कराची से कुछ दिन पहले खबर आई थी कि वहाँ नवजातों के लिए एक मिल्क बैंक खुल रहा है जिसमें बच्चों के लिए स्तन वाला दूध उपलब्ध होगा। जब लोगों ने इस खबर को सुना तो काफी राहत की सांस की ली। हालाँकि बाद में उनकी यह खुशी ज्यादा समय नहीं रुकी। एक महीने बाद ही इस बैंक को बंद करना पड़ा।
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, सिंध इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड नियोनेटोलॉजी (एसआईसीएचएन) के कार्यकारी निदेशक डॉ. जमाल रजा ने इस संबंध में बताया, “हम एक साल से इस बैंक पर काम कर रहे थे और पिछले आठ महीनों से जामिया दारुल उलूम कराची के मौलवियों के साथ गहन चर्चा कर रहे थे। इस दौरान विद्वानों ने कई चिंताएँ उठाई थीं, जिनका समाधान किया गया और अंततः मदरसा से मंजूरी मिलने के बाद 12 जून को बैंक का उद्घाटन किया गया।”
आगे डॉक्टर जमाल राजा बताते हैं, “अब मदरसा ने अपनी सहमति का फतवा वापस ले लिया और कहा है कि उसे नई राय मिली है जिसके अनुसार उन्हें लगता है कि उन्होंने जो कड़ी शर्ते बनाई हैं अस्पताल के लिए उनका पालन करना ना केवल कठिन होगा बल्कि असंभव होगा।”
इस मामले में पाकिस्तान उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष हाफिज मुहम्मद ताहिर महमूद अशरफी ने कहा, “ब्रेस्ट मिल्क बैंक स्थापित करने की इच्छा रखने वाले डॉक्टरों का उद्देश्य भले ही अच्छा हो, लेकिन हम जामिया दारुल उलूम कराची से सहमत हैं और हमें नहीं लगता कि इसे प्रोत्साहित करने की जरूरत है।”
बता दें कि ऐसा निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि इस्लाम में माना जाता है कि अगर कोई बच्चा किसी का दूध पीता तो उस बच्चे के बीच और उस महिला के बच्चे के बीच कभी भविष्य में कैसे भी निकाह नहीं हो सकेगा। संभवत: इसी कारण से मजहबी उलेमाओं ने इस बैंक को लेकर जारी फतवे को वापस किया हो।
पाकिस्तान में मजहबी उलेमाओं के फतवे वापस लेने के कारण बंद हुआ मिल्क बैंक एक चिंताजनक विषय हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ तो आर्टिफिशियल दूध महंगा होता है और जो लोग ये सुनिश्चित नहीं करते कि बोतल कितनी साफ है, उसे स्टरलाइज किया गया है या नहीं उनके लिए ये विकल्प घातक होता है। दूसरी तरफ डॉक्टर सबसे ज्यादा बच्चों के लिए माँ के दूध को फायदेमंद बताते हैं। ऐसे में कई माँ ऐसी होती हैं जिन्हें दूध की समस्या हो जाती है तब उनके बच्चों को दिक्कत झेलनी पड़ती है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डीएस अकरम ने कहा कि स्तन का दूध शिशुओं की उस तरह से रक्षा करता है जिस तरह से फॉर्मूला दूध नहीं कर सकता। समय से पहले जन्मे शिशुओं की आंतों में बैक्टीरिया से बचने के लिए इम्युनिटी बहुत कम विकसित होती है। अगर उन्हें फॉर्मूला दूध पिलाया जाता है, तो उन्हें नेक्रोटाइज़िंग एंटरोकोलाइटिस नामक गंभीर आंत संक्रमण होने का बहुत जोखिम होता है, जिसकी मृत्यु दर बहुत अधिक होती है।”
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान जनसांख्यिकी और स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2018 के अनुसार , मुल्क में नवजात मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 42 है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। एसआईसीएचएन में नवजात शिशुओं की गहन देखभाल इकाई के डॉ. सैयद रेहान अली मिल्क बैंक बंद होने पर निराशा जताते हैं। उन्होंने कहा, “समय से पहले जन्मा बच्चा न तो चूस सकता है, न ही निगल सकता है, उसे नली के माध्यम से दूध पिलाना पड़ता है। ऐसे में मिल्क बैंक हमारी निराशाजनक नवजात मृत्यु दर को कम करने का एक तरीका था।”