भारतीय दर्शन में गीता और महाभारत विधि-विधान, नियम और अधिनियम, संसाधनों का वितरण तथा शासन करने हेतु प्रमुख शोध प्रबंध हैं। इन ग्रंथों में शासकों और नागरिक गुणों के कर्तव्यों और दायित्वों का विस्तृत विवेचना किया गया है। पिछले एक दशक में आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में भारत को विकसित होते देखना उत्साहवर्धक है। यह नरेंद्र मोदी जी के कुशल प्रशासन और उनके मज़बूत इरादों से ही संभव हो पाया है। कहते हैं कि परिवर्तन एक क्रमिक नियम है और अगर हम इस परिवर्तन के पथ पर बढ़ेंगे तो अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करेंगे। माननीय प्रधानमंत्री का यह मानना है कि देश के युवा अगर अपनी क्षमताओं और कर्तव्यों का निर्वहन करना आरम्भ करें तो देश एक विकसित राष्ट्र के रूप में तीव्र गति से उभर सकता है।
उन्होंने अपने कई भाषणों में कहा भी है, “भारत एक युवा राष्ट्र है, वर्तमान में इसकी 65% आबादी की आयु 35 वर्ष से कम है। युवाओं के पास राष्ट्र को बदलने की, उसे एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभारने के क्षमता होती है।” प्रधान सेवक ने समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र के बीज बोए हैं, जिसे विकसित राष्ट्र रूपी वृक्ष बनाने के लिए हमें कुछ समय देना होगा। इसलिए पिछले दिनों प्रधान सेवक ने देश को विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए देश में एक ‘विकसित भारत 2047’ के माध्यम से योजनाओं एवं उसके क्रियान्वयन के लिए तथा इस योजना तथा क्रियान्वयन में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की पहल की है।
इसका उद्देश्य युवाओं को एक मंच प्रदान करना है जहाँ युवा अपनी क्षमताओं और कौशल के माध्यम से भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकें। विकसित भारत, एक दूरदर्शी अवधारणा का प्रतिनिधित्व करता है जो विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्र के व्यापक परिवर्तन की कल्पना करता है। इस दृष्टिकोण में आर्थिक समृद्धि, सामाजिक समावेशिता, तकनीकी उन्नति, पर्यावरणीय स्थिरता और वैश्विक नेतृत्व शामिल है।
इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शासन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, बुनियादी ढाँचे और नवाचार के प्रमुख पहलुओं को एकीकृत करते हुए एक बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक है। यह लेख ‘विकसित भारत’ पर दूरदर्शी बिंदुओं की पड़ताल करता है, जिसका लक्ष्य एक संपन्न, प्रगतिशील और सामंजस्यपूर्ण भारत की तस्वीर पेश करना है।
आर्थिक सशक्तीकरण:
उद्यमिता को बढ़ावा: विभिन्न क्षेत्रों में स्टार्टअप के लिए सहायता, सलाह और वित्त पोषण प्रदान करके उद्यमिता की संस्कृति को प्रोत्साहित किया गया है। इससे न केवल रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि नवाचार और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
कौशल विकास: भविष्य की नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल के साथ कार्यबल को सशक्त बनाने के लिए व्यापक कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश। इससे रोजगार क्षमता बढ़ेगी और आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल विकास पर भारत सरकार की दूरदर्शिता स्पष्ट दिखाई देती है जिससे की विद्यार्थियों का समावेशी विकास हो सके।
सामाजिक समावेशिता:
सभी के लिए शिक्षा: भारत सरकार ने मजबूत शिक्षा नीति को लागू किया है और साथ ही सुनिश्चित किया है कि हर बच्चे को सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के बावजूद गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच मिले। इससे सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा मिलेगा और असमानताएँ कम होंगी।
लैंगिक समानता: समान अवसर, उचित वेतन और भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली नीतियों के माध्यम से लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया गया है। राष्ट्र के समग्र विकास के लिए महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना महत्त्वपूर्ण है।
