Tuesday, April 30, 2024
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पश्चिम बंगाल में बच्चों के भोजन पर भी डाका, मिड डे मील का ₹100 करोड़ डायवर्ट: खराब उत्पादों का इस्तेमाल, केंद्र+राज्य की समीक्षा से पकड़ी गई गड़बड़ी

023 में 29 जनवरी से लेकर 7 फरवरी तक मिशन ने दौरा कर के ये समीक्षा की थी, जिसमें ये गड़बड़ियाँ सामने आई थीं।

पश्चिम बंगाल में मिडडे मील के मामले में बड़ी गड़बड़ी की घटना सामने आई है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने संयुक्त समीक्षा का भी फैसला लिया है। ‘प्रधानमंत्री पोषण योजना’ के तहत स्कूली बच्चों को दोपहर का पौष्टिक भोजन दिया जाता है। अब सामने आया है कि 2022 में अप्रैल से लेकर सितंबर तक 16 करोड़ मिडडे मील्स को लेकर गड़बड़ी हुई है, जो 100 करोड़ रुपए का बैठता है। आरोप है कि इतने करोड़ की मिडडे मील्स की अतिरिक्त रिपोर्टिंग की गई, जो फर्जी है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसके लिए ‘जॉइंट रिव्यू कमीशन (JRC)’ का गठन किया है। जनवरी 2023 में इसका गठन किया गया है। ये भी आरोप है कि इस योजना के लिए जो फंड्स जारी किए गए, उन्हें कही और भेज दिया गया। इन फंड्स से अग्निकांड के पीड़ितों को मुआवजा दिया गया। साथ ही अनाज के एलोकेशन में भी गड़बड़ी हुई है। चावल दाल और सब्जी की मात्रा में भी 70% कम खरीद की गई। साथ ही नमक-मिर्च इत्यादि के एक्सपायर्ड उत्पात भी प्रयोग में लाए जाने का मामला सामने आया है।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर में जानकारी दी गई है कि 24 मार्च को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अपनी गंभीर चिंताओं को लेकर राज्य की TMC सरकार को अवगत करा दिया है। साथ ही कहाँ-कहाँ गड़बड़ी हुई है, इस बारे में भी बताया गया है। कितने मिडडे मील्स दिए गए, इन आँकड़ों को भी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया। इसमें जो वित्तीय गड़बड़ियाँ हुई हैं, उसे केंद्र ने रेखांकित किया है। इसके जवाब में 30 मार्च को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने केंद्र को बताया कि स्थानीय प्रोजेक्ट डायरेक्टरों को इन गड़बड़ियों अध्ययन करने के लिए कहा गया है।

2023 में 29 जनवरी से लेकर 7 फरवरी तक मिशन ने दौरा कर के ये समीक्षा की थी, जिसमें ये गड़बड़ियाँ सामने आई थीं। मिडडे मील्स खाने वाले बच्चों को लेकर जिला स्तर पर जो रजिस्टर था और जो आँकड़े राज्य सरकार ने केंद्र को भेजे, उनमें भी गड़बड़ी सामने आई है। उत्तराखंड स्थित जीबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एन्ड टेक्नोलॉजी में फ़ूड एन्ड न्यूट्रिशन विभाग की अध्यक्ष (HOD) प्रोफेसर अनुराधा दत्ता इस JRM का नेतृत्व कर रही हैं।

केंद्र सरकार की जाँच समिति ने पाया है कि उक्त अवधि के बीच जिला स्तर के आँकड़ों को देखने पर पता चलता है कि 124.22 करोड़ मिडडे मील्स दिए गए, जबकि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को जो रिपोर्ट भेजी, उसमें ये आँकड़ा 140.25 करोड़ है। राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में किसी अधिकारी के हस्ताक्षर के बिना ही JRM रिपोर्ट को फाइनल कर दिया गया। साथ ही केंद्र सरकार पर नियमों का पालन न करने का आरोप मढ़ा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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