Wednesday, October 2, 2024
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बलात्कार आरोपित बिशप मुलक्कल के विरोध में उतरी एक और नन का तबादला

बलात्कार के आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में शामिल रही एक नन को उनके समूह ने तबादला आदेश जारी कार दिया है। केरल में 4 अन्य ननों को अपना कान्वेंट छोड़ने के लिए कहे जाने के आदेश के कुछ ही दिनों बाद यह फ़ैसला लिया गया है।

बलात्कार पीड़िता नन के साथ रह रहीं सिस्टर नीना रोज को ‘मिशनरीज़ ऑफ जीसस’ समूह के जालंधर कान्वेंट को रिपोर्ट करने और सुपीरियर जनरल सीनियर रेगीना कंदमथोट्टू से 26 जनवरी को मिलने के लिए कहा गया है।

केरल की एक नन ने रोमन कैथलिक चर्च के बिशप मुलक्कल पर 2014 से 2016 के बीच दुष्कर्म और अप्राकृतिक सेक्स करने का आरोप लगाया था। जून में कोट्टयम पुलिस को दी गई शिकायत में नन ने आरोप लगाया था कि बिशप ने मई 2014 में कुराविलंगा गेस्ट हाउस में उसके साथ दुष्कर्म किया और लंबे समय तक यौन शोषण करते रहे।

आज की रिपोर्ट के अनुसार, समूह प्रमुख ने आरोप लगाया है कि सिस्टर समुदाय और इसके रोजमर्रा के धार्मिक जीवन का हिस्सा बने रहने से इनकार कर बगावत के रास्ते पर जा रही हैं। इससे पहले, प्रमुख ने प्रदर्शन में भाग लेने वाली 4 ननों को तबादला आदेश जारी किया था।

नीना रोज को लिखे अपने पत्र में समूह के सुपीरियर जनरल ने चेतावनी दी है कि आदेश का अनुपालन करने में नाकाम रहने को आदेश का जानबूझ कर किया गया उल्लंघन माना जाएगा।

ज्ञात हो कि कथित पीड़िता नन और 4 अन्य ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को पत्र लिख कर अपने तबादला आदेश के क्रियान्वयन पर मामले की सुनवाई पूरी होने तक रोक सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था।

MP में 16 साल की दलित बच्ची का रेप, राजनैतिक हत्याओं के बाद अराजकता का माहौल

मध्यप्रदेश में शासन-प्रशासन फेल होता नज़र आ रहा है और राज्य में दुष्कर्म और हत्या की वारदात बढ़ती जा रही है। इस बार शिक्षा के मंदिर में एक अंजुम ख़ान नमक युवक ने हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए एक दलित नाबालिग छात्रा के साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया।

दरअसल, राजगढ़ जिले के छापीहेड़ा थाना क्षेत्र की रहने वाली 16 साल की छात्रा अपने भाई की साइकिल लेने के लिए घर से निकली थी। तभी घात लगाए रास्ते में बैठा आरोपित अंजुम उसे बहला-फुसलाकर नज़दीक के ‘वेलफेयर कॉन्वेंट स्कूल’ में ले गया, और वहाँ नाबालिग के साथ रेप किया।

युवक कर रहा था रेप, टीचर दे रहे थे पहरा !

आरोपी के इस कुकर्म में स्कूल के दो शिक्षक लखन कुशवाहा और श्याम प्रजापति ने भी उसका बाखू़बी साथ दिया। आरोप है कि दोनों ने अंजुम ख़ान को स्कूल का एक कमरा उपलब्ध करवाया और दोनों को कमरे में बंद कर बाहर से ताला लगा दिया। जिसके बाद अंजुम ख़ान ने छात्रा से दुष्कर्म किया।  

पुलिस के मुताबिक छात्रा के शोर मचाने पर पहुँचे आस-पास के लोगों ने छात्रा को बचाया और आरोपित की जमकर पिटाई की। जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। सूचना पर पहुँची पुलिस ने तीनों को गिरफ़्तार कर मामले की जाँच कर रही है।

चुनावों में हवाई सफ़र को तरसेगी कॉन्ग्रेस, BJP ने बुक किए सभी हेलीकॉप्टर और चार्टर्ड प्लेन

कॉन्ग्रेस को 2019 चुनाव से पहले हेलीकॉप्टर और चार्टर्ड प्लेन बुक करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने पहले से ही सारे हेलिकॉप्टर व चार्टर्ड प्लेन बुक कर लिए हैं। अब कॉन्ग्रेस को इस बात की चिंता हो रही है कि कैसे हवाई सफ़र तय किया जाएगा।

