Saturday, October 12, 2024
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रशीदा से सेक्स नहीं कर पाया केरल का पुलिसवाला तो नंबी नारायणन को फँसाया: CBI ने किया खुलासा, कहा- ISRO वैज्ञानिक का जासूसी से नहीं था कोई लेना-देना

चार्जशीट में सीबीआई ने कहा, "यह शुरू से ही कानून के दुरुपयोग का एक स्पष्ट मामला है। पीड़िता मरियम रशीदा को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था। उसे झूठे मामले में फँसाया गया था। पीड़ितों के खिलाफ झूठी पूछताछ रिपोर्ट दी गई। उनपर गंभीर आरोप लगाए गए।"

साल 1994 के जिस इसरो जासूसी केस में देश के शीर्ष वैज्ञानिकों में से एक नंबी नारायणन और 3 अन्य वैज्ञानिकों को फँसाकर उनका करियर खत्म कर दिया गया और देश को क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन के विकास में पीछे हो जाना पड़ा, वो पूरा मामला ही फर्जी था। वो मामला था एक एक पुलिस वाले की हवस न मिटाने वाली विदेशी महिला के साथ खुन्नस निकालने का। उसने तो पहले महिला के सारे कागजात जब्त कर लिए और फर्जी केस में उसे गिरफ्तार कर लिया, फिर इस मामले में इसरो के वैज्ञानिकों को घसीट लिया गया। जी हाँ, सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में इन बातों का जिक्र किया है।

सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, मालदीव की महिला मरियम रशीदा तिरुअनंतपुरम के एक होटल में रुकी थी। तब बतौर CI काम कर रहा एस विजयन उसी होटल में पहुँचा था। वो मरियम रशीदा के कमरे में घुस गया था और उसके साथ यौन संबंध बनाने की कोशिश की थी, मरियम ने इसका विरोध किया तो विजयन ने मरियम को सबक सिखाने के लिए उसे गिरफ्तार कर लिया। बाद में विजयन ने रशीदा का संपर्क इसरो वैज्ञानिक डी शशिकुमारन से जोड़ा और फिर इस पूरे केस का ताना बाबा बुना गया।

चार्जशीट में सीबीआई ने कहा, “यह शुरू से ही कानून के दुरुपयोग का एक स्पष्ट मामला है। पीड़िता मरियम रशीदा को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था। उसे झूठे मामले में फँसाया गया था। पीड़ितों के खिलाफ झूठी पूछताछ रिपोर्ट दी गई। उनपर गंभीर आरोप लगाए गए।” सीबीआई ने जासूसी मामले में अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फँसाने के सिलसिले में दो पूर्व डीजीपी, केरल के सिबी मैथ्यूज और गुजरात के आर.बी. श्रीकुमार व तीन अन्य रिटायर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था।

सीबीआई ने बताया है कि केरल के पूर्व C.I.S एस विजयन ने जासूसी का मामला गढ़ा था। उन्होंने बिना किसी ठोस सबूत के मालदीव की मूल निवासी मरियम रशीदा के खिलाफ वंचियूर पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया था। पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज ने बिना किसी ठोस सबूत के गौरकानूनी तरीके से वैज्ञानिक नंबी नारायणन को गिरफ्तार किया था। एस विजयन, सिबी मैथ्यूज, केके जोशुआ, आरबी श्रीकुमार और पीएस जयप्रकाश ने झूठे दस्तावेज बनाने की साजिश में सक्रिय भूमिका निभाई। इन पुलिस अधिकारियों ने वैज्ञानिकों और अन्य लोगों को अवैध रूप से गिरफ्तार किया और यातनाएँ दी।

सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा कि जब रशीदा की हिरासत अवधि समाप्त होने वाली थी, तब विजयन की तरफ से पेश की गई एक झूठी रिपोर्ट के आधार पर उन्हें और हसन को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत एक मामले में फँसा दिया गया और उनकी हिरासत जासूसी मामले की जाँच के लिए गठित एसआईटी को सौंप दी गई। एजेंसी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा है, शुरुआती गलतियों को बरकरार रखने के लिए, पीड़ितों (नारायणन और अन्य समेत) के खिलाफ झूठी पूछताछ रिपोर्ट के साथ गंभीर प्रकृति का एक और मामला शुरू किया गया।

सीबीआई ने पूर्व डीजीपी आर. बी. श्रीकुमार और सिबी मैथ्यूज, पूर्व एसपी एस विजयन और के.के. जोशुआ और पूर्व खुफिया अधिकारी पी. एस. जयप्रकाश के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की है। एजेंसी ने उन पर आईपीसी की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं, जिनमें धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुँचाना), 330 (स्वीकारोक्ति करवाने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना), 167 (लोक सेवक द्वारा गलत दस्तावेज तैयार करना), 193 (झूठी गवाही देना), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाना) शामिल हैं। हालाँकि, सीबीआई ने मामले में केरल पुलिस और आईबी के तत्कालीन अधिकारियों समेत अन्य 13 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश नहीं की, क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत उपलब्ध नहीं था।

इस खुलासे पर प्रतिक्रिया देते हुए नंबी नारायणन ने बुधवार (10 जुलाई 2024) को कहा, “एक व्यक्ति के तौर पर उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि चार्जशीट किए गए पूर्व पुलिस और आईबी अधिकारियों को दंडित किया गया या नहीं, क्योंकि मामले में उनकी भूमिका समाप्त हो चुकी है। नारायणन ने पत्रकारों से कहा, उन्हें पहले ही दंडित किया जा चुका है। वे पहले से ही पीड़ित हैं। मेरी कोई इच्छा नहीं है कि उन्हें जेल जाना चाहिए। मुझे उनसे माफी की भी उम्मीद नहीं है। मुझे खुशी होती अगर वे सिर्फ इतना कहते कि उन्होंने गलती की है।”

बता दें कि नंबी नारायणन को फंसाने की साजिश से जुड़ा मामला 2021 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दर्ज किया गया था। 15 अप्रैल, 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन से जुड़े 1994 के जासूसी मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट सीबीआई को दी जाए।

इस मामले में नंबी नारायणन को 1996 में जाकर राहत मिली थी, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था। इसके बाद नंबी नारायणन ने काफी लंबी लड़ाई लड़ी। उन्हें भारत सरकार ने मुआवजा भी दिया, तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केरल सरकार को भी उन्हें मुआवजा देना पड़ा। मोदी सरकार ने नंबी नारायणन को 2019 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। वहीं, एक्टर-डायरेक्टर आर माधवन ने नम्बी नारायणन की जिंदगी पर नम्बी-द रॉकेट इफेक्ट नाम की फिल्म भी बनाई थी, जिसके राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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