Monday, October 7, 2024
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जानिए क्या है वह कानून जिसके कारण ‘हाजी अली’ का नाम-लोगो कुछ भी इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे केरल के जूस वाले, बॉम्बे हाई कोर्ट का है आदेश

ट्रेडमार्क कानून बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत आता है। भारत में ट्रेडमार्क अधिकारों को ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 द्वारा संरक्षित किया गया है। इसके तहत पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क का अधिकार सुरक्षित किया जाता है। ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 ट्रेडमार्क के धोखाधड़ीपूर्ण उपयोग से सुरक्षा, पंजीकरण और रोकथाम से संबंधित है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने केरल के कोच्चि में पाँच जूस सेंटर आउटलेट्स को मुंबई के नामी हाजी अली जूस सेंटर के नाम, ट्रेडमार्क और लोगो का उपयोग करने से रोक दिया है। दरअसल, मुंबई के हाजी अली जूस सेंटर के संस्थापक की बेटी असमा फरीद नूरानी द्वारा दायर ट्रेडमार्क उल्लंघन को लेकर एक मुकदमा दायर किया था।

न्यायमूर्ति आरआई छागला ने इस संबंध में दो अंतरिम आदेश पारित किए। एक 9 अगस्त 2024 को और दूसरा 5 सितंबर 2024 को। असमा वर्तमान में हाजी अली जूस सेंटर के ट्रेडमार्क की मालिक हैं। न्यायालय ने पाया कि असमा फरीद नूरानी को अंतरिम राहत देने के लिए प्रथम दृष्टया मामला मजबूत था।

इसके बाद कोर्ट ने एक कोर्ट रिसीवर और दो अतिरिक्त विशेष कोर्ट रिसीवरों को कोच्चि के आउटलेट्स से हाजी अली जूस सेंटर के ट्रेडमार्क और संबंधित चिह्नों वाली सभी सामग्री जब्त करने का काम सौंपा। कोर्ट ने रिसीवरों को निर्देश दिया कि वे हाजी अली चिह्न के साथ या उसके बिना सभी सामग्रियों- स्टेशनरी, मेनू कार्ड, साइन बोर्ड आदि का नियंत्रण अपने हाथ में लें।

हाजी अली जूस सेंटर का यह लोगो एक लाल सेब है। दरअसल, असमा नूरानी ने कोर्ट में दावा किया था कि कोच्चि आउटलेट्स ने फ्रैंचाइजी समझौतों की समाप्ति के बावजूद उसकी अनुमति के बिना हाजी अली ट्रेडमार्क का उपयोग जारी रखे हुए है। असमा नूरानी की इस दलील के बाद हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया।

न्यायमूर्ति छागला ने 9 अगस्त के आदेश में कहा, “मुझे लगता है कि उपरोक्त मास्टर फ्रेंचाइज समझौते और उसके बाद उप-फ्रेंचाइज समझौते की समाप्ति के बावजूद प्रतिवादियों ने अनाधिकृत रूप से वादी के पंजीकृत ट्रेडमार्क का उपयोग जारी रखा, जिसमें उसका संक्षिप्त नाम HAJC JUICE CENTRE और लोगो MUMBAI HAJI ALI, ‘द ओरिजिनल स्टोर’ शामिल है… वादी ने अंतरिम राहत के लिए वास्तव में एक मजबूत प्रथम दृष्टया मामला बनाया है।”

मुंबई में 1970 के दशक में अपना परिचालन शुरू करने वाले हाजी अली जूस सेंटर का स्वामित्व साल 2019 में अस्मा फरीद नूरानी (पारिवारिक समझौते के बाद) को उनके पिता एवं जूस सेंटर के संस्थापक फरीद अब्दुल लतीफ नूरानी की मृत्यु के बाद मिला था। इससे पहले 2018 में अल्टियस लाइफस्टाइल ब्रांड्स एलएलपी (मास्टर फ्रैंचाइज़ी) के साथ एक फ्रैंचाइजी समझौता हुआ था।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समझौते के तहत मास्टर फ़्रैंचाइज़ी समझौते (एमएफए) ने विभिन्न खिलाड़ियों को कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल सहित कई राज्यों में हाली अली जूस सेंटर संचालित करने की अनुमति दी थी। केरल को लेकर साल 2021 में एक पूरक डीड के परिणामस्वरूप कोच्चि के एडापल्ली में एक उप-फ्रैंचाइज़ी आउटलेट का शुभारंभ हुआ।

