Tuesday, April 23, 2024

सामाजिक मुद्दे

घरेलू हिंसा में इजाफे का लॉकडाउन से नहीं नाता, असल वजह सिर्फ विश्वव्यापी पितृसत्ता

घरेलू हिंसा का लॉकडाउन से संबंध नहीं। यह पितृसत्ता में जकड़े समाज का नतीजा है जो फिर अपना चेहरा दिखाने लगा है।

खग ही जाने खग की भाषा: रामचरित मानस के बहाने कोरोना और चमगादड़ वाली धूर्तता के पीछे का सच

रामचरित मानस एक पन्ने की तस्वीर को किसी धूर्त व्यक्ति ने दोहा संख्या 120 में चमगादड़ और रोग का जिक्र है, ऐसा कहकर व्हाट्स-एप्प इत्यादि.....

पालघर साधु लिंचिंग: हिंदुओं को ‘आतंकी’ कहने वाले अनुराग और लिबरल गैंग अब पढ़ा रहे इंसानियत का पाठ

इस बार मरने वालों में भगवा वेशधारी साधू हैं। हिंदुओं को 'आतंकी' कहने वाले पालघर साधु लिंचिंग पर चुप नहीं बल्कि इंसानियत जैसे शब्दों के साथ...

कोरोना जैसे संकटों को लाइलाज बना सकती है बेहिसाब जनसंख्या

भारत की बेहिसाब जनसंख्या में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी अलग तरह की चुनौती पेश करती है। स्वास्थ्य-सुविधाओं और साधनों की भारी कमी के कारण...

पालघर में संतों को किसने मारा: अजीत भारती का सवाल | Ajeet Bharti on Palghar Sadhus Mob Lynching

महाराष्ट्र के पालघर में 2 साधुओं समेत 3 लोगों की हत्या कर दी जाती है। लगभग 200 लोगों की भीड़ से घिरा साधु पुलिस मदद के लिए जाता है, लेकिन...

आतंकवाद का कोई मजहब नहीं… लेकिन भूख का धर्म होता है! पाकिस्तान-बांग्लादेश में हिन्दुओं की अनदेखी और साजिश

पाकिस्तान-बांग्लादेश में हिंदुओं की दुर्दशा को दुनिया अनदेखा कर रही। शर्मनाक यह कि भारत के करोड़ों हिंदुओं को भी इससे कोई लेना देना नहीं!

तबलीगी जमात का थूक साफ कर रहे लिबरल मूर्खों से पाला पड़े तो क्या करें?

जाहिल और दिमाग से पैदल ऐसे लोग आपको फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप जैसी जगहों पर आसानी से दिख जाएँगे।

अरुंधति रॉय जैसे ‘विचारकों’ का इतिहास Google सर्च में कैद है, आपने सर्च किया ये की-वर्ड?

गूगल में अरुंधति रॉय सर्च करते ही एक 'अर्बन नक्सल विचारक' के गैरकानूनी कामों की टाइमलाइन तैयार हो जाती है।

सिर्फ सेहत के सहारे जिन्दगी कटती नहीं, क्योंकि बिरियानी में बोटियाँ तलाशते रहते हैं टुकड़ाखोर

बिरियानी में बोटियाँ तलाशते टुकड़ाखोर किसी "फोबिया" शब्द को बिलकुल वैसे ही पत्थरों की तरह चलाते हैं, जैसे अभी-अभी यूपी के किसी जिले में स्वास्थ्यकर्मियों पर चलाए गए। गोएबल्स की ये औलादें गाँधीवादी नहीं हैं। आपको ये भी पता है कि नाज़ियों से किसी गाँधीवादी तरीके से निपटा नहीं गया था।

पतित वामपंथी चीन की वैश्विक विषाणुता (विषता) का एक मात्र सार्थक समाधान है वैष्णव मार्ग

मार्क्स या माओ के जीवन दर्शन की राह पर चलने वाले वामपंथी अतिवादी बौद्धिक जैव विषाणुओं से अधिक हिंसक हैं। इस नरपिपासु वर्ग ने ही कोरोना जैसे विषाणुओं का आविष्कार करके दुनिया को अभूतपूर्व त्रासदी की स्थिति तक पहुँचा दिया है।

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