Sunday, October 13, 2024
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Hindenburg की जिस रिपोर्ट से शेयर टूटे, अडानी ग्रुप ने उसे बताया पक्षपाती: कहा- FPO के दौरान जानबूझकर लाई गई

रिसर्च फर्म का कहना है कि 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में अडानी समूह का कुल सकल ऋण 40% बढ़कर 2.2 लाख करोड़ रुपए हो गया। Refinitiv डेटा से पता चलता है कि अदानी समूह की सात प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों में ऋण इक्विटी से अधिक है। अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड पर ऋण उसकी इक्विटी से 2,000% अधिक है।

अंतरराष्ट्रीय फॉरेंसिक फाइनेशियल रिसर्च फर्म हिंडेनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने अडानी ग्रुप (Adani Group) में एकाउंटिंग और कॉरपोरेट गवर्नेंस को लेकर चिंता जताते हुए मंगलवार (24 जनवरी 2023) को एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट को अडानी समूह ने दुर्भावनापूर्ण और पक्षपाती बताया है।

रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप के लिस्टेड शेयरों में भारी गिरावट देखी गई है। वहीं, अडानी ग्रुप ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाया है। इसके कारण अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी (Gautam adani) के नेटवर्थ में भी भारी कमी आई है।

हिंडेनबर्ग में अपने रिपोर्ट में कहा है कि अडानी एंटरप्राइजेज में पिछले 8 वर्षों में पाँच चीफ फाइनैंशियल ऑफिसर (CFO) आए। अकाउंटिंग से जुड़े मुद्दों के लिहाज से यह एक चिंता की एक अहम बात है। रिसर्च में ग्रुप की कंपनियों के शेयर को 85 प्रतिशत ओवरवैल्यूड बताया गया है। इसके साथ ही इसके कर्ज को लेकर भी सवाल उठाया गया है।

Hindenberg Research की रिपोर्ट पर अडानी ग्रप ने प्रतिक्रिया दी है। अडानी समूह के मुख्य फाइनैंशियल ऑफिसर जुगेशिंदर सिंह ने अपने बयान में कहा कि रिपोर्ट में ही गई बातें सेलेक्टिव हैं और गलत जानकारी पेश की गई है। जुड़े तथ्यों के सत्यापन के लिए कंपनी से संपर्क किए बिना यह रिपोर्ट जारी की गई है।

कंपनी ने अपने बयान में कहा, “रिपोर्ट के प्रकाशन का समय भारत में आने वाली अब तक की सबसे बड़ी एफपीओ, जो अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा लाई जा रही है, उसे नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य के लिए अदानी समूह की प्रतिष्ठा को कमजोर करने के इरादे को दर्शाता है।” अडानी ग्रुप ने कहा कि इन आरोपों को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा परीक्षण के बाद पहले ही खारिज किया जा चुका है।

अपने बयान में कंपनी के सीएफओ ने कहा कि रिपोर्ट चुनिंदा निराधार एवं गलत सूचनाओं और बदनाम करने के लिए लगाए गए आरोपों का दुर्भावनापूर्ण संयोजन है। अडानी समूह अधिकार क्षेत्र की परवाह किए बिना हमेशा सभी कानूनों के अनुपालन में आगे रहा है। इसके साथ ही वह कॉर्पोरेट गवर्नेंस के उच्चतम मानकों को बनाए रखता है।

शेयरों में भारी गिरावट

हिंडेनबर्ग रिसर्च की यह रिपोर्ट अडानी समूह की प्रमुख कंपनी अदानी एंटरप्राइजेज के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) से पहले आई है। FPO इश्यू 27 जनवरी 2023 (शुक्रवार) को खुलेगा। इसका प्राइस 3,112 से 3,276 रुपया प्रति शेयर तय किया गया है। इस FPO से 20,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। यह देश का अब तक का सबसे बड़ा एफपीओ है।

इस रिपोर्ट के आने के अगले दिन यानी 25 जनवरी 2023 को कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली। ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के शेयरों में 1.5 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई। वहीं, अडानी द्वारा हाल ही में खरीदे गए अंबुजा सीमेंट का शेयर 9.6 प्रतिशत, अडानी पोर्ट्स के स्टॉक 7.2 प्रतिशत गिर गए। कंपनी के अन्य शेयर ACC, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी पावर, एनडीटीवी के शेयर भी 5 फीसदी से अधिक गिर चुके हैं।

क्या है Hindenburg की रिसर्च रिपोर्ट में

उधर, हिंडेनबर्ग ने बुधवार (25 जनवरी 2023) को कहा कि वह यूएस ट्रेडेड बॉन्ड और नन-इंडियन ट्रेडेड डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए अडानी ग्रुप की कंपनियों में शॉर्ट पोजिशन रखेगी। अगर शॉर्ट पोजिशन को आसान भाषा में समझें तो इसे मंदड़ियों का खेल कहा जाता है। किसी को लगता है कि अगर कोई शेयर नीचे जाएगा तो वह उसे बेच देता है और जब कंपनी का शेयर नीचे जाता है तो उसे खरीद लेता है।

कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अडानी समूह ने मॉरीशस और कैरेबियन द्वीप समूह जैसे टैक्स हेवन में संस्थाओं का उपयोग किया है। यानी रिसर्च फर्म ने अडानी ग्रुप पर टैक्स चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए।

फर्म ने अडानी ग्रुप की कंपनियों के वैल्युएशन में भी हेरफेर का आरोप लगाया है। उसने कहा कि अडानी ग्रुप की प्रमुख सात कंपनियों के शेयर 85 प्रतिशत तक ओवर वैल्यूड हैं। यानी इन कंपनियों के शेयर की वैल्यू जितनी होनी चाहिए, उससे 85 प्रतिशत है।

इतना ही नहीं, रिसर्च फर्म ने अडानी समूह की कंपनियों पर लोन को लेकर भी आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों ने लोन ले रखा है और इन शेयरों को गिरवी रखकर समूह की वित्तीय स्थिति को जोखिम में डाल दिया है।

रिसर्च फर्म का कहना है कि 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में अडानी समूह का कुल सकल ऋण 40% बढ़कर 2.2 ट्रिलियन रुपए (2.2 लाख करोड़ रुपए) हो गया।Refinitiv डेटा से पता चलता है कि अदानी समूह की सात प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों में ऋण इक्विटी से अधिक है। अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड पर ऋण उसकी इक्विटी से 2,000% अधिक है।

यहाँ तक 8 सालों में कंपनी ने 5 CFO बदल दिए। हिंडेनबर्ग का कहना है कि उसने इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए कंपनी के हजारों दस्तावेजों की गहन जाँच की है। इसके साथ ही उसने कंपनी के पूर्व वरिष्ठ कर्मचारियों का भी इंटरव्यू लिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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