Thursday, January 9, 2025
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न्यायपालिका में ना हो रिजर्वेशन, मेरिट बने आधार: SC समुदाय से आने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज CT रविकुमार का बयान, बोले- पद के लिए लोग खुद को लायक बनाएँ

जस्टिस रविकुमार ने कहा कि न्यायपालिका कोटा और आरक्षण व्यवस्था पर नहीं चल सकती, इसका काम न्याय देना है। न्यायपालिका की आलोचना को लेकर उन्होंने कहा कि जजों को कोई भी फैसला देते समय काफी सावधानी बरतनी चाहिए औए फैसले के पीछे के तर्कों को साफ़ तौर पर सामने रखना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट से हाल ही में रिटायर हुए जज CT रविकुमार ने न्यायपालिका में नियुक्तियाँ मेरिट के आधार पर करने की वकालत की है। उन्होंने आरक्षण के विचार को समर्थन ना देते हुए कहा है कि न्यायपालिका में पहले से ही वह व्यवस्थाएँ मौजूद हैं, जिनसे सबका प्रतिनिधित्व हो। जस्टिस CT रविकुमार अनुसूचित जाति से सम्बन्धित हैं। जस्टिस रविकुमार ने यह बातें हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में कहीं हैं।

हिंदुस्तान टाइम्स को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने न्यायपालिका में आरक्षण और पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व के प्रश्न पर कहा, “मेरा स्पष्ट जवाब यह है कि न्यायपालिका में ऐसा तंत्र मौजूद है और और यह आगे मौजूद भी रहेगा। अगर ऐसा नहीं होता, तो मैं इस पद पर नहीं होता। लेकिन पिछड़े समुदायों के लोगों को खुद को इतना योग्य बनाना चाहिए कि वे इस पद के लिए नियुक्त किए जाने के दायरे में आ सकें। कोई किस पृष्ठभूमि से आता है और उसे किस आधार पर नियुक्त किया गया है, सबको एक ही समान काम करना होता है।”

जस्टिस CT रविकुमार ने कहा कि इस पद के लिए योग्यता और उस व्यक्ति का सक्षम होना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि SC समुदाय से होने के कारण उन्हें भी इस पद तक पहुँचने के रास्ते में कई कठिनाइयाँ झेलनी पड़ीं। उन्होंने बताया कि वह अपने परिवार में वकालत का पेशा अपनाने वाले पहले व्यक्ति थे इसलिए उन्हें और समस्याएँ हुईं। जस्टिस रविकुमार ने कहा कि न्यायपालिका में ऐसे लोगों को पहचान कर ऊपर लाया जाना चाहिए, जो योग्य हैं। उन्होंने कहा कि अभी न्यापालिका में पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व कम है।

जस्टिस रविकुमार ने कहा कि न्यायपालिका कोटा और आरक्षण व्यवस्था पर नहीं चल सकती, इसका काम न्याय देना है। न्यायपालिका की आलोचना को लेकर उन्होंने कहा कि जजों को कोई भी फैसला देते समय काफी सावधानी बरतनी चाहिए औए फैसले के पीछे के तर्कों को साफ़ तौर पर सामने रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि फैसला दिए जाने के बाद उसे सही सिद्ध करने की कोशिश जजों को नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर न्यायपालिका कोई नियम बना रही तो भी उसे काफी सावधान रहना रहना चाहिए।

जस्टिस CT रविकुमार 5 जनवरी, 2025 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए हैं। यहाँ वह अगस्त, 2021 में नियुक्त किए गए थे। केरल के अलप्पुझा से आने वाले जज CT रविकुमार SC समुदाय से हैं और सुप्रीम कोर्ट से पहले वह केरल हाई कोर्ट में 2009 से लेकर 2021 तक जज रहे थे। केरल हाई कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए थे। इससे पहले वह सरकारी वकील भी रहे थे। उनकी पत्नी भी तमिलनाडु हाई कोर्ट में वकील हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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