2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी की प्रचार समिति के अध्यक्ष आनंद शर्मा ने कहा, “पार्टी को हेलीकॉप्टर या चार्टर्ड प्लेन नहीं मिल रहे हैं, बीजेपी ने चुनाव के लिए सभी की बुकिंग करा है। हमें बुकिंग के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।” दुख ज़ाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच संसाधनों में गहरी खाई नज़र आती है।

चुनाव के दौरान बीजेपी ने भरी है सबसे ज़्यादा उड़ान

कर्नाटक और उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनावों में हवाई सफ़र के मामले में बीजेपी कॉन्ग्रेस से आगे रही है। कर्नाटक चुनाव में निर्वाचन आयोग ने विमान से प्रचार करने संबंधी 53 आवेदनों को मंजूरी दी थी। इसमें से 36 आवेदन बीजेपी के थे, वहीं अन्य दो आवेदक कांग्रेस की ओर से थे। इसके अलावा जनता दल सेक्युलर(JDS) ने 9 आवेदन किए थे।

पत्थरबाज़ों के बीच सुरक्षाबलों ने किया 3 आतंकियों को ढेर

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ में (IPS) अधिकारी के भाई शमसुल समेत तीन आतंकियों को ढेर किया गया, जबकि मुठभेड़ के दौरान एक सैनिक भी घायल हो गया। पुलिस की मानें तो शेरमल गाँंव में चार से छह आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद इलाके मे सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों द्वारा तलाशी अभियान शुरू किया गया। जिसमें आतंकियों ने जवानों पर फायरिंग की, जिसके बाद जवाबी फ़ायरिंग में तीनों आतंकियों को ढेर किया गया।

आतंकियों को बचाने फिर जुटे पत्थरबाज़

सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ के दौरान आतंकियों को बचाने के इरादे से एक बार फिर पत्थरबाज सक्रिय नज़र आए। पत्थरबाजों और सुरक्षाबलों के बीच करीब चार घंटे तक झड़प हुई जिसमें सुरक्षाबलों ने भीड़ पर काबू पाने के लिए आँसू गैस के गोले दागे और पैलेट गन का इस्तेमाल किया।

‘IPS भाई के समझाने पर भी नहीं सुधरा शमसुल’

सुरक्षा बलों ने द्रग्गुड गाँव के जिस आतंकी शमसुल को मारा है, उसके बड़े इनामुल हक़ मेंगनू 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वो अभी पूर्वोत्तर भारत में तैनात हैं। शमसुल आतंकी गतिविधि में शामिल होने से पहले श्रीनगर के एक कॉलेज से यूनानी मेडिसीन में स्नातक की पढ़ाई कर रहा था। शमसुल के मारे जाने पर टिप्पणी करते हुए राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक शेष पॉल वैद ने कहा, “हिजबुल आतंकी का यह दुखद अंत है। शमसुल के आईपीएस भाई ने उसे मुख्यधारा में लाने की तमाम कोशिशें की थीं।”

राहुल गाँधी जी, हवाबाज़ी थोड़ा कम कीजिए! ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ ने ज़िंदगियाँ बदली हैं

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नज़दीक आता जा रहा है, कुछ पत्रकारों ने चुनिंदा आँकड़े परोसना शुरू कर दिया है। ख़ासतौर से वामपंथी प्रोपेगैंडा पत्रकार, उनके चैनल और पोर्टल। आमतौर पर पत्रकारों को सामान्यवादी माना जाता है, उनके पास किसी विषय के बारे में समझ की गहराई के बजाय कई विषयों की हल्की-फुल्की समझ होती है। हालाँकि, इन दिनों कई स्वयंभू विशेषज्ञ पत्रकार हर सार्वजनिक नीति, शासन और अर्थशास्त्र से संबंधित जटिल मुद्दों पर भी बिना किसी विशेष जानकारी के विशेषज्ञ होने का दावा करते फिर रहे हैं।

हालिया मुद्दा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का है। जिसे मोदी सरकार ने गंभीरता से लेते हुए प्रमुखता से आगे बढ़ाया है और ये योजना काफ़ी सफल है। हम जानते हैं कि भारत में लड़कियों का स्कूलों में नामांकन दर बहुत कम है क्योंकि भारतीय अभिभावक लड़कियों को स्कूलों में भेजने से बचते हैं। जिसकी एक बड़ी वज़ह पब्लिक स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय की कमी या उनका न होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात में अपने मुख्यमंत्री के रूप में शासन के दिनों में ही इस समस्या का एहसास हुआ और उन्होंने लड़कियों के लिए स्कूलों में शौचालय बनवाने की जिम्मेदारी प्रमुखता से ली। उन्होंने इस बात पर तब भी काफ़ी ज़ोर दिया कि कोई भी बच्ची शौचालय न होने की वजह से स्कूल जाने से वंचित न रहे।

