प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इन्वेस्ट यूपी के पूर्व CEO अभिषेक प्रकाश पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में जाँच चालू कर दी है। लखनऊ स्थित ED के अधिकारियों ने इस मामले में लखनऊ पुलिस से FIR, जाँच की जानकारी और दलाल निकांत जैन के विषय में सूचना तलब की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ED दलाल निकांत जैन और उसके भाई की कम्पनियों और बाकी निवेश सम्बन्धित जानकारी भी जुटा रही है। वह आने वाले दिनों में निकांत जैन को पूछताछ के लिए हिरासत में भी ले सकती है। ED द्वारा अभिषेक प्रकाश का बयान दर्ज करने के कयास भी लगाए जा रहे हैं।
ED इस मामले में शिकायत करने वालों से भी जानकारी जुटा सकती है और उस प्रक्रिया पर भी जानकारी इकट्ठा कर सकती है, जिसके तहत IAS अभिषेक प्रकाश पर रिश्वत माँगने का आरोप है। ED जाँच के दायरे में इस प्रक्रिया में शामिल दूसरे अधिकारियों को भी ले सकती है। उसने भी पूछताछ की जा सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ED रिश्वत के मामले के साथ ही अभिषेक प्रकाश की संपत्तियों पर भी जाँच करने वाली है। जाँच एजेंसी का फोकस उन जिलों पर रहेगा, जहाँ अभिषेक प्रकाश जिलाधिकारी के तौर पर रहे हैं। उनकी खेती और बाकी जमीनों पर भी जानकारी इकट्ठा की जाएगी।
अभिषेक प्रकाश के लखनऊ के घर के विषय में भी ED जानकारी जुटा रही है, यह घर दो प्लाट को मिला कर बनाया गया था। घर एक महंगी सोसायटी में स्थित है। इस पूरे मामले पर एजेंसी ने अभी आधिकारिक तौर कोई जानकारी नहीं दी है।
IAS अभिषेक प्रकाश वर्ष 2022 में यूपी इन्वेस्ट के CEO बने थे। वह 20 मार्च, 2025 तक इस पद पर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में निवेश लाने के बनाई गई इस नोडल एजेंसी ने इस दौरान काफी सफलता भी पाई है लेकिन इस 3 वर्ष में कई निवेश के प्रस्ताव खारिज भी किए गए हैं।
बताया गया है कि अब इस दौरान खारिज किए गए सभी प्रस्तावों की फाइलें दोबारा खोली जाएँगी। इस पर जाँच होगी कि आखिर निवेश प्रस्ताव को सही कारणों के तहत खारिज किया गया या फिर उसमें भी कोई भ्रष्टाचार का एंगल शामिल था।
गौरतलब है कि 20 मार्च, 2025 को SAEL Solar P6 नाम की कंपनी के विश्वजीत दत्ता ने IAS अभिषेक प्रकाश के संबंध में शिकायत की थी। कंपनी ने कहा था कि यूपी इन्वेस्ट के तहत उन्होंने Letter of Comfort (LOC) के लिए आवेदन किया था लेकिन उनकी फाइल अटकी हुई थी।
कंपनी ने आरोप लगाया कि मंजूरी के एवज में IAS अभिषेक प्रकाश ने दलाल निकांत जैन के जरिए पूरे प्रोजेक्ट का 5% (₹400 करोड़) कमीशन माँगा। शिकायत सामने आने के बाद निकांत जैन के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी और उसे गिरफ्तार कर लिया गया थी। वहीं IAS अभिषेक प्रकाश को योगी सरकार सस्पेंड कर दिया था।