तकनीकी उन्नति:
डिजिटल बुनियादी ढाँचा: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट की पहुँच सुनिश्चित करते हुए एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढाँचा विकसित किया जा रहा है। इससे डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने, ई-गवर्नेंस और कनेक्टिविटी बढ़ाने में आसानी होगी।
अनुसंधान और विकास: वैज्ञानिक नवाचार और तकनीकी सफलताओं को प्रोत्साहित करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण निवेश किया गया। यह भारत को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेगा।
पर्यावरणीय स्थिरता:
नवीकरणीय ऊर्जा: गैर-नवीकरणीय संसाधनों पर निर्भरता कम करने के लिए सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना।
संरक्षण पहल: जैव विविधता, प्राकृतिक आवास और जल संसाधनों की रक्षा के लिए संरक्षण कार्यक्रम लागू किया है। सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करती है।
वैश्विक नेतृत्व:
राजनयिक जुड़ाव: दुनिया भर के देशों के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करना तथा व्यापार, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में सहयोग को बढ़ावा देना। इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत की साख बढ़ी है।
शांति और सुरक्षा: भारत ने वैश्विक शांति स्थापना प्रयासों और संघर्ष समाधान में सक्रिय भूमिका निभाई है। आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए एक स्थिर और सुरक्षित क्षेत्र आवश्यक है।
बुनियादी ढाँचे का विकास:
कनेक्टिविटी: देश के भीतर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए सड़कों, रेलवे और हवाई अड्डों सहित आधुनिक परिवहन नेटवर्क के विकास में निवेश किया गया है। इससे वस्तुओं और लोगों की आवाजाही सुगम होगी और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
शहरी नियोजन: तेजी से शहरीकरण की चुनौतियों का समाधान करने के लिए स्थायी शहरी नियोजन प्रथाओं को लागू किया गया है। कुशल बुनियादी ढांचे वाले स्मार्ट शहर नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाएँगे।
समावेशी स्वास्थ्य सेवा:
यूनिवर्सल हेल्थकेयर: यूनिवर्सल हेल्थकेयर कवरेज प्राप्त करने की दिशा में काम किया गया है। साथ ही, यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक नागरिक को वित्तीय बोझ के बिना गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो। इससे समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार होगा।
स्वास्थ्य शिक्षा: निवारक स्वास्थ्य देखभाल प्रथाओं को प्रोत्साहित करने, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर बोझ को कम करने और जनसंख्या की भलाई में सुधार करने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा दिया गया है।
अंत में यही कहा जा सकता है कि कुछ मिशन केवल मिशन भर नहीं होते, बल्कि सपने होते हैं। विकसित भारत भारतीय जनमानस के सामूहिक चैतन्य और चिंतन का स्वप्न है। ऐसे विराट सपने, सक्षम और दूरदर्शी नेतृत्व के अभिलाषी होते हैं व ऐसा नेतृत्व किसी समाज अथवा देश को हमेशा नहीं मिलते। भारतीय राष्ट्र के लिए यह गौरव व सौभाग्य का अवसर है कि विकासशील भारत के बेहद महत्त्वपूर्ण पड़ाव पर उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे युगस्रष्टा का नेतृत्व मिला है।
23 साल के सेवा-भाव का ऐसा सार्वजनिक जीवन, जहाँ एक नेता की ज़ुबान गारंटी में तब्दील हो जाए, उसी के नेतृत्व में राष्ट्र के विकसित होने का सपना पूरा होगा। जिस नेता की चिंता में रोटी, कपड़ा और मकान ही नहीं, शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कें बराबर रहती हैं; जिसने भारत के पैरों को वैश्विक पटल पर अंगद जैसा जमा दिया हो; वही इस ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ का पथ-प्रदर्शक भी हो सकता है व संचालक भी। 2047 तक भारत के विकसित होने का सपना इस यात्रा का आरंभ भी है और उद्देश्य भी।