Monday, May 6, 2024
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सेवा, सुशासन और संकल्प के 9 साल: PM मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में कश्मीर से कन्याकुमारी तक बदला भारत, सांस्कृतिक पुनर्जागरण से गरीब कल्याण तक का सारा खाका एक साथ

भाजपा का उद्देश्य देश में किसानों के जीवन में सुधार लाना है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) जैसी कल्याणकारी योजनाओं के तहत भारत सरकार ने 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन दिया है। राज्यों को कुल 4.04 लाख करोड़ रुपए की फूड सब्सिडी जारी की गई है। एफसीआई को 14.48 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 30 मई 2023 को 9 साल पूरे कर लिए हैं। इसी दिन 2019 में नरेंद्र मोदी ने लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। इन नौ वर्षों में केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार ने कई बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कीं और घोषणा पत्र में किए गए कई वादों को पूरा किया है। हालाँकि, इस दौरान कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, जिसने देश की प्रगति को कुछ महीनों के लिए रोक दिया था। हालाँकि, केंद्र में मजबूत नेतृत्व की बदौलत देश ने शानदार वापसी की।

इन नौ वर्षों में मोदी सरकार ने सभी विभागों और मंत्रालयों में डैशबोर्ड के माध्यम से समय-समय पर सभी आँकड़े उपलब्ध करवाएँ हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा द्वारा किए गए वादों के साथ-साथ देश के सामने आने वाली चुनौतियों के आधार पर सरकार की उपलब्धियों की जाँच करने के लिए ऑपइंडिया ने 2014 और 2019 के घोषणा पत्रों पर बारीकी से नज़र डाली।

अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A को रद्द करना

बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और अनुच्छेद 35A को रद्द करने के बारे में बात की थी। 2019 में सत्ता में दोबारा वापसी करने के तीन महीने से भी कम समय में उसने अपना वादा पूरा किया। 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और अनुच्छेद 35ए को रद्द करने की घोषणा की। इस निर्णय के साथ सरकार ने जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया और लद्दाख को उससे अलग कर उसे भी एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। इसके बाद से जम्मू-कश्मीर के कई क्षेत्रों में तेजी से विकास देखा गया है।

फोटो साभार: बीजेपी का घोषणा पत्र

राम मंदिर और तीर्थ स्थलों का विकास

बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और देश भर में तीर्थ स्थलों के विकास के बारे में बात की। सांस्कृतिक विकास (Cultural Development) बीजेपी के घोषणा पत्र का अहम हिस्सा रहा है। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया और भव्य राम मंदिर बनाने के लिए विवादित जमीन हिंदुओं को दे दी। इसके बाद बिना समय बर्बाद किए भारत सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया।

राम मंदिर के निर्माण के लिए धन इकट्ठा करने के लिए ट्रस्ट ने एक विशेष दान संग्रह (Special Donation Collection) अभियान शुरू किया, जिसमें दुनिया भर के हिंदुओं ने भाग लिया था। 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का भूमि पूजन किया और अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। जनवरी 2024 में भगवान राम के दर्शन करने के लिए मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा।

इसके अलावा, पीएम मोदी के कार्यभार संभालने के बाद हिंदू तीर्थ स्थलों और अन्य धार्मिक स्थलों के विकास, नवीनीकरण और कायाकल्प के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं, जिनमें केदारनाथ, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल कॉरिडोर और अन्य का विकास शामिल है। पीएम ने वाराणसी से चुनाव जीतने के बाद इस शहर के विकास के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है।

कोविड-19 चुनौती

पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में देश के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक कोविड-19 महामारी थी। भारत में कोरोना महामारी 2020 की शुरुआत में फैलना शुरू हुई। मार्च 2020 में भारत सरकार ने कोरोना को फैलने से रोकने के देशव्यापी लॉकडाउन लगाने का फैसला किया। हालाँकि, इसने कुछ हद तक वायरस को रोक दिया, लेकिन भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े। महामारी के कारण 5,00,000 से अधिक लोगों को जान गँवानी पड़ी और हजारों लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। लोगों पर महामारी के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव से उस समय यह पता चला कि हमारा स्वास्थ्य विभाग अभी इतना मजबूत नहीं है।

उस समय भारत में पर्याप्त कोरोना टेस्टिंग सेंटर, आईसीयू और यहाँ तक कि देश में निर्मित पीपीई किट भी नहीं थे। जब भारत में महामारी आई, तब तक हम चीन से पीपीई किट सहित कई उत्पाद आयात कर रहे थे। यह महामारी चीन से ही शुरू हुई थी। इसलिए PPE किट की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस वक्त देश में सिर्फ 2.75 लाख पीपीई किट ही उपलब्ध थे।

उस वक्त भारत सरकार के पास किसी अन्य विकल्प को खोजने का समय नहीं था। ऐसे में हिम्मत न हारते हुए मोदी सरकार ने पीपीई किट बनाने का फैसला किया। इसके बाद आने वाले महीनों में ही भारत पीपीई किट के निर्माण का हब बन गया। देश के अस्पतालों, डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को पीपीई किट की आवश्यक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने युद्ध स्तर पर काम किया। देशव्यापी लॉकडाउन के दो महीने के भीतर ही भारत ने अपनी पीपीई किट बना ली। इसकी आपूर्ति के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और कपड़ा मंत्रालय ने भी साथ मिलकर काम किया।

इसी तरह N95 मास्क, हैंड सैनिटाइज़र और अन्य उत्पादों के साथ भी हुआ। भारत ने इन उत्पादों को न केवल स्थानीय बाजारों को उपलब्ध कराया, बल्कि जरूरतमंद अन्य देशों को भी इन उत्पादों का निर्यात किया और गरीब देशों को उपहार के तौर पर सौंपा।

इसके अलावा, भारत में वैज्ञानिकों ने स्वदेशी टीका विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत की। भारत की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भारत में कोविशील्ड वैक्सीन का निर्माण शुरू कर दिया। कोविशील्ड को एस्ट्राजेनेका ने विकसित किया था। उसी तरह भारत बायोटेक द्वारा ने स्वदेशी वैक्सीन (Covaxin) कुछ ही समय में तैयार कर लिया। महामारी के दौरान दुनिया की बड़ी दवा निर्माता कंपनी फाइजर कोरोना टीके को लेकर अपनी शर्तें थोपने के लिए भारत पर दबाव बना रही थी, लेकिन भारत सरकार इस दबाव के आगे नहीं झुकी।

भारत ने कुछ ही समय में कोविड-19 टीकाकरण अभियान को ट्रैक करने के लिए एक अत्याधुनिक CoWIN प्लेटफॉर्म बनाया। भारत में अब तक वैक्सीन की 220.66 करोड़ डोज दी जा चुकी है। 95.19 करोड़ से अधिक लोगों को टीके की दो खुराकें दी गई हैं और 22 करोड़ से अधिक लोगों को तीसरी खुराक दी गई है। देश भर में अभी भी 261 टीकाकरण केंद्र सक्रिय हैं, जिनमें से 191 सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं और 70 प्राइवेट हैं।

कोविड-19 वैक्सीन आँकड़े। (फोटो साभार: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय)

कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की कमी के रूप में भारत को एक और झटका लगा। हालाँकि, सरकार ने इसे गंभीरता से लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि अक्टूबर 2021 तक देश भर के सरकारी अस्पतालों में लगभग 2500 ऑक्सीजन प्लांट चालू किए गए।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति

पिछले नौ वर्षों में भारत सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है। 2014 में जब पीएम मोदी ने कार्यभार संभाला था, तब पूर्ण रूप से संचालित एम्स केवल एक और सेमी-ऑपरेशनल एम्स छह थे। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने देश भर में एम्स की संख्या बढ़ाने पर व्यापक रूप से काम किया, ताकि लोगों को अपने राज्यों में कम पैसों में बेहतर मेडिकल केयर मिल सके।

वर्तमान में दिल्ली एम्स के अलावा भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश में छह एम्स पूरी तरह से चल रहे हैं। रायबरेली, गोरखपुर, मंगलागिरी, नागपुर, बठिंडा, बीबीनगर, कल्याणी, देवघर, बिलासपुर और राजकोट में दस एम्स सेमी-ऑपरेशनल में हैं, जहाँ एमबीबीएस की क्लास और ओपीडी चल रही हैं। गुवाहाटी, जम्मू और मदुरै एम्स में एमबीबीएस की क्लास शुरू हो गई हैं। अवंतीपोरा, मनेठी और दरभंगा एम्स निर्माणाधीन हैं।

ऑपरेशनल, सेमी-ऑपरेशनल, निर्माणाधीन और नए घोषित एम्स के साथ इसकी कुल संख्या 22 तक पहुँच गई है। मार्च 2022 में पीएम मोदी ने कहा था कि सभी 22 एम्स 2025 तक पूरी तरह से चालू हो जाएँगे। इसके अलावा, मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2014 में 387 मेडिकल कॉलेज थे, जबकि 2023 में यह संख्या बढ़कर 660 हो गई है।

भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने गरीब परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ देने के लिए ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ शुरू की। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, जो आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट के माध्यम से डिजिटली स्वास्थ्य रिकॉर्ड को कवर करता है, उसने जरूरतमंदों को आसानी से सभी चिकित्सा सुविधाएँ देना संभव बना दिया है।

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) ने भी उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाओं को हाशिए पर पड़े वर्ग को मुहैया कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत, भारत सरकार द्वारा 9000 से अधिक प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (पीएमबीजेके) खोले गए हैं, जो बाजार मूल्य से 70 प्रतिशत तक सस्ती जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराते हैं।

इन दुकानों में करीब 1,800 दवाएँ और 280 सर्जिकल उपकरण सस्ती कीमतो पर मिलते हैं। इसी तरह AMRIT फार्मेसियों में लगभग 5,000 दवाएँ, स्टेंट, इम्प्लांट और सर्जिकल डिस्पोजल और अन्य जरूरत की वस्तुएँ सामान्य बाजार की तुलना में 60 प्रतिशत तक कम कीमत पर मिलती हैं। जन औषधि केंद्र केवल 1 रुपए में सैनिटरी नैपकिन बेचते हैं, जिससे ये गरीब महिलाओं को भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

भारत सरकार ने देश के लोगों को सभी स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिए आयुष और इसके ऑफ-शूट आयुर्वेद का बड़े पैमाने पर समर्थन किया है। पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से महिलाओं के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं और इसे आगे बढ़ाया है। सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन), मिशन इंद्रधनुष (एमआई), पीएम पोषण योजना ने गर्भावस्था और जन्म के बाद महिलाओं व बच्चों को बेहतर देखभाल प्रदान की है। मातृत्व देखभाल भाजपा के घोषणा पत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। पार्टी के तहत सरकार ने इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम किया है।

अब तक सरकार ने 38 करोड़ से अधिक आभा खाते (ABHA Accounts) खोले हैं। आयुष चिकित्सा पद्धति के तहत 18 करोड़ से अधिक मरीजों का इलाज किया जा चुका है। पीएम सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत 3.9 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को चिकित्सा सुविधा मिली है। नि-क्षय मित्र द्वारा 9.55 लाख से अधिक टीबी के मरीजों को गोद लिया गया है। मिशन इंद्रधनुष के कारण 5.65 करोड़ से अधिक माताओं और बच्चों की सुरक्षा की गई है। रिकॉर्ड 11 करोड़ लोगों ने ई-संजीवनी के टेली-कंसल्टेशन का लाभ उठाया है।

नौ साल में LPG कनेक्शन दोगुने से ज्यादा हुए

जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब केवल 14.52 करोड़ परिवारों के पास ही एलपीजी कनेक्शन थे। सरकार ने महिलाओं को हानिकारक धुएँ से बचाने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की। इसके बाद मार्च 2023 तक एलपीजी कनेक्शनों की संख्या बढ़कर 31.36 करोड़ हो गई। इसका मतलब है कि केवल नौ वर्षों में सरकार ने एलपीजी कनेक्शनों को दोगुना से अधिक कर दिया है। भारत में एलपीजी कनेक्शन 2016 में 62% (योजना की शुरुआत) से बढ़कर 2022 में 104% से अधिक हो गया।

शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव

बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की विस्तार से बात की है। किताबों और ऑनलाइन कोर्सों का डिजिटलीकरण मोदी सरकार का एक ऐतिहासिक निर्णय रहा है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े बदलाव देखे गए हैं। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत लगभग 400 एनसीईआरटी पुस्तकों को डिजिटलाइज़ किया गया है, जिसे मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है। सरकार ने छात्रों को कम कीमत पर उच्च शिक्षा के बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए नए आईआईटी और आईआईएम खोले हैं। 2014 से अब तक लगभग 350 नए विश्वविद्यालय खाले गए हैं।

उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, 43 प्रतिशत विश्वविद्यालय और 61.4 प्रतिशत कॉलेज अब ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं। सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने 7 IIT और 7 IIM खोले हैं। 2014 में जब पीएम मोदी ने कार्यभार संभाला था, तब देश में 723 विश्वविद्यालय थे और अब यह संख्या बढ़कर 1,113 हो गई है। इसके अलावा, 2014 में भारत में 38,498 कॉलेज थे, जो 2023 में बढ़कर 43,796 हो गए हैं। यानी सिर्फ नौ साल में देश में नए 5,298 कॉलेज बन गए हैं, जो सरकार के हस्तक्षेप के बिना संभव नहीं था।

सड़कों का निर्माण बढ़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश में बुनियादी संरचना के विकास पर खासा जोर दिया है। खासकर नेशनल हाइवे के मामले में देश में बड़ा बदलाव आया है। भारत में लगभग 63.73 लाख किलोमीटर सड़क नेटवर्क है। यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। पिछले नौ वर्षों में कॉरिडोर-बेस्ड नेशनल हाइवे का उपयोग करते हुए सड़कों का निर्माण बढ़ा है। 2014 में जहाँ एक दिन में 12 किलोमीटर सड़क का निर्माण हो रहा था, अब वह बढ़कर 2021-22 में 29 किलोमीटर प्रति दिन हो गया है। केवल पिछले पाँच वर्षों में भारत सरकार ने सीमाओं को जोड़ने वाली 13,525 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया है।

ग्रामीण क्षेत्रों को शहरों से जोड़ने से कनेक्टिविटी में सुधार होता है और दोनों के बीच माल के परिवहन में मदद मिलती है। ग्रामीण कनेक्टिविटी के महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2014 से अब तक 3.28 लाख किमी से अधिक ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया है। बीजेपी ने 2019 के घोषणा पत्र में ग्रामीण क्षेत्रों को शहरों से जोड़ने की बात की थी। इस वादे को पूरा करने के लिए व्यापक रूप से काम किया गया है।

डिजिटल क्रान्ति

एक समय था, जब बैंकिंग के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति लाने की मोदी सरकार की योजना पर विपक्ष हँसता था। जब सरकार ने दुकानदारों को डिजिटल लेन-देन का इस्तेमाल करते देखना चाहा तो किसी को उस पर विश्वास नहीं हुआ। हालाँकि, मोदी सरकार ने इसे संभव बनाया और डिजिटल बुनियादी ढाँचे में बड़े पैमाने पर सुधार पर जोर दिया। जन धन खातों से लेकर आधार कनेक्टिविटी तक, रुपे कार्ड और यूपीआई को बढ़ावा देने से मोदी सरकार की पहल ने डिजिटल लेनदेन को बढ़ाने में मदद की। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने की बात की थी, जो उसने पूरी की। अगस्त 2016 में यूपीआई से जुड़े 21 बैंक थे। वहीं, डिजिटल लेनदेन की संख्या 9 लाख से बढ़कर 3.09 करोड़ रुपए हो गई। अप्रैल 2023 में 414 बैंक यूपीआई से जुड़े हैं।

इसके अलावा, मोदी सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) पर जोर दिया, जिसके तहत मौद्रिक लाभ सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रान्सफर किए गए। नौ वर्षों में सरकार ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत बिचौलियों को हटाकर 29 लाख करोड़ रुपए से अधिक धनराशि ट्रांसफर की हैं। सरकार ने डीबीटी के जरिए फंड ट्रांसफर कर 2.23 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की बचत की है।

सौभाग्य और हर घर जल

मोदी सरकार के दो महत्वपूर्ण योजना- सौभाग्य और हर घर जल ने करोड़ों भारतीयों को लाभान्वित किया है। जल जीवन मिशन से 8 करोड़ से अधिक परिवारों को लाभ हुआ है और उन्हें नल के पानी के कनेक्शन मिले हैं। सौभाग्य योजना के तहत तीन करोड़ से अधिक घरों को रोशन किया गया है, यानी इसके तहत 99.9 प्रतिशत बिजली सुनिश्चित की गई है। दोनों योजनाएँ भाजपा के घोषणा पत्र का हिस्सा थीं।

नौ साल में मोदी सरकार की अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ

भाजपा का उद्देश्य देश में किसानों के जीवन में सुधार लाना है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) जैसी कल्याणकारी योजनाओं के तहत भारत सरकार ने 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन दिया है। राज्यों को कुल 4.04 लाख करोड़ रुपए की फूड सब्सिडी जारी की गई है। एफसीआई को 14.48 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।

एनएफएसए के तहत कोविड के दौरान शुरू की गई मुफ्त राशन योजना को 31 दिसंबर, 2023 तक बढ़ा दिया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के परिणामस्वरूप शहरी आवासों में 800 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिकॉर्ड बताते हैं कि योजना के तहत 2004 से 2014 के बीच 8.04 लाख से अधिक घर बनाए गए थे, जबकि 2015 में 74 लाख से ज्यादा घर बनाए गए।

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों को स्टैंडअप इंडिया के तहत 7,558 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण दी गई।

पीएम स्वनिधि योजना के तहत 42.87 लाख खातों में 5,182 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जा चुके हैं।

48.9 करोड़ से अधिक जन धन खाते खोले गए हैं।

पीएम आवास योजना के तहत 4 करोड़ से अधिक घरों को मंजूरी दी गई है।

असंगठित क्षेत्र के 28.90 करोड़ से अधिक कामगारों ने ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराया है।

11 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है।

पीएम सुरक्षा बीमा योजना के तहत 33.48 करोड़ से अधिक लोगों को नामांकित किया गया है।

मुद्रा लोन के तहत 27.7 करोड़ से अधिक लोगों को ऋण दिया गया।

किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ, जिनमें शॉर्ट टर्म Collateral Free Loans, वृद्ध किसानों के लिए पेंशन योजनाएँ, सब्सिडाइज बीज और उर्वरक शामिल हैं। ये कुछ ऐसे लाभ हैं, जिन्हें इस सरकार ने लोगों को दिया है। इसके अलावा, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, फसल बीमा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड ने देश भर के करोड़ों किसानों की मदद की है। इससे अधिक जानकारी आप भारत सरकार के डैशबोर्ड पर देख सकते हैं।

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Anurag
Anurag
B.Sc. Multimedia, a journalist by profession.

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