असमा नूरानी ने साल 2022 में फ्रैंचाइज़ समझौतों को रद्द कर दिया, जिसमें फ्रैंचाइज़ियों द्वारा अपने समझौतों की शर्तों का पालन करने में विफलता का हवाला दिया गया। हालाँकि, फ्रैंचाइज़ आउटलेट्स ने अपना संचालन बंद करने से इनकार कर दिया और उसका लोगो जारी रखा। इसके बाद असमा नूरानी ने इस साल जनवरी में उनके खिलाफ ट्रेडमार्क उल्लंघन का मुकदमा दायर किया।

उन्होंने शिकायत की कि केरल में कई हाजी अली आउटलेट बिना उनकी अनुमति के और फ्रैंचाइज़ समझौते का उल्लंघन करते हुए स्थापित किए गए थे। जिन आउटलेट्स के बारे में शिकायत की गई उनमें पनमपिल्ली नगर, अलुवा, कक्कनाड और कोठामंगलम के आउटलेट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन आउटलेट्स ने कानूनी नोटिस का जवाब नहीं दिया।

इतना ही नहीं, प्रतिवादियों (कोच्चि में आउटलेट्स के संचालकों) ने 1 दिसंबर 2022 से 24 मई 2023 के बीच की अवधि के लिए ‘हाजी अली जूस सेंटर’ चिह्न और उसके लोगो के अनधिकृत उपयोग के लिए रॉयल्टी का भुगतान करने से इनकार कर दिया। इसके बाद 9 अगस्त को कोर्ट ने हाजी अली नाम का उपयोग करने वाले आउटलेट्स के खिलाफ निरोधक आदेश जारी किया।

बाद में असमा नूरानी ने कहा कि उन्हें कक्कनद और कोठामंगलम में नए आउटलेट के बारे में पता चला, जिन्हें पहले अदालत के संज्ञान में नहीं लाया गया था। इसके बाद अदालत ने 5 सितंबर को कक्कनद और कोठामंगलम आउटलेट के संबंध में भी इसी तरह के निर्देशों के साथ एक और आदेश पारित किया। इसकी अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी।

क्या है ट्रेडमार्क कानून

ट्रेडमार्क कानून बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत आता है। भारत में ट्रेडमार्क अधिकारों को ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 द्वारा संरक्षित किया गया है। इसके तहत पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क का अधिकार सुरक्षित किया जाता है। ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 ट्रेडमार्क के धोखाधड़ीपूर्ण उपयोग से सुरक्षा, पंजीकरण और रोकथाम से संबंधित है। यह ट्रेडमार्कधारक के अधिकारों, उल्लंघन के लिए दंड, नुकसान के लिए उपचार और ट्रेडमार्क के हस्तांतरण के तरीकों से भी संबंधित है।

ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 में ट्रेडमार्क को इस प्रकार परिभाषित किया गया है, “ट्रेडमार्क का अर्थ है एक चिह्न, जिसे ग्राफिक रूप से दर्शाया जा सके और जो एक व्यक्ति के सामान या सेवाओं को दूसरों से अलग करने में सक्षम हो और इसमें वस्तुओं का आकार, उनकी पैकेजिंग और रंगों का संयोजन शामिल हो सकता है।” ऐसे चिह्न में हस्ताक्षर, नाम, लेबल, शीर्षक आदि जैसी अनेक चीजें शामिल हो सकती हैं।

ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 की धारा 7 के अनुसार ट्रेडमार्क का वर्गीकरण वस्तुओं और सेवाओं के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण के अनुसार किया जाना चाहिए। ऐसे वर्गीकरण में कुल 45 वर्ग हैं, जिनमें वस्तुएँ और सेवाएँ आ सकती हैं। वर्ग 1-34 वस्तुओं के लिए हैं और वर्ग 35-45 सेवाओं के लिए हैं।

ट्रेडमार्क का अधिकार हासिल करने के लिए इस अधिनियम की धारा 18 के तहत सूचीबद्ध प्रावधानों का पालन करते हुए लिखित रूप में आवेदन करना होगा। आवेदन में चिह्न, माल और सेवाओं का नाम, माल और सेवाओं के वर्ग, चिह्न के उपयोग की अवधि और आवेदक के व्यक्तिगत विवरण जैसे नाम और पता शामिल होना चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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