जैसे ही वे प्रधानमंत्री बने, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ उनके द्वारा घोषित की गई शुरुआती योजनाओं में से एक बड़ी योजना थी। यह अभूतपूर्व था जब पहली बार लाल क़िले की प्राचीर से, 15 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री ने भारत के सामने उन चुनौतियों के बारे में बोलने की हिम्मत की, जिन पर तत्काल काम करने की ज़रूरत थी, शौचालय की कमी भी उसमें से एक थी। उन्होंने इन चुनौतियों पर विजय की कामना के साथ अपना भाषण समाप्त किया था।

शौचालय बच्चियों को शिक्षा से जोड़ने की समस्या का सिर्फ़ एक हिस्सा था। असली चुनौती बालिकाओं की शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और उनका दृष्टिकोण बदलने की थी। परिणामस्वरूप, पूरे देश में जागरूकता फैलाने का एक अभूतपूर्व व्यापक अभियान शुरू किया गया। स्कूलों में बालिकाओं के नामांकन दर में सुधार के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण बाधाओं को एक साथ दूर करने का लक्ष्य बनाया गया।

प्रधानमंत्री ने उस जागरूकता अभियान की अगुवाई करते हुए, सोशल मीडिया पर #SelfieWithDaughter अभियान चलाया। मेरे कई वामपंथी मित्रों ने यह कह कर इसे बंद कर दिया कि इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, बेकार है ये। लेकिन वे इस तरह के इशारे के पीछे के प्रतीकात्मक प्रभाव को पहचानने में विफल रहे। बता दूँ कि हमारी रूढ़िवादी सोच और कार्यान्वयन की अनिच्छा ही पिछली कई योजनाओं के विफल होने के कारण रहे हैं। भारत जैसे विशाल व विविधतापूर्ण देश में, लोगों के व्यवहार और रवैये में बदलाव लाने में बहुत समय और पैसा लगता है। प्रधानमंत्री ने लोगों के सोच और व्यवहार में अपेक्षित बदलाव के लिए कई आउटरीच कार्यक्रमों का आयोजन किया।



(NSSO लेबर ब्यूरो सर्वे और ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन)

अक्सर लोग विज्ञापनों पर होने वाले ख़र्च की आलोचना करते हैं, लेकिन उपरोक्त आँकड़े यह दर्शाते हैं कि किस तरह आउटरीच और जागरूकता के कार्यक्रमों ने नामांकन दर में जेंडर गैप को कम कर दिया है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में लिंगानुपात पहले से ही कम है। इसलिए यह डेटा स्पष्ट रूप से ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम की सफलता को प्रदर्शित करता है।

लोग इस योजना में विज्ञापन पर हुए ख़र्च को अलग करके देखते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि सभी स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय निर्माण की महत्वाकांक्षी परियोजना के साथ-साथ कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए आउटरीच और जागरूकता कार्यक्रम भी बेहद महत्वपूर्ण था।

राहुल गाँधी ने एक वामपंथी प्रोपेगैंडा पोर्टल (Quint) जो अक़्सर तथ्यों को घुमाफिराकर, तोड़-मरोड़कर पेश करने का अभ्यस्त हैं, पर भरोसा किया। जिसने यह बताया कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना विफल है क्योंकि बहुत सारे धन ‘विज्ञापन’ में खर्च हुए हैं। जबकि तथ्य यह है कि योजना स्वयं में एक व्यापक जागरूकता अभियान है और जागरूकता पैदा करने में एक बड़ा हिस्सा विज्ञापनों का होता है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना की प्रमुख ज़रूरत देशव्यापी जागरूकता अभियान भी है। पर राहुल और उनके पिट्ठू मीडिया को वास्तविक तथ्यों से अवगत हो और उसे सच्चाई के साथ पेश करने की उम्मीद करना बड़ा सवाल है। जिसकी समझ की उम्मीद उनसे नहीं की जा सकती।

दिलचस्प बात यह है कि 1947 के बाद से ही भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस सबसे अधिक समय के लिए सत्ता में रही। 24 अकबर रोड (पुस्तक) के अनुसार, यह तथ्य चौंकाने वाला है कि ‘भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के मुख्यालय में महिलाओं के लिए एक भी डेडिकेटेड शौचालय नहीं है।’ यह तब है जब इंदिरा गाँधी और सोनिया गाँधी जैसी ‘महिला सशक्तिकरण’ की हिमायती कॉन्ग्रेस की मुखिया रही हैं। यह तथ्य स्वयं कॉन्ग्रेस की महिलाओं के प्रति उदासीनता और दोयम सोच को दर्शाता है।

मुझे इस बात का आश्चर्य है कि जो लोग आज ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम की जागरूकता अभियान के लिए विज्ञापनों के ख़र्चे पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कभी कॉन्ग्रेस से सवाल किया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्यालय में महिलाओं के लिए शौचालय क्यों नहीं है? शायद, राहुल जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की प्रतीक्षा कर रहे थे, कॉन्ग्रेस के मुख्यालय में एक शौचालय का निर्माण करने में मदद करने के लिए। ठीक वैसे ही कॉन्ग्रेस पूरे भारत के सभी गाँवों और घरों में विद्युतीकरण के लिए भी प्रधानमंत्री का इंतज़ार कर रही थी।

गुंजा कपूर के इस लेख का अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद रवि अग्रहरि ने किया है।

‘मंदिर वहीं बनाएँगे’: इंडिया टुडे सर्वे में हिस्सा लेने वाले 69% लोगों ने कहा

इंडिया टुडे द्वारा चुनाव से ठीक तीन महीने पहले देश में अयोध्या में राममंदिर निर्माण पर एक सर्वे कराया गया है। इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले देश के 69% लोगों ने कहा कि मंदिर अयोध्या में विवादित जगह पर ही बनाया जाना चाहिए। जबकि इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 22% लोगों ने माना कि अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर नहीं बनाया जाना चाहिए।

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अयोध्या में विवादित स्थान पर राम मंदिर का निर्माण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इंडिया टुडे द्वारा कराए गए इस सर्वे में देश के 13,000 लोगों ने हिस्सा लिया। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 67% लोगों ने यह भी माना कि मोदी सरकार को अयोध्या में विवादित जगह पर मंदिर बनाने के लिए संसद में अध्यादेश लाना चाहिए। जबकि इसी सवाल के जवाब में 24% ने कहा कि सरकार को अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश नहीं लाना चाहिए।

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम मंदिर पर अध्यादेश को लेकर केंद्र सरकार का रुख़ साफ़ करते हुए कहा था कि इस पर किसी भी प्रकार का विचार करने से पहले शीर्ष अदालत के फ़ैसले का इन्तज़ार किया जाएगा। एएनआई की सम्पादक स्मिता प्रकाश को दिए साक्षात्कार में पीएम ने विभिन्न मुद्दों से जुड़े सवालों का बेधड़क जवाब दिया और इसी क्रम में राम मंदिर पर भी अपनी सरकार और पार्टी का रुख स्पष्ट किया। प्रधानमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि तीन तलाक पर भी केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायलय के निर्णय के बाद ही अध्यादेश लाया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस इंटरव्यू में कांग्रेस के वकीलों पर अदालत की करवाई को धीमी करने का भी आरोप लगाया था। साथ ही उन्होंने भाजपा के 2014 घोषणापत्र की चर्चा करते हुए कहा था कि इस मुद्दे का हल संविधान के दायरे में रह कर ही निकाला जायेगा। उस घोषणापत्र में कहा गया था कि भाजपा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए संविधान के भीतर सभी संभावनाएं तलाशने के अपने रुख को दोहराती है। दरअसल प्रधानमंत्री से यह पूछा गया था कि क्या भाजपा राम मंदिर मुद्दे को हमेशा भावनात्मक तौर पर उठाती है। इस से जुड़े सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने कहा:

“अदालती प्रक्रिया खत्म होने दीजिए। जब अदालती प्रक्रिया खत्म हो जाएगी, उसके बाद सरकार के तौर पर हमारी जो भी जवाबदारी होगी, हम उस दिशा में सारी कोशिशें करेंगे।”

ममता दीदी को डर था कि हमारी यात्रा निकली तो सरकार की अंतिम यात्रा निकल जाएगी: अमित शाह

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी को करारा जवाब दिया है। अमित शाह ने रैली के दौरान कहा, “ममता दीदी को डर था कि हमारी यात्रा निकलती है तो उनकी सरकार की अंतिम यात्रा निकल जाएगी।” अमित शाह ने ममता पर प्रहार करते हुए कहा कि यह चुनाव देश की संस्कृति को समाप्त करने वाली टीएमसी को हराने का चुनाव है।

