जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती के बीच तुलबुल नेविगेशन परियोजना और सिंधु जल संधि को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। यह विवाद शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर और गहरा गया, जब दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर तीखे हमले किए।
तुलबुल नेविगेशन परियोजना का मकसद झेलम नदी पर नौवहन और बिजली उत्पादन को बेहतर करना है। उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार (15 मई 2025) को इस परियोजना को पुनर्जीवित करने की बात कही थी, जिसे महबूबा मुफ्ती ने उकसाने वाला कदम बताया। यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब पहलगाम आतंकी हमले, सिंधु जल संधि के निलंबन और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम हुआ था।
उमर अब्दुल्ला ने महबूबा के आरोपों को ‘सस्ता प्रचार’ करार देते हुए कहा कि वह बहस को ‘गटर’ के स्तर पर नहीं ले जाएँगे। उन्होंने एक्स पर लिखा कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित में अपने नदियों का उपयोग करने की वकालत करते रहेंगे। उमर ने कहा कि वह पानी को रोकने नहीं, बल्कि इसका ज्यादा इस्तेमाल अपने लोगों के लिए करना चाहते हैं। उन्होंने महबूबा पर तंज कसते हुए कहा कि वह पोस्ट करती रहें, वह अब ‘असली काम’ करेंगे।
Is that really the best you can do? Taking cheap shots at a person you yourself have called Kashmir’s tallest leader. I’ll rise above the gutter you want to take this conversation to by keeping the late Mufti Sahib and “North Pole South Pole” out of this. You keep advocating the… https://t.co/R6wGL2o4tL
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 16, 2025
महबूबा मुफ्ती ने तुलबुल परियोजना को 1980 के दशक में शुरू किया गया बताया, जिसे पाकिस्तान के विरोध के कारण सिंधु जल संधि के तहत रोक दिया गया था। संधि के अस्थायी निलंबन के बाद अब इसके दोबारा शुरू होने की संभावना है। महबूबा ने उमर के दादा शेख अब्दुल्ला का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने सत्ता खोने के बाद पाकिस्तान से जुड़ने की वकालत की थी, लेकिन बाद में भारत के साथ आ गए। उन्होंने उमर पर राजनीतिक सुविधा के हिसाब से रुख बदलने का आरोप लगाया।
उमर ने जवाब में कहा कि सिंधु जल समझौते का विरोध ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने की कोशिश है। बता दें कि उमर अब्दुल्ला हों या महबूबा मुफ्ती, जब सत्ता में होते हैं तो भारत की बात करते हैं, विपक्ष में जाते ही विरोधी राग अलापने लग जाते हैं। वो इस मामले में भी दिख रहा है। इस समय मोदी सरकार ने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर रखा है। ऐसा पहलगाम हमले के बाद किया गया। ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते।