि के इस्तेमान से वह 12 घंटे तक अपने भारतीय होने की पहचान छिपाने में सफल रहे थे।

स्थानीय लोगों के पूछने पर वह सबको अपना नाम मंसूर अली बता देते थे और किसी को शक होता था तो पाकिस्तानी रुपया दिखा देते थे। इस तरह उनके 12 घंटे बीते लेकिन फिर एक पाकिस्तानी रेंजर ने उन्हें कलमा पढ़ने को बोल दिया। जब वह नहीं पढ़ पाए तो उन्हें गिरफ्तार करके पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया।

के सी करियप्पा

1965 में एयर मार्शल के सी करियप्पा ने भी अपना समय याद करते हुए कहा कि जंग के बाद वह 4 महीने तक पाकिस्तानी सेना की कैद में रहे थे।

उन्होंने बताया कि वहाँ पर रहते हुए उन्हें हमेशा एक डर सताता रहता था। उन्हें कुछ भी नहीं बताया जाता था कि जंग चल रही है या खत्म हो गई। बता दें कि जंग के आखिरी दिन करियप्पा के जहाज को गिराया गया था जिसके बाद वह सीधे पाक सेना के बीच गिरे थे।

करियप्पा विंग कमांडर अभिनंदन के मामले में सोशल मीडिया से काफ़ी नाराज़ हैं। उनका कहना है, “विंग कमांडर ने पाकिस्तानी सेना को कुछ भी बताने से इनकार कर दिया लेकिन नेटिजन्स (इंटरनेट यूजर्स) ने सारी जानकारियाँ सार्वजनिक कर दीं।”

हालाँकि, आज सोशल मीडिया के होने से हमें अभिनंदन की पल-पल की ख़बरें मिलती रहीं लेकिन करियप्पा का मानना है कि सोशल मीडिया असंवदेनशील है और इसका असर क़ैद हुए जवान के परिवार वालों के लिए ख़तरनाक होता है।