ऐसे में बंगाल की जनता को तय करना है कि वो संस्कृति समाप्त करने वाले टीएमसी को लाएंगे या फिर संस्कृति बचाने वाली बीजेपी को सत्ता में लाएंगे। यही नहीं रैली में अमित शाह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने सुभाष चंद्र बोस के बंगाल को अमर करने के लिए अंडमान के टापू का नाम सुभाष बाबू के नाम कर रख़ने का फ़ैसला किया है। उन्होंने रैली में कहा कि देश की आजादी के बाद बंगालियों का हर क्षेत्र में बोलबाला था। लेकिन वामपंथी और ममता दीदी के शोषण के बाद आज बंगाल जहाँ है उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

‘टीएमसी बंगाल को कंगाल बना दिया’

शाह ने कहा कि एक समय बंगाल का औद्योगिक उत्पादन दर 27% था जो आज घटकर महज़ 3.3% रह गया है। बंगाल को टीएमसी ने कंगाल बना दिया। पहले बंगाल 100 में 32 लोगों को रोज़गार दिया करता था लेकिन आज ये आँकड़ा महज चार का बचा है। उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट तो बुरे थे ही, बंगाल की जनता ने इन्हें निकालने के लिए परिवर्तन किया और टीएमसी को लाया। लेकिन आज जनता कहती है की टीएमसी से तो कम्युनिस्ट अच्छे थे।

इसके अलावा शाह ने तंज कसते हुए कहा, “हम बंगाल में रथ यात्रा निकालने वाले थे लेकिन हमें राज्य सरकार ने रोक दिया, यहाँ कोई टीएमसी ने लोकतंत्र को खत्म कर दिया।” उन्होंने कहा कि हम मेहनत करेंगे लेकिन इस बार आपको बंगाल से हटाकर ही मानेंगे।

अमित शाह का हेलीकॉप्टर रोकने पर ममता से पीयूष गोयल का सवाल

पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने मालदा जिले में अमित शाह के हेलीकॉप्टर को उतारने की अनुमति देने से इनकार करते हुए, कई झूठे कारण गिनाए थे। इस पर पीयूष गोयल ने महागठबंधन से ही सवाल पूछा था कि क्या अब किसी को बंगाल में लोकतंत्र ख़तरे में नहीं दिख रहा?

“एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष को राज्य में रैली से रोकने में असहिष्णुता नज़र नहीं आ रही। यदि ऐसा किसी ज़रूरी कारण से भाजपा शासित किसी राज्य में होता तो अब तक आपातकाल आ चुका होता।”

बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मालदा में आज जिस रैली को संबोधित कर रहे हैं। उसी रैली में हिस्सा लेने के लिए अमित शाह को हेलीकॉप्टर उतारने से ममता सरकार ने रोक दिया था।

ECIL ने कहा सैयद शूजा कभी भी ECIL में कार्यरत नहीं था

विदेश में बैठकर तमाम निर्वाचन व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले  EVM ‘टेक एक्सपर्ट’ सैयद शूजा आज दिनभर चर्चा में रहे। पहला तो इस कारण कि आज ही निर्वाचन आयोग ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर भ्रामक अफ़वाह फैलाने के अपराध में सैयद शूजा पर FIR दायर करने का निर्देश दिया है। वहीं जिस ECIL कम्पनी का कर्मचारी होने का सैयद शूजा दावा कर रहे थे, उन्होंने एक लिखित जानकारी में स्पष्टीकरण दिया है कि सैयद शूजा नाम का कोई भी व्यक्ति ECIL कम्पनी का हिस्सा नहीं रहा है।

ECIL कम्पनी द्वारा जारी स्पष्टीकरण की कॉपी

कम्पनी ने स्पष्टीकरण में लिखा है कि सैयद शूजा नाम के किसी भी व्यक्ति का EVM निर्माण में कोई योगदान नहीं रहा है और ना ही 2009 से 2014 के बीच कोई सैयद शूजा ECIL कम्पनी में कार्यरत था।

उप चुनाव आयुक्त को लिखे इस पत्र में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि सैयद शूजा का ECIL कम्पनी से कभी कोई वास्ता नहीं रहा है। अपने एक लाइव प्रसारण में सैयद शूजा नाम का यह व्यक्ति बता रहा था कि उसने 2009 से लेकर 2014 तक ECIL के लिए काम किया था और उस पर 4 दिन पहले हमला किया गया था।

बता दें कि सैयद शूजा नाम के इस तथाकथित ‘टेक एक्सपर्ट’ के ख़िलाफ़ देश के निर्वाचन आयोग आज (जनवरी 22, 2019) ही दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर रिपोर्ट दर्ज़ करने का निर्देश दे चुका है।

लंदन में EVM को हैक करने का दावा करने वाले सैयद शूजा के दावे को EVM बनाने वाली कम्पनी ECIL (इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड) ने भी नकार दिया है। कम्पनी ने अपने रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि इस नाम का कोई भी शख्स कभी भी डिज़ाइनिंग टीम का हिस्सा नहीं रहा है।

सैयद शूजा नाम का यह व्यक्ति सोमवार (जनवरी 21, 2019) को राजनीतिक दलों पर 2014 के आम चुनावों में EVM में गड़बड़ी करने के आरोप लगाकर चर्चा में आया था और आरोप लगाया था कि पत्रकार गौरी लंकेश की मौत की वजह यह थी कि वह इस गड़बड़ी पर प्रोग्राम करना चाहती थी। बीजेपी के पूर्व नेता गोपीनाथ मुंडे की मौत को भी इस ‘टेक एक्सपर्ट’ ने EVM प्रकरण से जोड़ा था।

चुनाव आयोग और ECIL के स्पष्टीकरण के बाद यह वाकया एक हास्यास्पद स्तर पर पहुँच चुका है। कुछ पत्रकारों ने यह भी सवाल उठाए कि अगर कोई व्यक्ति कह रहा है तो इस बात की जाँच अवश्य की जानी चाहिए। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हैकर की प्रेस कांफ्रेंस को कॉन्ग्रेस प्रायोजित सर्कस करार दिया। लंदन से आयोजित इस लाइव प्रेस वार्ता में कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल शामिल थे।

इस मामले पर ऑपइंडिया संपादक के विचार आप पढ़ सकते हैं।

‘इतने की तो हम बीड़ी पी जाते हैं’: मध्य प्रदेश में ₹13 की क़र्ज़माफ़ी पर किसान का बयान

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार द्वारा किसानों की क़र्ज़माफ़ी की घोषणा के बाद किसानों की मुश्किलें ख़त्म होने के बजाए बढ़ती ही जा रही हैं। क़र्ज़माफ़ी को लेकर सरकारी दफ़्तरों में चिपकाई जा रही सूची में किसी के नाम ₹13 तो किसी के नाम के आगे ₹30 की क़र्ज़माफ़ी है। क़र्ज़माफ़ी के मुद्दे पर 15 साल बाद सत्ता में आई कॉन्ग्रेस की कमलनाथ सरकार के इस रवैये से जनता बेहद परेशान है।

किसानों के लिए जारी क़र्ज़माफ़ी की लिस्ट में निपानिया के रहने वाले एक किसान शिवपाल का भी नाम है। शिवपाल पर बैंक के ₹20,000 से ज्यादा का कर्ज़ है। लेकिन सरकार द्वारा जारी लिस्ट में उनके नाम के आगे ₹13 की क़र्ज़माफ़ी की गई है। शिवपाल ने अपने बयान में कहा, “सरकार क़र्ज़ माफ़ कर ही रही है तो मेरा पूरा क़र्ज़ माफ़ होना चाहिए, ₹13 की तो हम बीड़ी पी जाते हैं।”

मध्य प्रदेश में क़र्ज़माफ़ी एक तरह से फ़र्ज़ी किसान घोटाला है

कॉन्ग्रेस ने किसानों की क़र्ज़माफ़ी के अपने चुनावी जुमले को जनता के बीच जमकर भुनाया था, अब इस प्रकार के प्रकरणों से किसान ऋणमाफ़ी मात्र एक कॉन्ग्रेस का चुनावी पैंतरा बनकर रह गया है। इस रणनीति के तहत कॉन्ग्रेस ने भले ही 3 राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) की सत्ता अपने हाथों ले ली हो, लेकिन उसकी असलियत अब धीरे-धीरे सामने आ रही है।

हाल ही में राजस्थान में फ़र्ज़ी कर्ज़माफ़ी के आँकड़े भी सामने आए थे, जिसमें कॉन्ग्रेस पार्टी का क़र्ज़माफ़ी का झूठ पकड़ा गया था। इस प्रकरण में राज्य सरकार द्वारा जारी की गई सूची में उन किसानों के नाम शामिल थे, जिन्होंने कभी बैंक से लोन लिया ही नहीं था।

ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश सरकार में भी देखने को मिला है, जिसका असर आगामी चुनावों में कॉन्ग्रेस सरकार पर यक़ीनन देखने को मिलेगा। ख़बरों के अनुसार, मध्य प्रदेश में क़र्ज़माफ़ी की घोषणा के बाद वहाँ के किसानों ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि जब कर्ज़ लिया ही नहीं तो फिर माफ़ी कैसी?

