भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह पंचतत्व में विलीन हो गए। उन्हें दिल्ली में अंतिम विदाई दी गई। उनके सम्मान में देश में 7 दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। लोग उन्हें तमाम तरीकों से याद कर रहे हैं। ऐसे में हम उनके बचपन, स्कूल, गाँव की कहानी आप तक पहुँचा रहे हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक कहानी है। उनका जन्म 26 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के गाह गाँव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के चकवाल (पहले झेलम) जिले में स्थित है। साधारण परिवार में जन्मे मनमोहन सिंह को उनके दोस्त, घरवाले प्यार से ‘मोहना’ नाम से बुलाया करते थे। वो बचपन से ही पढ़ाई के प्रति गंभीर और मेहनती थे। उनके पिता गुरमुख सिंह कपड़े के व्यापारी थे और माता अमृत कौर गृहिणी थीं।
डॉ. सिंह ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गाह गाँव के प्राथमिक स्कूल से शुरू की। मिट्टी के तेल के चिराग की रोशनी में पढ़ाई करते हुए उन्होंने अपने शिक्षक दौलत राम और हेडमास्टर अब्दुल करीम की सीखों को आत्मसात किया। उनके बचपन के मित्र शाह वली और गुलाम मोहम्मद खान बताते हैं कि मोहना पढ़ाई में अव्वल था और हमेशा दूसरों की मदद करता था। शाह वली ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मोहना कक्षा का मॉनिटर था और अध्यापकों का प्रिय था। चौथी कक्षा तक पढ़ाई के बाद उनका परिवार चकवाल चला गया। विभाजन के समय, उनका परिवार भारत आकर अमृतसर में बस गया।
डॉ. सिंह ने अपने पैतृक गाँव गाह के विकास के लिए हमेशा योगदान दिया। वो अपने मित्रों से भी जुड़े थे, भले ही वो कभी लौटकर गाह गाँव नहीं गए। उन्होंने अपने पुराने मित्र से दिल्ली में भेंट भी की थी। दरअसल, उनके बुलाने पर गाह गाँव के उनके पुराने मित्र राजा मोहम्मद अली साल 2008 में दिल्ली आए थे, तब वो प्रधानमंत्री थे। राजा अली ने डॉ. सिंह के लिए चकवाल की मशहूर जूती, शॉल, मिट्टी और पानी भेंट में दिया। बदले में डॉ. सिंह ने उन्हें पगड़ी, शॉल और घड़ी उपहार में दी। राजा अली की साल 2010 में मौत हो गई थी।
राजा मोहम्मद अली ने उस मुलाकात को याद करते हुए बताया था कि डॉ. सिंह का स्वभाव विनम्र और स्नेहपूर्ण था। मुलाकात के दौरान उन्होंने अपने बचपन की कई यादें साझा कीं। उन्होंने पाकिस्तान में अपने पैतृक गाँव भी आने का आमंत्रण स्वीकार किया था। इस मुलाकात के बारे में बताते हुए राजा अली ने कहा था कि मोहना को अपने गाँव की बहुत चिंता थी। इस मुलाकात के बाद उन्होंने गाह गाँव के विकास के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से बात की। उन्होंने कहा कि गाँव को एक मॉडल गाँव के रूप में विकसित किया जाए।
गाह गाँव में डॉ मनमोहन सिंह के दूसरे दोस्त इंतजार कर रहे थे कि कब वह पाकिस्तान का दौरा करें और वह उनसे मिलें क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान आने की दावत तो कबूल कर ली थी, मगर किसी वजह से वह जा न सके। उन्हें ‘मोहना’ के आने की उम्मीद इसलिए भी थी कि मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण सिंह का परिवार भी विभाजन से पहले पंजाब के ज़िला झेलम के गाँव ढक्कू में रहता था।
गाँव के हेडमास्टर गुलाम मुस्तफा ने कहा था कि डॉ. सिंह का योगदान गाँव को अंधेरे से उजाले में लाने जैसा है। डॉ. सिंह के निधन के बाद, गाँव में एक सभा आयोजित की गई, जहाँ लोगों ने उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। शिक्षक गुलाम मुस्तफा ने कहा, “मोहना के जाने के बाद, हम चाहते हैं कि उनकी पत्नी या उनके बच्चे कम से कम एक बार उनके पैतृक गाँव आएँ। यह उनकी जड़ों से जुड़ने का एक तरीका होगा।”
VIDEO | Ex-PM Dr Manmohan Singh's ancestral village in Pakistan's Gah has preserved the pre-partition Sikh house as community centre. Here's what a local said on his demise.
— Press Trust of India (@PTI_News) December 27, 2024
"Our village had invited Dr Manmohan Singh to come here several times, but he couldn't come. Now, after… pic.twitter.com/wSPhXgosSE
पत्रकार दानियल कुबलई खान ने 2012 में पिक मैगज़ीन में लिखा था कि गाह गाँव के लोग मोहना को एक परिवार के सदस्य के रूप में देखते हैं। गाँव के निवासी मोहम्मद अशरफ ने बताया कि कैसे मोहना ने अपने जीवन में शिक्षा और मेहनत को प्राथमिकता दी। उन्होंने एक घटना याद की जब परीक्षा के बाद मोहना ने जामुन के पेड़ से फल तोड़े, लेकिन अशरफ ने सब खा लिए। मोहना ने इस पर गुस्सा किया, लेकिन बाद में मुस्कुराते हुए कहा, “चलो, मेहनत से और जामुन तोड़ेंगे।”
This rarest of rare pictures shows former Indian prime minister #ManmohanSingh registered as a schoolboy in his village Gah, on the outskirts of Chakwal in Pakistan.
— Kamran Rehmat (@kaamyabi) December 26, 2024
(Photo courtesy Danial Kublai Khan for a piece I commissioned for 'Pique' magazine in 2012):
Herewith that… pic.twitter.com/ll5eTUnTk0
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन एक संदेश देता है कि शिक्षा, विनम्रता और सेवा भाव से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। उनका पैतृक गाँव गाह, उनकी स्मृतियों और उनकी विरासत को सहेजते हुए, हमेशा उन्हें आदरपूर्वक याद करता रहेगा।