इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जीजा और साली के बीच संबंधों से जुड़े एक विवादित मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि यह रिश्ता समाज और नैतिक दृष्टि से गलत हो सकता है, लेकिन अगर महिला बालिग है और सहमति से संबंध बनाए गए हैं, तो इसे बलात्कार नहीं माना जा सकता।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस समीर जैन की पीठ ने आरोपित की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि साली बालिग थी और उसने पहले धारा 161 के तहत अपने बयान में आरोपित पर लगाए गए आरोपों से इनकार किया था। हालाँकि बाद में उसने धारा 164 के तहत अपना बयान बदलते हुए अभियोजन पक्ष का समर्थन किया।
यह मामला जुलाई 2024 का है, जब आरोपित जीजा पर अपनी साली के साथ बलात्कार का आरोप लगाया गया था। परिवार को जीजा और साली के बीच अवैध संबंधों की जानकारी मिली, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई। आरोपित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 366 (बहला-फुसलाकर भगाना), 376 (बलात्कार), और 506 (धमकी देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
हाई कोर्ट में आरोपित के वकील ने तर्क दिया कि जीजा और साली के बीच अवैध संबंधों की जानकारी मिलने के बाद परिवार ने यह मामला दर्ज कराया। उन्होंने यह भी कहा कि आरोप झूठे हो सकते हैं, क्योंकि दोनों के बीच सहमति से संबंध बने थे। दूसरी ओर एजीए (सरकारी अधिवक्ता) ने जमानत का विरोध किया, लेकिन इस तथ्य को नकार नहीं सके कि साली बालिग थी।
हाई कोर्ट ने माना कि यह रिश्ता समाज और नैतिकता के दृष्टिकोण से गलत हो सकता है, लेकिन कानूनी रूप से इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता। उसके खिलाफ धारा 366, 376 और 506 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया था, लेकिन कोर्ट ने आरोपी की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि न होने और जुलाई 2024 से हिरासत में होने के कारण उसे जमानत दे दी।