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में किसानों की क़र्ज़माफ़ी की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही विवादों में छा गई है। दरअसल हुआ यूँ कि क़र्ज़माफ़ी के लिए जब समितियों की तरफ से पंचायत पर कर्ज़दारों की सूची जारी की गई तो उनमें जिन किसानों के नाम शामिल थे, उन्होंने ऐसा कोई क़र्ज़ लिया ही नहीं था जिसकी माफ़ी से वे ख़ुश हो सकें।

इसके बाद उन किसानों ने जिले की सहकारी केंद्रीय बैंक की शाखा व समितियों पर जाकर क़र्ज़ लेने सम्बन्धी आपत्ति दर्ज़ कराई, साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि जब उन्होंने बैंक से कोई क़र्ज़ ही नहीं लिया तो फिर उनका नाम ऐसी किसी सूची में कैसे शामिल हो सकता है जिसके लिए कर्ज़ माफ़ी का प्रावधान किया जा रहा है। बता दें कि किसानों को फ़सल के लिए ऋण कृषि साख सहकारी समीतियों द्वारा ही दिया जाता है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, जिला सहकारी बैंक की चीनौर शाखा उर्वा सोसायटी का घोटाला सबसे अधिक चर्चित रहा। लगभग 1,143 किसानों के नाम फ़र्ज़ी ऋण वितरित किया गया, जिससे बैंक को लगभग साढ़े पाँच करोड़ रुपए का चूना लगा। इस संबंध में जब पूर्व विधायक बृजेंद्र तिवारी ने एक किसान की जाँच कराई, तो पता चला कि ऐसे 300 किसानों के पते ही फ़र्ज़ी थे। बाकी किसानों के पास जाकर पाया कि उन्होंने किसान संबंधी कोई क़र्ज़ लिया ही नहीं।

ऐसे में यही सवाल उठता है कि क़र्ज़माफ़ी से जुड़ा यह विवाद अभी और कितने फ़र्ज़ी घोटालों को सामने लाएगा? उम्मीद यह की जा रही है कि जल्द ही इस तरह के क़र्ज़माफ़ी के और भी प्रकरणों का पर्दाफ़ाश होगा।

‘महाठगबंधन’ की बारात में ‘तानाशाह’ दीदी से लेकर दोमुँहे साँप केजरी ‘सड़जी’ फन फैलाए बैठे हैं

देश में जिस महागठबंधन को लेकर आज माहौल बनाया जा रहा है, वह सही मायने में ‘चोरों’ की एक ऐसी मंडली है जिसका इतिहास ही बाँटो, लूटो और राज करो का रहा है। अगर ये कहा जाए कि प्रधानमंत्री मोदी को हटाने के लिए सभी ‘चोरों’ का गिरोह एक साथ मैदान में उतर आया है तो गलत नहीं होगा। मौजूदा गाँठ जोड़ने वाली पार्टियों का सिर्फ़ एक ही लक्ष्य है कि ‘चौकीदार’ को हटाया जाए, और देश को लूटा जाए।

बिन दूल्हे की बारात जाएगी कहाँ?

सोचने वाली बात है कि बिन दूल्हे की बारात का आख़िर होगा क्या? पीएम मोदी जैसे सशक्त नेता के डर से गठबंधन तो कर लिया गया है, लेकिन गठबंधन में पीएम का विकल्प कौन होगा इस प्रश्न पर सन्नाटा है। कॉन्ग्रेस राहुल गाँधी को दूल्हा मानकर चल रही है, तो वहीं तृणमूल कॉन्ग्रेस का सपना दीदी ममता के सिर पर ताज सजाने का है। गठबंधन में शामिल हुए अलग-अलग पार्टी के दिग्गज नेताओं के मन में अलग ही रसगुल्ले इस बात को लेकर फूट रहे हैं कि शायद उनका जीवन बुढ़ापे में ही सुफल हो जाए।

खैर अब राहुल बाबा की कॉन्ग्रेस के 70 सालों के कारनामों को कौन नहीं जानता है? साम्प्रदायिकता के आधार पर देश को बाँटना हो, देश में हिंदू-मुस्लिम दंगा करवाना हो या फिर 2G, बोफ़ोर्स, कोल आवंटन, राष्ट्रमंडल खेल में करोड़ों का घोटाला करना हो, यहाँ का इतिहास घोटालों से संपन्न है। बावजूद इसके स्टालिन का कहना है कि मोदी सरकार को हराने की ताक़त, और क़ूवत राहुल गाँधी में है।

