बॉम्बे हाई कोर्ट ने कोल्हापुर जिले के विशालगढ़ किले में कुर्बानी देने की अनुमति दे दी है। यह कुर्बानी विवादित दरगाह पर दी जाएगी। यह फैसला बकरीद और इस दरगाह पर होने वालेउर्स के मद्देनजर दिया गया है। इस किले के अंदर हिन्दू लगातार मुस्लिम अतिक्रमण की बात दोहराते रहे हैं।
मंगलवार (03 जून, 2025) को कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस डॉ नीला गोखले और फिरदोस पूनीवाला की बेंच ने यह आदेश दिया। बेंच ने कहा, “ध्यान दिया जाए कि 14 जून 2024 को जारी एक आदेश में दरगाह के पास ‘एक बंद और निजी क्षेत्र’ में पशुओं और पक्षियों की कुर्बानी देने की अनुमति दी गई थी। न कि किसी ‘खुले या सार्वजनिक स्थान’ पर।”
कोर्ट ने कहा कि पिछले साल की तरह का आदेश इस साल भी लागू होगा। इस साल भी 07 जून को बकरीद के त्योहार और 08 जून से 12 जून तक उर्स पर किले के भीतर पशुओं की कुर्बानी दी जा सकेगी। कोर्ट ने कहा कि किले के बाहर सार्वजनिक स्थान पर कुर्बानी नहीं होनी चाहिए।
दरगाह ने सरकार के आदेश को दी थी चुनौती
बता दें कि साल 2023 में विशालगढ़ के हजरत पीर मलिक रेहान मीरा साहेब दरगाह ट्रस्ट ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। ट्रस्ट ने राज्य सरकार के विभिन्न विभागों पुरातत्व निदेशालय, कोल्हापुर पुलिस अधीक्षक और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा दरगाह परिसर में पशुओं की कुर्बानी पर लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती दी थी।
प्रशासन ने कहा था कि विशालगढ़ किला एक संरक्षित स्मारक है और महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व अधिनियम 1962 के मुताबिक ऐसे स्थलों पर खाना पकाना और खाना परोसना भी प्रतिबंधित है। प्रशासन ने जानवरों की कुर्बानी को इस नियम का उल्लंघन बताया था।
वहीं मुस्लिम इसका विरोध कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि कुर्बानी का स्थान दरगाह परिसर के अंदर नहीं, बल्कि उससे लगभग 1.4 किलोमीटर दूर एक निजी भूमि पर है।
छत्रपति शिवाजी महाराज का है किला, बनाई अवैध दरगाह
विशालगढ़ किला लगभग 1000 साल पुराना है। यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज के वीरतापूर्ण जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। किले में मुस्लिम समुदाय ने अवैध अतिक्रमण कर लिए हैं। वहीं किले के भीतर मंदिर जीर्ण शीर्ण अवस्था में छोड़ दिया गया है। वर्तमान में यहाँ 20 से 24 हिन्दू मंदिर है, लेकिन यह काफी खराब हालत में हैं।
आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, विशालगढ़ किले के भीतर 156 ऐसे ढाँचे हैं, जिनको अवैध रूप से बनाया गया है। इनमें से 100 से अधिक मुस्लिम समुदाय के हैं। यहाँ लोहे की शीट लगाकर अतिक्रमण किया गया है।