मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में 11 अप्रैल 2025 को नए वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर हिंदू समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा, तोड़फोड़, आगजनी और टारगेटेड हमले देखने को मिले।
ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट्स में विस्तार से बताया है कि कैसे हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया, जिसमें उनके घर, दुकानें और मंदिर शामिल थे। यह तबाही 11 अप्रैल 2025 को जुम्मा नमाज के बाद वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर शुरू हुई और 12 अप्रैल 2025 तक चली।
हालात इतने खराब हो गए कि हजारों हिंदुओं को मुर्शिदाबाद के अपने घर छोड़कर नावों के जरिए पास के मालदा जिले में भागना पड़ा।
22 अप्रैल को इनसाइट के पत्रकारों की टीम ने हिंसा से प्रभावित मुर्शिदाबाद का दौरा किया और उन हिंदू परिवारों से मुलाकात की, जिन्होंने मुस्लिम भीड़ के कहर में सब कुछ खो दिया।
पीड़ितों ने हत्या, हिंदू मंदिरों और घरों पर हमलों और मस्जिदों से हिंसा के लिए मिल रहे डायरेक्शन की भयानक कहानियाँ सुनाईं।
पीड़ितों ने स्थानीय पुलिस की निष्क्रियता, टीएमसी पार्षदों की मिलीभगत और यह भी बताया कि उग्र मुस्लिम भीड़ के लिए पार्टी से जुड़ाव मायने नहीं रखता था।
सभी ने एक स्वर में कहा कि उनकी हिंदू पहचान ही इस चरमपंथी हमले की वजह थी, जैसा कि इनसाइट ने 1 मई 2025 को अपने यूट्यूब चैनल पर 30 मिनट के ग्राउंड रिपोर्ट में सबकुछ बताया।
मुर्शिदाबाद में हिंदू विरोधी दंगों की पीड़ित परुल दास ने बताया कैसे उनके पति और बेटे को मुस्लिम भीड़ ने मार डाला, पुलिस 4 घंटे बाद आई।
इनसाइट टीम ने हरगोबिंद दास के परिवार से मुलाकात की, जिन्हें उनके बेटे चंदन दास के साथ 11 अप्रैल 2025 को एक मुस्लिम भीड़ ने काटकर मार डाला था।
इस हत्या के सिलसिले में चार इस्लामी कट्टरपंथियों कालू नादर, दिलदार नादर, इंजमाम उल हक और जियाउल शेख को गिरफ्तार किया गया।
हरगोबिंद दास की विधवा पारुल दास ने बताया, “पहले उन्होंने उनकी उस दुकान को तोड़ा। सब कुछ लूट लिया और चले गए। बाद में वे वापस आए और हमारी रसोई तोड़ दी। फिर उन्होंने छत पर पत्थर, काँच और बोतलें फेंकी। दूसरी तरफ से बाड़ के पास से पत्थर और ईंटें फेंके। तीसरी बार जब वे आए, तो उनके पास फावड़े, कुदाल और अन्य नुकीले हथियार थे।”
पारुल दास ने बताया कि कैसे उनके पति और बेटे को मुस्लिम भीड़ ने मार डाला। उन्होंने कहा, “पिता और बेटा वहाँ खड़े थे। उन्होंने पिता-पुत्र को बाहर खींच लिया। पिता को नाले के पास काट दिया। मेरे बेटे को उस पेड़ के नीचे मार डाला।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें पुलिस से कोई मदद मिली, तो परुल दास ने कहा, “नहीं, कुछ भी नहीं। अगर पुलिस होती तो तीसरी बार हत्याएँ नहीं होतीं। वे (पुलिस) 4 घंटे बाद आए।”
इस असहाय महिला ने बताया कि उसने टीवी पर दिखाए गए वीडियो से अपराधियों की पहचान की। उन्होंने कहा कि हम डरे हुए हैं और यहाँ बीएसएफ की स्थाई तैनाती की माँग कर रहे हैं।
पारुल दास ने बताया कि वह अब अपने घर में नहीं रह सकतीं क्योंकि उसके दरवाजे नहीं हैं। जब उनसे पूछा गया कि उनके पति और बेटे को क्यों मारा गया, तो उन्होंने कहा, “मैं क्या कहूँ? हमारी किसी से दुश्मनी नहीं थी।”
बता दें कि पारुल दास और उनकी बहू पिंकी दास को तृणमूल कॉन्ग्रेस के गुंडे और पश्चिम बंगाल पुलिस परेशान कर रही है।
हिंदू पीड़ित ने दी TMC पार्षद की कारस्तानी की गवाही
एक हिंदू व्यक्ति दीपेन मंडल ने मुस्लिम भीड़ द्वारा की गई हिंसा में टीएमसी पार्षद की मिलीभगत को उजागर किया। दीपेन मंडल ने बताया, “पार्षद वहाँ (घटनास्थल पर) मौजूद था। अगर वह चाहता तो इस तबाही को रोक सकता था।”
उन्होंने आगे बताया, “अमीरूल (समशेरगंज से टीएमसी विधायक) आया था। उसे सब पता था। उसके आने के बाद इस तरफ से हमला हुआ। जो लोग उसके साथ थे, उन्होंने भी तोड़फोड़ और लूट में हिस्सा लिया।”
दीपेन मंडल ने कहा, “अगर पार्षद को पता नहीं था, तो गाँव वाले यहाँ कैसे आए और तबाही मचाई? वहाँ मकबूल आलम है। उसके गाँव के लोग हमारे गाँव पर हमला करने कैसे आ गए? अगर उसने उन्हें मना किया होता, तो वे नहीं आते।”
उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें और उनके परिवार को अपना गाँव छोड़कर मालदा के पर लालपुर में 7-9 दिनों तक रहना पड़ा। उन्होंने पूछा, “यह आपके अपने लोगों के साथ पश्चिम बंगाल में हो रहा है, जो एक जगह से दूसरी जगह जाने को मजबूर हैं। दूसरे लोग आ सकते थे। लेकिन ममता को समय नहीं मिला?”
उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन्हें मालदा से भगा दिया और वापस मुर्शिदाबाद भेज दिया। मंडल ने कहा, “उन्होंने (पुलिस) हमें जबरदस्ती वापस भेज दिया… पुलिस ने कहा कि वे केस दर्ज करेंगे। हमें जाने को कहा। हमें कहा कि हम तुम्हें यहाँ नहीं रख सकते। उन्होंने हमें हटाने के लिए कई बहाने बनाए।”
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे मुस्लिमों ने एक मंदिर में तोड़फोड़ की और पास की एक दुकान में घुसने की कोशिश की।
एक हिंदू महिला बनवासी मंडल ने दुख जताया, “अगर यहाँ बीएसएफ कैंप होता, तो हमारी जिंदगी आसान हो जाती। हमें नुकसान की भरपाई चाहिए। घर में कुछ भी नहीं है। न चावल, न दाल, न पहनने को कुछ। सब कुछ जलकर राख हो गया।”
मुस्लिमों ने मंदिर के सामने थूका और पेशाब किया, देवर को ‘अल्लाह’ और ‘बिस्मिल्लाह’ बोलने के लिए किया मजबूर
एक हिंदू महिला झारना मंडल ने बताया कि कैसे मुस्लिमों ने उनके देवर पर हमला किया और शनिवार (12 अप्रैल) को एक मंदिर में तोड़फोड़ की। उन्होंने यह भी बताया कि भीड़ ने मंदिर के सामने थूका और पेशाब किया।
उन्होंने बताया, “उन्होंने (मुस्लिमों ने) मंदिर के सामने थूक दिया और पेशाब किया… कम से कम 2000 से 5000 लोग आए और इस मंदिर को तोड़ दिया… उन्होंने शनिवार को इस मंदिर को तोड़ा।” मंडल ने इनसाइट टीम को बताया कि उनके देवर को पीटा गया और ‘अल्लाह’ और ‘बिस्मिल्लाह’ बोलने के लिए मजबूर किया गया।
झारना मंडल ने बताया, “6 लोगों ने मेरे देवर को पकड़ा और उस जगह पर बुरी तरह पीटा। उन्होंने उसे ‘अल्लाह’ और ‘बिस्मिल्लाह’ बोलने के लिए मजबूर किया। उन सबने मेरे देवर से कहा कि सब गाँव से भाग जाओ।”
मंडल ने कहा कि न तो पुलिस और न ही गाँव के प्रधान उनकी मदद के लिए आए। उन्होंने कहा, “कोई पुलिस नहीं थी। 5 जवान थे, जो डरकर भाग गए… उन्होंने (मुस्लिमों ने) पुलिस को कहा कि भाग जाओ वरना मार देंगे। किसी ने हमारी मदद नहीं की, न तो प्रधान ने, न ही पुलिस ने। मैं उनके पैरों पर गिर गई, उनसे हमारी रक्षा करने की भीख माँगी, लेकिन वे नहीं आए। हमारे पूरे गाँव ने उनके पैर पकड़े और विनती की।”
मंडल ने आगे बताया कि बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) ने उनकी जान बचाई, वरना गाँव वाले मर गए होते। उन्होंने कहा, “बीएसएफ ने हमें बचाया। अगर बीएसएफ नहीं आता, तो हम जिंदा नहीं होते। हम मर गए होते। हमें बीएसएफ कैंप चाहिए। हमें सुरक्षा चाहिए। हमें ममता की पुलिस नहीं चाहिए।”
पीड़ित समर दास ने बताया कैसे मस्जिदों ने मुस्लिम भीड़ को उकसाया, टीएमसी का सदस्य होने के बावजूद हिंदुओं को सताया गया
जफराबाद के एक हिंदू व्यक्ति समर दास ने भी इनसाइट टीम को बताया कि कैसे मुस्लिम भीड़ ने उनके घर को घेर लिया।
समर दास ने बताया, “भीड़ ने मेरे घर में घुसकर पत्थर और ईंटें फेंकी। मेरे सिर पर चोट लगने से मैं गिर गया। फिर उन्होंने मेरे घर में घुसकर अलमारी तोड़ दी और 2 भरी सोना और 20,000 रुपये नकद ले गए। मैंने अपनी आँख की सर्जरी के लिए बंधन बैंक से पैसे निकाले थे। उन्होंने मेरी पत्नी की गर्दन पर चाकू रखकर कीमती सामान और झुमके माँगे।”
दास ने कहा, “उन्होंने धमकी दी है कि मेरा घर जला देंगे। उन्होंने मेरे घर पर बम फेंके। मेरे दो भाई घायल हो गए। मेरी बेटी भी बम हमले में चोटिल हुई। अभी के लिए बीएसएफ की मौजूदगी की वजह से हम सुरक्षित हैं।” उन्होंने बताया कि बार-बार फोन करने के बावजूद पुलिस 4 घंटे तक नहीं आई। स्थानीय तृणमूल कॉन्ग्रेस का विधायक कहीं नहीं दिखा।
हिंदू व्यक्ति ने बताया कि पार्टी से जुड़ाव मायने नहीं रखता। उन्होंने कहा, “आप इन जले हुए घरों को देख सकते हैं। अगर टीएमसी नेताओं ने समय पर कार्रवाई की होती तो यह इस तरह नहीं जलता। मैं भी तृणमूल कॉन्ग्रेस से हूँ, फिर भी मेरा घर निशाना बना।”
उन्होंने कहा, “सिर्फ इसलिए कि हम हिंदू हैं। पास के मुस्लिम घरों को कुछ नहीं हुआ। वे सुरक्षित हैं। उन्होंने सिर्फ इन हमलों को अंजाम दिया। यह सब उन्होंने पहले से प्लानिंग बनाकर किया।”
समर दास ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया कि कैसे जफराबाद में हिंदू समुदाय पर हमला करने के लिए मुस्लिमों को एक मस्जिद से निर्देश दिए गए। उन्होंने बताया, “शनिवार रात को सारीतला मस्जिद के माइक से घोषणा की गई थी। कि (मुस्लिमों को) फज्र की नमाज के बाद हथियारों के साथ मैदान में उतरना है।”
हिंदू व्यक्ति ने बताया कि मुस्लिम बहुल इलाके में जिंदगी कितनी मुश्किल हो गई है। उसने कहा, “हम पश्चिम बंगाल में अपनी मातृभूमि पर हमले झेल रहे हैं, जैसे बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। हमें पूजा करने से रोका जा रहा है। हमारे मंदिरों को आग लगाई जा रही है। देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़ा और जलाया जा रहा है। हमारा गुनाह क्या है? यह सनातन धर्म पर हमला है।”
समर दास ने ममता बनर्जी, उनके पार्टी नेताओं फिरहाद हकीम और कुणाल घोष पर जफराबाद के हिंदू समुदाय की दुर्दशा को लेकर उदासीन होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “मुस्लिम यहाँ राज करना चाहते हैं। वे जफराबाद से हिंदुओं को उखाड़ फेंकना चाहते हैं। यह उनका पक्का इरादा है। फिर भी हमारी राज्य की मुख्यमंत्री के कानों में कुछ नहीं जा रहा। यहाँ हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। अगर गुजरात में किसी मुस्लिम का कुत्ता मर जाए, तो हमारी ममता सरकार इसे बंगाल में मुद्दा बना देती है।”
दास ने कहा, “10-11 दिन हो गए (हमले को)। बच्चों को ठीक से खाना नहीं मिला। वे सो नहीं पा रहे। वे डर में हैं कि उनके साथ कुछ हो जाएगा। स्कूल जाने वाले बच्चों की पढ़ाई रुक गई है।”
उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार से हिंदुओं के पुनर्वास और बसाने की माँग की, जो उग्र मुस्लिम भीड़ की हिंसा का शिकार हुए। समर दास ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मदद माँगी।