दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगने के लगभग आठ घंटे बाद तक दिल्ली पुलिस मुख्यालय को इसकी जानकारी नहीं थी। आग को बुझा लिए जाने के बाद जस्टिस वर्मा के निजी सचिव ने मौके पर पहुँचे पाँच पुलिसकर्मियों को वहाँ से चले जाने और सुबह आने को कहा। जिस समय यह घटना हुई थी, उस समय जस्टिस वर्मा अपनी पत्नी सहित घर से बाहर थे।
इंडियन एक्सप्रेस ने दिल्ली पुलिस के उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। सूत्रों ने यह भी बताया कि जब इस मामले के जाँच अधिकारी अगली सुबह जस्टिस वर्मा के आवास पर आए तो उन्हें वापस भेज दिया गया और बाद में आने के लिए कहा गया। इस अंग्रेजी समाचार पत्र ने जस्टिस वर्मा के निजी सचिव से भी संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की।
दरअसल, नई दिल्ली जिला के एडिशनल डीसीपी ने 15 मार्च 2025 को सुबह 8 बजे अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सुबह की डायरी सौंपी थी। उस डायरी में पिछले 24 घंटों में इलाके में हुई घटनाओं का सारांश था। इसमें जस्टिस वर्मा के आवास में लगी आग का भी जिक्र था। इसके बाद दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को घटना की जानकारी दी गई और नोटों में लगी आग का वीडियो भी उन्हें दिखाया गया।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि दिल्ली के पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने केंद्र में अपने उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। उसके बाद उसी दिन शाम को करीब 4.50 बजे दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय को इसकी जानकारी दी गई। इसके बाद जस्टिस उपाध्याय के रजिस्ट्रार सह सचिव ने सितंबर 2024 से लेकर घटना तक जस्टिस वर्मा का सुरक्षा विवरण माँगा।
दिल्ली पुलिस ने जस्टिस वर्मा के सुरक्षा डिटेल दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस उपाध्याय को भेज दिया। पुलिस ने बताया कि इस अवधि के दौरान CRPF के जवान और दिल्ली पुलिस के तीन अधिकारी रोटेशन के आधार पर जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात थे। वहीं, सूत्रों का कहना है कि दिल्ली पुलिस से पूछा गया है कि घटना की रात को पंचनामा क्यों नहीं बनाया गया।
पंचनामा बनाने के लिए पाँच स्वतंत्र व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, जो घटनास्थल के गवाह हों और मुकदमे के दौरान वे अपना बयान दे सकें। यह भी पता चला है कि मामले की जाँच करने वाली आंतरिक पैनल इस पर विचार कर रहा है। वहीं, आग लगने के दौरान सबसे पहले पहुँचने वाले 5 पुलिसकर्मियों से अपना फोन दिल्ली पुलिस मुख्यालय को सौंपने के लिए कहा गया है। पैनल इसका जाँच करेगा।
वहीं, पैनल जस्टिस वर्मा के पिछले छह महीनों के कॉल डेटा रिकॉर्ड की भी जाँच करेगा है। उन्हें अपने फोन से कोई भी जानकारी डिलीट नहीं करने के लिए कहा गया है। बता दें कि मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा का स्थानांतरण दिल्ली से इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया था। हालाँकि, बाद में CJI संजीव खन्ना ने जाँच के लिए विभिन्न हाई कोर्ट के तीन जजों की समिति गठित की है।
पैनल ने मामले की जाँच शुरू कर दी है। पैनल ने मंगलवार (25 मार्च) को जस्टिस वर्मा के आवास पहुँची और जहाँ नोटों में आग लगी थी, वहाँ लगभग 45 मिनट तक निरीक्षण किया। पैनल जज वर्मा के पीए और दिल्ली अग्निशमन विभाग के प्रमुख अतुल गर्ग को बयान देने के लिए बुलाएगा। अतुल गर्ग के हवाले से मीडिया में खबर आई थी कि ‘जज के आवास पर घटना के दौरान कोई नकदी नहीं मिली थी’।
जस्टिस वर्मा ने भी दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय को दिए अपने स्पष्टीकरण में अतुल गर्ग के बयान का हवाला दिया था। हालाँकि, बाद में अतुल गर्ग ने इनकार कर दिया था कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था। इस मामले में अब जाँच पैनल जस्टिस वर्मा से भी पूछताछ करेगी। इसके साथ ही आग की घटना का कॉल जिन अग्निशमन कर्मियों ने उठाया था, उनसे पूछताछ की जाएगी।
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस वर्मा के घर में लगी आग लेकर 21 मार्च की अग्नि रिपोर्ट के विवरण में कहा गया है कि सफदरजंग फायर स्टेशन को 14 मार्च की रात 11.35 बजे कॉल आया था। इसमें जज के घर में आग लगने की सूचना दी गई थी। इसके बाद दमकलकर्मी रात 11:43 बजे घटनास्थल पर पहुँचे। वे दो घंटे बाद यानी रात 1.56 बजे घटनास्थ से वापस लौट गए।
बता दें कि होली के दिन 14 मार्च की रात को करीब 11:30 बजे जस्टिस वर्मा के आवास से सटे स्टोर रूम में आग लग गई थी। यह आग बोरे में बंद रखे गए नोटों की गड्डियों में लगा था। इसके बाद जस्टिस वर्मा के पीए ने दिल्ली अग्निशमन सेवा को फोन करके घटना की जानकारी दी थी। आग बुझाने के दौरान का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें दिख रहा है कि 500 रुपए की गड्डियाँ जली हुई हैं।
जिस समय यह घटना हुई थी उस समय जस्टिस वर्मा दिल्ली में नहीं थे। कहा जाता है कि उस समय वे अपनी पत्नी के साथ मध्य प्रदेश गए थे। घर में सिर्फ उनकी वृद्ध माँ और एक बेटी थी। मामला जब उठा तो जस्टिस वर्मा ने अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को नकार दिया और इसे एक साजिश बताया। उन्होंने कहा कि जिस जगह पर आग लगी, वह उनके आवास का मुख्य हिस्सा नहीं है।