Tuesday, July 8, 2025
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इजरायल ने ईरान के फौजी ठिकानों को बनाया निशाना तो कॉन्ग्रेस के भीतर का ‘उम्माह’ जागा, पर उन इजरायली नागरिकों की अर्थी पर हुई रतौंधी जो मुस्लिम मुल्क के मिसाइल हमलों में मारे गए

कॉन्ग्रेस पार्टी कूटनीति और बातचीत की बात करती है, लेकिन सवाल ये है कि इजरायल के सटीक हमलों की निंदा करते हुए और ईरान के सीधे मिसाइल हमलों पर चुप रहकर यह पार्टी न सिर्फ अपनी विश्वसनीयता खो रही है बल्कि वैश्विक मामलों में एक संतुलित आवाज के रूप में भारत के रुख को भी कमजोर दिखा रही है।

कॉन्ग्रेस ने रविवार (15 जून 2025) को इजरायल की ईरान में सैन्य कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। इजरायल ने ये हमले ईरान की परमाणु सुविधाओं को नुकसान पहुँचाने और वहाँ काम करने वाले लोगों को निशाना बनाने के लिए किए थे। कॉन्ग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने इसे ‘खतरनाक कदम’ बताया, जिसके क्षेत्रीय और वैश्विक परिणाम हो सकते हैं।

लेकिन कॉन्ग्रेस ने इस बात को पूरी तरह अनदेखा कर दिया कि ईरान लगातार इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलें दाग रहा है। इन हमलों से इजरायल में न सिर्फ संपत्ति को नुकसान हो रहा है, बल्कि आम नागरिकों की जान भी जा रही है। जयराम रमेश ने ट्वीट करके कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस ईरानी जमीन पर इजरायल की हालिया बमबारी और टारगेटेड हत्याओं की स्पष्ट निंदा करती है। ये कदम तनाव को खतरनाक ढंग से बढ़ाने वाला है।”

जयराम रमेश ने आगे कहा कि कॉन्ग्रेस हिंसा में नहीं, बल्कि कूटनीति, बातचीत और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में विश्वास रखती है। उनके मुताबिक, भारत को ईरान और इजरायल के बीच तनाव कम करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, क्योंकि भारत दोनों देशों के साथ अच्छे रिश्ते रखता है। साथ ही पश्चिम एशिया में लाखों भारतीय काम करते हैं, इसलिए वहाँ शांति भारत के हित में है।

जयराम ने ये भी कहा कि भारत को हर कूटनीतिक तरीके से तनाव कम करने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन उन्होंने इस बात पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया कि इजरायल का हमला ईरान के परमाणु हथियार बनाने के खतरे के जवाब में था।

इसके अलावा ईरान ने भी इजरायल पर हमले किए, जिनमें कई आम नागरिक मारे गए और सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुँचा। खास तौर पर ईरानी मिसाइलों ने रिशोन लेजियन में आम लोगों के घरों को निशाना बनाया, जिसमें दो नागरिकों की मौत हो गई।

दूसरी तरफ, इजरायल अपने हमलों में सैन्य ठिकानों और नेताओं को निशाना बनाता है और कोशिश करता है कि आम नागरिकों को कम से कम नुकसान हो। इजरायल ने सैन्य ठिकानों के पास रहने वाले लोगों को पहले ही चेतावनी दी थी कि वे वहाँ से चले जाएँ। वहीं ईरान बिना किसी चेतावनी के सीधे रिहायशी इलाकों पर मिसाइलें दाग रहा है।

यही नहीं, एक दिन पहले ही प्रियंका गाँधी वाड्रा ने भारत को यूएन में गाजा पर वोटिंग से दूर रहने पर घेरने की कोशिश की थी। शायद उन्हें अब भी लगता है कि इजरायल को लेकर रूख उनके पिता-परनाना-दादी वाली ही होगी। हालाँकि भारत ने साफ कर दिया था कि वो द्विराष्ट्र सिद्धांत का समर्थक है और अपने पुराने रूख पर कायम है।

कॉन्ग्रेस पार्टी कूटनीति और बातचीत की वकालत तो करती है, लेकिन इजरायल के सटीक हमलों की निंदा करके और ईरान के मिसाइल हमलों पर चुप रहकर ये अपनी विश्वसनीयता खो रही है। इससे भारत का वैश्विक मामलों में संतुलित रुख भी कमजोर पड़ रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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