Saturday, June 21, 2025
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयक्या है भारत, अरब और यूरोप वाला इकोनॉमिक कॉरिडोर: जानिए कैसे चीन के BRI...

क्या है भारत, अरब और यूरोप वाला इकोनॉमिक कॉरिडोर: जानिए कैसे चीन के BRI को लगेगा झटका, 4000 km के सड़क-रेल-शिपिंग नेटवर्क से बढ़ेगा कारोबार

इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इस प्रोजेक्ट में चीनी प्रोजेक्ट्स की तरह सरकारी पैसे नहीं लगेंगे और न ही किसी सरकार पर चीन जैसा कोई कर्ज होगा।

भारत वैश्विक व्यवस्था में बेहद अहम भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत न सिर्फ अपने पारंपरिक प्रतिद्वंदियों से आगे निकलने की होड़ कर रहा है, बल्कि वैश्विक शक्तियों के बीच संतुलन बनाकर खुद के बनाए रास्ते पर चल रहा है। वो नए समझौते भी कर रहा है, तो नए साझेदार भी बना रहा है। पुराने साथियों को छोड़ भी नहीं रहा, और नए साथियों को नाराज भी नहीं कर रहा है। भारत अभी जी-20 का अध्यक्ष देश है। जी-20 के शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट की घोषणा की, जिसकी वजह से चीन-पाकिस्तान जैसे पारंपरिक विरोधियों की नींद उड़ गई है।

जी हाँ, G-20 सम्मेलन के पहले दिन भारत ने इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का ऐलान किया। इस प्रोजेक्ट में मध्य पूर्व और यूरोपीय देशों के अलावा अमेरिका भी अहम साझीदार है। इस प्रोजेक्ट को चीन के महत्वाकांक्षी BRI प्रोजेक्ट का न सिर्फ जवाब माना जा रहा है, बल्कि ये भारत की कूटनीतिक ताकत का सबूत भी पेश कर रहा है।

एक समय तो ये कहा जा रहा था कि भारत जी-20 के मंच पर शायद ही कोई आम सहमति बना पाए, लेकिन भारत ने न सिर्फ ऐसा कर दिखाया, बल्कि जी-20 से दूर रहे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को तगड़ा झटका भी दे दिया। इसी जी-20 के मंच से भारत की अगुवाई में जिस इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का ऐलान हुआ है, उसके पूरे होने के बाद चीन को ऐसा झटका लगेगा, जिससे वो शायद ही कभी उभर पाए।

अब सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि ये इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर आखिर है क्या और ये किस तरह से चीन की वैश्विक ताकत बनने की महत्वाकांक्षा को तहस-नहस करने में सक्षम है।

इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर

इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEEC) एक प्रस्तावित व्यापार और निवेश गलियारा है जो भारत को मिडिल ईस्ट और यूरोप को जोड़ेगा। गलियारे को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का मुकाबला करने का एक तरीका माना जाता है, जिसकी ऋण-जाल कूटनीति और पर्यावरणीय प्रभाव के लिए आलोचना की गई है। यह नए व्यापार और निवेश के अवसर पैदा करेगा, कनेक्टिविटी में सुधार करेगा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।

गलियारा भारत की चीन पर निर्भरता को कम करने और क्षेत्र में अपने रणनीतिक स्थिति को बेहतर बनाने में भी मदद करेगा। भारत से सऊदी अरब-तुर्की होते हुए यूरोप तक सीधे माल की आवाजाही होगी, जो चीन के सिल्क रोड की अहमियत को कम कर देगा।

चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट के असर को खत्म कर देगा इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर

1- इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर एशिया और यूरोप के बीच व्यापार और निवेश के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा।

2- इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर चीनी प्रभाव से पूरी तरह से मुक्त होगा, इसके सदस्य देशों पर चीनी कर्जजाल में फँसने का कोई जोखिम नहीं होगा।

3- इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर बीआरआई की तुलना में अधिक पर्यावरण के अनुकूल होगा, जिसकी पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव के लिए आलोचना की जाती है।

4- इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर से क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा, इससे तनाव और संघर्षों को कम करने में मदद मिलेगी।

5- इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर एक बड़ा उपक्रम है। यदि ये सफल रहा, तो यह एशिया और यूरोप में व्यापार और निवेश के भविष्य को आकार देने में मदद कर सकता है, और यह चीन की बीआरआई को विफल करने में मदद कर सकता है।

चीनी कर्ज के मकड़जाल में नहीं फँसेंगे सदस्य देश

इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इस प्रोजेक्ट में चीनी प्रोजेक्ट्स की तरह सरकारी पैसे नहीं लगेंगे और न ही किसी सरकार पर चीन जैसा कोई कर्ज होगा। क्योंकि इस पूरे प्रोजेक्ट की फंडिंग ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (पीजीआईआई) करेगा। पूरे 600 अरब डॉलर का ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (पीजीआईआई) जी-7 (पहले जी-8) देशों का फंड है, जिसका चीन सदस्य नहीं है।

हालाँकि, भारत भी इसका सदस्य नहीं है, लेकिन पर्यवेक्षक की हैसियत से भारत इसमें लगातार शामिल होता रहा है। जी-7 की पिछली बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे, वहीं से जी-20 को जोड़ते हुए भारत से यूरोप के बीच इस कॉरिडोर को बनाने का रास्ता साफ हुआ। पहले इटली भी चीन के BRI का हिस्सा था, लेकिन अब इटली भी इससे बाहर निकल रहा है।

भारत को यूरोप से कैसे जोड़ेगा इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर?

भारत के पश्चिमी तटीय क्षेत्र से सऊदी अरब और आगे तुर्की से होते हुए फ्रांस, इटली जैसे यूरोपीय देशों को ये कॉरिडोर जोड़ेगा। भारत और सऊदी अरब के बीच जल मार्ग से सामान जाएगा, इसके बाद सऊदी अरब से सड़क और रेल मार्ग से सामान आगे बढ़ेगा। भारत और सऊदी अरब के बीच एक प्रस्तावित सड़क मार्ग भारत के पश्चिमी तट से शुरू होगा और सऊदी अरब के पूर्वी तट पर समाप्त होगा। यह मार्ग भारत को यूरोप के बाजारों तक पहुंच प्रदान करेगा।

यह मार्ग लगभग 4000 किलोमीटर लंबा होगा और इसमें लगभग 10 साल लगेंगे। इस मार्ग को बनाने की अनुमानित लागत 10 अरब डॉलर है। ये पहला पार्ट होगा, तो दूसरे पार्ट में खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ा जाएगा। इस कॉरिडोर में रेलवे, शिपिंग नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे।

इस प्रोजेक्ट से भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जर्मनी, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यूरोपीय संघ को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पहले की तुलना में काफी ज्यादा फायदा होगा। समझौते के तहत इस कॉरिडोर में रेल और बंदरगाहों से जुड़ा नेटवर्क का निर्माण भी किया जाएगा, जिसमें सातों देश ‘पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट’ के तहत इन्वेस्टमेंट करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कुछ कहा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की लॉन्चिंग के समय कहा, “भारत कनेक्टिविटी को क्षेत्रीय सीमाओं में नहीं मापता। सभी क्षेत्रों के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाना भारत की मुख्य प्राथमिकता रहा है। हमारा मानना है कि कनेक्टिविटी विभिन्न देशों के बीच आपसी व्यापार ही नहीं, आपसी विश्वास भी बढ़ाने का स्रोत है।” उन्होंने कहा, “आज जब हम कनेक्टिविटी का इतना बड़ा इनिशिएटिव ले रहे हैं, तब हम आने वाली पीढ़ियों के सपनों के विस्तार के बीज बो रहे हैं।”

बौखलाया चीन खंबा नोचे

इस बात से चीन को इतनी मिर्ची लगी है कि वो बौखला गया है। इस प्रोजेक्ट पर तो चीन ने चुप्पी साथ ली, लेकिन जी-20 की कथित थिंक-टैंक्स के माध्यम से भारत को धमकाने की कोशिश कर रही है। चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्परेरी इंटरनेशनल रिलेशंस नाम के एक थिंक-टैंक ने अपने लेख में कहा कि भारत ने “जी20 के मंच का इस्तेमाल अपने स्वयं के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया है, जो वैश्विक मुद्दों पर सहयोग की बजाय विभाजन को बढ़ावा देने के लिए है।”

थिंक टैंक ने कहा कि चीन विरोधी मुद्दों को उठाकर भारत ने ‘जी20 की एकता को तोड़ा और चीन के हितों को नुकसान पहुँचाया।’ बता दें कि जी-20 के शिखर सम्मेलन के पहले ही दिन भारत ने इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा की थी। अब चीन सीधे-सीधे इस पर बोलता, तो खुद ही फंस जाता। ऐसे में उसने जी-20 के माध्यम से इशारों -इशारों में कहा कि भारत ने जी-20 का इस्तेमाल चीन के खिलाफ किया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
I am Shravan Kumar Shukla, known as ePatrakaar, a multimedia journalist deeply passionate about digital media. Since 2010, I’ve been actively engaged in journalism, working across diverse platforms including agencies, news channels, and print publications. My understanding of social media strengthens my ability to thrive in the digital space. Above all, ground reporting is closest to my heart and remains my preferred way of working. explore ground reporting digital journalism trends more personal tone.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘मंगल ग्रह’ से भी अपने नागरिकों को बचा लाएगी मोदी सरकार… ‘ऑपरेशन सिंधु’ ने फिर किया साबित: ईरान से ‘भारत माता की जय’ कहते...

ईरान-इजरायल के बीच ऑपरेशन सिंधु के तहत शुक्रवार देर रात 290 भारतीयों को लेकर विमान दिल्ली पहुँचा, जिसमें ज्यादातर जम्मू-कश्मीर के छात्र थे।

‘जंगलराज’ के कुकर्मों का सच उजागर करने की सजा? साधु यादव ने लेखक मृत्युंजय शर्मा को भेजा 5 करोड़ का मानहानि नोटिस: शिल्पी-गौतम मर्डर...

साधू यादव के नोटिस के जवाब में मृत्युंजय शर्मा ने ऑपइंडिया से बातचीत में कहा, “मैं सच बोलने से न डरूँगा, न माफी माँगूँगा।”
- विज्ञापन -