पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंदुओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया गया। कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा गठित जाँच समिति ने भी अपनी विस्तृत रिपोर्ट में इस हिंसा की क्रूरता को उजागर किया है, जिसमें सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के पार्षद और विधायक की संलिप्तता की बात सामने आई है। यह हिंसा वक्फ संशोधन बिल के पास होने के दौरान शुरू हुई, जिसके विरोध की आड़ में हिंदुओं को निशाना बनाया गया। हिंदुओं के घरों को फूँकने के बाद उन घरों के पानी के कनेक्शन भी काट दिए गए, ताकी जलते घरों की आग को बुझाया न जा सके।
ऑपइंडिया ने इन घटनाओं की विस्तृत कवरेज पहले ही की थी और अब हाई कोर्ट की जाँच कमेटी की रिपोर्ट ने इन दावों पर मुहर लगा दी है।
कलकत्ता हाई कोर्ट की जाँच कमेटी की रिपोर्ट में हिंदुओं को निशाना बनाने की घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा की शुरुआत 11 अप्रैल 2025 को शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे के बाद हुई और यह 12 अप्रैल 2025 को भी जारी रही। यह हिंसा मुर्शिदाबाद के बेटबोना गाँव, धूलियान, पालपारा (वार्ड नंबर 16), समसेरगंज, हिजलतला, शिउलीतला, डिगरी और घोषपारा जैसे क्षेत्रों में हुई। बेटबोना गाँव में 113 घर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, जो अब रहने लायक नहीं बचे हैं और इन्हें पूरी तरह से दोबारा बनाना होगा।
पानी का कनेक्शन काट दिया गया, ताकि बुझाई न जा सके आग
हमलावरों ने सुनियोजित तरीके से पानी की पाइपलाइन काट दी, पानी के टैंक और सबमर्सिबल पंप को नष्ट कर दिया ताकि पीड़ित आग बुझा न सकें। मिट्टी का तेल डालकर घरों में आग लगाई गई, जिससे सारी संपत्ति जलकर राख हो गई। मुर्शिदाबाद में हिंदुओं के घर में रखे सभी कपड़ों को जला दिया गया, ताकि घर की महिलाओं के पास अपने शरीर को ढकने के लिए कुछ भी न बचे
रिपोर्ट में कई पीड़ितों के बयान दर्ज किए गए हैं, जो इस हिंसा की क्रूरता को बयान करते हैं। सभी पीड़ित हिंदू समुदाय से हैं और उन्होंने बताया कि कैसे उनके घरों को जलाया गया, संपत्ति लूटी गई और उनके परिवार पर जानलेवा हमले किए गए।
प्रतिमा मंडल (बेटबोना): प्रतिमा मंडल ने बताया कि उनके घर के पास एक जिंदा बम पाया गया था। हमलावरों ने उनके घर से सोने के गहने और फर्नीचर लूट लिया। इस हमले में कई अन्य प्रभावित लोग भी शामिल हैं। हमला पीड़ितों मनोज रॉय, आकाश मंडल, बिकाश मंडल, निखिल मंडल, चित्ता रॉय, बाबूल मंडल, निबारून मंडल, शम्पा मंडल, भबानंदा घोष, बसुदेब मंडल, राम मंडल, अर्जुन मंडल और लतिका मंडल शामिल हैं।
प्रशांत मंडल और सरस्वती मंडल: इस दंपति ने बताया कि उनके टोटो वैन, मोटरसाइकिल, साइकिल और एक ट्रैक्टर को लूट लिया गया और उनमें आग लगा दी गई।
फूलचंद मंडल और पलाश मंडल: इन पीड़ितों ने बताया कि वह तीन सदस्यों वाला परिवार हैं, जिसमें उनकी पत्नी और एक छोटा बच्चा शामिल है। हमलावरों ने उनके घर को तबाह कर दिया और उस जगह को रहने लायक नहीं छोड़ा। उन्होंने बताया कि हमलावरों ने उनकी पत्नी और बच्चे को बचाने के लिए भागने की कोशिश करने वालों पर चाकू से हमला किया। चाकू उनकी गर्दन और नाभि पर मारा गया, जिससे उनकी जान खतरे में पड़ गई।

परूल दास: परूल दास ने बताया कि हमलावरों ने उनके घर का दरवाजा तोड़ दिया, खिड़कियाँ तोड़ दीं, और बोतलें व पत्थर फेंके। उन्होंने उनकी पत्नी और बेटे को अगवा कर लिया। हमलावरों ने अपने चेहरे कपड़ों से ढके हुए थे ताकि उनकी पहचान न हो सके।
हरगोविंदा दास और चंदन दास: सबसे भयावह घटना में 74 वर्षीय हरगोविंदा दास और उनके 40 वर्षीय बेटे चंदन दास को उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने कुल्हाड़ी से काट डाला। एक व्यक्ति वहां तब तक खड़ा रहा जब तक कि दोनों की मौत नहीं हो गई। यह घटना 12 अप्रैल को हुई। ऑपइंडिया ने बताया कि इस हत्या के बाद इलाके में इतना डर फैल गया कि दोनों के अंतिम संस्कार में भी लोगों ने दूरी बनाकर रखी।

कृष्णा चंदा पाल: कृष्णा चंदा पाल ने बताया कि हमलावरों ने उनके घर से 17 लाख रुपये की कीमत के सोने के गहने और फर्नीचर लूट लिया। हमलावरों ने घर के पिछले दरवाजे से घुसकर परिवार के सदस्यों पर हमला किया।
जय राम पाल: जय राम पाल ने बताया कि उनकी मिट्टी के बर्तनों की दुकान और साइबर कैफे को जलाकर राख कर दिया गया।
अपुर्बा के.आर. पाल और कृपा सिंधु पाल: इन पीड़ितों ने बताया कि उनकी एक साइकिल और 32 इंच का रंगीन टीवी के साथ ही करीब 2 लाख रुपये भी लूट लिए गए।
नबीन चंदा पाल और संकर पाल: नबीन चंदा पाल ने बताया कि उनके बेटे की शादी के लिए रखे गए 80 हजार रुपये और दो सोने के गहने चोरी कर लिए गए। उनके घर की सारी संपत्ति नष्ट कर दी गई।
When houses of people were set ablaze in Murshidabad, ‘miscreants’ cut off water supply, destroyed the water tank and submersible pump so the desperate victims couldn’t even extinguish the fire.
— Padmaja Joshi (@PadmajaJoshi) May 21, 2025
-They burnt all the clothes in the house so *women didn’t have anything to cover… pic.twitter.com/8R5p0cEtfA
बता दें कि मुर्शिदाबाद की हिंदू विरोधी हिंसा की जाँच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक समिति का गठन किया था, जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और न्यायिक सेवा के सदस्य शामिल थे। इस समिति ने प्रभावित गाँवों का दौरा किया, पीड़ितों से बात की और अपनी रिपोर्ट तैयार की। यह रिपोर्ट 20 मई 2025 को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के सामने पेश की गई।
रिपोर्ट के अनुसार, यह हिंसा स्थानीय पार्षद मेहबूब आलम के इशारे पर शुरू हुई। मेहबूब आलम हमलावरों के साथ समसेरगंज, हिजलतला, शिउलीतला और डिगरी से आए नकाबपोश मुस्लिमों के साथ मौके पर मौजूद था। हमलावरों ने हिंदुओं के घरों, दुकानों और मंदिरों को निशाना बनाया। इसके बाद स्थानीय विधायक अमीरुल इस्लाम भी वहाँ पहुँचा। उसने उन घरों की पहचान की जो अभी तक नहीं जले थे, और हमलावरों ने उन घरों में भी आग लगा दी। अमीरुल इस्लाम ने हिंसा को रोकने की कोई कोशिश नहीं की, बल्कि चुपचाप वहाँ से खिसक गया।
रिपोर्ट के अनुसार, यह हिंसा स्थानीय पार्षद मेहबूब आलम के इशारे पर शुरू हुई। मेहबूब आलम हमलावरों के साथ समसेरगंज, हिजलतला, शिउलीतला और डिगरी से आए नकाबपोश मुस्लिमों के साथ मौके पर मौजूद था। हमलावरों ने हिंदुओं के घरों, दुकानों और मंदिरों को निशाना बनाया। इसके बाद स्थानीय विधायक अमीरुल इस्लाम भी वहाँ पहुँचा। उसने उन घरों की पहचान की जो अभी तक नहीं जले थे, और हमलावरों ने उन घरों में भी आग लगा दी। अमीरुल इस्लाम ने हिंसा को रोकने की कोई कोशिश नहीं की, बल्कि चुपचाप वहाँ से खिसक गया।
रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि इस हिंसा में सत्ताधारी पार्टी TMC के स्थानीय नेताओं की अहम भूमिका थी। जाँच समिति ने यह भी बताया कि स्थानीय पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय रही। जब पीड़ितों ने मदद के लिए पुलिस को फोन किया, तो कोई जवाब नहीं मिला। यह सब स्थानीय पुलिस स्टेशन से महज 300 मीटर की दूरी पर हुआ।
हिंसा के दौरान लूटपाट और मंदिरों पर भी किए गए हमले
हिंसा के दौरान बड़े पैमाने पर आगजनी और लूटपाट हुई। घोषपारा इलाके में 29 दुकानें या तो जला दी गईं या तोड़फोड़ की शिकार हुईं। एक शॉपिंग मॉल जैसा बाजार लूट लिया गया और उसे बंद कर दिया गया। किराने की दुकानें, हार्डवेयर की दुकानें, इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़े की दुकानों को नष्ट कर दिया गया। महत्वपूर्ण दस्तावेज भी जलाए गए। मंदिरों को भी नहीं बख्शा गया। ऑपइंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिरों के सामने पेशाब किया गया और हिंदुओं को कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया गया। हिंदुओं के घरों पर निशान लगाकर उन्हें हिंसा का शिकार बनाया गया।
हिंसा के बाद बेटबोना गाँव की स्थिति दयनीय हो गई है। 113 घरों को इतना नुकसान हुआ कि वे अब रहने लायक नहीं हैं। गाँव की महिलाएँ डर के मारे अपने रिश्तेदारों के पास रहने को मजबूर हैं। पीड़ित महिलाओं को धमकियाँ भी दी गईं।
रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि स्थानीय पुलिस ने हिंसा के दौरान कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पीड़ितों ने पुलिस को फोन किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। यह सब स्थानीय पुलिस स्टेशन से सिर्फ 300 मीटर की दूरी पर हुआ। जांच समिति ने इसे पुलिस की घोर लापरवाही और निष्क्रियता करार दिया।
ऑपइंडिया ने इस हिंसा को लगातार कवर किया। हमारी रिपोर्ट्स ने बताया था कि कैसे इस्लामी कट्टरपंथियों ने पिता-पुत्र को काट डाला, मंदिरों पर हमले किए गए, और हिंदुओं को कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया गया। ऑपइंडिया ने यह भी उजागर किया था कि कैसे हिंदुओं के घरों पर निशान लगाकर उन्हें निशाना बनाया गया।
यह हिंसा पश्चिम बंगाल में हिंदू समुदाय के खिलाफ एक सुनियोजित हमला था, जिसमें स्थानीय मुस्लिम समुदाय, पड़ोसियों और TMC के नेताओं की भूमिका स्पष्ट रूप से सामने आई है। कलकत्ता हाई कोर्ट की जाँच कमेटी की यह रिपोर्ट इस बात का प्रमाण है कि कैसे वक्फ संशोधन बिल के विरोध की आड़ में हिंदुओं को निशाना बनाया गया। इसके बावजूद इस घटना पर उन लोगों की चुप्पी है जो रोज़ ‘अघोषित आपातकाल‘ की बात करते हैं। यह सवाल उठता है कि क्या पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा?