Saturday, April 27, 2024
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‘पद्मश्री’ लौटाकर प्रियंका गाँधी के आँगन में दिखे बजरंग पुनिया, संन्यास लेने वाली साक्षी मलिक भी थी साथ: संजय सिंह के WFI अध्यक्ष बनने से हैं नाराज

बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह जब से कुश्ती संघ के अध्यक्ष चुने गए हैं तभी से कुछ नामी भारतीय पहलवान इसका विरोध कर रहे हैं। कल साक्षी मलिक ने कहा था कि वो अपनी कुश्ती छोड़ रही हैं तो आज बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री का सम्मान वापस लौटाने का ऐलान किया है।

बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह जब से कुश्ती संघ के अध्यक्ष चुने गए हैं तभी से कुछ नामी भारतीय पहलवान इसका विरोध कर रहे हैं। कल (22 दिसंबर 2023) साक्षी मलिक ने कहा था कि वो अपनी कुश्ती छोड़ रही हैं तो आज बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री का सम्मान वापस लौटाने का ऐलान किया है। एक वीडियो सामने आई है जिसमें बजरंग पुनिया अवार्ड को फुटपाथ पर रखकर भाग रहे हैं। उन्होंने अपने एक्स अकॉउंट पर लिखा, “मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूँ। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है।”

अपने पत्र में बजरंग पुनिया ने प्रधानमंत्री से कहा,

“इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण शरण सिंह पर सेक्सुअल हरासमेंट के गंभीर आरोप लगाए थे, जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया। आंदोलित पहलवान जनवरी में अपने घर लौट गए, जब उन्हें सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही। लेकिन तीन महीने बीतने के बाद भी बृजभूषण पर एफआईआर तक नहीं की। तब हम पहलवानों ने अप्रैल महीने में दोबारा सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया ताकि दिल्ली पुलिस कम से कम बृजभूषण सिंह पर एफआईआर दर्ज करे, लेकिन फिर भी बात नहीं बनी, तो हमें कोर्ट में जाकर एफआईआर करवानी पड़ी।

जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी जो अप्रैल आते-आते 7 रह गई थी। यानी इन तीन महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण सिंह ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था। आंदोलन 40 दिन चला। इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गईं। हम सब पर बहुत दबाव आ रहा था। हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस-नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी। जब ऐसा हुआ तो हमें कछ समझ नहीं आया कि हम क्या करें। इसलिए हमने अपने मेडल गंगा में बहाने की सोची।

उसी समय आपके एक जिम्मेदार मंत्री का फोन आया और हमें कहा गया कि हम वापस आ जाएँ, हमारे साथ न्याय होगा। इसी बीच हमारे गृहमंत्री जी से भी हमारी मुलाकात हुई, जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वे महिला पहलवानों के लिए न्याय में उनका साथ देंगे और कुश्ती फेडरेशन बृजभूषण, उसके परिवार और उसके गुर्गों को बाहर करेंगे। हमने उनकी बात मानकर सड़कों से अपना आंदोलन समाप्त कर दिया, क्योंकि कुश्ती संघ का हल सरकार कर देगी और न्याय की लड़ाई न्यायालय में लड़ी जाएगी, ये दो बातें हमें तर्कसंगत लगी।

आगे बजरंग पुनिया ने संजय सिंह के अध्यक्ष बनने का हवाला दिया और कहा कि WFI के अध्यक्ष पद पर बृजभूषण शरण फिर काबिज हो गया है। उसने बयान दिया है कि दबदबा है और दबदबा रहेगा। महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपित सरेआम ऐसा दावा कर रहा था, इसी मानसिक दबाव में आकर ओलंपिक पदक विजेता एकमात्र महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से सन्यास ले लिया।

उन्होंने लिखा, “खेल हमारी महिला खिलाड़ियों के जीवन में जबरदस्त बदलाव लेकर आए थे। पहले देहात में यह कल्पना नहीं कर सकता था कि देहाती मैदानों में लड़के-लड़कियाँ एक साथ खेलते दिखेंगे। लेकिन पहली पीढ़ी की महिला खिलाड़ियों की हिम्मत के कारण ऐसा हो सका। हर गाँव में आपको लड़कियाँ खेलती दिख जाएँगी और वे खेलने के लिए देश विदेश तक जा रही हैं। लेकिन जिनका दबदबा कायम हुआ है या रहेगा, उनकी परछाई तक महिला खिलाड़ियों को डराती है और अब तो वे पूरी तरह दोबारा काबिज हो गए हैं। उनके गले में फूल-मालाओं वाली फोटो आप तक पहुँची होगी।”

बता दें कि साल 2013 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कई साहित्यकारों ने भी अवार्ड वापस का अभियान चलाया था। कुछ समय बाद पता चला था वो पूरा अभियान राजनीति से प्रेरित था। आज जब पहलवान बजरंग पुनिया ने अपना अवार्ड लौटाया उस समय भी ऐसा नजारा देखने को मिला। कॉन्ग्रेस द्वारा किए गए ट्वीट में देखने को मिला कि बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक समेत कई पहलवानों से कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने मुलाकात की।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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