Wednesday, October 16, 2024
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मंदिर पर हमला नहीं, हिंदू बंधक नहीं… आरफा, जुबैर, लल्लनटॉप ऐसे बचा रहे इस्लामी कट्टरपंथियों को: FIR से लिबरल गैंग बेनकाब

मोहम्मद ज़ुबैर और लिबरल गैंग ने 'लल्लनटॉप' की रिपोर्ट की 21 सेकंड की क्लिप को रीट्वीट किया। 4 मिनट से अधिक के वीडियो को पूरा देखने और FIR में दर्ज बातों से वामपंथियों के झूठ का हुआ पर्दाफाश।

हरियाणा के मेवात के नूहं में 31 जुलाई 2023 को हिंदुओं की जलाभिषेक यात्रा पर मुस्लिम भीड़ ने हमला किया। करीब 800-900 हथियारबंद इस्लामवादियों ने मंदिर में जल चढ़ाने आए हजारों भक्तों पर हमला किया। इससे मंदिर के कुछ हिस्से छतिग्रस्त हो गए। हालाँकि वामपंथी लिबरल कट्टरपंथियों को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

इस्लामवादियों के काले चेहरे को छिपाने में ऑल्ट न्यूज के मोहम्मद ज़ुबैर का नाम न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। जुबैर ने ‘लल्लनटॉप’ की मंदिर के पुजारी के बयान वाली रिपोर्ट से 21 सेकंड की क्लिप के जरिए यह बताने की कोशिश की कि दंगाइयों ने मंदिर पर हमला नहीं किया था। हालाँकि इस मामले में ड्यूटी मजिस्ट्रेट मुकुल कथूरिया की शिकायत पर दर्ज FIR कुछ और ही कहती है।

इस्लामी भीड़ द्वारा मंदिर पर पथराव, गोलियाँ: FIR

नूहं हिंसा को लेकर दर्ज की गई कई एफआईआर ऑपइंडिया के पास है। ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात सिंचाई और जल संसाधन विभाग, हरियाणा के कार्यकारी इंजीनियर मुकुल कथूरिया की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई एफआईआर में से एक में साफ तौर पर कहा गया है कि 800-900 इस्लामवादियों ने मंदिर में मौजूद भक्तों पर पथराव किया और गोलियाँ चलाईं। हमले में मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया।

हमले के समय डीएम कथूरिया, उनके ड्राइवर खुर्शीद, इंस्पेक्टर राजबाला और अन्य लोग जलाभिषेक यात्रा के दौरान ड्यूटी के लिए नल्हड़ मंदिर में तैनात थे। जब भक्त मंदिर में भगवान शिव की पूजा कर रहे थे, तभी स्थानीय मेवाती और राजस्थानी बोलने वाली इस्लामवादियों की भीड़ प्लानिंग के हिसाब से पास के खेतों और पहाड़ों से मंदिर की ओर आई।

(साभार:हरियाणा पुलिस)

कथूरिया ने दर्ज कराया है कि दंगाइयों के हाथों में डंडे, पत्थर और अवैध हथियार थे। वे अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगा रहे थे। भीड़ ने मंदिर में पहुँचकर पूजा में खलल डालने के लिए पथराव और गोलीबारी शुरू कर दी। ड्यूटी मजिस्ट्रेट के तौर पर उन्होंने स्थिति को शांत करने की कोशिश की और इस्लामिक भीड़ से पीछे हटने का अनुरोध किया। लेकिन दंगाइयों ने उनकी बात नहीं सुनी। वे अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाते हुए मंदिर के करीब जाने लगे। इस दौरान फिर एक बार हिंदुओं को निशाना बनाकर फायरिंग की।

यह FIR भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 148, 149, 323, 332, 353, 186, 188, 295 ए, 153 ए, 452, 427, 307 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 के तहत दर्ज की गई। एफआईआर में आदिल, तामिल, अरसाद, अजहरुद्दीन, कासिर, सकील, जुनैद, सलामुद्दीन, इकबाल, आजाद, इलियास, अकबर, राहुल पुत्र जूना, सलीम, इक्का उर्फ काला, तौहीद, याहाय, जावेद, शाहरुख, हारीस, अहमद, आसिफ, शोएब समेत कई दंगाइयों को नामजद किया गया।

वामपंथियों और लिबरलों का दावा: मंदिर पर हमला हुआ ही नहीं

मंदिर में हमले की खबरों के बीच ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने ‘लल्लनटॉप’ की रिपोर्ट की 21 सेकंड की क्लिप को रीट्वीट किया। इस क्लिप में मंदिर के पुजारी दीपक शर्मा ने कहा कि हमला मंदिर के करीब नहीं हुआ था।

दिलचस्प बात यह है कि जब ऑपइंडिया ने 4 मिनट से अधिक के वीडियो को देखा तो सामने आया कि पुजारी ने साफ तौर पर कहा था कि हमले के दौरान प्रशासन ने उन्हें बाहर आने से मना किया था। इसलिए वह बाहर नहीं आए। उन्होंने यह भी कहा था कि मंदिर के अंदर तक उन्होंने आवाजें सुनी थी। लेकिन हमला मंदिर से एक-डेढ़ किलोमीटर दूर हुआ। पुजारी के ये दावे किसी भी तरह से मेल नहीं खाते।

मंदिर के पुजारी ने जो कहा, उसमें से 3 मूल बातों को पढ़िए:

  1. पुजारी ने यह भी कहा, “मुझे इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है क्योंकि हमें अंदर रहने के लिए कहा गया था। श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता था। मैं बाहर नहीं गया।”
  2. पहाड़ों से हो रही पत्थरबाजी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने फिर कहा, “मैं फिर कहना चाहता हूँ कि मैं बाहर नहीं आया। मैं एक पुजारी हूँ। हम अंदर ही रहते हैं।”
  3. यह पूछे जाने पर कि उन्हें अंदर रहने के लिए क्यों कहा गया था, उन्होंने बताया, “लगभग 4,000 लोग अंदर फँसे हुए थे। इनमें महिलाएँ और लड़कियाँ भी शामिल थीं। अंदर रहना ही बेहतर था। मंदिर के अंदर कुछ नहीं हुआ। मंदिर से एक-डेढ़ किलोमीटर दूर जो कुछ भी हुआ हो।”

‘लल्लनटॉप’ के एक अन्य वीडियो में, रिपोर्टर ने मंदिर के पास मचाए गए आतंक को दिखाया है। जब वह जले हुए वाहनों, पथराव और टूटी हुई काँच की बोतलों के निशान दिखाते हुए सड़क पर जा रहे थे, तो यह स्पष्ट था कि दंगे मंदिर से एक-डेढ़ किलोमीटर दूर नहीं हुए। यही नहीं, इस वीडियो में ‘लल्लनटॉप’ ने मंदिर में भंडारे के लिए प्रसाद बनाने आए लोगों से भी बात की। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि वे घण्टों तक मंदिर में ही फँसे थे। इसके बाद सुरक्षा बलों द्वारा उन्हें बचाया गया।

‘द वायर’ की संदिग्ध पत्रकार आरफ़ा ख़ानम शेरवानी भी कहाँ पीछे रहने वाली थीं। आरफा ने कहा कि हरियाणा के गृह मंत्री कह रहे हैं कि मंदिर में भक्तों को बंधक बनाया गया था। लेकिन पुजारी दावों का खंडन कर रहे हैं।

‘द वायर’ ने पुजारी के हवाले से कहा, “लोगों को बंधक क्या बनाएँगे? वे परमात्मा की शरण में थे। अचानक पता चला की माहौल खराब है। इन लोगों को बंधक कैसे बनाया जा सकता है? वे सर्वशक्तिमान की शरण में थे। लेकिन उन्हें अचानक पता चला कि बाहर की स्थिति अच्छी नहीं है। चूँकि बाहर की स्थिति खराब हो गई थी, इसलिए लोग अंदर फँस गए।”

वामपंथी मीडिया रिपोर्टिंग को अगर हम फिर से पढ़ें तो पुजारी ने कहा है कि लोग मंदिर के अंदर फँसे हुए थे क्योंकि बाहर की स्थिति खराब थी। यह तो ठीक ऐसा ही हुआ कि लुटेरों द्वारा हमला किए गए बैंक में लोगों को ‘बंधक’ नहीं बनाया गया था, बल्कि वे सिर्फ ‘अंदर फँस गए’ थे।

दूसरी और महत्वपूर्ण बात – किसी भी 21 सेकंड के वीडियो के जरिए मेवात में हुई हिंदू विरोधी हिंसा को नहीं दिखाया जा सकता। पूरे वीडियो को देखें तो इस्लामिक भीड़ द्वारा मचाए गए आतंक से हुए नुकसान का जिक्र करते हुए रिपोर्टर ने कहा है कि हमला प्री-प्लान्ड लगता है। मतलब साफ है कि इस्लामिक भीड़ ने हमला किया था। लेकिन उन्हें बचाने की जल्दी में ज़ुबैर, आरफा जैसे लोगों ने पूरी बात पर ध्यान नहीं दिया… क्योंकि इन्हें फैलाना है प्रोपेगेंडा, मुस्लिमों को दिखाना है पीड़ित।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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