दोमुँहे साँपों का है ये महागठबंधन

दोमुँहे साँपों की अगर बात करें तो उसमें सबसे पहला नाम ‘सर केजरी’ का आता है। ये मैं नहीं कह रहा हूँ, इसका प्रमाण ‘सड़जी’ ख़ुद दे चुके हैं। जनवरी 2014 में ‘सड़जी’ ने कहा था, “मैंने भ्रष्ट लोगों की सूची बनाई है, यह सिर्फ़ शुरूआत है और सूची बढ़ेगी। मैं आपके सामने सूची पेश कर रहा हूँ, और आप तय करें कि इन लोगों को वोट दिया जाना चाहिए या नहीं? इनको हराना ही मेरा लक्ष्य है।” बता दें कि उस वक़्त ‘सड़जी’ की लिस्ट में सबसे ऊपर कॉन्ग्रेस के शहज़ादे राहुल गाँधी हुआ करते थे। खैर, ‘सड़जी’ तो इन्हें हटाते-हटाते खुद ही इनमें लिप्त हो गए।

कर्नाटक CM कुमारस्वामी चाहते हैं ममता जी के सिर पर सजे ताज

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन से पूरी तरह ‘निराश’ हैं। इन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता जी में ‘कुशल प्रशासक’ दिखाई दे रहा है। स्वामी जी की मानें तो देश की अगुवाई करने की हर काबिलियत इनमें मौज़ूद है।

वहीं, दूसरी ओर कॉन्ग्रेस के पश्चिम बंगाल के नेता रंजन चौधरी की मानें तो ममता जी गिरगिट की तरह रंग बदलने वाली महिला हैं, कट्टर, चालाक, तानाशाह उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। चलिए जाने अनजाने ही सही कोई खुलकर तो बोला। याद दिलाते चलें कि ये वही ममता बनर्जी हैं जो हमेशा से दोहरे आचरण को लेकर चलती आई हैं।

एक तरफ ये NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन) के मुद्दे पर असम एनआरसी से बाहर रह गए 40 लाख घुसपैठियों की बात करती थीं, वहीं दूसरी ओर 2005 में संसद में पश्चिम बंगाल में अवैध प्रवासियों के ख़िलाफ़ स्थगन प्रस्ताव लेकर अपनी ही बात का खंडन किया। इन सब के बावज़ूद ममता जी 2018 में NRC को लेकर बीजेपी पर हमला करती हैं और कहती हैं कि 40 लाख लोग पूरी तरह भारतीय हैं।

ममता जी पर तानाशाही का आरोप भी लग चुका है, याद दिला दें कि पश्चिम बंगाल की ममता दीदी की रैली में सवाल पूछने वाले एक व्यक्ति को गिरफ़्तार करने का आदेश दे दिया गया था। क्योंकि उसने ये कह दिया था कि किसान मर रहे हैं और खोखले वादे से काम नहीं चलेगा। अब आप सोच सकते हैं कि ममता जी के पास कितनी ममता है, और राष्ट्र के लिए वो कितनी उपयोगी प्रधानमंत्री साबित हो सकती हैं।

झूठ, फ़रेब, धोखा, भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं देगा महागठबंधन

‘मुँह में राम बगल में छूरी’ की कहावत पूरी तरह से ‘महागठबंधन’ के प्रत्येक पार्टी और नेताओं पर सटीक बैठता है। ये वही पार्टियाँ हैं, जिनके पास राष्ट्र के लिए कोई विज़न नहीं है। दशकों से एक दूसरे से लड़ती-झगड़ती, आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए राजनीति करती आई हैं। सवाल उठता है कि अगर सत्ता में आईं तो राष्ट्र और राष्ट्र के नागरिकों के लिए क्या करेंगे? क्योंकि वोट बैंक की राजनीति और सत्ता में आना ही इनका एक मात्र लक्ष्य है।

ये पार्टियाँ एक तरफ संसद में जीएसटी, आर्थिक आधार पर आरक्षण देने वाले बिल पर पूरा समर्थन देती हैं, वहीं दूसरी और संसद के बाहर राष्ट्रहित के इन पैमानों की जमकर आलोचना करती हैं। इनके लिए केवल सत्ता पाना ही सब कुछ है, भले ही इसके लिए कितना भी झूठ और अफ़वाह क्यों न फै़लाया जाए। सवाल उठता है कि आखिर ये इनका दोहरा रवैया झूठ, फ़रेब, धोखा, भ्रष्टाचार, घोटाले के अलावा इस राष्ट्र को क्या दे सकता है?